NCERT Physics Complete Guide – Class 11 & 12 | JEE NEET Preparation Material
NCERT Physics Complete Guide
कक्षा 11वीं और 12वीं | JEE NEET तैयारी के लिए संपूर्ण अध्ययन सामग्री
विषय सूची (Table of Contents)
1. भौतिक विज्ञान का परिचय
भौतिक विज्ञान प्राकृतिक विज्ञान की वह शाखा है जो प्रकृति के मूलभूत नियमों का अध्ययन करती है। यह द्रव्य, ऊर्जा, गति, बल, समय और स्थान के बीच संबंधों की खोज करती है।
भौतिक विज्ञान की मुख्य शाखाएं:
• यांत्रिकी (Mechanics): गति और बलों का अध्ययन
• ऊष्मागतिकी (Thermodynamics): ऊष्मा और तापमान
• विद्युत चुंबकत्व: वैद्युत और चुंबकीय घटनाएं
• प्रकाशिकी: प्रकाश की प्रकृति और व्यवहार
• आधुनिक भौतिकी: क्वांटम यांत्रिकी और सापेक्षता
मूलभूत बल (Fundamental Forces):
1. गुरुत्वाकर्षण बल: द्रव्यमान के कारण आकर्षण
2. विद्युतचुंबकीय बल: आवेशित कणों के बीच बल
3. दुर्बल नाभिकीय बल: रेडियोधर्मी क्षय
4. प्रबल नाभिकीय बल: नाभिक को बांधने वाला बल
कक्षा 11वीं - भौतिक विज्ञान
कक्षा 11वीं में भौतिक विज्ञान की मूलभूत अवधारणाओं का अध्ययन किया जाता है।
2.1 भौतिक जगत (Physical World)
भौतिक विज्ञान का क्षेत्र:
भौतिक विज्ञान का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है - सबसे छोटे कण से लेकर पूरे ब्रह्मांड तक।
| क्षेत्र | आकार परास | अध्ययन विषय |
|---|---|---|
| सूक्ष्म जगत | 10⁻¹⁵ m - 10⁻⁹ m | परमाणु, नाभिक, कण |
| मध्यम जगत | 10⁻⁹ m - 10⁶ m | दैनिक जीवन की वस्तुएं |
| स्थूल जगत | 10⁶ m - 10²⁶ m | ग्रह, तारे, आकाशगंगा |
भौतिक राशियां:
मूलभूत राशियां (Fundamental Quantities):
लंबाई, द्रव्यमान, समय, विद्युत धारा, तापमान, पदार्थ की मात्रा, ज्योति तीव्रता
व्युत्पन्न राशियां (Derived Quantities):
क्षेत्रफल, आयतन, चाल, त्वरण, बल, दाब, ऊर्जा आदि
2.2 मात्रक और मापन (Units and Measurements)
SI मात्रक पद्धति:
| भौतिक राशि | SI मात्रक | प्रतीक |
|---|---|---|
| लंबाई | मीटर | m |
| द्रव्यमान | किलोग्राम | kg |
| समय | सेकंड | s |
| विद्युत धारा | एम्पियर | A |
| तापमान | केल्विन | K |
| पदार्थ की मात्रा | मोल | mol |
| ज्योति तीव्रता | कैंडेला | cd |
विमीय विश्लेषण:
मूल विमाएं:
[L] = लंबाई, [M] = द्रव्यमान, [T] = समय
| भौतिक राशि | विमा | उदाहरण |
|---|---|---|
| चाल | [LT⁻¹] | v = s/t |
| त्वरण | [LT⁻²] | a = v/t |
| बल | [MLT⁻²] | F = ma |
| ऊर्जा | [ML²T⁻²] | E = mc² |
| शक्ति | [ML²T⁻³] | P = E/t |
मापन में त्रुटियां:
त्रुटि के प्रकार:
• क्रमबद्ध त्रुटि: उपकरण की कमी से
• यादृच्छिक त्रुटि: अनियमित कारणों से
• स्थूल त्रुटि: गलत पठन या गणना से
सार्थक अंक के नियम:
• सभी गैर-शून्य अंक सार्थक होते हैं
• दो गैर-शून्य अंकों के बीच के शून्य सार्थक होते हैं
• दशमलव के बाद के शून्य सार्थक होते हैं
2.3 सरल रेखा में गति (Motion in a Straight Line)
गति की परिभाषाएं:
स्थिति (Position):
किसी संदर्भ बिंदु के सापेक्ष वस्तु का स्थान
विस्थापन (Displacement):
प्रारंभिक और अंतिम स्थिति के बीच सीधी दूरी
चाल और वेग:
औसत चाल:
औसत चाल = कुल दूरी / कुल समय
औसत वेग:
औसत वेग = विस्थापन / समय
v̄ = Δx / Δt
तात्कालिक वेग:
v = dx/dt = lim(Δt→0) Δx/Δt
त्वरण:
औसत त्वरण:
a = Δv / Δt = (v₂ - v₁) / (t₂ - t₁)
तात्कालिक त्वरण:
a = dv/dt = d²x/dt²
एकसमान त्वरण के लिए गति समीकरण:
गति के तीनों समीकरण:
1. v = u + at
2. s = ut + ½at²
3. v² = u² + 2as
जहाँ: u = प्रारंभिक वेग, v = अंतिम वेग, a = त्वरण, t = समय, s = विस्थापन
गुरुत्वाधीन गति:
मुक्त पतन:
• गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 m/s²
• वायु प्रतिरोध की अनुपस्थिति में सभी वस्तुएं समान दर से गिरती हैं
ऊध्वाधर उछाल:
अधिकतम ऊंचाई: h = u²/(2g)
उड़ान का समय: T = 2u/g
2.4 समतल में गति (Motion in a Plane)
सदिश और अदिश:
| अदिश राशि | सदिश राशि |
|---|---|
| द्रव्यमान, चाल, समय | विस्थापन, वेग, त्वरण |
| तापमान, ऊर्जा | बल, संवेग |
| कार्य, शक्ति | बल आघूर्ण |
सदिश संक्रियाएं:
सदिश योग:
|A⃗ + B⃗| = √(A² + B² + 2AB cos θ)
जहाँ θ = A⃗ और B⃗ के बीच का कोण
सदिश घटाव:
|A⃗ - B⃗| = √(A² + B² - 2AB cos θ)
आक्षेप गति (Projectile Motion):
आक्षेप गति की विशेषताएं:
• क्षैतिज वेग स्थिर रहता है
• ऊर्ध्वाधर गति में गुरुत्वीय त्वरण g होता है
• प्रक्षेप पथ परवलयाकार होता है
आक्षेप गति के सूत्र:
प्रक्षेप कोण θ के लिए:
अधिकतम ऊंचाई: H = (u² sin² θ)/(2g)
परास: R = (u² sin 2θ)/g
उड़ान का समय: T = (2u sin θ)/g
वृत्तीय गति:
एकसमान वृत्तीय गति:
कोणीय वेग: ω = v/r = 2π/T
अभिकेंद्री त्वरण: a = v²/r = ω²r
अभिकेंद्री बल: F = mv²/r = mω²r
2.5 गति के नियम (Laws of Motion)
न्यूटन के गति नियम:
प्रथम नियम (जड़त्व का नियम):
प्रत्येक वस्तु अपनी विरामावस्था या एकसमान गति की अवस्था में तब तक बनी रहती है जब तक कि कोई बाह्य बल उसे परिवर्तित न करे।
द्वितीय नियम (संवेग का नियम):
F⃗ = dp⃗/dt = ma⃗
जहाँ p⃗ = mv⃗ (संवेग)
तृतीय नियम (क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम):
प्रत्येक क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
F₁₂ = -F₂₁
घर्षण बल:
| घर्षण का प्रकार | सूत्र | विशेषता |
|---|---|---|
| स्थैतिक घर्षण | f ≤ μₛN | गति शुरू होने से पहले |
| गतिक घर्षण | f = μₖN | गति के दौरान |
संवेग संरक्षण:
संवेग संरक्षण का नियम:
यदि निकाय पर कोई बाह्य बल न हो तो:
p⃗₁ + p⃗₂ + ... = स्थिरांक
m₁u₁ + m₂u₂ = m₁v₁ + m₂v₂
आवेग:
आवेग-संवेग प्रमेय:
J⃗ = ∫F⃗dt = Δp⃗ = m(v⃗ - u⃗)
2.6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति (Work, Energy and Power)
कार्य की परिभाषा:
कार्य:
W = F⃗ · s⃗ = Fs cos θ
जहाँ θ = बल और विस्थापन के बीच का कोण
कार्य के प्रकार:
• θ = 0°: धनात्मक कार्य
• θ = 90°: शून्य कार्य
• θ = 180°: ऋणात्मक कार्य
ऊर्जा:
गतिज ऊर्जा:
KE = ½mv²
स्थितिज ऊर्जा:
गुरुत्वीय: PE = mgh
प्रत्यास्थ: PE = ½kx²
कार्य-ऊर्जा प्रमेय:
कार्य-ऊर्जा संबंध:
W = ΔKE = KE_f - KE_i = ½m(v² - u²)
यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण:
ऊर्जा संरक्षण:
KE + PE = स्थिरांक
½mv² + mgh = स्थिरांक
शक्ति:
शक्ति की परिभाषा:
P = W/t = F⃗ · v⃗ = Fv cos θ
मात्रक:
कार्य/ऊर्जा: जूल (J)
शक्ति: वाट (W) = J/s
टक्कर (Collisions):
| टक्कर का प्रकार | संवेग संरक्षण | ऊर्जा संरक्षण | e (प्रत्यावस्थान गुणांक) |
|---|---|---|---|
| पूर्णतः प्रत्यास्थ | हां | हां | e = 1 |
| पूर्णतः अप्रत्यास्थ | हां | नहीं | e = 0 |
| आंशिक प्रत्यास्थ | हां | नहीं | 0 < e < 1 |
2.7 कणों के निकाय और घूर्णी गति (System of Particles and Rotational Motion)
द्रव्यमान केंद्र:
द्रव्यमान केंद्र की स्थिति:
x_cm = (m₁x₁ + m₂x₂ + ...)/(m₁ + m₂ + ...)
R⃗_cm = (Σmᵢr⃗ᵢ)/(Σmᵢ)
घूर्णी गति:
कोणीय राशियां:
कोणीय विस्थापन: θ (रेडियन)
कोणीय वेग: ω = dθ/dt
कोणीय त्वरण: α = dω/dt
घूर्णी गति के समीकरण:
ω = ω₀ + αt
θ = ω₀t + ½αt²
ω² = ω₀² + 2αθ
जड़त्व आघूर्ण:
जड़त्व आघूर्ण:
I = Σmᵢrᵢ² = ∫r²dm
| वस्तु | जड़त्व आघूर्ण |
|---|---|
| छड़ (केंद्र के परितः) | I = ML²/12 |
| छड़ (एक सिरे के परितः) | I = ML²/3 |
| डिस्क (केंद्र के परितः) | I = MR²/2 |
| गोला (केंद्र के परितः) | I = 2MR²/5 |
| वलय (केंद्र के परितः) | I = MR² |
घूर्णी गतिज ऊर्जा:
घूर्णी गतिज ऊर्जा:
KE_rot = ½Iω²
बल आघूर्ण:
बल आघूर्ण:
τ⃗ = r⃗ × F⃗ = rF sin θ
τ = Iα (घूर्णी गति का द्वितीय नियम)
कोणीय संवेग:
कोणीय संवेग:
L⃗ = r⃗ × p⃗ = Iω⃗
τ⃗ = dL⃗/dt
लुढ़कन गति:
लुढ़कन की शर्त:
v = ωr (बिना फिसले)
कुल गतिज ऊर्जा = ½mv² + ½Iω²
2.8 गुरुत्वाकर्षण (Gravitation)
केप्लर के नियम:
केप्लर के तीन नियम:
1. कक्षा का नियम: सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्तीय कक्षाओं में घूमते हैं
2. क्षेत्रफल का नियम: ग्रह और सूर्य को मिलाने वाली रेखा समान समय में समान क्षेत्रफल तय करती है
3. आवर्तकाल का नियम: T² ∝ r³
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम:
गुरुत्वाकर्षण बल:
F = G(m₁m₂)/r²
जहाँ G = 6.67 × 10⁻¹¹ N·m²/kg² (गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक)
गुरुत्वीय त्वरण:
पृथ्वी की सतह पर:
g = GM/R² = 9.8 m/s²
जहाँ M = पृथ्वी का द्रव्यमान, R = पृथ्वी की त्रिज्या
ऊंचाई h पर:
g' = g(1 - 2h/R) (h << R के लिए)
g' = GM/(R + h)² (सामान्य रूप में)
गहराई d पर:
g' = g(1 - d/R)
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा:
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा:
U = -GMm/r
(अनंत को संदर्भ मानकर)
पलायन चाल:
पलायन चाल:
v_e = √(2GM/R) = √(2gR)
पृथ्वी के लिए v_e = 11.2 km/s
कृत्रिम उपग्रह:
कक्षीय चाल:
v = √(GM/r) = √(gr) (सतह के पास)
आवर्तकाल: T = 2π√(r³/GM)
भूस्थैतिक उपग्रह:
• आवर्तकाल = 24 घंटे
• भूमध्य रेखा के ऊपर
• ऊंचाई ≈ 36,000 km
कक्षा 11वीं - भौतिक विज्ञान (भाग II)
द्रव्य के गुण, ऊष्मा और तरंगों का अध्ययन
3.1 ठोसों के यांत्रिक गुण (Mechanical Properties of Solids)
प्रत्यास्थता:
हुक का नियम:
सीमा के अंदर, विकृति (strain) प्रतिबल (stress) के समानुपाती होती है।
F = kx (स्प्रिंग के लिए)
प्रतिबल और विकृति:
प्रतिबल (Stress):
σ = F/A
मात्रक: N/m² या Pa
विकृति (Strain):
ε = ΔL/L (लंबाई परिवर्तन)
विकृति का कोई मात्रक नहीं
प्रत्यास्थता गुणांक:
| गुणांक | सूत्र | विवरण |
|---|---|---|
| यंग गुणांक (Y) | Y = σ/ε = (F/A)/(ΔL/L) | लंबाई में परिवर्तन |
| आयतन गुणांक (K) | K = -P/(ΔV/V) | आयतन में परिवर्तन |
| अपरूपण गुणांक (η) | η = τ/γ | आकार में परिवर्तन |
प्रतिबल-विकृति वक्र:
महत्वपूर्ण बिंदु:
• प्रत्यास्थता सीमा: हुक के नियम की वैधता तक
• उत्पन्न बिंदु: स्थायी विकृति शुरू
• भंजन बिंदु: पदार्थ टूट जाता है
3.2 तरलों के यांत्रिक गुण (Mechanical Properties of Fluids)
दाब:
दाब की परिभाषा:
P = F/A
मात्रक: Pa = N/m²
पास्कल का नियम:
पास्कल का नियम:
तरल में लगाया गया दाब सभी दिशाओं में समान रूप से संचारित होता है।
तरल में दाब:
गहराई के साथ दाब:
P = P₀ + ρgh
जहाँ ρ = तरल का घनत्व, h = गहराई
आर्किमिडीज का सिद्धांत:
उत्प्लावन बल:
जब कोई वस्तु तरल में डुबोई जाती है, तो उस पर ऊपर की ओर एक बल लगता है जो विस्थापित तरल के भार के बराबर होता है।
उत्प्लावन बल:
F_b = ρ_fluid × V_displaced × g
बर्नूली का सिद्धांत:
बर्नूली का समीकरण:
P + ½ρv² + ρgh = स्थिरांक
(आदर्श तरल के लिए)
श्यानता:
स्टोक का नियम:
F = 6πηrv
जहाँ η = श्यानता गुणांक, r = गोले की त्रिज्या, v = चाल
सीमांत चाल:
v_t = (2r²g(ρ - σ))/(9η)
जहाँ ρ = गोले का घनत्व, σ = तरल का घनत्व
पृष्ठ तनाव:
पृष्ठ तनाव:
γ = F/L
मात्रक: N/m
गोलाकार बुलबुले में अतिरिक्त दाब:
साबुन का बुलबुला: ΔP = 4γ/r
पानी की बूंद: ΔP = 2γ/r
3.3 द्रव्य के तापीय गुण (Thermal Properties of Matter)
तापमान और ऊष्मा:
तापमान पैमाने:
सेल्सियस: °C
फारेनहाइट: °F
केल्विन: K = °C + 273.15
तापमान रूपांतरण:
C/5 = (F - 32)/9 = (K - 273)/5
आदर्श गैस समीकरण:
आदर्श गैस नियम:
PV = nRT = NkT
जहाँ R = 8.314 J/(mol·K), k = 1.38 × 10⁻²³ J/K
तापीय प्रसार:
| प्रसार का प्रकार | सूत्र | गुणांक |
|---|---|---|
| रैखिक प्रसार | ΔL = L₀αΔT | α (रैखिक) |
| क्षेत्रीय प्रसार | ΔA = A₀βΔT | β = 2α |
| आयतनीय प्रसार | ΔV = V₀γΔT | γ = 3α |
विशिष्ट ऊष्मा:
विशिष्ट ऊष्मा:
Q = mcΔT
c = विशिष्ट ऊष्मा धारिता
कैलोरीमिति:
कैलोरीमिति का सिद्धांत:
गर्म वस्तु द्वारा दी गई ऊष्मा = ठंडी वस्तु द्वारा ली गई ऊष्मा
m₁c₁(T₁ - T) = m₂c₂(T - T₂)
अवस्था परिवर्तन:
गुप्त ऊष्मा:
Q = mL
जहाँ L = गुप्त ऊष्मा (संगलन या वाष्पीकरण)
ऊष्मा स्थानांतरण:
| विधि | माध्यम | उदाहरण |
|---|---|---|
| चालन | ठोस | धातु की छड़ |
| संवहन | तरल/गैस | हवा/पानी की धाराएं |
| विकिरण | कोई माध्यम नहीं | सूर्य से ऊष्मा |
ऊष्मा चालन:
Q/t = kA(T₁ - T₂)/d
जहाँ k = ऊष्मा चालकता
न्यूटन का शीतलन नियम:
dT/dt = -k(T - T₀)
T = T₀ + (T_initial - T₀)e^(-kt)
3.4 ऊष्मागतिकी (Thermodynamics)
ऊष्मागतिकी के नियम:
शून्यवाँ नियम:
यदि दो निकाय किसी तीसरे निकाय के साथ तापीय साम्य में हैं, तो वे आपस में भी तापीय साम्य में होंगे।
प्रथम नियम:
ΔU = Q - W
जहाँ ΔU = आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन
Q = निकाय को दी गई ऊष्मा
W = निकाय द्वारा किया गया कार्य
ऊष्मागतिकीय प्रक्रम:
| प्रक्रम | शर्त | कार्य (W) | ऊष्मा (Q) |
|---|---|---|---|
| समतापी | T = स्थिर | nRT ln(V₂/V₁) | W |
| रुद्धोष्म | Q = 0 | nCᵥΔT | 0 |
| समदाबी | P = स्थिर | PΔV | nCₚΔT |
| समआयतनी | V = स्थिर | 0 | nCᵥΔT |
विशिष्ट ऊष्मा धारिता:
मेयर का संबंध:
Cₚ - Cᵥ = R
γ = Cₚ/Cᵥ
| गैस का प्रकार | Cᵥ | Cₚ | γ |
|---|---|---|---|
| एकपरमाणुक | (3/2)R | (5/2)R | 5/3 |
| द्विपरमाणुक | (5/2)R | (7/2)R | 7/5 |
ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम:
द्वितीय नियम (केल्विन-प्लांक कथन):
किसी चक्रीय प्रक्रम में ऊष्मा को पूर्णतः कार्य में बदलना असंभव है।
द्वितीय नियम (क्लॉजियस कथन):
ऊष्मा अपने आप ठंडी वस्तु से गर्म वस्तु में नहीं जा सकती।
कार्नो इंजन:
कार्नो इंजन की दक्षता:
η = 1 - T₂/T₁ = (T₁ - T₂)/T₁
जहाँ T₁ = गर्म भंडार का तापमान
T₂ = ठंडे भंडार का तापमान
3.5 अणुगति सिद्धांत (Kinetic Theory)
आदर्श गैस की मान्यताएं:
मूल मान्यताएं:
• गैस के अणु बिंदु कण हैं
• अणुओं के बीच कोई आकर्षण बल नहीं
• टक्करें पूर्णतः प्रत्यास्थ हैं
• अणु यादृच्छिक गति करते हैं
अणुगति सिद्धांत के मुख्य परिणाम:
गैस का दाब:
P = (1/3)ρ⟨v²⟩ = (1/3)nm⟨v²⟩/V
PV = (1/3)Nm⟨v²⟩
औसत गतिज ऊर्जा:
⟨KE⟩ = (3/2)kT = (3/2)RT/Nₐ
(एकपरमाणुक गैस के लिए)
चालों के प्रकार:
| चाल का प्रकार | सूत्र | संबंध |
|---|---|---|
| औसत चाल | v̄ = √(8kT/πm) | - |
| वर्ग माध्य मूल चाल | vᵣₘₛ = √(3kT/m) | vᵣₘₛ : v̄ : vₘₚ = √3 : √(8/π) : √2 |
| सर्वाधिक संभावित चाल | vₘₚ = √(2kT/m) | - |
ऊर्जा समविभाजन सिद्धांत:
समविभाजन सिद्धांत:
प्रत्येक स्वतंत्रता की कोटि के लिए औसत ऊर्जा (1/2)kT होती है।
| गैस | स्वतंत्रता की कोटि | Cᵥ |
|---|---|---|
| एकपरमाणुक | 3 (स्थानांतरण) | (3/2)R |
| द्विपरमाणुक | 5 (3 स्थानांतरण + 2 घूर्णन) | (5/2)R |
मुक्त पथ:
औसत मुक्त पथ:
λ = 1/(√2 × n × σ)
जहाँ n = संख्या घनत्व, σ = टक्कर अनुप्रस्थ काट
3.6 दोलन (Oscillations)
सरल आवर्त गति (SHM):
SHM की परिभाषा:
जब कोई कण अपनी माध्य स्थिति के दोनों ओर दोलन करता है और इस पर लगने वाला बल विस्थापन के समानुपाती और विपरीत दिशा में होता है।
SHM का समीकरण:
F = -kx
a = -ω²x
जहाँ ω = √(k/m)
SHM के समीकरण:
विस्थापन:
x = A sin(ωt + φ)
या x = A cos(ωt + φ)
वेग:
v = dx/dt = Aω cos(ωt + φ)
v = ±ω√(A² - x²)
त्वरण:
a = dv/dt = -Aω² sin(ωt + φ)
a = -ω²x
SHM में ऊर्जा:
गतिज ऊर्जा:
KE = ½mv² = ½mω²(A² - x²)
स्थितिज ऊर्जा:
PE = ½kx² = ½mω²x²
कुल ऊर्जा:
E = KE + PE = ½mω²A² = स्थिरांक
लोलक:
सरल लोलक का आवर्तकाल:
T = 2π√(L/g)
छोटे कोणों के लिए (θ < 15°)
भौतिक लोलक:
T = 2π√(I/mgd)
जहाँ I = जड़त्व आघूर्ण, d = द्रव्यमान केंद्र से दूरी
अवमंदित दोलन:
अवमंदित SHM:
x = Ae^(-bt/2m) cos(ω't + φ)
जहाँ ω' = √(ω₀² - b²/4m²)
प्रणोदित दोलन और अनुनाद:
अनुनाद:
जब बाह्य बल की आवृत्ति निकाय की प्राकृतिक आवृत्ति के बराबर होती है, तो आयाम अधिकतम होता है।
3.7 तरंगें (Waves)
तरंग की परिभाषा:
तरंग:
तरंग ऊर्जा के स्थानांतरण का माध्यम है जिसमें माध्यम के कण अपनी माध्य स्थिति के चारों ओर दोलन करते हैं।
तरंगों के प्रकार:
| आधार | प्रकार | उदाहरण |
|---|---|---|
| कंपन की दिशा | अनुप्रस्थ | प्रकाश, रेडियो तरंग |
| अनुदैर्घ्य | ध्वनि तरंग | |
| माध्यम | यांत्रिक | ध्वनि, जल तरंग |
| विद्युतचुंबकीय | प्रकाश, X-किरण |
तरंग समीकरण:
आवर्तकारी तरंग:
y = A sin(kx - ωt + φ)
जहाँ k = 2π/λ (तरंग संख्या)
ω = 2π/T (कोणीय आवृत्ति)
तरंग चाल:
v = fλ = λ/T = ω/k
तरंग चाल के सूत्र:
| माध्यम | चाल |
|---|---|
| तनी हुई डोरी | v = √(T/μ) |
| गैस में ध्वनि | v = √(γP/ρ) = √(γRT/M) |
| ठोस में ध्वनि | v = √(Y/ρ) |
तरंग अध्यारोपण सिद्धांत:
अध्यारोपण सिद्धांत:
जब दो या अधिक तरंगें एक ही माध्यम में एक साथ चलती हैं, तो परिणामी विस्थापन व्यक्तिगत विस्थापनों का बीजगणितीय योग होता है।
व्यतिकरण:
रचनात्मक व्यतिकरण:
पथांतर = nλ (n = 0, 1, 2, ...)
कलांतर = 2nπ
विनाशी व्यतिकरण:
पथांतर = (n + ½)λ
कलांतर = (2n + 1)π
अप्रगामी तरंग:
अप्रगामी तरंग समीकरण:
y = 2A cos(kx) sin(ωt)
अप्रगामी तरंग की विशेषताएं:
• निस्पंद: y = 0 हमेशा (x = nλ/2)
• प्रस्पंद: अधिकतम आयाम (x = (2n+1)λ/4)
• ऊर्जा का स्थानांतरण नहीं होता
विस्पंद (Beats):
विस्पंद आवृत्ति:
f_beat = |f₁ - f₂|
जब दो लगभग समान आवृत्ति की तरंगें अध्यारोपित होती हैं
डॉप्लर प्रभाव:
डॉप्लर प्रभाव:
f' = f((v ± vₒ)/(v ± vₛ))
जहाँ v = ध्वनि की चाल
vₒ = प्रेक्षक की चाल
vₛ = स्रोत की चाल
चिह्न नियम:
• प्रेक्षक स्रोत की ओर आ रहा: vₒ के साथ +
• स्रोत प्रेक्षक की ओर आ रहा: vₛ के साथ -
6. व्यापक प्रश्नोत्तरी - JEE/NEET स्तर
प्रश्न 1: न्यूटन के गति नियमों की व्याख्या करते हुए दैनिक जीवन के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
न्यूटन का प्रथम नियम (जड़त्व का नियम):
कथन: प्रत्येक वस्तु अपनी विरामावस्था या एकसमान गति की अवस्था में तब तक बनी रहती है जब तक कि कोई बाह्य बल उसे परिवर्तित न करे।
दैनिक जीवन के उदाहरण:
• बस के अचानक रुकने पर यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं
• चलती कार में बैठे व्यक्ति को लगता है कि बाहर की वस्तुएं पीछे जा रही हैं
• किताब को मेज पर छोड़ने पर वह वहीं पड़ी रहती है
न्यूटन का द्वितीय नियम:
कथन: F = ma या F = dp/dt
बल संवेग परिवर्तन की दर के बराबर होता है।
उदाहरण:
• भारी वस्तु को धकेलने में अधिक बल लगता है
• क्रिकेट बॉल को तेज फेंकने के लिए अधिक बल चाहिए
• कार के ब्रेक लगाने पर वह धीमी होकर रुक जाती है
न्यूटन का तृतीय नियम:
कथन: प्रत्येक क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
उदाहरण:
• चलते समय हम जमीन को पीछे की ओर धकेलते हैं, जमीन हमें आगे की ओर धकेलती है
• बंदूक से गोली दागने पर पीछे की ओर धक्का लगता है
• रॉकेट का उड़ना - गैसों को नीचे फेंकने से रॉकेट ऊपर जाता है
प्रश्न 2: ऊर्जा संरक्षण के नियम को समझाते हुए इसके व्यावहारिक अनुप्रयोग बताइए।
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण का नियम:
ऊर्जा न तो बनाई जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है, केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है। किसी पृथक निकाय की कुल ऊर्जा स्थिर रहती है।
गणितीय रूप:
E_total = KE + PE = constant
½mv² + mgh = constant
व्यावहारिक अनुप्रयोग:
1. पेंडुलम:
• सबसे नीचे: अधिकतम गतिज ऊर्जा, न्यूनतम स्थितिज ऊर्जा
• सबसे ऊपर: न्यूनतम गतिज ऊर्जा, अधिकतम स्थितिज ऊर्जा
2. रोलर कोस्टर:
• ऊंचाई पर धीमी गति (अधिक PE)
• नीचे तेज गति (अधिक KE)
3. बांध से विद्युत उत्पादन:
• ऊंचाई पर पानी (PE) → गिरता पानी (KE) → टरबाइन घूमना → विद्युत ऊर्जा
4. स्प्रिंग-मास सिस्टम:
• संपीडन के समय: प्रत्यास्थ PE अधिकतम
• माध्य स्थिति पर: KE अधिकतम
5. उपग्रहों की कक्षीय गति:
• कुल ऊर्जा = KE + Gravitational PE = -GMm/2r
दैनिक जीवन में उदाहरण:
• साइकिल चलाना - पैडल मारकर KE बढ़ाना
• घड़ी की चाबी - प्रत्यास्थ PE से यांत्रिक ऊर्जा
• भोजन - रासायनिक ऊर्जा से शारीरिक ऊर्जा
प्रश्न 3: तरंगों के अध्यारोपण सिद्धांत और व्यतिकरण की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अध्यारोपण सिद्धांत (Principle of Superposition):
जब दो या अधिक तरंगें एक ही माध्यम में एक साथ संचरित होती हैं, तो किसी बिंदु पर परिणामी विस्थापन उस बिंदु पर व्यक्तिगत तरंगों के विस्थापनों का बीजगणितीय योग होता है।
गणितीय रूप:
y_resultant = y₁ + y₂ + y₃ + ...
व्यतिकरण (Interference):
दो या अधिक समान आवृत्ति की तरंगों के अध्यारोपण से उत्पन्न घटना को व्यतिकरण कहते हैं।
व्यतिकरण के प्रकार:
1. रचनात्मक व्यतिकरण (Constructive Interference):
शर्त: पथांतर = nλ (जहाँ n = 0, 1, 2, ...)
कलांतर = 2nπ
परिणाम: परिणामी आयाम = A₁ + A₂ (अधिकतम)
2. विनाशी व्यतिकरण (Destructive Interference):
शर्त: पथांतर = (n + ½)λ
कलांतर = (2n + 1)π
परिणाम: परिणामी आयाम = |A₁ - A₂| (न्यूनतम)
व्यावहारिक उदाहरण:
1. ध्वनि में व्यतिकरण:
• दो स्पीकर एक ही आवृत्ति बजाते समय कुछ स्थानों पर तेज आवाज (रचनात्मक)
• कुछ स्थानों पर मधिम आवाज (विनाशी)
2. पानी की तरंगों में:
• दो पत्थर एक साथ पानी में फेंकने पर
• तरंग शिखर + शिखर = बड़ी लहर
• तरंग शिखर + गर्त = शांत पानी
3. प्रकाश में व्यतिकरण:
• यंग का द्विस्लिट प्रयोग
• साबुन के बुलबुले के रंग
• तेल की पतली परत के रंग
अप्रगामी तरंग (Standing Waves):
दो समान आयाम और आवृत्ति की विपरीत दिशा में चलने वाली तरंगों के व्यतिकरण से बनती है।
समीकरण: y = 2A cos(kx) sin(ωt)
विशेषताएं:
• निस्पंद (Nodes): x = nλ/2
• प्रस्पंद (Antinodes): x = (2n+1)λ/4
• ऊर्जा का स्थानांतरण नहीं होता
उदाहरण:
• गिटार/वायलिन के तार
• ऑर्गन पाइप
• माइक्रोवेव ओवन में हॉट स्पॉट्स
प्रश्न 4: ऊष्मागतिकी के नियमों की व्याख्या करते हुए कार्नो इंजन की दक्षता निकालिए।
उत्तर:
ऊष्मागतिकी के नियम:
शून्यवाँ नियम (Zeroth Law):
यदि दो निकाय किसी तीसरे निकाय के साथ तापीय साम्य में हैं, तो वे आपस में भी तापीय साम्य में होंगे। यह तापमान की अवधारणा को परिभाषित करता है।
प्रथम नियम (First Law):
ऊर्जा संरक्षण का नियम: ΔU = Q - W
जहाँ ΔU = आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन
Q = निकाय को दी गई ऊष्मा
W = निकाय द्वारा किया गया कार्य
द्वितीय नियम (Second Law):
दो कथन:
1. केल्विन-प्लांक: किसी चक्रीय प्रक्रम में ऊष्मा को पूर्णतः कार्य में बदलना असंभव है
2. क्लॉजियस: ऊष्मा स्वतः ठंडी वस्तु से गर्म वस्तु में नहीं जा सकती
तृतीय नियम (Third Law):
परम शून्य तापमान (0 K) पर सभी पूर्ण क्रिस्टलों की एन्ट्रॉपी शून्य होती है।
कार्नो इंजन (Carnot Engine):
कार्नो इंजन एक आदर्श ऊष्मा इंजन है जो दो ऊष्मा भंडारों के बीच कार्य करता है:
• गर्म भंडार (तापमान T₁)
• ठंडा भंडार (तापमान T₂)
कार्नो चक्र की चार अवस्थाएं:
1. समतापी प्रसार (T₁ पर): गैस Q₁ ऊष्मा लेती है
2. रुद्धोष्म प्रसार: तापमान T₁ से T₂ तक घटता है
3. समतापी संपीडन (T₂ पर): गैस Q₂ ऊष्मा देती है
4. रुद्धोष्म संपीडन: तापमान T₂ से T₁ तक बढ़ता है
दक्षता की गणना:
दक्षता (η) = (उपयोगी कार्य)/(दी गई ऊष्मा)
η = W/Q₁ = (Q₁ - Q₂)/Q₁
कार्नो इंजन के लिए: Q₁/T₁ = Q₂/T₂
इसलिए: Q₂ = Q₁ × (T₂/T₁)
दक्षता में प्रतिस्थापित करने पर:
η = (Q₁ - Q₁T₂/T₁)/Q₁
η = 1 - T₂/T₁
η = (T₁ - T₂)/T₁
महत्वपूर्ण निष्कर्ष:
• कार्नो इंजन की दक्षता केवल दो भंडारों के तापमान पर निर्भर करती है
• यह सभी उत्क्रमणीय इंजनों की अधिकतम संभावित दक्षता है
• वास्तविक इंजन की दक्षता हमेशा कार्नो दक्षता से कम होती है
• 100% दक्षता तभी संभव है जब T₂ = 0 (व्यावहारिक रूप से असंभव)
उदाहरण:
यदि T₁ = 500 K और T₂ = 300 K
तो η = (500 - 300)/500 = 0.4 = 40%
प्रश्न 5: प्रकाश के व्यतिकरण और विवर्तन में अंतर स्पष्ट करते हुए यंग के द्विस्लिट प्रयोग की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्यतिकरण और विवर्तन में अंतर:
• दो या अधिक सुसंगत प्रकाश स्रोतों के अध्यारोपण से होता है
• समान आवृत्ति की तरंगों का मिलना आवश्यक
• फ्रिंज की चौड़ाई समान होती है
• केंद्रीय फ्रिंज सबसे चमकीली होती है
विवर्तन (Diffraction):
• एकल स्रोत से आने वाली तरंगों का बाधा के किनारों से मुड़ना
• तरंग का अपने मार्ग से विचलन
• फ्रिंज की चौड़ाई असमान होती है
• केंद्रीय मैक्सिमा सबसे चौड़ा और चमकीला होता है
यंग का द्विस्लिट प्रयोग (Young's Double Slit Experiment):
प्रयोग की व्यवस्था:
• एकवर्णीय प्रकाश स्रोत S
• दो समानांतर स्लिट S₁ और S₂ (दूरी d)
• स्क्रीन स्लिट से D दूरी पर
सिद्धांत:
दोनों स्लिट्स से आने वाली प्रकाश तरंगें सुसंगत होती हैं और स्क्रीन पर व्यतिकरण करती हैं।
गणितीय विश्लेषण:
स्क्रीन पर केंद्र से y दूरी पर स्थित बिंदु P के लिए:
पथांतर = S₂P - S₁P ≈ (dy)/D
उज्ज्वल फ्रिंज की शर्त:
पथांतर = nλ (जहाँ n = 0, ±1, ±2, ...)
(dy)/D = nλ
y = (nλD)/d
अंधकार फ्रिंज की शर्त:
पथांतर = (2n+1)λ/2
y = ((2n+1)λD)/(2d)
फ्रिंज चौड़ाई:
β = (दो क्रमागत उज्ज्वल या अंधकार फ्रिंजों के बीच दूरी)
β = λD/d
महत्वपूर्ण निष्कर्ष:
• फ्रिंज चौड़ाई λ के समानुपाती
• फ्रिंज चौड़ाई d के व्युत्क्रमानुपाती
• फ्रिंज चौड़ाई D के समानुपाती
प्रकाश की तरंग प्रकृति का प्रमाण:
यह प्रयोग प्रकाश की तरंग प्रकृति का सबसे पहला और स्पष्ट प्रमाण था, जिसने न्यूटन के कण सिद्धांत को चुनौती दी।
आधुनिक संशोधन:
• लेजर प्रकाश का उपयोग बेहतर फ्रिंजेस के लिए
• इलेक्ट्रॉन्स के साथ भी समान प्रयोग संभव (द्रव्य तरंग)
• क्वांटम यांत्रिकी में तरंग-कण द्वैधता का आधार
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