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राजस्थान सेवा नियम के अंतर्गत परिभाषाएं | RSR Definitions 1951 Chapter 2

राजस्थान सेवा नियम के अंतर्गत परिभाषाएं | RSR Definitions 1951 Chapter 2

राजस्थान सेवा नियम के अंतर्गत परिभाषाएं - अध्याय 2
राजस्थान सेवा नियम - परिभाषाएं
अध्याय2
कुल परिभाषाएं40
प्रभावी तिथि1951
आधारसंविधान अनुच्छेद 309
अधिकार क्षेत्रराजस्थान राज्य

राजस्थान सेवा नियम - परिभाषाएं

राजस्थान सेवा नियम के अंतर्गत परिभाषाएं राजस्थान सेवा नियम, 1951 के अध्याय 2 में निहित हैं। यह अध्याय राज्य सरकार की सेवा शर्तों से संबंधित विभिन्न शब्दों और पदों की स्पष्ट परिभाषाएं प्रस्तुत करता है। राजस्थान सेवा नियम, 1951, खण्ड 1 भाग 1 अध्याय 2 के नियम 7 में प्रयुक्त विभिन्न 40 शब्दों को परिभाषित किया गया है। जब तक किसी विषय या प्रसंग में कहीं स्पष्ट नहीं कर दिया गया हो, वहां इस भाग में इन नियमों में प्रयुक्त शब्दों का अर्थ निम्नानुसार माना जावेगा।
विषय सूची
  1. आयु
  2. शिक्षार्थी
  3. संविधान
  4. संवर्ग
  5. चतुर्थ श्रेणी सेवा
  6. क्षतिपूर्ति भत्ते
  7. सक्षम प्राधिकारी
  8. संहित निधि
  9. रुपांतरित अवकाश
  10. कर्तव्य
  11. शुल्क
  12. वैकल्पिक सेवा
  13. राजपत्रित अधिकारी
  14. अर्ध वेतन अवकाश
  15. विभागाध्यक्ष
  16. अवकाश
  17. मानदेय
  18. कार्यभार ग्रहण काल
  19. अवकाश
  20. अवकाश वेतन
  21. पदाधिकार
  22. स्थानीय निधि
  23. मंत्रालयिक कर्मचारी
  24. मास अधिक कलेण्डर मास
  25. नियम
  26. स्थायी नियोजन के कर्मचारी
  27. स्थानापन्न/कार्यवाहक
  28. वेतन
  29. पेंशन
  30. स्थायी पद
  31. व्यक्तिगत वेतन
  32. उपार्जित अवकाश
  33. पद का परिकलित वेतन
  34. परीक्षाधीन
  35. परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी
  36. विशेष वेतन
  37. उच्च सेवा
  38. निलंबन अनुदान
  39. मूल वेतन
  40. स्थायी नियुक्ति
  41. अस्थायी पद
  42. सावधि पद
  43. समय वेतनमान
  44. स्थानान्तरण
  45. विभागकालीन विभाग
  46. पेंशन के अयोग्य संस्थापन

नियम 7(1) - आयु

परिभाषा: आयु से अभिप्राय एक व्यक्ति की उस निधि से है जिसके आधार पर एक व्यक्ति किसी दिन विशेष में कर्तव्य के लिए रिपोर्ट करता है या पद का कार्यभार सम्भालता है और तब समाप्त होती है जब वह अपनी ड्यूटी का स्थान छोड़ता है। ऐसे दिन कर्मचारी से कार्य नहीं लिया जाना चाहिए और उस दिन उसका राज्य सेवा में रहना, पदावनति या अपकरण पर रहना आदि समाप्त हो जाता है।

नियम 7(2) - शिक्षार्थी

परिभाषा: एक ऐसा व्यक्ति शिक्षार्थी कहलाता है जिसे किसी राजकीय/अधिराजकीय विभाग/व्यवसाय/उपक्रम में किसी पद पर नियुक्ति के उद्देश्य से प्रशिक्षणार्थी के रूप में चयन कर लिया जाता है तथा उसे उस अवधि में एक निश्चित राशि (Stipend) के रूप में दी जाती है। यह राशि वेतन के रूप में नहीं होती। ऐसा व्यक्ति किसी विभाग में किसी पद या सेवा के विरुद्ध नियुक्त नहीं होना चाहिए।

नियम 7(3) - संविधान

परिभाषा: संविधान का अर्थ है भारत के गणराज्य का संविधान जो 26 जनवरी 1950 से प्रभावशील है।

नियम 7(4) - संवर्ग

परिभाषा: किसी सेवा में निश्चित रूप से स्वीकृत उन स्थायी पदों की संख्या को 'संवर्ग' कहते हैं जिनके नियुक्ति/पदोन्नति/परीक्षा आदि के विशिष्ट सेवा नियम बने हुए हैं।
दृष्टांत: राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान पुलिस सेवा अथवा राजस्थान लेखा सेवा आदि प्रत्येक संवर्ग (Cadre) कहे जाते हैं। प्रत्येक संवर्ग में जब एक से अधिक वेतनमान (Pay Band & Grade Pay) स्वीकृत होते हैं तब प्रत्येक वेतनमान में स्वीकृत विशिष्ट पद उस संवर्ग की एक इकाई (Units) कहे जाते हैं। उदाहरण के लिए वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक F.1(3)FD/2022 दिनांक 18 सितम्बर, 2023 द्वारा राजस्थान लेखा सेवा नियम, 1954 के नियम 6 के तहत राज्य सरकार ने राजस्थान लेखा सेवा की कैडर स्ट्रेंथ 1439 अधिसूचित की है जो इस प्रकार है:
क्र. सं. राज्य में राजस्थान लेखा सेवा का कैडर (यथास्थिति 18 सितम्बर, 2023)
स्केल कैडर पद A कैडर पद कुल योग
1. हायर सुपर टाइम स्केल (L-23) 27 14 41
2. सुपर टाइम स्केल (L-21) 79 54 133
3. सेलेक्शन स्केल (L-19) 101 53 154
4. सीनियर स्केल (L-16) 183 74 271
5. जूनियर स्केल (L-14) 633 207 840
कुल कैडर स्ट्रेंथ: 1133 402 1439

नियम 7(4A) - चतुर्थ श्रेणी सेवा

परिभाषा: राजस्थान सरकार के अधीन वे पद चतुर्थ श्रेणी सेवा के होते हैं जो तत्स्थानी प्रमाणी वेतनमान नियमों की वेतन श्रृंखला संख्या एक या दो नम्बर वाले हों। यह विभाग की अधिसूचना क्रमांक F.1(27)विधि(ग्रुप-2)/90 दिनांक 17 मई 1990 से प्रतिस्थापित किया गया है।

नियम 7(5) - क्षतिपूर्ति भत्ते

परिभाषा: वे भत्ते जो राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को उनके द्वारा विशेष परिस्थितियों में व्यक्तिगत रूप से किये गये व्यय की पूर्ति के रूप में देती हैं। यात्रा भत्ता इसमें शामिल है लेकिन इसमें सलकरी भत्ता (Sumptuary Allowance) या भारत के बाहर जलमार्ग द्वारा जाने एवं लौटने का भत्ता शामिल नहीं है। मकान किराया भत्ता, मकान किराया भत्ता, शहरी क्षतिपूर्ति भत्ता आदि क्षतिपूर्ति भत्ते माने गये हैं। ये भत्ते या तो नियत होते हैं या वेतन खण्ड के आधार पर या मूल वेतन के प्रतिशत के आधार पर नियत किये गये हैं।

नियम 7(6) - सक्षम प्राधिकारी

परिभाषा: इन नियमों के तहत शक्तियों/अधिकारियों के संबंध में राजस्थान के राज्यपाल सक्षम प्राधिकारी हैं लेकिन ऐसे अन्य प्राधिकारी भी सक्षम प्राधिकारी हैं जिन्हें इन नियमों के द्वारा या इनके अधीन राज्यपाल द्वारा शक्तियां प्रदान की जावें।
वित्त विभाग के आदेश क्रमांक F.5(1)FD(Rules)/56 दिनांक 11 जनवरी 1956 द्वारा इन नियमों के परिशिष्ट IX में उन प्राधिकारियों की एक सूची दी गयी है जो विभिन्न नियमों के तहत सक्षम प्राधिकारी की शक्तियों का प्रयोग करते हैं। यह सूची समय समय पर राज्य सरकार संशोधित करती है। अन्तिम संशोधन वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक F.1(1)FD(Rules)/2007 दिनांक 6 नवम्बर 2018 को किया गया था।

नियम 7(7) - संहित निधि

परिभाषा: भारत के संविधान के अनुच्छेद 266 के तहत गठित राज्य की संहित निधि। राज्य सरकार की सम्पूर्ण आय, ऋण प्राप्ति तथा उसके द्वारा दिये गये ऋण की अदायगी से प्राप्त आय को मिलाकर राज्य का संहित कोष बनता है। सरकार के सारे खर्च इसी कोष से पूरे होते हैं परन्तु इस कोष से धन की निकासी विधानसभा की अनुमति से ही सम्भव है।

नियम 7(7A) - रुपांतरित अवकाश

परिभाषा: इन नियमों के नियम 93(2) के प्रावधानों में उल्लिखित अवकाश।

नियम 7(8) - कर्तव्य

परिभाषा: 'कर्तव्य' (Duty) शब्द में निम्नलिखित अवधि सम्मिलित मानी जाती है:

(i) परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी या शिक्षार्थी के रूप में की गयी सेवा यदि ऐसी सेवा के शीघ्र बाद नियमित सेवा से व्यक्ति स्थायी रूप से नियुक्त कर दिया जाता है।

(ii) कार्यभार ग्रहण काल
कर्तव्य की अवधि में निम्नलिखित भी सम्मिलित हैं:
  • (iii) अवकाश से लौटने से, किसी पद पर पदस्थापित किये जाने के मध्य की अवधि
  • (iv) परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी
(घ)(i) राज्य सरकार की विशिष्ट आज्ञा द्वारा भारत में प्रशिक्षण या अनुसंधान के पाठ्यक्रम के दौरान। निम्नलिखित को सरकार में कर्तव्य माना गया है:
  1. नागरिक सुरक्षा संबंधी समस्त प्रकार के प्रशिक्षणों की अवधि—नियम—7(8)(b)(i)
  2. किसी विश्वविद्यालय, महाविद्यालय या विद्यालय में छात्रवृत्ति प्राप्त करते हुए या कोई प्रशिक्षण पाते हुए प्रशिक्षण की समाप्ति व सेवा में नियुक्त होने के बीच की अवधि —नियम—7(8)(b)(ii)
  3. राज्य सेवा में प्रथम नियुक्ति के समय निवास स्थान पर उपस्थिति की सूचना देने की तारीख से विशिष्ट पद पर नियोजित होने के मध्य की अवधि —नियम—7(8)(b)(iii)
  4. अभियार्थ विभागीय परीक्षा में बैठने के लिये परीक्षा का समय तथा परीक्षास्थल तक आने व जाने का यथोचित समय —नियम—7(8)(b)(iv)
  5. किसी लिखित परीक्षा जिसमें प्रवेश के लिये सहायक प्राधिकारी ने स्वीकृति प्रदान कर दी है तो परीक्षास्थल तक आने व जाने का यथोचित समय —नियम—7(8)(b)(v)
  6. कोई अधिकारी राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी या ऐसे ही किसी राष्ट्रीय प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण में या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों द्वारा संचालित सेमीनार में भाग लेते हैं या प्रशन के लिए बुलाये जाने पर उस अवधि को कर्तव्य माना जाता है। (वित्त विभाग का आदेश क्रमांक F.1(15) विधि/नियम/71 दिनांक 26 मार्च 1971)

राजस्थान सरकार का विनिश्चय:

सदेह व्यक्त किया गया है कि एक राज्य कर्मचारी के, उसके निवास स्थान से कर्तव्य स्थान (कार्यालय) पहुंचने तथा संस्था समय वापस निवास स्थान आने पर, जाने आने में लगने वाले समय को राजस्थान सेवा नियम 7(8) के अंतर्गत ड्यूटी का भाग माना जावेगा अथवा नहीं। इस प्रश्न पर विचार कर वित्त विभाग के आदेश क्रमांक F.1(5)विन(नियम)/2010 दिनांक 14 दिसम्बर 2012 द्वारा राज्यपाल महोदय में आदेश किया है कि— (1) सेवा नियम 7(8) के अंतर्गत "ड्यूटी" तब प्रारम्भ होती है जब सरकारी कर्मचारी किसी दिन विशेष में कर्तव्य के लिये रिपोर्ट करता है या पद का कार्यभार सम्भालता है और तब समाप्त होती है जब वह अपनी ड्यूटी का स्थान छोड़ता है। तदनुसार निवास स्थान से कार्यालय और उसके विलोमतः यात्रा की अवधि ड्यूटी का भाग नहीं है। यानि ड्यूटी उस अवधि को माना जावेगा जिसमें जिस दिन एक कर्मचारी कार्यालय पहुंचकर अपने पद के कर्तव्य सम्भालित करता है तथा "ड्यूटी" अवधि कर्मचारी द्वारा कार्यालय छोड़ते ही समाप्त हो जाती है। अतः निवास स्थान से कार्यालय जाने एवं कार्यालय से वापस घर पहुंचने में लगने वाला समय "ड्यूटी" नहीं माना जाता है। (2) यात्रा के समय एक कर्मचारी जैसे ही अपने निवास से प्रस्थान करे तो "ड्यूटी" आरम्भ हो जाती है तथा जब वह यात्रा से लौटकर निवास स्थान पर आ जाता है तो ड्यूटी समाप्त मानी जाती है। इसमें दोनों ओर के दौरान उपयुक्त अवकाश सहित किसी भी प्रकार का अवकाश, यदि कोई हो, सम्मिलित नहीं है। (3) एक राज्य कर्मचारी को निर्वाचन "ड्यूटी" पर उसी समय से माना जाता है जब वह अपने निवास स्थान अथवा कार्यालय से प्रस्थान कर चुनाव संबंधी कार्य, जिसमें प्रशिक्षण भी सम्मिलित है, के लिए सक्षम अधिकारी को रिपोर्ट करता है। चुनाव कार्य से निवृत्त होकर अपने निवास अथवा कार्यालय वापस आते ही चुनाव ड्यूटी समाप्त मानी जाती है। यदि इस अवधि में कोई दुर्घटना हो जाती है तो वह दुर्घटना चुनाव ड्यूटी समाप्त मानी जावेगी, किन्तु शर्त यह होगी कि ऐसी दुर्घटना/मृत्यु "चुनाव कार्य सम्पादन" से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष से संबंधित होनी चाहिए।

नियम 7(9) - शुल्क

परिभाषा: एक राज्य कर्मचारी को किसी अराजकीय संस्था/व्यक्ति के लिए कोई कार्य/सेवा के लिए जो आवर्तक (Recurring) अथवा अनावर्तक मुनाफा (Non-recurring) प्राप्त होते हैं तथा जो राज्य की संहित निधि से नहीं चुकाये जाते, उन्हें 'शुल्क' कहते हैं।
इनमें निम्नलिखित राशियां सम्मिलित नहीं होती:
  1. सम्पत्ति से प्राप्त आय, मकान किराया आदि लाभांश व जमाओं पर ब्याज से आय जैसी अनुपार्जित आय
  2. साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं कलात्मक आदि कार्यकलापों से आय, यदि वह सेवा ज्ञान की सहायता से नहीं हो। यदि सेवा में अर्जित ज्ञान से तैयार की गई हो तो शुल्क प्राप्त करने के लिए सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति आवश्यक होगी।

नियम 7(10) - वैकल्पिक सेवा

परिभाषा: उस सेवा अवधि को वैकल्पिक सेवा कहते हैं जिसमें एक राज्य कर्मचारी अपने पूर्ण समय के वेतन तथा भत्ते आदि सरकार की स्वीकृति से राज्य की संहित निधि के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से प्राप्त करे।
एक राजकीय शिकायत अधिकारी को पूरे समय के लिए नागर नियम, जयपुर में स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर प्रतिनियुक्त किया जाना अथवा एक राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम में महाप्रबंधक या क्षेत्रीयगत शुगर मिल में महाप्रबंधक के पद पर प्रतिनियुक्त किया जाना वैकल्पिक सेवा के उदाहरण हैं।

नियम 7(10A) - राजपत्रित अधिकारी

परिभाषा: 'राजपत्रित अधिकारी' वह अधिकारी है जो:

(1) अखिल भारतीय सेवा का अधिकारी हो,

(2) राजस्थान सिविल सेवार (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 की अनुसूची-I में दर्शाये गये पदों के धारक हो,

(3) संविदा या अनुबंध की शर्तों के अनुसार नियुक्त व्यक्ति जिसकी नियुक्ति सरकार द्वारा राजपत्रित की गयी हो, व

(4) ऐसा पद धारण करने वाला सरकारी कर्मचारी जिसे राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर राजपत्रित पद घोषित कर दे।
(राजस्थान सेवा नियम, भाग—II का परिशिष्ट—XII राज्य सेवा। वित्त विभाग के आदेश क्रमांक F.1(9)FD(Rules)/2010 दिनांक 17 मई 1990 से यह परिशिष्ट विलोपित कर दिया गया है।)

नियम 7(10B) - अर्ध वेतन अवकाश

परिभाषा: सेवा के प्रत्येक पूर्ण वर्ष पूर्ण करने के कारण अर्जित अवकाश। बकाया अर्ध वेतन अवकाश का अर्थ उन अर्ध वेतन अवकाशों की संख्या से है जो नियम 93 में निर्धारित किये गये अनुसार पूर्ण सेवा काल में से किसी कार्य के लिये एवं चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर लिये गये हो, को घटाकर निकाले गये हों।

नियम 7(11) - विभागाध्यक्ष

परिभाषा: वह अधिकारी जिसे राज्य सरकार इन नियमों के प्रयोजनार्थ विभागाध्यक्ष घोषित कर दे। ऐसे अधिकारियों को राजस्थान सेवा नियम, भाग—II के परिशिष्ट—XIV में शामिल किया गया है।
दिनांक 4 जनवरी 2021 तक जारी अधिसूचनाओं के अनुसार विभागाध्यक्षों की वर्तमान संख्या 130+57=187 है।

नियम 7(12) - अवकाश

परिभाषा: 'सार्वजनिक अवकाश' के अंतर्गत—नेगोशिएबल इन्स्ट्रूमेंट एक्ट 1881 (Negotiable Instrument Act, 1881) के अंतर्गत घोषित अवकाश, एवं कोई विशेष दिवस सम्मिलित है जिसको एक कार्यालय अथवा उसका एक भाग बंद रखने की घोषणा, राजकीय की विज्ञप्ति द्वारा कर दी जावे।

नियम 7(13) - मानदेय

परिभाषा: एक राज्य कर्मचारी को अनावर्तक राशि के उस भुगतान से है जो सामान्यतः अथवा कभी-कभी होने वाले अतिरिक्त कार्य के लिये भारत या राज्य की संहित निधि से स्वीकृत किया जाता है। अगर कोई कार्य राज्य कर्मचारी के कर्तव्यों का वैधानिक अंश माना जाता है तो उस कार्य के लिये कोई मानदेय देय नहीं है।
इसके अलावा किसी विशेष परिस्थिति में कार्यालय समय के बाद भी कार्य करना राज्य कर्मचारी का उत्तरदायित्व है अतः मानदेय देय नहीं है।

नियम 7(14) - कार्यभार ग्रहण काल

परिभाषा: किसी राज्य कर्मचारी को दिया गया वह समय कार्यभार ग्रहण काल कहलाता है जो उसे किसी नये पद का कार्यभार सम्भालने के लिये या एक स्थान से दूसरे स्थान तक जहां उसे पदस्थापित किया गया है, यात्रा के लिये स्वीकृत किया जाता है।

नियम 7(15) - अवकाश

परिभाषा: अवकाश में उपार्जित अवकाश, अर्ध वेतन अवकाश, रुपांतरित अवकाश, विशेष असमर्थता अवकाश, अध्ययन अवकाश, प्रसूति अवकाश, असपताल अवकाश, अदेय अवकाश व असाधारण अवकाश सम्मिलित है।

नियम 7(16) - अवकाश वेतन

परिभाषा: राज्य कर्मचारी को किसी भी प्रकार के अवकाश अवधि में दी जाने वाली मासिक वेतन की राशि अवकाश वेतन कहलाती है।

नियम 7(17) - पदाधिकार

परिभाषा: एक राज्य कर्मचारी द्वारा किसी स्थायी पद को स्थायी रूप से धारण करने के अधिकार को 'पदाधिकार' कहते हैं। इसमें एक सामान्य पद भी शामिल है जिस पर राज्य कर्मचारी स्थायी रूप से नियुक्त किया गया है।
दूसरे शब्दों में, जब नियमित रूप से नियुक्त एक राज्य कर्मचारी को निलम्बित रूप से किसी स्पष्ट रूप से रिक्त स्थायी पद पर स्थायी कर दिया जाता है तो उसे उस पद को धारण करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है, इसे ही 'पदाधिकार' कहते हैं।

नियम 7(18) - स्थानीय निधि

परिभाषा: 'स्थानीय निधि' से तात्पर्य स्थानीय निकायों/निकायों/संस्थाओं के उस राजस्व से है जिन पर राज्य सरकार का प्रत्यक्ष या परोक्ष नियंत्रण किसी कानून अथवा उसके अंतर्गत प्रकाशित नियमों के माध्यम से रहता है।
उदाहरण के लिए:
  1. नगरपालिकाओं का बजट स्वीकार करना, विशिष्ट पद सूजित करने की स्वीकृति देना अथवा उन्हें भरने की स्वीकृति देना एवं सेवा नियम बनाना।
  2. राज्यपाल के विशेष आदेशों से किसी संस्था/निकाय के राजस्व को स्थानीय निधि घोषित कर दिया जावे तो वह राजस्व स्थानीय निधि कहलाता है।

नियम 7(19) - मंत्रालयिक कर्मचारी

परिभाषा: किसी मंत्रालयिक सेवा के ऐसे राज्य कर्मचारी को मंत्रालयिक कर्मचारी कहा जाता है जिसके कर्तव्य पूर्णरूपेण लिपिकीय होते हैं।

नियम 7(20) - मास अधिक कलेण्डर मास

परिभाषा: 'मास' का तात्पर्य एक कलेण्डर मास से है। महीने एवं दिनों के रूप में अवधि की गणना के लिए प्रथमतः पूर्ण मास गिने जाने चाहिये तथा बाद के मास के शेष दिनों की संख्या जोड़ देनी चाहिये।
दुष्टांत: 25 जनवरी से 13 मई तक 3 मास 20 दिन मिली प्रकार गिने जाएंगे:
दिन वर्ष मास दिन
25 से 31 जनवरी 0 0 7
फरवरी से अप्रैल 0 3 0
1 मार्च से 13 मई 0 0 13
योग 0 3 20
30 जनवरी से 2 मार्च तक 1 मास 4 दिन मिली प्रकार गिने जाएंगे:
दिन वर्ष मास दिन
30 से 31 जनवरी 0 0 2
फरवरी 0 1 0
1 मार्च से 2 मार्च 0 0 2
योग 0 1 4
2 जनवरी से 1 मार्च तक 2 मास 1 दिन मिली प्रकार गिने जाएंगे:
दिन वर्ष मास दिन
2 से 31 जनवरी 0 0 30
फरवरी 0 1 0
1 मार्च 0 0 1
योग 0 1 31
यानि 2 मास व 1 दिन

नियम 7(21) - नियम

परिभाषा: वित्त विभाग का आदेश क्रमांक F.1(53)FD/ (Rules)/61 दिनांक 1 जनवरी 1965 द्वारा विलोपित किया गया।

नियम 7(22) - स्थायी नियोजन के कर्मचारी

परिभाषा: वह राज्य कर्मचारी स्थायी रोजगार का कर्मचारी कहलावेगा जो मासिक रूप से स्थायी पद धारण करता है या किसी स्थायी पद धारण पद धारण करता है या यदि उसका पदाधिकार निलम्बित नहीं किया जाना तो वह स्थायी पद पर अपना पदाधिकार रखता।

नियम 7(23) - स्थानापन्न/कार्यवाहक

परिभाषा: वह कर्मचारी जो एक ऐसे पद पर कार्य करे जिस पर किसी दूसरे कर्मचारी को पदाधिकार हो तो उसे 'स्थानापन्न/कार्यवाहक कर्मचारी' कहा जावेगा। दूसरे शब्दों में, जब तक कर्मचारी को उस पद पर पदाधिकार (Lien) नहीं दे दिया जावे, तब तक वह उस पद पर कार्यवाहक/स्थानापन्न कर्मचारी ही रहेगा। यदि सरकार उचित समझे तो किसी राज्य कर्मचारी को ऐसे रिक्त पद पर स्थानापन्न रूप से नियुक्त कर सकती है जिस पर किसी अन्य कर्मचारी का पदाधिकार न हो।

नियम 7(24) - वेतन

परिभाषा: 'वेतन' से अभिप्राय एक कर्मचारी द्वारा प्रतिमाह प्राप्त किये जाने वाले दिन मासिक वेतन से है जो:

(i) वेतन, विशेष वेतन के अलावा या उसकी व्यक्तिगत योग्यता के आधार पर स्वीकृत वेतन जो उसके द्वारा स्थायी या स्थानापन्न रूप से धारण किये गये स्वीकृत किया गया है।

(ii) विशेष वेतन एवं व्यक्तिगत वेतन तथा

(iii) अन्य राशि जो राज्यपाल द्वारा विशेष रूप से वेतन के रूप में स्वीकृत की गयी हो।
निम्नलिखित भुगतानों को वेतन के रूप में घोषित किया गया है:
  1. पुलिस के सिपाहियों तथा अन्य स्टाफ को साहसता भत्ता।
  2. राजकीय मुद्रणालय में आशिक आधार पर कार्य करने वाले व्यक्तियों के मामले में 200 कार्य घंटों की धनराशि के समान राशि को एक मास के वेतन के समान।
  3. चिकित्सा अधिकारियों को दिया जाने वाला नॉन—प्रैक्टिसिंग (Non-practising) भत्ता एवं नॉन—क्लीनिकल (Non-clinical) भत्ता।
  4. चिकित्सा अधिकारियों को दिया जाने वाला ग्रामीण भत्ता।

नियम 7(25) - पेंशन

परिभाषा: यदि पेंशन शब्द का प्रयोग जब ग्रेच्युटी और/या मृत्यु एवं सेवानिवृत्ति उपादान के लाभों के लिये किया जाये तो पेंशन में राजस्थान सिविल सेवार (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 54(1) के तहत परिभाषित ग्रेच्युटी (Gratuity) और/या नियम 55(1) के तहत मृत्यु एवं सेवानिवृत्ति उपादान (Death-cum-Retirement Gratuity) शामिल है। इसमें महंगाई राहत व अन्तरिम राहत शामिल नहीं है।

नियम 7(26) - स्थायी पद

परिभाषा: समयावधि के बिना स्वीकृत वेतन की निश्चित दर वाले पद स्थायी पद कहलाते हैं।

नियम 7(27) - व्यक्तिगत वेतन

परिभाषा: एक राज्य कर्मचारी को स्वीकृत किये गये अतिरिक्त वेतन को व्यक्तिगत वेतन कहते हैं।
यह अतिरिक्त धनराशि एक राज्य कर्मचारी को वेतन में संशोधन के कारण या अनुशासनात्मक कार्यवाही के कारण उदाये गये कदमों के अलावा अन्यथा रूप से ऐसे मूल वेतन में कमी हो जाने के कारण कोई हानि हो तो स्वीकृत की जाती है।

नियम 7(28) - उपार्जित अवकाश

परिभाषा: सेवा में व्यतीत किये गये समय के आधार पर अर्जित अवकाश उपार्जित अवकाश कहलाते हैं। बकाया उपार्जित अवकाश का आशय नियम 91, 92 या 94 द्वारा अर्जित अवकाश के दिनों की संख्या से है। अवकाशों की संख्या निकालती समय सेवा में जितने समय के अवकाशों का उपयोग किया गया है, उतना समय कम कर दिया जाता है।

नियम 7(29) - पद का परिकलित वेतन

परिभाषा: यह ऐसा वेतन होता है जिसके संबंध में यह कहना की जाती है कि यदि एक राज्य कर्मचारी को किसी दूसरे पद पर स्थायी रूप से तथा पूरे समय के लिए लगा दिया/नियुक्त किया जाये तो उसे उस पद पर नियमों के अनुसार क्या वेतन दिया जा सकता है। इस प्रकार कहना करते समय विशेष वेतन को तब तक सम्मिलित नहीं किया जाता है जब तक वह व्यक्ति उस दूसरे विशेष वेतन वाले पद के वे समस्त कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व सम्भालित नहीं करता जिनके लिए विशेष वेतन स्वीकृत किया गया हो।

नियम 7(30) - परीक्षाधीन

परिभाषा: वह कर्मचारी 'परीक्षाधीन' कर्मचारी कहा जाता है जो किसी सेवा/संवर्ग में स्थायी रूप से एक रिक्त पद पर नियमित रूप से चयन कर नियुक्त किया जाता है।

नियम 7(30A) - परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी

परिभाषा: एक व्यक्ति परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी कहलावेगा जिसे राज्य सरकार किसी संवर्ग विभाग के किसी स्पष्ट रूप से रिक्त पद के विरुद्ध नियमित आधार पर चयन प्रक्रिया पूर्ण कर सीधी भर्ती के माध्यम से उस पद के संबंध में प्रशिक्षण के लिये, नियत मासिक मुनाफा (Fixed Remuneration) पर 2 वर्ष के लिये नियुक्त किया जाता है। (वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक F.1(2)विन/नियम/ 2006 दिनांक 13 मार्च 2006 द्वारा दिनांक 20 जनवरी 2006 से जोड़ा गया) चिकित्सा अधिकारी/वरिष्ठ प्रदर्शक/सहायक प्रोफेसर की परीक्षा की कालावधि दो वर्ष के स्थान पर एक वर्ष रखी गयी है। (वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक F.1(2)विन/नियम/ 2006 दिनांक 26 दिसम्बर 2011 एवं समसंख्यक अधिसूचना दिनांक 3 जुलाई 2014) इसके अलावा, राज्य सेवा के शारीरिक पद से उच्च पद जिसमें अकादमिक/प्राफेशनल एवं चिकित्सक अनुभव आवश्यक है, नियुक्ति पर परीक्षा अवधि एक वर्ष रखी गयी है। (वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक F.12(6)विन/ नियम/2005 दिनांक 23 सितम्बर 2014)।

नियम 7(31) - विशेष वेतन

परिभाषा: किसी कर्मचारी के वेतन में एक ऐसी वृद्धि का विशेष वेतन कहते हैं जो उससे:

(अ) विशेष रूप से कर्तव्यों की कठिन प्रकृति के कारण अथवा

(ब) उसके कार्य अथवा उत्तरदायित्वों में विशेष वृद्धि हो जाने के कारण स्वीकृत किया जाता है।

नियम 7(32) - उच्च सेवा

परिभाषा: चतुर्थ श्रेणी सेवा को छोड़कर अन्य समस्त प्रकार की सेवाओं को उच्च सेवा (Superior Service) कहा जाता है।

नियम 7(33) - निलंबन अनुदान

परिभाषा: एक राज्य कर्मचारी को दी गयी वह मासिक सहायता निलंबन अनुदान कहलाती है जिसे वेतन या अवकाश वेतन के रूप में कुछ भी नहीं दिया जा रहा हो। एक निलम्बित राज्य कर्मचारी को निलम्बन की अवधि में दिये जाने वाले भुगतान को निलंबन अनुदान कहते हैं।

नियम 7(34) - मूल वेतन

परिभाषा: नियम 7(24)(iii) के तहत राज्यपाल द्वारा स्वीकृत उस वेतन का मूल वेतन कहते हैं जो विशेष वेतन, व्यक्तिगत वेतन या अन्य वेतन के अतिरिक्त होता है और जो वह स्थायी पद पर नियुक्त होने के कारण या उसकी किसी संवर्ग में स्थायी नियुक्ति होने के कारण प्राप्त करने का अधिकारी है।

नियम 7(34A) - स्थायी नियुक्ति

परिभाषा: किसी राज्य कर्मचारी की ऐसी स्थायी पद पर नियुक्ति स्थायी नियुक्ति कहलाती है जिस पर वह पदाधिकार अर्जित कर लेता है।

नियम 7(35) - अस्थायी पद

परिभाषा: ऐसा पद अस्थायी पद कहलाता है जो एक वेतनमान में निर्धारित समय या अवधि के लिये सृजित किया जावे।

नियम 7(36) - सावधि पद

परिभाषा: ऐसा पद सावधि पद कहलाता है जिसे एक अधिकारी एक निर्धारित अवधि से अधिक समय तक धारण नहीं कर सकता। संदेह की दशा में सरकार ही निर्णय करेगी कि अमुक पद सावधि पद है या नहीं।

नियम 7(37) - समय वेतनमान

परिभाषा: वह वेतनमान समय वेतनमान कहलाता है जो इन नियमों में दी गयी शर्तों के आधार पर एक निश्चित अवधि के आधार पर न्यूनतम से अधिकतम तक चलता है। जैसे ₹8000-275-13500, ₹10000- 325-15200 व ₹12000-375-16500 समय वेतनमान 1998 में समाप्त कर पे बैंड व ग्रेड पे प्रणाली लागू की गयी व 2017 से वह भी समाप्त कर पे मैट्रिक्स व लेवल प्रारम्भ किये गये हैं।

नियम 7(38) - स्थानान्तरण

परिभाषा: किसी राज्य कर्मचारी का जहां वह नियुक्त है, उस स्थान से अन्य स्थान पर निम्नलिखित कारणों से प्रस्थान स्थानान्तरण कहलाता है:

(क) नये पद का कार्यभार सम्भालने के लिये या

(ख) उसके मुख्यालय के स्थान परिवर्तन के फलस्वरूप

नियम 7(39) - विभागकालीन विभाग

परिभाषा: एक विभाग या विभाग का वह भाग विभागकालीन विभाग कहलाता है जिसमें प्रतिबंध नियमित रूप से अवकाश रखा जाता है और इन अवकाशों की अवधि में उस विभाग के कर्मचारियों को अपने कर्तव्य से अनुपस्थित रहने की अनुमति होती है। महाविद्यालय, स्कूल, शिक्षण संस्थाएं विभागकालीन विभाग की श्रेणी में आते हैं।

नियम 7(40) - पेंशन के अयोग्य संस्थापन

परिभाषा: ऐसे संस्थापन को पेंशन के अयोग्य संस्थापन कहा जाता है जिसमें वेतन का भुगतान राजकीय बजट में स्वीकृत "अधिकारियों का संवर्ग" (Pay of Officers) या "संस्थापन का संवर्ग" (Pay of Establishment) मद से नहीं किया जाकर "कार्यालय व्यय" (Office Expenses) या "अन्य प्रभार" (Other charges) मद से किया जाता है। उदाहरण के लिये कार्यालय की सफाई के लिए ₹10000 मासिक पर प्रातः दो घंटे प्रति कार्य दिन के आधार पर रखा गया व्यक्ति। ग्रीष्मकालीन अवकाश की अवधि में तीन मास के लिये पानी पिलाने के लिये रखा गया अस्थाकालीन व्यक्ति/बागवान आदि का भुगतान पेंशन के अयोग्य संस्थापन से किया गया भुगतान माना जाता है।

प्रतियोगी परीक्षा प्रश्नोत्तरी

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1: राजस्थान सेवा नियम में परिभाषाएं किस अध्याय में दी गई हैं?

A) अध्याय 1
B) अध्याय 2
C) अध्याय 3
D) अध्याय 4
उत्तर: B) अध्याय 2

प्रश्न 2: भारतीय संविधान कब से प्रभावशील है?

A) 15 अगस्त 1947
B) 26 नवम्बर 1949
C) 26 जनवरी 1950
D) 1 जनवरी 1950
उत्तर: C) 26 जनवरी 1950

प्रश्न 3: राजस्थान सेवा नियम के अंतर्गत सर्वोच्च सक्षम प्राधिकारी कौन है?

A) मुख्यमंत्री
B) मुख्य सचिव
C) राज्यपाल
D) अपर मुख्य सचिव
उत्तर: C) राज्यपाल

प्रश्न 4: चतुर्थ श्रेणी सेवा से संबंधित परिभाषा किस नियम में है?

A) नियम 7(4)
B) नियम 7(4A)
C) नियम 7(5)
D) नियम 7(6)
उत्तर: B) नियम 7(4A)

प्रश्न 5: राजस्थान लेखा सेवा की कुल संवर्ग संख्या (2023 तक) कितनी है?

A) 1133
B) 1439
C) 402
D) 840
उत्तर: B) 1439

प्रश्न 6: शिक्षार्थी को कितनी राशि दी जाती है?

A) वेतन
B) स्टाइपेंड
C) भत्ता
D) मानदेय
उत्तर: B) स्टाइपेंड

प्रश्न 7: विभागाध्यक्षों की वर्तमान संख्या (2021 तक) कितनी है?

A) 130
B) 187
C) 157
D) 200
उत्तर: B) 187

प्रश्न 8: परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी की नियुक्ति कितने समय के लिए होती है?

A) 1 वर्ष
B) 2 वर्ष
C) 3 वर्ष
D) 6 महीने
उत्तर: B) 2 वर्ष

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: संवर्ग (Cadre) से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: संवर्ग का अर्थ है किसी सेवा में निश्चित रूप से स्वीकृत उन स्थायी पदों की संख्या जिनके नियुक्ति/पदोन्नति/परीक्षा आदि के विशिष्ट सेवा नियम बने हुए हैं।

प्रश्न 2: वैकल्पिक सेवा किसे कहते हैं?

उत्तर: उस सेवा अवधि को वैकल्पिक सेवा कहते हैं जिसमें एक राज्य कर्मचारी अपने पूर्ण समय के वेतन तथा भत्ते आदि सरकार की स्वीकृति से राज्य की संहित निधि के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से प्राप्त करे।

प्रश्न 3: राजपत्रित अधिकारी की मुख्य श्रेणियां कौन सी हैं?

उत्तर: राजपत्रित अधिकारी की चार मुख्य श्रेणियां हैं: (1) अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी, (2) राजस्थान सिविल सेवा नियम 1958 की अनुसूची-I के पदधारक, (3) संविदा के अनुसार नियुक्त व्यक्ति, (4) सरकार द्वारा राजपत्रित घोषित पद।

प्रश्न 4: शिक्षार्थी और परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर: शिक्षार्थी को स्टाइपेंड दिया जाता है और वे किसी पद के विरुद्ध नियुक्त नहीं होते, जबकि परीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी को निश्चित मासिक पारिश्रमिक दिया जाता है और वे किसी रिक्त पद के विरुद्ध नियुक्त होते हैं।

प्रश्न 5: स्थायी पद और अस्थायी पद में क्या अंतर है?

उत्तर: स्थायी पद समयावधि के बिना स्वीकृत वेतन की निश्चित दर वाले होते हैं, जबकि अस्थायी पद एक निर्धारित समय या अवधि के लिये सृजित किये जाते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: राजस्थान सेवा नियम में 'कर्तव्य' की परिभाषा का विस्तृत विवरण दें।

उत्तर संकेत: इस उत्तर में शामिल करें: कर्तव्य की मूल परिभाषा, इसमें सम्मिलित अवधियां, राजस्थान सरकार के विनिश्चय के मुख्य बिंदु, निवास से कार्यालय की यात्रा की स्थिति, चुनावी कार्य के दौरान कर्तव्य की परिभाषा।

प्रश्न 2: वेतन की परिभाषा और इसमें सम्मिलित घटकों का विस्तृत वर्णन करें।

उत्तर संकेत: वेतन की मूल परिभाषा, मूल वेतन, विशेष वेतन, व्यक्तिगत वेतन, वेतन के रूप में घोषित भुगतान, वेतन और भत्तों में अंतर।

प्रश्न 3: अवकाश के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करते हुए उपार्जित अवकाश और अर्ध वेतन अवकाश की तुलना करें।

उत्तर संकेत: अवकाश के प्रकार, उपार्जित अवकाश की गणना पद्धति, अर्ध वेतन अवकाश के नियम, दोनों के बीच मुख्य अंतर, अवकाश वेतन की दरें।

संदर्भ

  1. राजस्थान सेवा नियम, 1951 - अध्याय 2 (परिभाषाएं)
  2. भारतीय संविधान - अनुच्छेद 309
  3. राजस्थान सरकार की अधिसूचना क्रमांक F.1(3)FD(Rules)/2022 दिनांक 18 सितम्बर, 2023
  4. वित्त विभाग के आदेश क्रमांक F.5(1)FD(Rules)/56 दिनांक 11 जनवरी 1956
  5. वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक F.1(5)विन(नियम)/2010 दिनांक 14 दिसम्बर 2012
  6. राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996

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