राजस्थान सेवा नियम (RSR): अध्याय 3 – राज्य सेवा की सामान्य शर्तें (भाग प्रथम)
अध्याय 3
राज्य सेवा की सामान्य शर्तें
1. पृष्ठभूमि
इस अध्याय की संक्षिप्त रूपरेखा इस प्रकार है:
- सिविल सेवाओं में भर्ती व आरक्षण
- परिवीक्षा काल, वेतन इत्यादि (नियम 8)
- प्रथम नियुक्ति के समय आयु (नियम 8क)
- चरित्र सत्यापन
- नवीन नियुक्ति पर स्वस्थता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना (नियम 9)
- चिकित्सा प्रमाण-पत्र देने का सक्षम प्राधिकारी (नियम 11)
- स्वस्थता प्रमाण पत्र देने से मुक्त हुए राज्य कर्मचारी (नियम 12)
- धूम्रपान/गुटका का सेवन नहीं करने की वचनबद्धता
- संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेना
- लघु कुटुम्ब मानक
- कार्यग्रहण अवधि
- राज्य सेवा की मूलभूत शर्तें (नियम 13व 14)
- पदाधिकार (लियन) (नियम 15)
- पदाधिकार को रखना (नियम 16)
- पदाधिकार का निलम्बन (नियम 17)
- पदाधिकार की समाप्ति (नियम 18)
- पदाधिकार का स्थानान्तरण (नियम 19)
- राज्य कर्मचारी का स्थानान्तरण (नियम 20)
- भविष्य निधि या जीवन बीमा के लिये अंशदान (नियम 21)
- राजस्थान पेंशनर्स मेडिकल कन्सेशन स्कीम में अंशदान (नियम 21क)
- सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की बकाया राशि को भविष्य निधि खाते में जमा कराने का आदेश देने का राज्य सरकार की शक्ति (नियम 21ख)
- सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की पेंशन पर महंगाई राहत की बकाया राशि को भविष्य निधि खाते में जमा कराने का आदेश देने का राज्य सरकार की शक्ति (नियम 21ग)
- वेतन एवं भत्ते प्राप्त करने की शर्तें (नियम 22)
- प्रशिक्षण काल में दी गयी धनराशि वापस जमा कराना (नियम 22क)
- प्रशिक्षण काल में दूसरे पद पर जाने पर व्यय की सीमा (नियम 22ख)
- स्थिति जिसमें सरकारी कर्मचारी सरकारी नियोजन में नहीं रह जाता (नियम 23)
- अस्थायी कर्मचारी की सेवा समाप्ति के लिये नोटिस (नियम 23क)
I- सिविल सेवाओं में भर्ती/आरक्षण
राजस्थान में सभी सिविल सेवाएं चार वर्गों में विभक्त है-राज्य सेवाएं, अधीनस्थ सेवाएं, मंत्रालयिक सेवाएं तथा चतुर्थ श्रेणी सेवा। भर्ती के लिये राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर संवैधानिक संस्था है। इसके अलावा, कार्मिक विभाग की अधिसूचना क्रमांक: एफ.8(7)डीओपी/ए-II/2008 पार्ट-III दिनांक 29 जनवरी 2014 द्वारा राजस्थान अधीनस्थ तथा मंत्रालयिक सेवा चयन मण्डल की स्थापना की गयी है। कार्मिक विभाग की समसंख्यक अधिसूचना दिनांक 12 जून 2018 द्वारा मण्डल को 'राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग' के नाम से पुनर्नामित कर दिया गया है।
कार्मिक विभाग की अधिसूचना क्रमांक: एफ.8(7)डीओपी/ए-II/2008 दिनांक 3 अक्टूबर 2008 द्वारा राज्य सरकार ने बोर्ड के नियम भी जारी कर दिये है। इन नियमों के नियम 3 के तहत बोर्ड में एक चेयरमैन है तथा कम से कम 2 व अधिकतम 4 सदस्य होते है। चेयरमैन को ₹2,04,000 तथा सदस्य को ₹1,90,400 नियत वेतन देय है जो 1 जनवरी 2017 से प्रभावशील है। इस प्रकार राज्य में अब दो भर्तीकर्ता अभिकरण है। एल-10 या उससे कम वेतन वाले पदों पर सीधी भर्ती का काम इस आयोग को सौंपा गया है। एल-11 से ऊपर का वेतन वाले पदों पर राजस्थान लोक सेवा आयोग सीधी भर्ती करेगा।
खेल पदक विजेताओं को बिना पारी नियुक्ति
कार्मिक विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.15(3)डीओपी/ए-II/2015/pt दिनांक 3 जुलाई 2017 द्वारा पदक विजेता खिलाड़ियों को प्रथम बार राजस्थान खेल पदक विजेताओं को बिना पारी नियुक्ति नियम, 2017 (Rajasthan out of turn appointment to Sports Medal Winners Rule, 2017) के तहत नियुक्त किया जाता है। खेल पदक विजेताओं को नियुक्ति देने के तीन मापदण्ड निर्धारित किये गये है-श्रेणी-A जिन्हें अनुसूची-I में वर्णित पदों पर नियुक्त किया जायेगा, श्रेणी-B जिन्हें अनुसूची-II में वर्णित पदों पर नियुक्त किया जायेगा तथा श्रेणी-C जिन्हें अनुसूची-III में वर्णित पदों पर नियुक्त किया जायेगा। 18 मार्च 2020 को नियमों में संशोधन कर प्रत्येक श्रेणी में मापदण्ड में बदलाव किया गया है। ऐसे खिलाड़ियों को खेल जारी रखने हेतु सामर्थ्यकारी वातावरण उपलब्ध कराने के लिये राज्य सरकार ने 18 जुलाई 2022 को दिशा-निर्देश भी जारी किये है। नियमों के साथ संलग्न अनुसूची-I में 7 राज्य सेवाओं, अनुसूची-II में 7 अधीनस्थ सेवाओं तथा अनुसूची-III में 3 मंत्रालयिक सेवाओं द्वारा ये नियम विनियमित किये गये है।
बलवा, आतंकवादी हमलों, आन्दोलनों, धरनों, प्रदर्शनों आदि जैसी घटनाओं में मृत्यु हुए आश्रितों को नियुक्ति
इसके अलावा, कार्मिक विभाग की अधिसूचना क्रमांक: एफ.5(5)डीओपी/ए-II/85 पार्ट-III दिनांक 22 मई 2008 द्वारा जारी नियम के नियम 6ग के अनुसार मृत व्यक्तियों जिनकी बलवा, आन्दोलनों आदि जैसी घटनाओं में मृत्यु हो गयी है तो आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति ऐसे व्यक्ति के एक आश्रित को जिसकी वर्ष 1992 या उसके पश्चात् बलवों, आतंकवादी हमलों, आन्दोलनों, धरनों, प्रदर्शनों जैसी घटनाओं में मृत्यु हो गयी हो, को मंत्रालयिक संवर्ग में नियुक्ति प्रदान किये जाने के प्रावधान है।
इन नियुक्तियों के लिये पूर्व में गृह विभाग एवं कार्मिक विभाग की सहमति आवश्यक थी जो अधिसूचना क्रमांक: एफ.5(5)डीओपी/ए-II/85 पार्ट-III दिनांक 21 मई 2009 द्वारा हटा दी गयी है। गृह विभाग के प्रस्ताव को मंत्रीमण्डल की आज्ञा से राजस्थान अधीनस्थ कार्यालय लिपिकवर्गीय सेवा नियम, 1999 तथा उक्त नियम के संशोधित नियम 2010 के नियम 4 के अनुसार नियमों में शिथिलता प्रदान कर राज्य सरकार की अनुमति से यह नियुक्ति प्रदान की जाती है। आवेदक का नियमों के अनुसार निर्धारित आयु, शैक्षणिक योग्यता/अर्हता/पात्रता पूर्ण करना आवश्यक है। यह नियुक्ति राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक: एफ.1(2)एफडी/रूल्स/2006 दिनांक 13 मार्च 2006 के प्रावधानान्तर्गत परिवीक्षा प्रशिक्षणार्थी के रूप में राजस्थान सिविल सेवाएं (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के अनुसार स्थिर पारिश्रमिक पर 2 वर्ष की कालावधि के लिये होगी। वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक: एफ.15(1)एफडी(रूल्स)/2017 दिनांक 30 अक्टूबर 2017 के अनुसार समस्त शर्तें नियुक्ति पर लागू होगी। नियुक्ति के 3 वर्ष के भीतर टंकण परीक्षा पास करना अनिवार्य है।
विभागाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति
राज्य के अधीन सभी सेवाओं में पदों पर नियुक्ति/भर्ती संबंधित सेवा नियमों के तहत ही की जाती है। सेवा नियम में पद विशेष हेतु वांछित शैक्षणिक योग्यता का उल्लेख होता है। विभिन्न पदों हेतु वांछित शैक्षणिक योग्यता में विभिन्न डिग्री/डिप्लोमा/पाठ्यक्रम के साथ ही अथवा समकक्ष शब्द का अंकन भी किया जाता है। समकक्ष योग्यताओं का निर्धारण प्रशासनिक विभाग/भर्तीकर्ता संस्थाओं द्वारा किया जाता है। वर्तमान में किसी भी भर्ती में शैक्षणिक योग्यता की समकक्षता के संबंध में विवाद उत्पन्न हो तो उसके समाधान के लिये कोई संस्थागत व्यवस्था नहीं है। कार्मिक विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ.7(1)कार्मिक/क-2/2019 दिनांक 18 अक्टूबर 2021 द्वारा दिशा-निर्देश जारी किये गये है जिनके अनुसार राज्य के सभी विभागों के विभिन्न पदों के लिये शैक्षणिक अर्हता एवं समकक्षता के संबंध में नियमों को अद्यतन करने व विनिश्चय के लिये विभागाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति का गठन किया जायेगा जिसमें विभाग के अधिकारियों के साथ ही साथ विभाग द्वारा मनोनयन करते हुए विषय विशेषज्ञों को शामिल किया जायेगा। शैक्षणिक अर्हता एवं समकक्षता संबंधी उक्त विभागीय समिति की वर्ष में न्यूनतम 2 बार बैठक आयोजित की जायेगी। बैठक में कार्मिक विभाग के प्रतिनिधि को भी आमंत्रित किया जा सकता है। बैठक में समिति विभिन्न नवीनतम पाठ्यक्रमों का अध्ययन एवं परीक्षण कर आवश्यक होने पर सेवा नियमों को अद्यतन करने एवं समकक्षता के संबंध में अनुशंसा करेगी।
भर्ती परीक्षाओं के लिये एक बारीय पंजीयन
राज्य सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली समस्त भर्ती परीक्षाओं में अभ्यर्थियों से श्रेणीवार निर्धारित परीक्षा शुल्क लिया जाता रहा है। राज्य सरकार ने एक परिपत्र क्रमांक प.8(3)कार्मिक/क-2/2023-04443 दिनांक 19 अप्रैल 2023 जारी कर प्रदेश के युवाओं द्वारा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित होने हेतु अब एक बारीय पंजीयन प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है। उक्त निर्णय के तहत अभ्यर्थियों द्वारा एक बारीय पंजीयन कराने के बाद राजस्थान लोक सेवा आयोग, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड एवं राज्य की अन्य सभी भर्ती संस्थाओं द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में आवेदन करने पर बार-बार परीक्षा शुल्क देय नहीं होगा। इस हेतु अभ्यर्थी को अपनी एसएसओ आईडी द्वारा लॉगिन करने के बाद One Time Registration ऑप्शन पर जाकर एक बार पंजीयन शुल्क जमा कराना होगा।
यह व्यवस्था दिनांक 19 अप्रैल 2023 के बाद विज्ञापित होने वाली भर्तियों पर लागू होगी। राज्य सरकार के परिपत्र क्रमांक प.8(3)कार्मिक/क-2/2023-04443 दिनांक 12 जुलाई 2023 के अनुसार उपरोक्त एक बारीय पंजीयन शुल्क देने के बाद अभ्यर्थी द्वारा One Time Registration में कराये गये वर्ग (Category) के पंजीयन में त्रुटि संशोधन हेतु कोई राशि वसूल नहीं की जायेगी।
एक बारीय प्रमाणीकरण प्रणाली
कार्मिक विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ.14(36)कार्मिक/क-2/07 पार्ट-II दिनांक 21 अगस्त 2022 द्वारा यह तय किया गया है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग एवं राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड व अन्य भर्ती विभागों द्वारा की जाने वाली भर्तियों में अभ्यर्थियों को बार-बार दस्तावेजों के प्रमाणीकरण से छुटकारा दिलाने के लिये One-Time Verification System लागू करने के लिये माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, विश्वविद्यालयों एवं डिग्री/डिप्लोमा जारी करने वाले संस्थानों द्वारा उपलब्ध करवाये गये डिजिटलाइज्ड डाटा के आधार पर शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों के दस्तावेज सत्यापन का कार्य प्रारम्भ किया जावे। राज्य सरकार ने भर्ती पोर्टल पर ऑनलाइन वेरिफिकेशन प्रक्रिया को दो चरणों में लागू करने के निर्देश प्रदान किये है।
सेवा नियमों में सभी नियोक्ता प्राधिकारीगण किसी सेवा संवर्ग में उत्पन्न होने वाली वास्तविक रिक्तियों का निर्धारण करते है व भर्तीकर्ता अभिकरण को भर्ती अर्चना प्रेषित करते हैं। इसके लिये कार्मिक विभाग की सहमति लेना आवश्यक नहीं है। सक्षम स्तर से अनुमति लेकर अर्चना के साथ निर्धारित प्रारूप में इस आशय का प्रमाण पत्र संलग्न किया जाता है कि भर्ती संबंधी पद के सेवा नियमों में अद्यतन संशोधन सहित प्रति उपलब्ध है। साथ ही वर्गवार रिक्तियों की गणना आरक्षण प्रावधानों एवं विभाग में संधारित रोस्टर पंजिका के अनुरूप है।
आयोग/बोर्ड से चयन सूची प्राप्त होने के पश्चात् अधिकतम 1 माह में पदस्थापन आदेश जारी किया जाना आवश्यक है। चयनित अभ्यर्थियों के चरित्रवृत्त/अन्य सत्यापन आदि किये जाने आवश्यक है। नियुक्ति आदेश जारी होने के 3 सप्ताह में कार्यग्रहण करना अनिवार्य है। नियुक्ति आदेश में यह शर्त अंकित करना आवश्यक है कि 3 सप्ताह में कार्यग्रहण न करने पर उस व्यक्ति की सीमा तक नियुक्ति आदेश स्वतः निरस्त समझा जायेगा जिस पर विभाग द्वारा कार्यग्रहण की अन्तिम तिथि से पूर्व निर्णय किया आवश्यक है। कार्यालयाध्यक्ष द्वारा कार्यग्रहण न करने वाले अभ्यर्थियों की सूचना कार्यग्रहण की अन्तिम तिथि के 10 दिन की अवधि के अन्दर आवश्यक रूप से विभाग को उपलब्ध करवाये जाने के निर्देश जारी किये जाने चाहिये। इस संबंध में कार्मिक (क-2) विभाग का पूर्व में प्रसारित परिपत्र क्रमांक एफ.7(1)डीओपी/ए-II/2019 दिनांक 5 अप्रैल 2021 के अतिक्रमण में दिनांक 18 अक्टूबर 2021 का परिपत्र दृष्टव्य है।
कार्मिक विभाग की अधिसूचना क्रमांक: एफ.7(1)डीओपी/क-2/2019 दिनांक 20 जनवरी 2022 द्वारा राज्य के अधीन पदों की भर्ती के लिये सभी सेवा नियमों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिये आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन
राजस्थान सिविल सेवा (भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन) नियम, 1988 (Rajasthan Civil Services (Absorption of Ex-Servicemen) Rules 2018) के अनुसार किसी वर्ग विशेष में जहां भूतपूर्व सैनिकों के लिये आरक्षित कोई रिक्ति उपयुक्त भूतपूर्व सैनिकों की अनुपलब्धता के कारण खाली रह जाती है तो उनके लिये इस प्रकार आरक्षित रिक्तियां सामान्य प्रक्रिया के अनुसार भरी जायेगी और रिक्तियों की समान संख्या अगले भर्ती वर्ष में अग्रनीत की जायेगी तथा ऐसी रिक्तियां व्यपगत हो जायेगी। राज्य सरकार ने अपनी अधिसूचना क्रमांक प.5(18)कार्मिक/क-2/84 pt.II दिनांक 7 दिसम्बर 2022 एवं दिनांक 12 दिसम्बर 2022 जारी कर नियमों में संशोधन कर अब यह प्रावधान कर दिया है कि भूतपूर्व सैनिकों को सीधी भर्ती में रिक्तियों का आरक्षण क्षैतिज श्रेणीवार (Horizontal Categorywise) दिया जायेगा।
इस संशोधन से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के भूतपूर्व सैनिकों को भी सीधी भर्ती में आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है। भूतपूर्व सैनिकों को भर्ती में मौजूदा दौर में मिल रही अधिकतम आयु सीमा में छूट और न्यूनतम अंकों में छूट का लाभ भी मिलता रहेगा। पूर्व सैनिकों के किसी भर्ती के खाली रहे पदों को 1 वर्ष तक आगे के लिये अग्रनीत यानी कैरी फारवर्ड किया जाता रहेगा।
अब राज्य में सीधी भर्ती के लिये जारी की जाने वाली विज्ञप्तियों हेतु भूतपूर्व सैनिकों की रिक्तियों की गणना प्रवर्गवार करते हुए अर्चना विज्ञापित की जायेगी। किसी भी भर्ती में चयनित भूतपूर्व सैनिकों को भूतपूर्व सैनिकों के लिये निर्धारित रोस्टर बिन्दुओं के विरूद्ध दर्शाया जायेगा। इस हेतु कार्मिक विभाग के परिपत्र क्रमांक दिनांक 24 फरवरी 2020 के अनुसार भूतपूर्व सैनिकों हेतु निर्धारित रोस्टर बिन्दुओं के अनुसार प्रवर्गवार पृथक पृथक रोस्टर पंजिका संधारित की जायेगी।
राज्य सरकार ने मॉडल रोस्टर पंजिका का प्रारूप भी जारी किया है जिसके अनुसार उन्हें राज्य सेवा में 5% अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा में 12.5% तथा चतुर्थ श्रेणी सेवा में 15% क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान किया गया है जो निम्नानुसार है:
रोस्टर संख्या | राज्य सेवा 5% | अधीनस्थ एवं मंत्रालयिक सेवा 12.5% | चतुर्थ श्रेणी सेवा में 15% |
---|---|---|---|
100 बिन्दु | रोस्टर बिन्दु संख्या 20, 40, 60, 80, 100 | रोस्टर बिन्दु संख्या 8, 16, 24, 32, 40, 48, 56, 64, 72, 80, 88, 96 | रोस्टर बिन्दु संख्या 7, 14, 20, 27, 34, 40, 47, 54, 60, 67, 74, 80, 87, 94, 100 |
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति, या पिछड़ा वर्ग या अति पिछड़ा वर्ग या आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग या अनारक्षित श्रेणियों में से प्रत्येक के लिये 6 अलग अलग रोस्टर पंजिकाएं संधारित की जायेंगी। कार्मिक विभाग की अधिसूचना क्रमांक प.5(18)कार्मिक/क-2/84 pt.II दिनांक 27 फरवरी 2023 द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि अब पिछले पदों पर भूतपूर्व सैनिकों की रिक्तियों की वर्तमान भर्ती में प्रवर्गवार (कम्पार्टमेण्टवाइज) होते हुए प्रत्येक जारी किये जाने वाले विज्ञापन में भूतपूर्व सैनिकों की रिक्तियों को पृथक-पृथक दर्शाया जायेगा। उदाहरण के तौर पर यदि किसी भर्ती में 100 रिक्तियां भूतपूर्व सैनिकों की पिछली भर्ती में भरने से शेष रह गयी थी एवं वह आरक्षण बैकलॉग के क्रम में इस भर्ती में प्राप्त हुआ है तो अब चूंकि भूतपूर्व सैनिकों की रिक्तियों को प्रवर्गवार (कम्पार्टमेण्टवाइज) किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में उक्त 100 रिक्तियों का निमाजन वर्गवार निम्नानुसार किया जावेगा:
एस.सी.-16, एस.टी.-12, ओ.बी.सी.-21, एम.बी.सी.-5, ई.डब्ल्यू.एस.-10, यू.आर-36
सिविल पदों पर संविदा पर रखा जाना
कार्मिक विभाग ने अधिसूचना क्रमांक एफ.17(4)डीओपी/ए-II/2014 दिनांक 11 जनवरी 2022 द्वारा राजस्थान सिविल पदों पर संविदा पर रखा जाना नियम, 2022 (The Rajasthan Contractual Hiring to Civil Posts Rules, 2022) जारी किये है। कार्मिक विभाग के परिपत्र क्रमांक प.5(18)कार्मिक/क-II/2015 दिनांक 20 जनवरी 2023 द्वारा यह निर्देश दिये गये है कि इन नियमों के तहत रखे जाने वाले कर्मियों के संबंध में राज्य सरकार के प्रचलित प्रावधान लागू होंगे। कार्मिक विभाग के समसंख्यक परिपत्र दिनांक 12 अक्टूबर 2015 द्वारा राज्य सरकार के अधीन समस्त सेवाओं में सीधी भर्ती से भरे जाने वाले पदों के विरूद्ध संविदा नियुक्तियों पर आरक्षण प्रावधान लागू किये जाने के निर्देश है।
संविदा नियुक्तियों में खुली प्रतिस्पर्धा एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 24 फरवरी 2020 द्वारा निर्धारित प्रारूप में रोस्टर पंजिकाओं का संधारण अनिवार्य रूप से करना होगा।
उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिये
कार्मिक विभाग की अधिसूचना क्रमांक प.5(31)कार्मिक/क-2/84 दिनांक 26 अक्टूबर 2021 तथा परिपत्र क्रमांक प.5(31)कार्मिक/क-2/84 दिनांक 27 मई 2022 द्वारा राजस्थान लोक सेवा आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर के पदों पर सभी सेवा नियमों के अन्तर्गत सीधी भर्ती में कुल रिक्तियों का 2% आरक्षण उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिये दिया गया है। कार्मिक विभाग की अधिसूचना क्रमांक प.5(31) कार्मिक/क-2/84 दिनांक 21 नवम्बर 2019 द्वारा उत्कृष्ट खिलाड़ी की श्रेणी में राष्ट्रीय खेलों में प्रतिनिधित्व करने वाले राजस्थान राज्य के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को भी सम्मिलित किया गया है। खिलाड़ियों को देय आरक्षण क्षैतिज आरक्षण होने के कारण चयन की स्थिति में उत्कृष्ट खिलाड़ी को उसी प्रवर्ग में समायोजित किया जायेगा जिससे वह संबंधित होता है। उत्कृष्ट खिलाड़ियों को आरक्षण देने संबंधी प्रावधानों की पालना किया जाना अनिवार्य है। खेल संस्थानों द्वारा जारी किये गये प्रमाण पत्र का सत्यापन ध्यान से किया जाना चाहिये।
राजस्थान दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2018 के अनुसार जहां किसी भर्ती वर्ष में कोई रिक्ति उपयुक्त बेंचमार्क दिःशक्तजन की अनुपलब्धता के कारण या किसी अन्य कारण से भरी न जा सकी हो तो ऐसी रिक्ति आगामी भर्ती वर्ष में अग्रेषित की जायेगी और यदि आगामी भर्ती वर्ष में भी उपयुक्त बेंचमार्क दिःशक्तजन उपलब्ध नहीं होता है, तो उसे प्रथमतः दिःशक्तजन की विभिन्न श्रेणियों में अन्तरपरिवर्तन की मरा जायेगा। यदि उस वर्ष में भी कोई दिःशक्तजन उपलब्ध न होता है तो नियोक्ता उस रिक्ति को दिःशक्तजन के अलावा अन्य व्यक्ति से भर सकेगा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग एवं भूतपूर्व सैनिकों के लिये आरक्षित
पदों का लाभ राजस्थान राज्य के मूल निवासियों को ही देय है। अन्य राज्य के आवेदकों को उक्त लाभ देय नहीं होने के कारण उन्हें सामान्य वर्ग के अन्तर्गत ही आवेदन करना होगा। मानवीय संवेदना मामलों में उच्च न्यायालय दिनांक C.A. No. 1085/2013 में पारित निर्णय दिनांक 30 अगस्त 2018 एवं मानवीय राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर द्वारा DB SAW No. 1116/018 में पारित निर्णय दिनांक 18 सितम्बर 2018 के अनुसार राजस्थान राज्य के बाहर एवं अन्य राज्य की महिला जो विवाह के उपरान्त राजस्थान राज्य की मूल निवासी बन जाती है तो उसे सार्वजनिक रोजगार में SC/ST/ OBC/MBC वर्ग में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जायेगा। इसलिये उन्हें सामान्य वर्ग के अन्तर्गत ही आवेदन करना होगा।
मृत रक्षा कार्मिक (युद्ध हताहत) के आश्रितों की नियुक्ति
इसके अलावा मृत रक्षा कार्मिक (युद्ध हताहत) के आश्रितों की नियुक्ति को विनियमित करने के लिये राज्य सरकार ने अपनी अधिसूचना क्रमांक प.5(1) कार्मिक/ क-2/18 Pt. दिनांक 9 सितम्बर 2022 द्वारा राजस्थान मृत सशस्त्र बल कार्मिक शहीद के आश्रितों की नियुक्ति नियम, 2022 (Rajasthan Appointment of Dependents of Deceased (Martyred) Armed Forces Personnel Rules, 2022) जारी किये है। इन नियमों के तहत 15 अगस्त 1947 से 31 दिसम्बर 1971 के मध्य किसी मृत सशस्त्र बल कार्मिक (युद्ध हताहत) के आश्रित को विभिन्न सेवा नियमों में निर्दिष्ट पदों पर नियुक्ति के लिये पात्र किया गया है। इन नियमों के जारी होने के बाद राजस्थान मृत रक्षा कार्मिकों के के आश्रितों की नियुक्ति नियम, 2018 समाप्त हो गये है।
2. परिवीक्षा काल, वेतन इत्यादि (नियम 8)
वित्त नियम 8 में यह प्रावधान किया गया है कि किसी नियम में किसी बात के होते हुए सरकारी सेवा में दिनांक 20 जनवरी 2006 को या इसके पश्चात् की सभी नियुक्तियां 2 वर्ष की अवधि के लिये परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में की जायेगी और परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण की अवधि के दौरान उसको ऐसे दर पर नियत पारिश्रमिक (Fixed Remuneration) दिया जायेगा जो समय समय पर सरकार द्वारा निर्धारित किया जावे। परिवीक्षा सफलतापूर्वक पूर्ण करने के पश्चात् उसको पद के लिये निर्धारित वेतनमान में स्थायी वेतन स्वीकृत किया जायेगा और परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण की अवधि को वार्षिक वेतनवृद्धि की स्वीकृति के लिये नहीं गिना जायेगा।
परन्तु सरकार वहां राज्य सेवा के प्रवेश पद से उच्चतर पद विनिर्दिष्ट कर सकेगी जहां सीधी भर्ती सुसंगत सेवा नियमों के प्रावधानों के अनुसार अनुज्ञेय है और जहां शैक्षिक और वृत्तिक योग्यताओं के अलावा विनिर्दिष्ट अनुभव शर्त भी विहित की जाती है जिस पर नियुक्ति 1 वर्ष की परिवीक्षा अवधि के लिये "परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी" के स्थान पर "परिवीक्षा पर" की जायेगी (वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.12(6)फिन/नियम/ 2005 दिनांक 23 सितम्बर 2014 द्वारा जोड़ा गया)।
उक्त नियम 8 के साथ यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि 20 जनवरी 2006 से पूर्व किन्हीं पदों पर नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी कर दिये गये हो तो उनमें नये नियमों के प्रावधान जोड़कर पुनः विज्ञापन जारी किये जावें।
राज्य सरकार ने अधिसूचना क्रमांक एफ.15(1)एफडी/रूल्स/ 2017 दिनांक 30 अक्टूबर 2017 एवं दिनांक 9 दिसम्बर 2017 जारी कर राजस्थान सिविल सेवायें (पुनरीक्षित) वेतन नियम 2017 प्रभावशील किये है जो राज्य में 1 जनवरी 2016 से प्रभावशील किये गये है। उक्त अधिसूचना के जरिये राज्य सरकार ने राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार नवीन वेतन अनुमत किया है। नवीन वेतन स्वीकृति के साथ ही राज्य में पे बैण्ड व ग्रेड पे के स्थान पर लेवल व पे मैट्रिक्स निर्धारित किये गये है। अब राज्य कर्मचारी पे मैट्रिक्स के कुल 24 लेवल्स में विभाजित होंगे। विभिन्न लेवल्स 40 सेल्स में बांटे गये गये है। संशोधित वेतन संरचना में पे मैट्रिक्स में निर्धारित लेवल में आधारित वेतन को अब मूल वेतन कहा गया है। वित्त (नियम) विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ.1(4)एफडी/रूल्स/2017-1 दिनांक 30 अक्टूबर 2017 के अनुसार परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु राज्य कर्मचारी के लिये न्यूनतम नियत पारिश्रमिक ₹17,700 व अधिकतम ₹1,48,800 रखा गया है।
3. प्रथम नियुक्ति के समय आयु (नियम 8क)
राजस्थान सेवा नियमों के नियम 8(क) के उपनियम (1) के अनुसार राज्य सेवा में प्रविष्ट होने की न्यूनतम आयु सीमा 16 वर्ष एवं अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष निर्धारित है। राज्य सरकार ने अधिसूचना क्रमांक एफ.1(15)एफडी/रूल्स/2016 दिनांक 13 मार्च 2018 जारी कर अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष के स्थान पर 40 वर्ष निर्धारित कर दी है। इसे दिनांक 13 मार्च 2018 से ही प्रभावशील किया गया है। इससे पूर्व यह आयु सीमा 35 वर्ष थी। इसी प्रकार कार्मिक विभाग ने भी अपनी अधिसूचना क्रमांक एफ.7(2) डीओपी/ए-II/84 पार्ट दिनांक 6 मार्च 2018 जारी कर 104 सेवा नियमों में आयु संबंधी नियमों में संशोधन कर अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष कर दी है। राज्य सरकार ने अधिसूचना क्रमांक एफ.7(2)डीओपी/ए-II/84 Pt. दिनांक 23 सितम्बर 2022 एवं दिनांक 12 जून 2023 जारी कर अनेक सेवा नियमों में आयु सीमा बढ़ाते हुए यह छूट दी है कि "जो व्यक्ति 31 दिसम्बर 2020 को आयु सीमा के भीतर था उसे 31 दिसम्बर 2024 तक आयु सीमा के भीतर ही समझा जायेगा।" अल्पवयस्कों अथवा ऐसे व्यक्तियों को, जो 18 वर्ष की आयु के नहीं है, ऐसे पदों पर नियुक्त नहीं करना चाहिये जिनके लिये प्रतिभूति लिया जाना आवश्यक हो।
जन्म दिनांक का निर्धारण (नियम 8क(2))
नियम 8(2)(ख)(iii) के अनुसार 1 जनवरी, 1979 अथवा उसके बाद राज्य सेवा में नियुक्त किये जाने वाले कर्मचारियों की जन्म तिथि का निर्धारण करते समय उनके द्वारा माध्यमिक/उच्च माध्यमिक अथवा उसके समकक्ष अथवा किसी शिक्षा मण्डल द्वारा दिये गये प्रमाण-पत्र में अंकित जन्म तिथि को ही स्वीकार किया जायेगा। जहाँ राज्य सेवा में नियुक्ति के लिये न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक/माध्यमिक/उच्च माध्यमिक अथवा इससे समकक्ष अथवा किसी शिक्षा मण्डल द्वारा निर्धारित हुई हो, वहाँ संबंधित कर्मचारी के जन्म दिनांक का निर्धारण विद्यालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र से जन्म तथा मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत सक्षम अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर किया जायेगा।
नियम 8(2)(ख)(iii) के अनुसार माध्यमिक/उच्च माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा दिये गये प्रमाण-पत्र में अंकित जन्म तिथि का उल्लेख, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा जारी किये जाने वाले किसी कर्मचारी के नियुक्ति आदेश में स्पष्ट रूप से किया जायेगा।
वित्त विभाग के आदेश क्रमांक: एफ.1(8)एफडी/ रूल्स/नि/2015 दिनांक 28 सितम्बर 2017 द्वारा नियम 8(2)(ख)(iii) को संशोधित करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि जहाँ राज्य सेवा में किसी पद पर नियुक्ति के लिये न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता माध्यमिक/ उच्चतर माध्यमिक अथवा उसके समकक्ष अथवा किसी शिक्षा मण्डल द्वारा निर्धारित हुई हो, वहाँ संबंधित कर्मचारी के जन्म दिनांक का निर्धारण विद्यालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र या जन्म तथा मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत सक्षम अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर किया जायेगा।
वित्त विभाग के आदेश क्रमांक: एफ.1(4)वित्त/नियम/नि/2006 दिनांक 22 सितम्बर 2016 द्वारा सामान्य वित्त एवं लेखा नियम, 1993 के नियम 131 में संशोधन किया गया है जिसके अनुसार किसी सेवा या पद पर नव नियुक्त प्रत्येक राज्य कर्मचारी का यह दायित्व है कि वह अपनी नियुक्ति के समय ही अपनी जन्म तारीख का विवरण समय द्वारा माध्यमिक/उच्च माध्यमिक अथवा उसके समकक्ष अथवा किसी शिक्षा मण्डल द्वारा दिये गये प्रमाण-पत्र या जन्म तथा मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत सक्षम अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र जैसे प्रलेखीय साक्ष्य/प्रमाण के साथ धोषित करे। यही तारीख सेवा के इतिहास, सेवा अभिलेख या अन्य रिकार्ड में अभिलिखित की जायेगी। जन्म तारीख में कोई भी परिवर्तन कार्मिक एवं वित्त विभाग की पूर्वानुमति के बिना नहीं किया जा सकेगा। सिविल ऑडिट की दशा में सुधार किया जा सकता है। विभागाध्यक्षों को इस बाबत प्राधिकृत किया गया है कि वे अपने नियंत्रण में आने वाले अराजपत्रित सरकारी कर्मचारियों के संबंध में केवल लिपिकीय त्रुटि के मामले में जन्म तारीख में परिवर्तन/संशोधन नहीं किया जायेगा। राज्य सरकार ने सामान्य वित्त एवं लेखा नियम, 1993 के नियम 132 को समाप्त कर दिया है।
नियम 8(2)(ग) के अनुसार वर्षानुसार कर्मचारी, जिसे आगे चलकर नियमित पद पर नियुक्त किया जावे, की वही जन्म तिथि सेवा पुस्तिका में दर्ज करवायी जावेगी तथा समय पूरा करते समय तैयार की गई उसकी सेवा-पुस्तिका/सेवा विवरणिका में अंकित है। इसमें परिवर्तन/संशोधन नहीं किया जायेगा।
अधिक आयु सीमा की नियुक्तियां
पूर्व के निर्देशों के उपरान्त भी अधिक आयु की नियुक्तियां होती रही तो उन्हें रोकने के लिये सरकार में पुन: निर्णय लिया कि अधिक आयु सीमा के सन्दर्भ में अधिकारी में निम्नांकित आदेशों में निम्नांकित रूप से जन्म तिथि का उल्लेख अवश्य किया जायेगा:
- जहाँ निर्धारित अधिकतम आयु सीमा के सन्दर्भ आदेशों में अधिकारी रूप से जन्म तिथि का उल्लेख अवश्य किया जायेगा।
- संबंधित जिला कोषाधिकारी ऐसे कर्मचारी के प्रथम वेतन-बिल का स्थानपूर्वक देखे कि नियुक्ति सही है या नहीं। निर्धारित आयु सीमा में की गई नियुक्तियों के वेतन बिल ही वे पारित करेंगे।
- विभागाध्यक्षों द्वारा आंतरिक जांच लेखा दलों तथा लेखाधिकारियों को निर्देश दिये जावे कि वे अपने निरीक्षण के समय ऐसे मामलों की जांच करें तथा अनियमितताओं को वित्त विभाग के ध्यान में लावें।
महिला कर्मचारी द्वारा उपनाम में परिवर्तन की प्रक्रिया
वित्त (नियम) विभाग राजस्थान ने ग्राम संख्या एफ.1(3)एफ.डी.(नियम)/ 2017 दिनांक 15 फरवरी 2018 जारी कर वैवाहिक स्तर के कारण महिला सरकारी कर्मचारियों के उपनाम में परिवर्तन की प्रक्रिया को सरल किया है। तदनुसार यह नियम निम्न किया है कि महिला सरकारी कर्मचारियों के उपनाम जोड़ना/परिवर्तन करना/विलोपन करने के लिये निम्न प्रक्रिया अपनायी जावे:
1. महिला सरकारी कर्मचारी के विवाह/पुनर्विवाह के कारण केवल उपनाम जोड़ना/परिवर्तन करना
इस प्रयोजन के लिये निम्न आधार पूर्ण की जा सकती है:
- यदि सरकारी कर्मचारी उपनाम बदलना चाहे तो उसे अपने नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी को अपने विवाह की औपचारिक सूचना देनी होगी तथा अपने उपनाम में परिवर्तन की अनुमति करना होगा।
- अपने पति का विवरण देना होगा ताकि सेवा-पुस्तिका में आवश्यक प्रविष्टि की जा सके।
2. महिला सरकारी कर्मचारी के पति की मृत्यु या तलाक/अलगाव पर विवाहपूर्व नाम वापस रखने या उपनाम का विलोपन
यदि परिवर्तन अनुमत कर दिया जावे यदि महिला सरकारी कर्मचारी निम्न जानकारी प्रस्तुत कर देती है:
- वैवाहिक स्तर में परिवर्तन के संबंध में अपने नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी को सूचना
- अपने विवाह पूर्व नाम को वापस रखने का औपचारिक अनुरोध
उपरोक्त बिन्दु संख्या 1 व 2 के लिये कोई निर्धारित प्रपत्र नहीं है। महिला सरकारी कर्मचारी के उपनाम में परिवर्तन/विलोपन की आशा नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी द्वारा प्रदान की जा सकेगी।
कर्मचारी द्वारा अपने नाम अथवा उपनाम में परिवर्तन करने की प्रक्रिया
राजस्थान सरकार ने ग्राम संख्या एफ.1(12) वि.वि.//व्यय नियम/67 दिनांक 10 अप्रैल 1967 जारी कर यह नियम निर्धारित किया है कि जो राज्य कर्मचारी अपना नाम बदलवाना चाहे अथवा अपने वर्तमान नाम में कोई संशोधन करवाना चाहता है, वह उसके लिये बॉन्ड-पत्र (Bond) भर कर ही औपचारिक रूप से अपने नाम/उपनाम में परिवर्तन करेगा। नियम 8 के अंतर्गत राजकीय नियम संख्या 5 के अनुसार/उपनाम में परिवर्तन करने के लिये बॉन्ड-पत्र का प्रपत्र निर्धारित है। यह प्रपत्र वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ.1/2एफ.डी.इंसुर/ 187 दिनांक 10 अप्रैल 1957 द्वारा निर्धारित किया गया है। राज्य कर्मचारी को इस प्रपत्र में बॉन्ड-पत्र भरना होगा तथा उस पर ऐसे दो व्यक्तियों की साक्षी भी रख पूरे कारणों होगी। बॉन्ड कार्यान्वयन प्राधिकारी होना है। साक्षियों द्वारा बॉन्ड-पत्र के स्थान का प्रति हस्ताक्षर के साथ प्रमाणीकरण किया जाना चाहिये। तदुपरान्त इसका प्रकाशन लोकप्रिय स्थानीय समाचार-पत्र में कराना होगा साथ ही राजस्थान राजपत्र में भी प्रकाशित कराना होगा। प्रकाशन कर्मचारी के स्वयं के व्यय पर किया जायेगा। राजपत्र में प्रकाशन के लिये उसे स्वयं को राजकीय केन्द्रीय मुद्रणालय, जयपुर से सम्पर्क करना होगा। बॉन्ड-पत्र (Bond) की प्रविष्टि कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में की जायेगी।
उपरोक्त औपचारिकताओं की अनुपालना के पश्चात् प्रस्तुत व्यक्तियों की सत्यप्रयोजक साक्षी एवं बॉन्ड-पत्र के निष्पादन के बाद नया/उपनाम रखने की शासकीय स्वीकृति दी जायेगी तथा उसके अनुक्रम कर्मचारी से संबंधित अभिलेखों में तदनुसार संशोधन किया जायेगा। ऐसे बॉन्ड-पत्र की प्रमाणित प्रतिलिपि कर्मचारी की व्यक्तिगत पञ्चायती में जमानत देकर तथा महालेखाकार/मुख्य भेषज अधिकारी, राजस्थान जयपुर को भी भेजी जायेगी।
उक्त नियम में निम्न अंकित अपवाद स्वीकृत किये गये हैं:
क्र.सं. | अभ्यर्थियों का वर्ग एवं अन्य विशिष्ट श्रेणियां हेतु आयु सीमा में छूट के प्रावधान | अधिकतम आयु सीमा में छूट |
---|---|---|
1. | सामान्य (अनारक्षित) वर्ग की महिला | 5 वर्ष |
2. | विधवा एवं विछिन्न विवाह (परित्यक्ता/ तलाकशुदा) महिला विधवा महिला को विकल्प दिया गया है कि अपने पति की मृत्यु का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा तथा विवाह विछिन्न महिला को विवाह विछिन्न का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। विधवा के आश्रित को 40 वर्ष तक सेवा योग्य माना जायेगा। | अधिकतम आयु सीमा नहीं है किन्तु राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गयी सेवानिवृत्ति आयु से उसकी आयु कम हो। |
3. | मुक्त राज कर्मचारी की विधवा को राज सेवा में लेने के लिये | आयु सीमा नहीं |
4. | राज्य की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग/अति पिछड़ा वर्ग/आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के पुरुष | 5 वर्ष |
5. | राज्य की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग/अति पिछड़ा वर्ग/आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिला (राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक:एफ.7(1)कार्मिक/ए-II/2019 दिनांक 16 अप्रैल 2021) | 10 वर्ष |
6. | राजस्थान सिविल सेवायें (भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन) नियम, 1988 के तहत भूतपूर्व सैनिकों को राज्य सेवा के पदों हेतु उपरी आयु सीमा में छूट | 10 वर्ष |
7. | राजस्थान सिविल सेवायें (भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन) नियम, 1988 के तहत भूतपूर्व सैनिकों को अधीनस्थ सेवा के पदों हेतु उपरी आयु सीमा में छूट परन्तु इन नियमों के अधीन शिथिलीकरण के पश्चात् यदि अनुज्ञेय आयु 50 वर्ष से अधिक निकलती है तो उपरी आयु 50 वर्ष होगी। | 15 वर्ष |
8. | परमवीर चक्र या कोई अन्य उच्च विशेष योग्यता वाराकों की दशा में उपरी आयु सीमा में शिथिलन | 2 वर्ष |
9. | राजस्थान दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2018 के अनुसार दिःशक्तजन व्यक्तियों के लिये उल्लिखित उपरी आयु सीमा में छूट | 5 वर्ष |
10. | राजस्थान दिःशक्तजन व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार, संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) नियम, 2011 के अनुसार विशेष दिःशक्तजन को अधिकतम आयु सीमा में निम्नानुसार छूट देय होगी- 1- सामान्य वर्ग का दिःशक्तजन 10 वर्ष 2- पिछड़ा वर्ग/अति पिछड़ा वर्ग का विशेष दिःशक्तजन 13 वर्ष 3- अनुसूचित जाति एवं जनजाति का विशेष दिःशक्तजन 15 वर्ष | 10 वर्ष 13 वर्ष 15 वर्ष |
11. | राजस्थान राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/निगमों में Substantive रूप से कार्य कर रहे व्यक्तियों की आयु सीमा | 40 वर्ष |
12. | पंचायत समितियों तथा जिला परिषदों के कार्यकार में Substantive रूप से कार्यरत व्यक्तियों के मामलों में अधिकतम आयु सीमा | 40 वर्ष |
13. | राजस्थान राज्य के कियाकलापों के क्षेत्र में Substantive तौर पर कार्य कर रहे व्यक्तियों के मामलों में अधिकतम आयु सीमा | 45 वर्ष |
14. | निमुक्त आपात कमीशन प्राप्त अधिकारियों को एवं लघु सेवा कमीशन प्राप्त अधिकारियों को सेवा से निमुक्त होने के बाद आयु सीमा में समझा जायेगा चाहे राष्ट्रीय आयोग के समय उपस्थित होने के समय आयु सीमा पार कर ली हो बशर्ते वे सेना में कमीशन ग्रहण करने के समय आयु सीमा की दृष्टि से पात्र थे। | आयु सीमा में छूट |
15. | रिजर्विस्ट अर्थात् रिजर्व में स्थानान्तरित रक्षा कार्मिकों और भूतपूर्व सेना कार्मिकों के लिये अधिकतम आयु सीमा | 50 वर्ष |
16. | उस भूतपूर्व कैदी के मामले में जो अपनी दोषसिद्धि के पूर्व अधिक आयु नहीं था और नियमों के अधीन नियुक्ति के पात्र था, उपरोक्त अधिकतम आयु सीमा में उसके द्वारा मुक्त कारावास की कालावधि के बराबर की अवधि की छूट दी जायेगी। | |
17. | उस भूतपूर्व कैदी के मामले में उच्चतम आयु सीमा लागू नहीं होगी जो दोषसिद्धि से पूर्व सरकार के अधीन किसी पद पर Substantive तौर पर सेवा कर चुका था और इन नियमों के अधीन नियुक्ति के पात्र था। | |
18. | एन.सी.सी. के कैडेट प्रशिक्षकों के मामले में उपरोक्त अधिकतम आयु सीमा में उनके द्वारा एन.सी.सी. में की गयी सेवा की कालावधि के बराबर छूट दी जायेगी और यदि पारिवारिक आयु विहित अधिकतम आयु सीमा से तीन वर्ष से अधिक न हो तो उन्हें विहित आयु सीमा में ही समझा जायेगा। |
कार्मिक (क-2) विभाग ने अपनी अधिसूचना क्रमांक: एफ.5(18)डीओपी/84पार्ट-II दिनांक 17 अप्रैल 2018 द्वारा राजस्थान सिविल सेवायें (भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन) नियम, 1988 में संशोधन कर यह प्रावधान किया है कि राज्य में सीधी भर्ती से राज्य सेवाओं में 5%, मंत्रालयिक एवं अधीनस्थ सेवाओं में 12% व चतुर्थ श्रेणी सेवा में 15% स्थान आरक्षित रहेंगे। कार्मिक (क-2) विभाग ने अपनी अधिसूचना क्रमांक: एफ.5(18) डीओपी/84पार्ट दिनांक 30 अक्टूबर 2017 के अनुसार राजस्थान राज्य के बाहर के भूतपूर्व सैनिक के रूप में आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। कार्मिक विभाग की अधिसूचना क्रमांक प.5(18)डीओपी/ ए-2/84 पार्ट IV दिनांक 1 अगस्त 2021 के अनुसार दिनांक 1 जुलाई 2021 से भूतपूर्व सैनिकों का आरक्षण केवल उनके लिये अनुज्ञेय होगा जो राज्य में रहते है अर्थात् जो राज्य का मूल निवासी (Bonafide resident) है।
राजस्थान सिविल सेवायें (भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन) नियम, 1988 के तहत कार्मिक (क-2) विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 16 अगस्त 2016 के अतिक्रमण में अधिसूचना क्रमांक प.5(18)कार्मिक/क-2/84पार्ट दिनांक 22 अगस्त 2019 जारी कर अब यह प्रावधान किया है कि किसी भर्ती से संबंधित सेवा नियमों में आयु संबंधी जो शिथिलता अन्य लोक सेवाओं/अभ्यर्थियों को देय है, वह भूतपूर्व सैनिक को भी देय होगी अर्थात् आयु सीमा में छूट के अतिरिक्त अन्य सभी छूटें भी मिलेंगी।
संक्षिप्त रूप | पूर्ण रूप |
---|---|
Gen | General |
U.R. | Unreserved |
S.C. | Scheduled Caste |
S.T. | Scheduled Tribes |
O.B.C. | Other Backward Class |
M.B.C. | Most Backward Classes |
E.W.S. | Economically Weaker Section |
GEN WE | General Women |
WD | Widow |
D.V. | Divorce |
B/LV | Blind/Low vision |
D | Deaf |
H.H. | Hard of Hearing |
LD/CP and others | Loco motor Disability including Cerebralpalsy, leprosy cured, dwarfism, acid attack victims and muscular dystrophy |
I.D. | Intellectual disability |
P.H. | Physical Handicapped |
N.G.E. | Non-Gazetted Employee |
D.C. | Departmental Candidate |
M.I. | Mental illness |
S.L.D. | Specific Learning Disability |
S.P. | Sports Person |
M.D. | Multiple Disability |
Ex-Ser. | Ex-Serviceman |
केन्द्र एवं राज्य सरकार के अधीन पदों की भर्तियों में आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के लिये अभ्यर्थियों को संबंधित श्रेणी के प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है जिसके आधार पर अभ्यर्थी की श्रेणी की पात्रता का मूल्यांकन किया जाता है।
अभ्यर्थियों को उनके वर्ग में आरक्षण का लाभ प्रमाण पत्र जारी होने की तारीख से देय होता है और अभ्यर्थी के पास सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र, आवेदन भरने की अन्तिम तिथि से पूर्व का होना आवश्यक है। अभ्यर्थियों द्वारा धारित प्रमाण पत्र आवेदन भरने की अन्तिम तिथि से पूर्व का होना चाहिये ताकि भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ होने के पश्चात् आरक्षित श्रेणी का लाभ देने के संबंध में प्रमाण पत्र की तिथि के आधार पर विवाद न हो। यदि किन्हीं कारणों से अभ्यर्थी द्वारा आवेदन की अन्तिम तिथि तक जारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है तथा अन्तिम तिथि के पश्चात् जारी किया हुआ प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाता है तो ऐसे अभ्यर्थी से इस आशय का एक शपथ-पत्र लिया जावे कि वह आवेदन की अन्तिम तिथि को संबंधित वर्ग की पात्रता रखता था तथा यह सूचना गलत पाये जाने पर उसकी नियुक्ति निरस्त की जा सकेगी।
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Rajasthan Seva Niyam — Samvidhanik Aadhar (Anuched 309)
Analysis of constitutional basis and Article 309 implications for RSR enforcement and validity.
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Explains the constitutional foundation (Article 309) for state service rules and practical implications for Rajasthan. | RSR, Article 309, Constitutional Basis, Rajasthan Service |
Rajasthan Seva Niyam (RSR) — Definitions (Chapter 2)
Consolidated definitions used across RSR — key terms and interpretations.
|
Key definitions (terms & scope) that appear in RSR Chapter 2 — useful for interpretation throughout the rules. | RSR Chapter 2, Definitions, Glossary, Service Terms |
RSR: Chapter 3 – General Conditions of State Service (Part I)
Part I of Chapter 3 covering foundational service conditions and appointment-related provisions.
|
Contains primary service conditions, appointment rules and introductory provisions of Chapter 3 (Part I). | RSR Chapter 3, Part I, Appointments, Service Conditions |
RSR: Chapter 3 – General Conditions of State Service (Part II)
Continuation of Chapter 3 — duties, obligations and additional conditions for state employees.
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Follows Part I — includes duties, restrictions, and further conditions applicable to state servants. | RSR Chapter 3, Part II, Duties, Restrictions |
RSR — Part I: Introduction & Definitions (Rajasthan)
General introduction to RSR: scope, objectives and core definitions used in the rules.
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Introductory overview of Rajasthan Service Rules with foundational definitions and scope notes for readers. | RSR Introduction, Scope, Overview, Definitions |
RSR — Clause 26A: Promotion, ACP/MACP & Pay Determination
Detailed guide on promotion rules, ACP/MACP and pay/wage determination under relevant RSR provisions.
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Explains Clause 26A — promotion procedures, ACP/MACP schemes and pay fixation norms applied in RSR context. | Promotion, ACP, MACP, Pay Fixation, RSR Clause 26A |
Rajasthan Civil Service Rules (1958) — Suspension Procedure Guide
Practical guide to suspension procedures under RC S 1958 — stepwise process and legal safeguards.
|
Step-by-step guide to suspension under Rajasthan Civil Service Rules, with references to process and safeguards. | RC S 1958, Suspension, Procedure, Administrative Law |
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