हिंदी व्याकरण की सम्पूर्ण जानकारी – प्रतियोगी परीक्षा अध्ययन सामग्री
हिंदी व्याकरण की सम्पूर्ण जानकारी
प्रतियोगी परीक्षा तैयारी हेतु संपूर्ण अध्ययन सामग्री
विषय सूची (Table of Contents)
1. प्रस्तावना
हिंदी व्याकरण भारतीय भाषा विज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है। यह हिंदी भाषा के शुद्ध प्रयोग, वर्तनी, उच्चारण और भाषा संरचना के नियमों का अध्ययन करती है। व्याकरण का अर्थ है 'वि + आ + करण' अर्थात् भली प्रकार से करना।
व्याकरण की परिभाषा:
व्याकरण वह शास्त्र है जो भाषा के शुद्ध रूप का बोध कराता है और अशुद्धियों से बचाता है।
व्याकरण के अंग:
| अंग | विषय | उदाहरण | 
|---|---|---|
| वर्ण विचार | ध्वनि और लिपि | अ, आ, क, ख | 
| शब्द विचार | शब्द निर्माण और भेद | संज्ञा, सर्वनाम | 
| वाक्य विचार | वाक्य संरचना | साधारण, संयुक्त वाक्य | 
2. वर्ण और वर्णमाला
वर्ण भाषा की मूल इकाई है जिसके और टुकड़े नहीं हो सकते। हिंदी में देवनागरी लिपि का प्रयोग होता है।
देवनागरी वर्णमाला:
हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण हैं:
स्वर (11):
मूल स्वर:
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं
व्यंजन (33):
स्पर्श व्यंजन (25):
कवर्ग: क, ख, ग, घ, ङ
        चवर्ग: च, छ, ज, झ, ञ
        टवर्ग: ट, ठ, ड, ढ, ण
        तवर्ग: त, थ, द, ध, न
        पवर्ग: प, फ, ब, भ, म
अंतःस्थ व्यंजन (4):
य, र, ल, व
ऊष्म व्यंजन (4):
श, ष, स, ह
प्रश्नोत्तरी - वर्ण विचार
प्रश्न 1: हिंदी वर्णमाला में कुल कितने वर्ण हैं?
उत्तर: हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण हैं - 11 स्वर और 41 व्यंजन (33 मूल व्यंजन + 8 संयुक्त व्यंजन)।
प्रश्न 2: देवनागरी लिपि की विशेषताएं बताइए।
उत्तर:
            • बाएं से दाएं लिखी जाती है
            • प्रत्येक अक्षर के ऊपर शिरोरेखा होती है
            • यह वैज्ञानिक लिपि है
            • उच्चारण के अनुसार लिखी जाती है
3. शब्द और शब्द भेद
वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। शब्द भाषा की महत्वपूर्ण इकाई है।
शब्द के भेद:
अर्थ के आधार पर:
| भेद | परिभाषा | उदाहरण | 
|---|---|---|
| सार्थक | जिनका कोई अर्थ हो | पुस्तक, लड़का | 
| निरर्थक | जिनका कोई अर्थ न हो | अबकसद, मनगच | 
रचना के आधार पर:
| भेद | परिभाषा | उदाहरण | 
|---|---|---|
| रूढ़ | सामान्य शब्द | पेड़, आदमी | 
| यौगिक | दो शब्दों से मिलकर बना | विद्यालय, पाठशाला | 
| योगरूढ़ | यौगिक शब्द जो प्रसिद्ध हो गया | दशानन (रावण) | 
उत्पत्ति के आधार पर:
तत्सम शब्द:
संस्कृत से आए बिना बदलाव के: अग्नि, वायु, जल
तद्भव शब्द:
संस्कृत से आए बदलाव के साथ: आग (अग्नि), हवा (वायु), पानी (जल)
देशज शब्द:
स्थानीय भाषा के: खीर, गुड़, लोटा
विदेशी शब्द:
अन्य भाषाओं से आए: स्कूल, कॉलेज, कलम
4. वाक्य और वाक्य भेद
शब्दों का ऐसा समूह जो पूर्ण अर्थ प्रकट करे, वाक्य कहलाता है।
वाक्य के अंग:
| अंग | परिभाषा | उदाहरण | 
|---|---|---|
| कर्ता | काम करने वाला | राम पढ़ता है | 
| कर्म | जिस पर कार्य होता है | राम पुस्तक पढ़ता है | 
| क्रिया | कार्य या भाव | राम पढ़ता है | 
अर्थ के आधार पर वाक्य भेद:
विधानवाचक:
राम स्कूल जाता है।
निषेधवाचक:
राम स्कूल नहीं जाता।
प्रश्नवाचक:
क्या राम स्कूल जाता है?
आज्ञावाचक:
तुम स्कूल जाओ।
इच्छावाचक:
काश! मैं पास हो जाऊं।
संदेहवाचक:
शायद बारिश हो।
विस्मयवाचक:
वाह! कितना सुंदर फूल है।
5. संज्ञा
जिन शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव या गुण का बोध होता है, उन्हें संज्ञा कहते हैं।
संज्ञा के भेद:
व्यक्तिवाचक संज्ञा:
परिभाषा:
जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध कराते हैं।
उदाहरण: राम, गंगा, दिल्ली, ताजमहल, गीता
जातिवाचक संज्ञा:
परिभाषा:
जो शब्द एक ही जाति के प्राणियों या वस्तुओं का बोध कराते हैं।
उदाहरण: आदमी, औरत, गाय, घोड़ा, पुस्तक, मेज
द्रव्यवाचक संज्ञा:
परिभाषा:
जो शब्द किसी द्रव्य, धातु या पदार्थ का बोध कराते हैं।
उदाहरण: सोना, चांदी, तेल, पानी, दूध, चीनी
समूहवाचक संज्ञा:
परिभाषा:
जो शब्द व्यक्तियों या वस्तुओं के समूह का बोध कराते हैं।
उदाहरण: भीड़, सेना, कक्षा, मंडली, झुंड
भाववाचक संज्ञा:
परिभाषा:
जो शब्द किसी भाव, गुण, अवस्था या क्रिया का बोध कराते हैं।
उदाहरण: सुंदरता, बुढ़ापा, मिठास, दौड़ना, हंसी
प्रश्नोत्तरी - संज्ञा
प्रश्न 1: निम्नलिखित वाक्यों में संज्ञा के भेद बताइए:
क) राम दिल्ली गया।
            ख) गायों का झुंड आ रहा है।
            ग) दूध में मिठास है।
उत्तर:
            क) राम - व्यक्तिवाचक, दिल्ली - व्यक्तिवाचक
            ख) गायों - जातिवाचक, झुंड - समूहवाचक
            ग) दूध - द्रव्यवाचक, मिठास - भाववाचक
6. सर्वनाम
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं। ये सभी नामों के लिए प्रयुक्त होते हैं।
सर्वनाम के भेद:
| भेद | परिभाषा | उदाहरण | 
|---|---|---|
| पुरुषवाचक | व्यक्ति के लिए प्रयुक्त | मैं, तुम, वह, हम | 
| निश्चयवाचक | निश्चित व्यक्ति/वस्तु के लिए | यह, वह, ये, वे | 
| अनिश्चयवाचक | अनिश्चित व्यक्ति/वस्तु के लिए | कोई, कुछ | 
| संबंधवाचक | संबंध दिखाने के लिए | जो, सो | 
| प्रश्नवाचक | प्रश्न पूछने के लिए | कौन, क्या | 
| निजवाचक | अपनेपन के लिए | आप, स्वयं | 
पुरुषवाचक सर्वनाम के भेद:
उत्तम पुरुष:
मैं, हम, मुझे, हमें
मध्यम पुरुष:
तू, तुम, आप, तुझे, तुम्हें
अन्य पुरुष:
वह, वे, उसे, उन्हें
7. विशेषण
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं। जिसकी विशेषता बताई जाती है, वह विशेष्य कहलाता है।
विशेषण के भेद:
गुणवाचक विशेषण:
परिभाषा:
जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के गुण-दोष का बोध कराते हैं।
उदाहरण: अच्छा, बुरा, सुंदर, कुरूप, मीठा, कड़वा
संख्यावाचक विशेषण:
| भेद | उदाहरण | 
|---|---|
| निश्चित संख्यावाचक | एक, दो, तीन, चार | 
| अनिश्चित संख्यावाचक | कुछ, थोड़ा, बहुत | 
| पूर्णांकबोधक | पहला, दूसरा, तीसरा | 
| आवृत्तिबोधक | एकबार, दुबारा | 
परिमाणवाचक विशेषण:
निश्चित परिमाणवाचक:
एक किलो, दो मीटर, तीन लीटर
अनिश्चित परिमाणवाचक:
थोड़ा, बहुत, कम, ज्यादा
सार्वनामिक विशेषण:
उदाहरण:
यह लड़का, वह किताब, कौन सा घर
8. क्रिया
जिन शब्दों से किसी काम का करना या होना पाया जाता है, उन्हें क्रिया कहते हैं।
क्रिया के भेद:
कर्म के आधार पर:
| भेद | परिभाषा | उदाहरण | 
|---|---|---|
| अकर्मक क्रिया | जिसका कर्म न हो | बच्चा रोता है | 
| सकर्मक क्रिया | जिसका कर्म हो | राम पुस्तक पढ़ता है | 
काल के आधार पर:
वर्तमान काल:
राम पढ़ता है, राम पढ़ रहा है, राम ने पढ़ा है
भूतकाल:
राम पढ़ता था, राम ने पढ़ा था, राम पढ़ चुका था
भविष्य काल:
राम पढ़ेगा, राम पढ़ता रहेगा, राम पढ़ चुका होगा
वाच्य के आधार पर:
| वाच्य | मुख्यता | उदाहरण | 
|---|---|---|
| कर्तृवाच्य | कर्ता प्रधान | राम पुस्तक पढ़ता है | 
| कर्मवाच्य | कर्म प्रधान | राम से पुस्तक पढ़ी जाती है | 
| भाववाच्य | भाव प्रधान | राम से चला नहीं जाता | 
9. क्रिया विशेषण
जो अविकारी शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं।
क्रिया विशेषण के भेद:
| भेद | उदाहरण | 
|---|---|
| कालवाचक | अब, तब, कल, परसों, आज | 
| स्थानवाचक | यहाँ, वहाँ, ऊपर, नीचे | 
| रीतिवाचक | धीरे, तेज, अचानक, ध्यान से | 
| परिमाणवाचक | बहुत, कम, ज्यादा, थोड़ा | 
वाक्य प्रयोग:
• वह धीरे-धीरे चलता है। (रीतिवाचक)
        • मैं कल दिल्ली जाऊंगा। (कालवाचक)
        • पक्षी ऊपर उड़ रहे हैं। (स्थानवाचक)
        • उसने बहुत अच्छा गाया। (परिमाणवाचक)
10. संबंधबोधक
जो अविकारी शब्द संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से दिखाते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहते हैं।
संबंधबोधक के भेद:
| भेद | उदाहरण | वाक्य प्रयोग | 
|---|---|---|
| कालवाचक | पहले, बाद, के समय | खाने के पहले हाथ धोओ | 
| स्थानवाचक | के ऊपर, के नीचे, के आगे | मेज के ऊपर किताब है | 
| दिशावाचक | की ओर, की तरफ | वह घर की ओर जा रहा है | 
| साधनवाचक | के द्वारा, के साथ | कलम के द्वारा लिखना | 
| कारणवाचक | के कारण, के लिए | बीमारी के कारण वह नहीं आया | 
11. विस्मयादिबोधक
जो शब्द हर्ष, शोक, आश्चर्य, घृणा आदि भावों को प्रकट करते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक कहते हैं।
विस्मयादिबोधक के भेद:
| भाव | शब्द | उदाहरण | 
|---|---|---|
| हर्ष | वाह!, शाबाश!, धन्य! | वाह! कितना सुंदर दृश्य है | 
| शोक | हाय!, अफसोस!, उफ! | हाय! वह चल बसा | 
| आश्चर्य | अरे!, क्या!, ओह! | अरे! तुम यहाँ कैसे आए | 
| घृणा | छी!, धिक्कार! | छी! कितना गंदा है | 
| चेतावनी | सावधान!, खबरदार! | सावधान! गड्ढा है | 
12. लिंग
संज्ञा के जिस रूप से पुरुष या स्त्री जाति का बोध होता है, उसे लिंग कहते हैं।
लिंग के भेद:
पुल्लिंग:
चेतन पुल्लिंग:
लड़का, आदमी, राजा, भाई, पिता
अचेतन पुल्लिंग:
सूरज, चाँद, पहाड़, समुद्र, धन
स्त्रीलिंग:
चेतन स्त्रीलिंग:
लड़की, औरत, रानी, बहन, माता
अचेतन स्त्रीलिंग:
पृथ्वी, रात, नदी, किताब, मेज
लिंग पहचानने के नियम:
पुल्लिंग के चिह्न:
• आकारांत शब्द: लड़का, कमरा
        • पन प्रत्ययांत: बचपन, लड़कपन
        • त्व प्रत्ययांत: मनुष्यत्व, देवत्व
स्त्रीलिंग के चिह्न:
• आकारांत: लड़की, गुड़िया
        • ता प्रत्ययांत: सुंदरता, मूर्खता
        • ई प्रत्ययांत: अच्छाई, बुराई
13. वचन
संज्ञा के जिस रूप से संख्या का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।
वचन के भेद:
एकवचन:
परिभाषा और उदाहरण:
जो एक का बोध कराए: लड़का, लड़की, पुस्तक, गाय
बहुवचन:
परिभाषा और उदाहरण:
जो एक से अधिक का बोध कराए: लड़के, लड़कियाँ, पुस्तकें, गायें
वचन बदलने के नियम:
| एकवचन | बहुवचन | नियम | 
|---|---|---|
| लड़का | लड़के | आकारांत पुल्लिंग में 'ए' लगाना | 
| लड़की | लड़कियाँ | ईकारांत स्त्रीलिंग में 'याँ' लगाना | 
| पुस्तक | पुस्तकें | व्यंजनांत स्त्रीलिंग में 'एं' लगाना | 
| आदमी | आदमी/लोग | कुछ शब्द अपरिवर्तित या नया शब्द | 
14. विभक्ति
संज्ञा या सर्वनाम के साथ लगने वाले चिह्नों को विभक्ति कहते हैं। ये परसर्ग भी कहलाते हैं।
विभक्तियों की सूची:
| विभक्ति | चिह्न | उदाहरण | प्रयोग | 
|---|---|---|---|
| प्रथमा | ने (कर्ता में) | राम ने पुस्तक पढ़ी | कर्ता कारक | 
| द्वितीया | को (कर्म में) | राम को बुलाओ | कर्म कारक | 
| तृतीया | से, के द्वारा | कलम से लिखना | करण कारक | 
| चतुर्थी | को, के लिए | गरीबों को दान देना | संप्रदान कारक | 
| पंचमी | से (अलग होने में) | पेड़ से पत्ता गिरा | अपादान कारक | 
| षष्ठी | का, की, के | राम का घर | संबंध कारक | 
| सप्तमी | में, पर | कमरे में बैठना | अधिकरण कारक | 
| संबोधन | हे, अरे | हे राम! | संबोधन कारक | 
15. समास
दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने शब्द को समास कहते हैं। समास में पहला पद पूर्वपद और दूसरा पद उत्तरपद कहलाता है।
समास के भेद:
अव्ययीभाव समास:
परिभाषा:
जिसका पहला पद अव्यय हो और पूरा पद अव्यय की तरह प्रयुक्त हो।
उदाहरण: यथाशक्ति, प्रतिदिन, आजन्म, निर्भय
तत्पुरुष समास:
परिभाषा:
जिसमें दूसरा पद प्रधान हो और पहले पद में कोई विभक्ति छुपी हो।
उदाहरण: राजपुत्र (राजा का पुत्र), गंगाजल (गंगा का जल)
कर्मधारय समास:
परिभाषा:
जिसमें पहला पद विशेषण या उपमान हो और दूसरा पद विशेष्य या उपमेय।
उदाहरण: नीलकंठ (नीला कंठ), राजर्षि (राजा जो ऋषि है)
द्विगु समास:
परिभाषा:
जिसका पहला पद संख्यावाचक हो और समूह का बोध हो।
उदाहरण: त्रिलोक (तीन लोकों का समूह), पंचमुख (पांच मुखों का समूह)
द्वंद्व समास:
परिभाषा:
जिसमें दोनों पद प्रधान हों और दोनों के बीच योजक चिह्न हो।
उदाहरण: राम-श्याम, माता-पिता, रात-दिन
बहुव्रीहि समास:
परिभाषा:
जिसमें दोनों पद मिलकर तीसरे पद का बोध कराते हैं।
उदाहरण: चतुर्भुज (चार भुजाओं वाला-विष्णु), त्रिनेत्र (तीन नेत्रों वाला-शिव)
16. उपसर्ग
वे शब्दांश जो किसी शब्द के पहले लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता लाते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं।
प्रमुख उपसर्ग:
| उपसर्ग | अर्थ | उदाहरण | 
|---|---|---|
| अ/अन् | नहीं, अभाव | अज्ञान, अनपढ़ | 
| सु | अच्छा, सुंदर | सुकर्म, सुपुत्र | 
| दुर्/दुस् | बुरा, कठिन | दुर्गम, दुस्साहस | 
| अधि | ऊपर, अधिक | अधिकार, अध्यक्ष | 
| उप | पास, सहायक | उपकार, उपमंत्री | 
| प्र | आगे, विशेष | प्रकाश, प्रधान | 
| वि | विशेष, अलग | विशेष, विकास | 
| सम् | पूर्ण, साथ | संकल्प, संगीत | 
उपसर्ग के उदाहरण:
• ज्ञान → अज्ञान (अ + ज्ञान)
        • कार → उपकार (उप + कार)
        • हार → संहार (सम् + हार)
        • योग → वियोग (वि + योग)
17. प्रत्यय
वे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता लाते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं।
प्रत्यय के भेद:
कृत् प्रत्यय:
परिभाषा:
जो धातु के साथ लगकर नए शब्द बनाते हैं।
| प्रत्यय | उदाहरण | अर्थ | 
|---|---|---|
| अक | लेखक, पाठक | करने वाला | 
| अन | लेखन, पठन | करने की क्रिया | 
| आवट | लिखावट, पढ़ावट | भाव या कार्य | 
| ना | पढ़ना, लिखना | क्रिया | 
तद्धित प्रत्यय:
परिभाषा:
जो संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के साथ लगकर नए शब्द बनाते हैं।
| प्रत्यय | उदाहरण | अर्थ | 
|---|---|---|
| ता | सुंदरता, मूर्खता | भाव या गुण | 
| ई | अच्छाई, बुराई | भाव या स्थिति | 
| पन | बचपन, लड़कपन | अवस्था या भाव | 
| हार | सुनार, लुहार | व्यवसाय | 
18. अलंकार
काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं। ये भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाते हैं।
अलंकार के भेद:
शब्दालंकार:
अनुप्रास अलंकार:
परिभाषा: समान वर्णों की आवृत्ति
        उदाहरण: "चारु चंद्र की चंचल किरणें"
यमक अलंकार:
परिभाषा: एक ही शब्द की आवृत्ति भिन्न अर्थों में
        उदाहरण: "कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय"
अर्थालंकार:
उपमा अलंकार:
परिभाषा: किसी की तुलना किसी और से करना
        उदाहरण: "हरि पद कोमल कमल से"
रूपक अलंकार:
परिभाषा: उपमेय में उपमान का आरोप
        उदाहरण: "चरण कमल बंदउ हरि राई"
उत्प्रेक्षा अलंकार:
परिभाषा: संभावना या संदेह का प्रकटीकरण
        उदाहरण: "सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात। मनो नीलमनि सैल पर आतप पर्यो प्रभात।।"
अतिशयोक्ति अलंकार:
परिभाषा: बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना
        उदाहरण: "हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई गए निशाचर भाग।।"
19. छंद
वर्णों या मात्राओं की गिनती, क्रम, यति और गति के नियमों से बंधी हुई पद्य रचना को छंद कहते हैं।
छंद के अंग:
| अंग | परिभाषा | 
|---|---|
| चरण/पाद | छंद का चौथाई भाग | 
| मात्रा | ध्वनि के उच्चारण काल की इकाई | 
| गण | तीन वर्णों का समूह | 
| यति | पढ़ते समय रुकना | 
| गति | पढ़ने की लय | 
छंद के भेद:
मात्रिक छंद:
दोहा:
नियम: 13-11-13-11 मात्रा
        उदाहरण:
        "कबिरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर।
        ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।।"
चौपाई:
नियम: 16-16-16-16 मात्रा
        उदाहरण:
        "जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
        जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।"
वर्णिक छंद:
इंद्रवज्रा:
नियम: त-त-ज-त-त (11 वर्ण)
        उदाहरण:
        "सुखमय जीवन होगा सबका"
20. रस
काव्य पढ़ने या सुनने से जो आनंद प्राप्त होता है, उसे रस कहते हैं। रस को काव्य की आत्मा माना गया है।
रस के अंग:
| अंग | परिभाषा | उदाहरण | 
|---|---|---|
| स्थायी भाव | मन में स्थायी रूप से रहने वाले भाव | रति, हास, शोक | 
| विभाव | रस को जगाने वाले कारण | आलंबन, उद्दीपन | 
| अनुभाव | भावों की अभिव्यक्ति | अश्रु, कंपन, रोमांच | 
| संचारी भाव | आने-जाने वाले भाव | निर्वेद, गर्व, उत्सुकता | 
रस के भेद:
| रस | स्थायी भाव | उदाहरण | 
|---|---|---|
| श्रृंगार | रति | "रघुपति राघव राजा राम" | 
| हास्य | हास | हास्य कविताएं | 
| करुण | शोक | "सो अब रहा कहाँ है वह?" | 
| रौद्र | क्रोध | "क्षत्रिय वीर कवि कालिदास की जय बोलो!" | 
| वीर | उत्साह | "वीरों का कैसा हो बसंत" | 
| भयानक | भय | भयानक दृश्य के वर्णन | 
| बीभत्स | जुगुप्सा | घृणित वस्तुओं का वर्णन | 
| अद्भुत | विस्मय | आश्चर्यजनक घटनाओं का वर्णन | 
| शांत | निर्वेद | तत्वज्ञान संबंधी काव्य | 
| वात्सल्य | वत्सलता | माता-पुत्र का प्रेम | 
| भक्ति | अनुराग | भक्ति काव्य | 
21. व्यापक प्रश्नोत्तरी
UPSC स्तरीय प्रश्नोत्तरी
प्रश्न 1: हिंदी व्याकरण के मुख्य अंग कौन से हैं? विस्तार से समझाइए।
उत्तर: हिंदी व्याकरण के तीन मुख्य अंग हैं:
            1. वर्ण विचार: इसमें भाषा की मूल ध्वनियों और उनकी लिपि का अध्ययन होता है। देवनागरी लिपि में 52 वर्ण हैं - 11 स्वर और 41 व्यंजन।
            2. शब्द विचार: इसमें शब्दों के निर्माण, भेद और पद परिचय का अध्ययन होता है। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि का विश्लेषण इसी में आता है।
            3. वाक्य विचार: इसमें वाक्य संरचना, वाक्य के भेद और वाक्य के अंगों का अध्ययन होता है।
प्रश्न 2: तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्दों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
            तत्सम शब्द: ये संस्कृत भाषा से हिंदी में बिना किसी परिवर्तन के आए हैं। उदाहरण: अग्नि, वायु, जल, सूर्य, चंद्र।
            तद्भव शब्द: ये संस्कृत से आए हैं लेकिन काल के प्रभाव से इनमें परिवर्तन हो गया है। उदाहरण: आग (अग्नि), हवा (वायु), पानी (जल), सूरज (सूर्य), चाँद (चंद्र)।
            देशज शब्द: ये स्थानीय बोलियों से हिंदी में आए हैं। उदाहरण: खीर, गुड़, लोटा, कटोरा, पगड़ी।
            विदेशी शब्द: ये अन्य भाषाओं से हिंदी में आए हैं।
            - अरबी: अदालत, इन्साफ
            - फारसी: दुकान, दीवार
            - अंग्रेजी: स्कूल, कॉलेज, स्टेशन
प्रश्न 3: अलंकार का महत्व और उसके विभिन्न भेदों पर निबंध लिखिए।
उत्तर:
            अलंकार का अर्थ और महत्व:
            अलंकार का शाब्दिक अर्थ है 'आभूषण'। जैसे आभूषण से मानव शरीर की शोभा बढ़ती है, वैसे ही अलंकार से काव्य की शोभा बढ़ती है। अलंकार भाषा को सुंदर, प्रभावशाली और मधुर बनाते हैं।
            
            अलंकार के भेद:
            
            1. शब्दालंकार:
            - अनुप्रास: समान वर्णों की आवृत्ति
            - यमक: एक ही शब्द की भिन्न अर्थों में आवृत्ति
            - श्लेष: एक शब्द के कई अर्थ
            
            2. अर्थालंकार:
            - उपमा: तुलना का अलंकार
            - रूपक: उपमेय में उपमान का आरोप
            - उत्प्रेक्षा: संभावना का अलंकार
            - अतिशयोक्ति: बढ़ा-चढ़ाकर कहना
            
            अलंकार काव्य को जीवंत और प्रभावशाली बनाते हैं। ये भावों को स्पष्ट करने और पाठकों के मन पर गहरा प्रभाव डालने में सहायक हैं।
प्रश्न 4: रस सिद्धांत का विस्तृत विवेचन कीजिए।
उत्तर:
            रस की परिभाषा:
            आचार्य भरतमुनि के अनुसार, "विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः" अर्थात् विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।
            
            रस के अवयव:
            1. स्थायी भाव: मन में स्थायी रूप से विद्यमान भाव (9 प्रकार)
            2. विभाव: रस को जगाने वाले कारण (आलंबन और उद्दीपन)
            3. अनुभाव: भावों की बाहरी अभिव्यक्ति
            4. संचारी भाव: मन में आने-जाने वाले भाव (33 प्रकार)
            
            नव रस:
            1. श्रृंगार (रति) - प्रेम संबंधी
            2. हास्य (हास) - हँसी-मजाक
            3. करुण (शोक) - दुःख और करुणा
            4. रौद्र (क्रोध) - गुस्सा और कोप
            5. वीर (उत्साह) - वीरता और पराक्रम
            6. भयानक (भय) - डर और आतंक
            7. बीभत्स (जुगुप्सा) - घृणा
            8. अद्भुत (विस्मय) - आश्चर्य
            9. शांत (निर्वेद) - वैराग्य
            
            बाद में वात्सल्य और भक्ति रस भी जोड़े गए। रस काव्य की आत्मा है और पाठकों को आनंद प्रदान करता है।
प्रश्न 5: छंद की परिभाषा, अंग और भेद पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
            छंद की परिभाषा:
            वर्णों या मात्राओं की संख्या, क्रम, गति और यति के नियमों से बंधी हुई पद्य रचना को छंद कहते हैं। छंद काव्य को लयबद्ध और संगीतमय बनाता है।
            
            छंद के अंग:
            1. चरण/पाद: छंद का चौथा भाग
            2. मात्रा: ध्वनि के उच्चारण की इकाई
            3. वर्ण: छोटी (लघु) या बड़ी (गुरु) ध्वनि
            4. गण: तीन वर्णों का समूह
            5. यति: चरण के बीच में विराम
            6. गति: छंद पढ़ने की लय
            
            छंद के भेद:
            1. मात्रिक छंद: मात्राओं की गिनती पर आधारित
            - दोहा: 13-11-13-11 मात्रा
            - चौपाई: 16-16-16-16 मात्रा
            - सोरठा: 11-13-11-13 मात्रा
            
            2. वर्णिक छंद: वर्णों की गिनती पर आधारित
            - इंद्रवज्रा: 11 वर्ण (त-त-ज-त-त)
            - उपेंद्रवज्रा: 11 वर्ण (ज-त-ज-त-त)
            
            3. मुक्त छंद: निश्चित नियमों से मुक्त
            
            छंद काव्य को संगीतमयता प्रदान करता है और स्मरण में सहायक होता है।
प्रश्न 6: समास की परिभाषा और उसके सभी भेदों का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
            समास की परिभाषा:
            दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया और सार्थक शब्द बनाना समास कहलाता है। समास में पहला पद 'पूर्वपद' और दूसरा पद 'उत्तरपद' कहलाता है।
            
            समास के भेद:
            
            1. अव्ययीभाव समास:
            जिसका पहला पद अव्यय हो और पूरा पद अव्यय की तरह प्रयुक्त हो।
            उदाहरण: यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार), प्रतिदिन (हर दिन), आजन्म (जन्म से लेकर)
            
            2. तत्पुरुष समास:
            जिसमें उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद में कोई कारक छुपा हो।
            उदाहरण: राजपुत्र (राजा का पुत्र), गंगाजल (गंगा का जल), तुलसीकृत (तुलसी द्वारा कृत)
            
            3. कर्मधारय समास:
            जिसमें पूर्वपद विशेषण और उत्तरपद विशेष्य हो या दोनों में उपमान-उपमेय संबंध हो।
            उदाहरण: नीलकंठ (नीला है जो कंठ), राजर्षि (राजा जो ऋषि है), कमलनयन (कमल के समान नयन)
            
            4. द्विगु समास:
            जिसका पूर्वपद संख्यावाचक हो और समूह का बोध हो।
            उदाहरण: त्रिलोक (तीन लोकों का समूह), पंचमुख (पांच मुखों का समूह), सप्तर्षि (सात ऋषियों का समूह)
            
            5. द्वंद्व समास:
            जिसमें दोनों पद प्रधान हों और दोनों के बीच 'और' का भाव हो।
            उदाहरण: राम-श्याम, माता-पिता, सुख-दुख, रात-दिन
            
            6. बहुव्रीहि समास:
            जिसमें दोनों पद मिलकर तीसरे अर्थ का बोध कराते हैं।
            उदाहरण: चतुर्भुज (चार भुजाओं वाला-विष्णु), त्रिनेत्र (तीन नेत्रों वाला-शिव), लंबोदर (लंबे उदर वाला-गणेश)
प्रश्न 7: काल और उसके भेदों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
            काल की परिभाषा:
            क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने का समय ज्ञात होता है, उसे काल कहते हैं।
            
            काल के भेद:
            
            1. वर्तमान काल:
            जो क्रिया वर्तमान समय में हो रही हो।
            भेद:
            - सामान्य वर्तमान: राम पढ़ता है
            - अपूर्ण वर्तमान: राम पढ़ रहा है
            - पूर्ण वर्तमान: राम ने पढ़ा है
            - संदिग्ध वर्तमान: राम पढ़ता होगा
            - तात्कालिक वर्तमान: राम पढ़ता ही है
            - संभाव्य वर्तमान: राम शायद पढ़ता हो
            
            2. भूतकाल:
            जो क्रिया बीते समय में हुई हो।
            भेद:
            - सामान्य भूत: राम पढ़ता था
            - आसन्न भूत: राम ने पढ़ा है
            - पूर्ण भूत: राम ने पढ़ा था
            - अपूर्ण भूत: राम पढ़ रहा था
            - संदिग्ध भूत: राम ने पढ़ा होगा
            - हेतुहेतुमद् भूत: यदि राम पढ़ता तो पास हो जाता
            
            3. भविष्य काल:
            जो क्रिया आने वाले समय में होगी।
            भेद:
            - सामान्य भविष्य: राम पढ़ेगा
            - संभाव्य भविष्य: राम शायद पढ़े
            - हेतुहेतुमद् भविष्य: यदि राम पढ़े तो पास हो जाए
प्रश्न 8: वाच्य की परिभाषा और भेदों को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
            वाच्य की परिभाषा:
            क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात होता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव में से कौन प्रधान है, उसे वाच्य कहते हैं।
            
            वाच्य के भेद:
            
            1. कर्तृवाच्य (Active Voice):
            जिसमें कर्ता प्रधान हो और क्रिया कर्ता के अनुसार हो।
            उदाहरण:
            - राम पुस्तक पढ़ता है
            - बच्चे खेल रहे हैं
            - किसान खेत जोतता है
            
            2. कर्मवाच्य (Passive Voice):
            जिसमें कर्म प्रधान हो और क्रिया कर्म के अनुसार हो।
            उदाहरण:
            - राम से पुस्तक पढ़ी जाती है
            - मोहन से पत्र लिखा गया
            - किसान से खेत जोता जाता है
            
            3. भाववाच्य (Impersonal Voice):
            जिसमें भाव प्रधान हो और क्रिया हमेशा पुल्लिंग एकवचन में हो।
            उदाहरण:
            - राम से चला नहीं जाता
            - बच्चों से खेला नहीं जाता
            - मुझसे यह काम नहीं होता
            
            वाच्य परिवर्तन के नियम:
            - कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में: 'से' या 'के द्वारा' जोड़ना
            - सहायक क्रिया 'जाना' का प्रयोग
            - भाववाच्य में क्रिया सदा एकवचन पुल्लिंग में
प्रश्न 9: उपसर्ग और प्रत्यय में अंतर स्पष्ट करते हुए दोनों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
            उपसर्ग और प्रत्यय में अंतर:
            
            उपसर्ग:
            - शब्द के आरंभ में लगते हैं
            - मूल शब्द के अर्थ में परिवर्तन या विशेषता लाते हैं
            - स्वतंत्र अर्थ नहीं रखते
            - संस्कृत, हिंदी और उर्दू के हो सकते हैं
            
            प्रत्यय:
            - शब्द के अंत में लगते हैं
            - नए शब्द बनाते हैं या व्याकरणिक कार्य करते हैं
            - कृत् और तद्धित दो प्रकार के होते हैं
            - लिंग, वचन, काल आदि बदल सकते हैं
            
            उपसर्ग के उदाहरण:
            - अ/अन् (अभाव): ज्ञान → अज्ञान
            - प्र (आगे): कार → प्रकार
            - वि (विशेष): नाश → विनाश
            - सम् (पूर्ण): हार → संहार
            
            प्रत्यय के उदाहरण:
            कृत् प्रत्यय:
            - अक: लिख + अक = लेखक
            - ना: पढ़ + ना = पढ़ना
            
            तद्धित प्रत्यय:
            - ता: सुंदर + ता = सुंदरता
            - ई: अच्छा + ई = अच्छाई
            
            महत्व:
            1. भाषा की शब्द संपदा बढ़ाते हैं
            2. नए भावों की अभिव्यक्ति संभव करते हैं
            3. भाषा को लचीला और समृद्ध बनाते हैं
            4. व्याकरणिक संरचना में सहायक हैं
प्रश्न 10: हिंदी भाषा के विकास में देवनागरी लिपि का योगदान स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
            देवनागरी लिपि का परिचय:
            देवनागरी हिंदी भाषा की मुख्य लिपि है जो ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई है। यह भारत की सबसे वैज्ञानिक और व्यवस्थित लिपि मानी जाती है।
            
            देवनागरी की विशेषताएं:
            1. वैज्ञानिकता: उच्चारण के अनुसार लेखन
            2. व्यवस्थित वर्ण संयोजन: स्वर-व्यंजन का क्रमबद्ध संयोजन
            3. शिरोरेखा: प्रत्येक अक्षर के ऊपर आड़ी रेखा
            4. संयुक्ताक्षर: दो या अधिक व्यंजनों का मेल
            5. मात्रा चिह्न: स्वरों के लिए विशेष चिह्न
            
            हिंदी विकास में योगदान:
            
            1. मानकीकरण में सहायक:
            - समान लेखन पद्धति से भाषा की एकरूपता
            - विभिन्न क्षेत्रों में एक ही लिपि का प्रयोग
            
            2. साहित्य विकास:
            - प्राचीन ग्रंथों का संरक्षण
            - नए साहित्य की रचना में सुविधा
            - छापाखाने के विकास में सहायक
            
            3. शिक्षा प्रसार:
            - आसान सीखने की प्रक्रिया
            - प्राथमिक शिक्षा में सुविधा
            - निरक्षरता उन्मूलन में योगदान
            
            4. राष्ट्रीय एकता:
            - विभिन्न राज्यों में संपर्क भाषा
            - सांस्कृतिक आदान-प्रदान
            - राष्ट्रीय भावना का विकास
            
            5. तकनीकी विकास:
            - कंप्यूटर और इंटरनेट पर उपयोग
            - डिजिटल माध्यमों में प्रयोग
            - आधुनिक संचार साधनों में योगदान
            
            इस प्रकार देवनागरी लिपि ने हिंदी भाषा के विकास, प्रसार और मानकीकरण में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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