आकाशगंगा (Milky Way) – संरचना, तारे और ब्रह्मांडीय महत्त्व

प्रकार | सर्पिल आकाशगंगा (Barred Spiral) |
---|---|
व्यास | लगभग 100,000-180,000 प्रकाश वर्ष |
मोटाई | लगभग 1,000 प्रकाश वर्ष |
तारों की संख्या | 100-400 अरब |
सौरमंडल की स्थिति | केंद्र से 26,000 प्रकाश वर्ष दूर |
द्रव्यमान | लगभग 1.5 × 10¹² सौर द्रव्यमान |
आयु | लगभग 13.6 अरब वर्ष |
केंद्रीय ब्लैक होल | सैजिटेरियस A* (4 मिलियन सौर द्रव्यमान) |
आकाशगंगा
आकाशगंगा (Milky Way Galaxy) वह सर्पिल आकाशगंगा है जिसमें हमारा सौरमंडल, पृथ्वी और सूर्य स्थित हैं।[1] इसमें लगभग 100 से 400 अरब तारे, असंख्य ग्रह, गैस के बादल, धूल और डार्क मैटर शामिल हैं। आकाशगंगा का व्यास लगभग 100,000 से 180,000 प्रकाश वर्ष है और यह लगभग 13.6 अरब वर्ष पुरानी है। रात के आकाश में यह एक धुंधली, दूधिया पट्टी के रूप में दिखाई देती है, जिसके कारण इसे "मिल्की वे" या "दुग्ध मार्ग" कहा जाता है।
आकाशगंगा एक सर्पिल आकाशगंगा है जिसके केंद्र में एक छड़ (Bar) है, इसलिए इसे "बार्ड स्पाइरल गैलेक्सी" (SBc प्रकार) कहा जाता है।[2] हमारा सौरमंडल आकाशगंगा के केंद्र से लगभग 26,000 प्रकाश वर्ष दूर ओरायन स्पर (Orion Spur) नामक एक छोटी भुजा में स्थित है। आकाशगंगा स्थिर नहीं है बल्कि लगभग 828,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ब्रह्मांड में गति कर रही है। यह स्थानीय समूह (Local Group) नामक आकाशगंगाओं के समूह का हिस्सा है।
- 1. आकाशगंगा की संरचना
- 1.1 गैलेक्टिक केंद्र
- 1.2 गैलेक्टिक डिस्क
- 1.3 सर्पिल भुजाएं
- 1.4 गैलेक्टिक हेलो
- 2. आकाशगंगा का निर्माण और विकास
- 2.1 प्रारंभिक गठन
- 2.2 तारा निर्माण का इतिहास
- 2.3 विलय और अधिग्रहण
- 3. सैजिटेरियस A* - केंद्रीय ब्लैक होल
- 3.1 खोज और अध्ययन
- 3.2 विशेषताएं और प्रभाव
- 4. आकाशगंगा में तारे और तारकीय जनसंख्या
- 4.1 जनसंख्या I और II तारे
- 4.2 तारा समूह
- 4.3 तारा निर्माण क्षेत्र
- 5. डार्क मैटर और गैलेक्टिक गतिकी
- 5.1 डार्क मैटर का साक्ष्य
- 5.2 घूर्णन वक्र
- 6. पृथ्वी से आकाशगंगा का अवलोकन
- 6.1 रात के आकाश में दिखावट
- 6.2 अवलोकन की चुनौतियां
- 7. स्थानीय समूह और पड़ोसी आकाशगंगाएं
- 7.1 एंड्रोमेडा आकाशगंगा
- 7.2 उपग्रह आकाशगंगाएं
- 7.3 भविष्य में टकराव
- 8. आकाशगंगा का भविष्य
- 9. संदर्भ
[संपादित करें]आकाशगंगा की संरचना
आकाशगंगा एक जटिल और विशाल संरचना है जो कई प्रमुख घटकों से मिलकर बनी है।[3] इसकी संरचना को मुख्य रूप से चार भागों में विभाजित किया जा सकता है - गैलेक्टिक केंद्र, गैलेक्टिक डिस्क, सर्पिल भुजाएं और गैलेक्टिक हेलो। प्रत्येक भाग की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं और वे आकाशगंगा की समग्र गतिशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गैलेक्टिक केंद्र
आकाशगंगा का केंद्र सैजिटेरियस (Sagittarius) तारामंडल की दिशा में स्थित है और पृथ्वी से लगभग 26,000 प्रकाश वर्ष दूर है।[4] यह क्षेत्र अत्यधिक घना है और यहाँ तारों, गैस और धूल की सघनता बहुत अधिक है। केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल "सैजिटेरियस A*" (Sagittarius A*) स्थित है जिसका द्रव्यमान सूर्य से लगभग 4 मिलियन गुना अधिक है। इसके चारों ओर एक छड़ (Bar) जैसी संरचना है जो लगभग 27,000 प्रकाश वर्ष लंबी है।
गैलेक्टिक केंद्र के आसपास का क्षेत्र अत्यधिक गतिशील है और यहाँ तारे बहुत तेज गति से घूमते हैं। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुराने, लाल तारे मौजूद हैं। केंद्र के निकट गैस और धूल की मोटी परतें हैं जो दृश्य प्रकाश को अवरुद्ध करती हैं, इसलिए केंद्र का अध्ययन मुख्य रूप से रेडियो, इन्फ्रारेड और एक्स-रे तरंगदैर्ध्य में किया जाता है। केंद्रीय क्षेत्र में उच्च ऊर्जा की घटनाएं होती रहती हैं, जिनमें तारों का निर्माण और विनाश, तथा ब्लैक होल के आसपास पदार्थ का संचय शामिल है।
गैलेक्टिक डिस्क
गैलेक्टिक डिस्क आकाशगंगा का वह चपटा, गोलाकार क्षेत्र है जिसमें अधिकांश तारे, गैस और धूल केंद्रित हैं।[5] इसका व्यास लगभग 100,000 से 180,000 प्रकाश वर्ष है, जबकि मोटाई केवल लगभग 1,000 प्रकाश वर्ष है। डिस्क में दो प्रमुख घटक हैं - "पतली डिस्क" (Thin Disk) जहाँ युवा तारे और सर्पिल भुजाएं हैं, और "मोटी डिस्क" (Thick Disk) जहाँ पुराने तारे हैं।
पतली डिस्क में सक्रिय तारा निर्माण होता है और यहाँ प्रचुर मात्रा में आणविक बादल मौजूद हैं। यह डिस्क का सबसे युवा और गतिशील हिस्सा है। मोटी डिस्क इसके चारों ओर एक अधिक विस्तृत और कम घनी परत बनाती है। डिस्क में सभी तारे और गैस केंद्र के चारों ओर घूमते हैं। हमारा सौरमंडल पतली डिस्क में स्थित है और लगभग 230 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से केंद्र की परिक्रमा करता है, जिससे एक पूर्ण चक्कर पूरा करने में लगभग 225-250 मिलियन वर्ष लगते हैं - इसे "गैलेक्टिक वर्ष" या "कॉस्मिक वर्ष" कहा जाता है।
सर्पिल भुजाएं
आकाशगंगा की चार प्रमुख सर्पिल भुजाएं हैं जो केंद्रीय छड़ से निकलती हैं।[6] ये हैं - पर्सियस आर्म (Perseus Arm), स्कूटम-सेंटॉरस आर्म (Scutum-Centaurus Arm), सैजिटेरियस आर्म (Sagittarius Arm), और नॉर्मा आर्म (Norma Arm)। इनके अलावा कई छोटी भुजाएं और स्पर भी हैं। हमारा सौरमंडल ओरायन स्पर (Orion Spur) या ओरायन आर्म में स्थित है, जो पर्सियस और सैजिटेरियस भुजाओं के बीच एक छोटी संरचना है।
सर्पिल भुजाएं "घनत्व तरंग" (Density Waves) के रूप में काम करती हैं। वास्तव में तारे इन भुजाओं में स्थायी रूप से फंसे नहीं हैं, बल्कि वे इनसे होकर गुजरते हैं। भुजाओं में गैस और धूल का घनत्व अधिक होता है, जो नए तारों के निर्माण को प्रोत्साहित करता है। यही कारण है कि सर्पिल भुजाएं युवा, गर्म, नीले तारों से चमकती हैं। भुजाओं की संरचना आकाशगंगा के घूर्णन, गुरुत्वाकर्षण और अन्य जटिल गतिशील प्रक्रियाओं का परिणाम है। सर्पिल संरचना आकाशगंगा की सबसे सुंदर और पहचानने योग्य विशेषता है।
गैलेक्टिक हेलो
गैलेक्टिक हेलो (Galactic Halo) आकाशगंगा के चारों ओर एक विशाल, लगभग गोलाकार क्षेत्र है जो डिस्क से कहीं अधिक विस्तृत है।[7] यह लगभग 300,000 प्रकाश वर्ष व्यास तक फैला हो सकता है। हेलो में मुख्य रूप से पुराने तारे, गोलाकार स्टार क्लस्टर (Globular Clusters), और डार्क मैटर होता है। वास्तव में, हेलो में डार्क मैटर का द्रव्यमान दृश्य पदार्थ से कहीं अधिक है।
हेलो के तारे आम तौर पर बहुत पुराने हैं - आकाशगंगा के सबसे पुराने तारों में से कुछ यहीं पाए जाते हैं, जिनकी आयु 13 अरब वर्ष से अधिक है। गोलाकार स्टार क्लस्टर हेलो की प्रमुख विशेषताएं हैं - ये हजारों से लाखों तारों के गोलाकार समूह हैं जो केंद्र की परिक्रमा करते हैं। आकाशगंगा में लगभग 150-200 ज्ञात गोलाकार क्लस्टर हैं। हेलो में तारों की कक्षाएं अत्यधिक दीर्घवृत्ताकार और यादृच्छिक होती हैं, जो डिस्क के तारों की व्यवस्थित गोलाकार कक्षाओं से बहुत अलग हैं। डार्क मैटर हेलो आकाशगंगा को गुरुत्वाकर्षण से बांधे रखता है और इसकी गतिशीलता को निर्धारित करता है।
घटक | व्यास/विस्तार | मुख्य सामग्री | विशेषताएं |
---|---|---|---|
गैलेक्टिक केंद्र | ~600 प्रकाश वर्ष | सुपरमैसिव ब्लैक होल, घने तारे | उच्च घनत्व, ऊर्जावान घटनाएं |
केंद्रीय छड़ | ~27,000 प्रकाश वर्ष | पुराने तारे, गैस | तारों की छड़ जैसी संरचना |
पतली डिस्क | 100,000-180,000 प्रकाश वर्ष × 1,000 प्रकाश वर्ष | युवा तारे, गैस, धूल | सक्रिय तारा निर्माण, सर्पिल भुजाएं |
मोटी डिस्क | ~3,000 प्रकाश वर्ष मोटी | पुराने तारे | कम घनत्व, कम धातु सामग्री |
हेलो | ~300,000 प्रकाश वर्ष | पुराने तारे, गोलाकार क्लस्टर, डार्क मैटर | गोलाकार, यादृच्छिक कक्षाएं |
[संपादित करें]आकाशगंगा का निर्माण और विकास
आकाशगंगा का निर्माण और विकास एक जटिल और दीर्घकालिक प्रक्रिया है जो लगभग 13.6 अरब वर्ष पहले शुरू हुई थी।[8] यह प्रक्रिया आज भी जारी है और आकाशगंगा निरंतर परिवर्तन और विकास के दौर से गुजर रही है।
प्रारंभिक गठन
आकाशगंगा का निर्माण बिग बैंग के लगभग 200-400 मिलियन वर्ष बाद शुरू हुआ जब प्रारंभिक ब्रह्मांड में हाइड्रोजन और हीलियम गैस के बादल गुरुत्वाकर्षण के कारण संकुचित होने लगे।[9] प्रारंभ में, कई छोटे प्रोटो-गैलेक्टिक बादल बने जो धीरे-धीरे विलय होकर बड़ी संरचनाएं बनाते गए। डार्क मैटर ने इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि इसके गुरुत्वाकर्षण ने सामान्य पदार्थ को आकर्षित करके केंद्रित किया।
प्रारंभिक आकाशगंगा शायद आज की तुलना में बहुत अलग थी - अधिक अनियमित और कम संरचित। पहली पीढ़ी के तारे (जनसंख्या III तारे) पूरी तरह से हाइड्रोजन और हीलियम से बने थे क्योंकि अभी तक कोई भारी तत्व मौजूद नहीं थे। ये तारे अत्यंत विशाल थे और जल्दी समाप्त हो गए, सुपरनोवा विस्फोटों में भारी तत्व उत्पन्न किए। हेलो संभवतः पहले बना, उसके बाद डिस्क का निर्माण हुआ जब गैस और धूल गुरुत्वाकर्षण और घूर्णन के कारण एक चपटी संरचना में समतल हो गई। केंद्रीय ब्लैक होल भी प्रारंभिक चरण में बना और समय के साथ पदार्थ को अवशोषित करके बढ़ता गया।
तारा निर्माण का इतिहास
आकाशगंगा में तारा निर्माण की दर समय के साथ बदलती रही है।[10] प्रारंभिक युग में तारा निर्माण की दर बहुत अधिक थी - लगभग 10 अरब वर्ष पहले, आकाशगंगा प्रति वर्ष 10-15 सौर द्रव्यमान के तारे बना रही थी। यह "स्टारबर्स्ट" युग था जब आकाशगंगा के अधिकांश तारे बने। समय के साथ, जैसे-जैसे गैस की आपूर्ति कम हुई, तारा निर्माण की दर घटती गई।
वर्तमान में, आकाशगंगा में तारा निर्माण की दर लगभग 1-2 सौर द्रव्यमान प्रति वर्ष है। यह मुख्य रूप से डिस्क में, विशेष रूप से सर्पिल भुजाओं में होता है जहाँ आणविक बादल मौजूद हैं। तारा निर्माण एक चक्रीय प्रक्रिया है - पुराने तारे मरते हैं और सुपरनोवा विस्फोटों में गैस और भारी तत्व वापस अंतरतारकीय माध्यम में छोड़ते हैं, जो फिर नए तारों के निर्माण के लिए सामग्री प्रदान करते हैं। इस तरह, प्रत्येक नई पीढ़ी के तारों में अधिक "धातु" (खगोलशास्त्र में हाइड्रोजन और हीलियम से भारी सभी तत्व) होती है। भविष्य में, जैसे-जैसे गैस समाप्त होगी, तारा निर्माण और कम होता जाएगा।
विलय और अधिग्रहण
आकाशगंगा ने अपने इतिहास में कई छोटी आकाशगंगाओं और तारा समूहों को अवशोषित किया है।[11] यह प्रक्रिया आज भी जारी है। वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा के हेलो में तारों की "धाराएं" (Streams) खोजी हैं जो छोटी आकाशगंगाओं के अवशेष हैं जो हमारी आकाशगंगा द्वारा फाड़ी गई और अवशोषित की गई थीं। सबसे प्रसिद्ध उदाहरण "सैजिटेरियस ड्वार्फ एलिप्टिकल गैलेक्सी" है, जो वर्तमान में आकाशगंगा द्वारा निगली जा रही है।
लगभग 10 अरब वर्ष पहले, एक बड़ी बौनी आकाशगंगा, जिसे "गैया-एन्सेलैडस" (Gaia-Enceladus) कहा जाता है, आकाशगंगा से टकराई और विलय हो गई। इस विलय ने आकाशगंगा की संरचना को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया और हेलो में कई तारों को जोड़ा। ये विलय आकाशगंगाओं के विकास का एक सामान्य भाग हैं - बड़ी आकाशगंगाएं छोटी आकाशगंगाओं को खाकर बढ़ती हैं। वर्तमान में, आकाशगंगा के कई उपग्रह आकाशगंगाएं हैं (जैसे लार्ज और स्मॉल मैगेलैनिक क्लाउड्स) जो भविष्य में विलय हो सकती हैं। इन विलयों से तारा निर्माण में वृद्धि होती है और आकाशगंगा की संरचना में परिवर्तन आता है।
[संपादित करें]सैजिटेरियस A* - केंद्रीय ब्लैक होल

आकाशगंगा के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल है जिसे "सैजिटेरियस A*" (Sagittarius A*, संक्षेप में Sgr A*) कहा जाता है।[12] यह हमारी आकाशगंगा की सबसे विशाल और रहस्यमय वस्तु है।
खोज और अध्ययन
सैजिटेरियस A* की खोज 1970 के दशक में रेडियो तरंगों के अवलोकन से हुई थी।[13] 1990 और 2000 के दशकों में, खगोलशास्त्रियों ने गैलेक्टिक केंद्र के निकट तारों की कक्षाओं का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया। ये तारे अत्यधिक तेज गति से छोटी, दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में घूम रहे थे। एक तारा, जिसे S2 कहा जाता है, केवल 16 वर्षों में केंद्र की परिक्रमा करता है और अपनी निकटतम दूरी पर 5,000 किलोमीटर प्रति सेकंड से अधिक की गति तक पहुंचता है।
इन तारकीय कक्षाओं के विश्लेषण से पता चला कि केंद्र में एक अत्यंत विशाल लेकिन अदृश्य वस्तु है। 2020 में, राइनहार्ड गेन्ज़ेल और एंड्रिया घेज़ को इस खोज के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला। 2022 में, इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप (EHT) ने सैजिटेरियस A* की पहली छवि प्रकाशित की, जो ब्लैक होल के चारों ओर गर्म गैस के चमकते हुए वलय को दिखाती है। यह छवि ब्लैक होल के अस्तित्व का प्रत्यक्ष दृश्य प्रमाण है और सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत की पुष्टि करती है।
विशेषताएं और प्रभाव
सैजिटेरियस A* का द्रव्यमान लगभग 4 मिलियन सौर द्रव्यमान है।[14] इसकी श्वार्जशिल्ड त्रिज्या (Schwarzschild Radius) - जिसे "इवेंट होराइज़न" भी कहा जाता है - लगभग 12 मिलियन किलोमीटर है, जो सूर्य से बुध की दूरी के बराबर है। यह अत्यधिक संघनित है - इतना विशाल द्रव्यमान इतने छोटे स्थान में केंद्रित है। ब्लैक होल के चारों ओर का गुरुत्वाकर्षण इतना मजबूत है कि प्रकाश भी इससे बच नहीं सकता।
सैजिटेरियस A* वर्तमान में अपेक्षाकृत "शांत" है - यह बहुत कम पदार्थ का उपभोग कर रहा है। हालांकि, कभी-कभी यह गैस या तारों के टुकड़े को निगलता है, जिससे रेडियो, एक्स-रे और अन्य विकिरण का विस्फोट होता है। अतीत में, जब यह अधिक सक्रिय था, तो संभवतः एक शक्तिशाली "सक्रिय गैलेक्टिक न्यूक्लियस" (AGN) था जो विशाल ऊर्जा उत्सर्जित करता था। ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण पूरे गैलेक्टिक केंद्र की गतिशीलता को प्रभावित करता है। भविष्य में, यदि कोई बड़ा गैस बादल या तारा इसके बहुत निकट आता है, तो हम इसकी तीव्र गतिविधि देख सकते हैं।
विशेषता | मान | तुलना |
---|---|---|
द्रव्यमान | 4.1 × 10⁶ सौर द्रव्यमान | सूर्य से 4 मिलियन गुना भारी |
श्वार्जशिल्ड त्रिज्या | ~12 मिलियन km | सूर्य की त्रिज्या का 17 गुना |
पृथ्वी से दूरी | ~26,000 प्रकाश वर्ष | --- |
निकटतम तारा (S2) की कक्षीय अवधि | 16 वर्ष | --- |
निकटतम तारा की अधिकतम गति | ~5,000 km/s | प्रकाश की गति का 1.7% |
[संपादित करें]आकाशगंगा में तारे और तारकीय जनसंख्या
आकाशगंगा में लगभग 100 से 400 अरब तारे हैं, जो विभिन्न आयु, आकार, तापमान और रासायनिक संरचना के हैं।[15] इन तारों को उनकी विशेषताओं के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
जनसंख्या I और II तारे
खगोलशास्त्री तारों को मुख्य रूप से दो जनसंख्याओं में विभाजित करते हैं।[16] "जनसंख्या I" तारे अपेक्षाकृत युवा हैं (कुछ मिलियन से कुछ अरब वर्ष पुराने) और इनमें भारी तत्वों (धातुओं) की मात्रा अधिक होती है। ये मुख्य रूप से गैलेक्टिक डिस्क में, विशेष रूप से सर्पिल भुजाओं में पाए जाते हैं। हमारा सूर्य एक जनसंख्या I तारा है। इन तारों की कक्षाएं लगभग गोलाकार और डिस्क के तल के समानांतर होती हैं।
"जनसंख्या II" तारे बहुत पुराने हैं (10-13 अरब वर्ष) और इनमें धातु की मात्रा कम होती है। ये मुख्य रूप से गैलेक्टिक हेलो, मोटी डिस्क और गोलाकार क्लस्टर में पाए जाते हैं। इनकी कक्षाएं अधिक दीर्घवृत्ताकार और यादृच्छिक होती हैं। कम धातु सामग्री इंगित करती है कि ये तारे तब बने थे जब ब्रह्मांड अभी युवा था और सुपरनोवा विस्फोटों ने अभी बहुत अधिक भारी तत्व उत्पन्न नहीं किए थे। वास्तव में एक तीसरी, काल्पनिक श्रेणी "जनसंख्या III" भी है - ये पहली पीढ़ी के तारे होंगे जो पूरी तरह से हाइड्रोजन और हीलियम से बने होंगे। हालांकि, अभी तक किसी भी जनसंख्या III तारे की खोज नहीं हुई है, क्योंकि वे सभी बहुत पहले समाप्त हो चुके हैं।
तारा समूह
आकाशगंगा में दो प्रकार के तारा समूह हैं - "खुले समूह" (Open Clusters) और "गोलाकार समूह" (Globular Clusters)।[17] खुले समूह अपेक्षाकृत युवा, ढीले समूह हैं जिनमें कुछ दर्जन से कुछ हजार तारे होते हैं। ये गैलेक्टिक डिस्क में पाए जाते हैं और एक ही आणविक बादल से बने होते हैं। प्लीएड्स (Pleiades) और हाइएड्स (Hyades) प्रसिद्ध खुले समूह हैं जो नग्न आंखों से देखे जा सकते हैं। समय के साथ, खुले समूह गैलेक्टिक ज्वार के कारण बिखर जाते हैं।
गोलाकार समूह बहुत पुराने, घने और गोलाकार समूह हैं जिनमें सैकड़ों हजारों से लाखों तारे हो सकते हैं। आकाशगंगा में लगभग 150-200 ज्ञात गोलाकार समूह हैं, जो मुख्य रूप से हेलो में स्थित हैं। ये आकाशगंगा में सबसे पुराने तारों के कुछ समूह हैं - इनकी आयु 10-13 अरब वर्ष है। गोलाकार समूह अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण से बंधे हैं और अरबों वर्षों तक अपनी संरचना बनाए रख सकते हैं। ओमेगा सेंटॉरी (Omega Centauri) आकाशगंगा का सबसे बड़ा गोलाकार समूह है, जिसमें लगभग 10 मिलियन तारे हैं। गोलाकार समूहों का अध्ययन आकाशगंगा के प्रारंभिक इतिहास को समझने में मदद करता है।
तारा निर्माण क्षेत्र
आकाशगंगा में कई सक्रिय तारा निर्माण क्षेत्र हैं जहाँ नए तारे लगातार बन रहे हैं।[18] ये क्षेत्र मुख्य रूप से विशाल आणविक बादलों में पाए जाते हैं, जो हाइड्रोजन, हीलियम और धूल से बने ठंडे, घने बादल हैं। जब ये बादल गुरुत्वाकर्षण के कारण संकुचित होते हैं, तो उनके घनत्व और तापमान बढ़ते हैं, अंततः परमाणु संलयन शुरू हो जाता है और नया तारा जन्म लेता है।
ओरायन निहारिका (Orion Nebula) सबसे प्रसिद्ध तारा निर्माण क्षेत्रों में से एक है, जो पृथ्वी से केवल 1,344 प्रकाश वर्ष दूर है और छोटे टेलीस्कोप से भी दिखाई देता है। अन्य प्रसिद्ध क्षेत्रों में ईगल निहारिका (Eagle Nebula, जहाँ प्रसिद्ध "निर्माण के स्तंभ" हैं), कैरिना निहारिका (Carina Nebula), और लैगून निहारिका (Lagoon Nebula) शामिल हैं। इन क्षेत्रों में अक्सर युवा, गर्म, नीले तारे दिखाई देते हैं जो आसपास की गैस को आयनीकृत करके चमकीली एच II क्षेत्र (H II regions) बनाते हैं। तारा निर्माण क्षेत्रों का अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि तारे कैसे बनते हैं और ग्रहीय प्रणालियां कैसे विकसित होती हैं।
तारकीय विकास का उदाहरण:
सूर्य जैसा तारा: आणविक बादल में जन्म → मुख्य अनुक्रम तारा (10 अरब वर्ष) → लाल दानव → ग्रहीय निहारिका → सफेद बौना
विशाल तारा (>8 सौर द्रव्यमान): आणविक बादल में जन्म → मुख्य अनुक्रम तारा (कुछ मिलियन वर्ष) → सुपरजाइंट → सुपरनोवा विस्फोट → न्यूट्रॉन तारा या ब्लैक होल
[संपादित करें]डार्क मैटर और गैलेक्टिक गतिकी
आकाशगंगा के द्रव्यमान का अधिकांश हिस्सा "डार्क मैटर" (Dark Matter) के रूप में है, जो एक रहस्यमय पदार्थ है जो प्रकाश का उत्सर्जन, अवशोषण या परावर्तन नहीं करता।[19] डार्क मैटर केवल अपने गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से ही पता लगाया जा सकता है।
डार्क मैटर का साक्ष्य
डार्क मैटर का सबसे मजबूत साक्ष्य आकाशगंगा का "घूर्णन वक्र" (Rotation Curve) है।[20] यदि आकाशगंगा में केवल दृश्य पदार्थ (तारे, गैस, धूल) होता, तो उम्मीद की जाएगी कि केंद्र से दूर स्थित तारे धीमी गति से घूमेंगे (केप्लर के नियमों के अनुसार, जैसे सौरमंडल में बाहरी ग्रह धीमे घूमते हैं)। हालांकि, अवलोकन बताते हैं कि आकाशगंगा के बाहरी हिस्सों में तारे भी लगभग उतनी ही तेज गति से घूमते हैं जितनी केंद्र के पास के तारे।
इस विसंगति को समझाने का एकमात्र तरीका यह मानना है कि आकाशगंगा में बहुत अधिक अदृश्य द्रव्यमान है जो डिस्क से परे विस्तृत हेलो में फैला है। गणना के अनुसार, आकाशगंगा के कुल द्रव्यमान का लगभग 85-90% डार्क मैटर है, जबकि दृश्य पदार्थ केवल 10-15% है। डार्क मैटर हेलो आकाशगंगा को गुरुत्वाकर्षण से बांधे रखता है और इसकी घूर्णन गतिशीलता को निर्धारित करता है। डार्क मैटर की प्रकृति आधुनिक भौतिकी की सबसे बड़ी पहेलियों में से एक है। प्रमुख परिकल्पनाओं में "कमजोर रूप से अंतःक्रिया करने वाले विशाल कण" (WIMPs) और "एक्सियन" (Axions) शामिल हैं, लेकिन अभी तक किसी भी डार्क मैटर कण का प्रत्यक्ष पता नहीं चला है।
घूर्णन वक्र
आकाशगंगा का घूर्णन वक्र वह ग्राफ है जो केंद्र से दूरी के साथ तारों की घूर्णन गति को दर्शाता है।[21] केंद्र के बहुत पास, गति दूरी के साथ बढ़ती है क्योंकि अधिक द्रव्यमान कक्षा के अंदर है। हालांकि, एक निश्चित दूरी के बाद (लगभग 2,000 प्रकाश वर्ष), गति लगभग स्थिर हो जाती है और केंद्र से बहुत दूर तक स्थिर रहती है। यह "सपाट घूर्णन वक्र" डार्क मैटर हेलो की उपस्थिति का संकेत है।
हमारा सौरमंडल, जो केंद्र से लगभग 26,000 प्रकाश वर्ष दूर है, लगभग 230 किलोमीटर प्रति सेकंड (828,000 किमी/घंटा) की गति से केंद्र की परिक्रमा करता है। इस गति से, एक पूर्ण चक्कर पूरा करने में लगभग 225-250 मिलियन वर्ष लगते हैं, जिसे एक "गैलेक्टिक वर्ष" कहा जाता है। पृथ्वी पर जीवन के विकास के दौरान, हमारा सौरमंडल केवल लगभग 20 गैलेक्टिक वर्ष पूरे किए हैं। घूर्णन वक्र को मापने के लिए, खगोलशास्त्री तारों और गैस बादलों की डॉप्लर शिफ्ट का उपयोग करते हैं। हमारी ओर आने वाली वस्तुएं नीली ओर शिफ्ट होती हैं, जबकि दूर जाने वाली लाल ओर शिफ्ट होती हैं।
घटक | द्रव्यमान (सौर द्रव्यमान में) | कुल का प्रतिशत |
---|---|---|
तारे | ~6 × 10¹⁰ | ~4% |
गैस और धूल | ~1 × 10¹⁰ | ~0.7% |
केंद्रीय ब्लैक होल | 4 × 10⁶ | ~0.0003% |
दृश्य पदार्थ (कुल) | ~7 × 10¹⁰ | ~5% |
डार्क मैटर | ~1.4 × 10¹² | ~95% |
कुल द्रव्यमान | ~1.5 × 10¹² | 100% |
[संपादित करें]पृथ्वी से आकाशगंगा का अवलोकन

पृथ्वी से, आकाशगंगा रात के आकाश में एक धुंधली, दूधिया पट्टी के रूप में दिखाई देती है, जो आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक फैली होती है।[22]
रात के आकाश में दिखावट
आकाशगंगा का सबसे चमकीला और सघन हिस्सा सैजिटेरियस (Sagittarius) तारामंडल की दिशा में दिखाई देता है, जो गैलेक्टिक केंद्र की दिशा है। उत्तरी गोलार्ध में, यह गर्मियों के महीनों में सबसे अच्छा दिखाई देता है। दक्षिणी गोलार्ध से, जहाँ गैलेक्टिक केंद्र अधिक ऊंचा उठता है, आकाशगंगा और भी शानदार दिखाई देती है। आकाशगंगा की पट्टी में गहरे, काले क्षेत्र भी हैं - ये धूल के बादल हैं जो पीछे के तारों के प्रकाश को अवरुद्ध करते हैं। सबसे प्रमुख अंधेरा क्षेत्र "ग्रेट रिफ्ट" (Great Rift) है।
हम आकाशगंगा को अंदर से देख रहे हैं, जो एक चुनौती और लाभ दोनों है। यह एक चुनौती है क्योंकि हम इसकी समग्र संरचना को बाहर से नहीं देख सकते। यह एक लाभ है क्योंकि हम व्यक्तिगत तारों और विवरणों का बहुत बारीकी से अध्ययन कर सकते हैं। नग्न आंखों से, हम केवल कुछ हजार तारे देख सकते हैं, लेकिन छोटी दूरबीन या टेलीस्कोप से भी, आकाशगंगा की पट्टी लाखों तारों में बिखर जाती है। आकाशगंगा का पूरा वृत्त देखने के लिए, आपको पूरे वर्ष अलग-अलग समय पर और दोनों गोलार्धों से अवलोकन करना होगा।
अवलोकन की चुनौतियां
आकाशगंगा का अवलोकन आधुनिक समय में प्रकाश प्रदूषण के कारण कठिन हो गया है।[23] शहरों और कस्बों की रोशनी रात के आकाश को इतना रोशन कर देती है कि आकाशगंगा की धुंधली चमक दिखाई नहीं देती। वर्तमान में, विश्व की लगभग एक तिहाई आबादी कभी भी आकाशगंगा नहीं देख पाती क्योंकि वे अत्यधिक प्रकाश प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहते हैं। आकाशगंगा को देखने के लिए, आपको अंधेरे आकाश वाले स्थान पर जाना होगा, जहाँ कृत्रिम रोशनी न्यूनतम हो।
दृश्य प्रकाश में अवलोकन की एक और चुनौती अंतरतारकीय धूल है। गैलेक्टिक तल में धूल की मोटी परतें हैं जो दृश्य प्रकाश को अवरुद्ध करती हैं, विशेष रूप से गैलेक्टिक केंद्र की दिशा में। यही कारण है कि हम दृश्य प्रकाश में केंद्र को स्पष्ट रूप से नहीं देख सकते। हालांकि, अन्य तरंगदैर्ध्य - जैसे इन्फ्रारेड, रेडियो और एक्स-रे - धूल से कम प्रभावित होते हैं। आधुनिक खगोलशास्त्री इन विभिन्न तरंगदैर्ध्यों में अवलोकन करके आकाशगंगा की संरचना का विस्तृत मानचित्र बना रहे हैं। स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप (इन्फ्रारेड), गैया अंतरिक्ष यान (दृश्य प्रकाश में सटीक स्थिति माप), और अन्य उपकरण इस कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
[संपादित करें]स्थानीय समूह और पड़ोसी आकाशगंगाएं
आकाशगंगा अकेली नहीं है बल्कि "स्थानीय समूह" (Local Group) नामक आकाशगंगाओं के समूह का हिस्सा है।[24] स्थानीय समूह में लगभग 80 आकाशगंगाएं हैं जो एक साथ गुरुत्वाकर्षण से बंधी हैं और लगभग 10 मिलियन प्रकाश वर्ष के व्यास में फैली हुई हैं।
एंड्रोमेडा आकाशगंगा
एंड्रोमेडा (Andromeda Galaxy, M31) स्थानीय समूह की सबसे बड़ी आकाशगंगा है और आकाशगंगा की "जुड़वां बहन" है।[25] यह पृथ्वी से लगभग 2.5 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है और नग्न आंखों से दिखाई देने वाली सबसे दूर की वस्तु है। एंड्रोमेडा भी एक सर्पिल आकाशगंगा है, लेकिन यह आकाशगंगा से थोड़ी बड़ी है - इसका व्यास लगभग 220,000 प्रकाश वर्ष है। इसमें लगभग 1 ट्रिलियन तारे हैं, जो आकाशगंगा से अधिक है।
एंड्रोमेडा और आकाशगंगा एक-दूसरे की ओर लगभग 110 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से बढ़ रहे हैं। लगभग 4.5 अरब वर्ष बाद, ये दोनों आकाशगंगाएं टकराएंगी और विलय होंगी। यह टकराव हिंसक लगता है, लेकिन वास्तव में व्यक्तिगत तारों के बीच टक्कर बहुत दुर्लभ होगी क्योंकि तारों के बीच विशाल खाली स्थान है। हालांकि, गुरुत्वाकर्षण अंतःक्रियाएं दोनों आकाशगंगाओं की संरचना को नाटकीय रूप से बदल देंगी, ज्वारीय पूंछें बनेंगी और तारा निर्माण में वृद्धि होगी। अंततः, दोनों आकाशगंगाएं एक विशाल दीर्घवृत्ताकार आकाशगंगा में विलय हो जाएंगी, जिसे कभी-कभी "मिलकोमेडा" (Milkomeda) कहा जाता है।
उपग्रह आकाशगंगाएं
आकाशगंगा के चारों ओर कई छोटी "उपग्रह आकाशगंगाएं" हैं जो इसकी परिक्रमा करती हैं।[26] सबसे प्रसिद्ध हैं लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड (LMC) और स्मॉल मैगेलैनिक क्लाउड (SMC), जो दक्षिणी गोलार्ध से नग्न आंखों से दिखाई देते हैं। LMC लगभग 160,000 प्रकाश वर्ष दूर है और एक अनियमित आकाशगंगा है। अन्य उपग्रह आकाशगंगाओं में सैजिटेरियस ड्वार्फ एलिप्टिकल गैलेक्सी, कैनिस मेजर ड्वार्फ गैलेक्सी, और कई अन्य बौनी आकाशगंगाएं शामिल हैं।
ये उपग्रह आकाशगंगाएं धीरे-धीरे आकाशगंगा द्वारा "खाई" जा रही हैं। गुरुत्वाकर्षण ज्वार उनसे तारे खींच रहे हैं और उन्हें आकाशगंगा के हेलो में जोड़ रहे हैं। सैजिटेरियस ड्वार्फ इस प्रक्रिया का सबसे स्पष्ट उदाहरण है - यह वर्तमान में आकाशगंगा की डिस्क से गुजर रहा है और फट रहा है। वैज्ञानिक मानते हैं कि आकाशगंगा के हेलो में कई तारे इसी तरह के "गैलेक्टिक नरभक्षण" (Galactic Cannibalism) से आए हैं। हाल के वर्षों में, गैया अंतरिक्ष यान ने कई नई बौनी आकाशगंगाओं की खोज की है जो पहले अंधेरे और धुंधले होने के कारण छिपी हुई थीं।
भविष्य में टकराव
जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, आकाशगंगा और एंड्रोमेडा लगभग 4.5 अरब वर्ष बाद टकराएंगी।[27] यह प्रक्रिया कई अरब वर्षों तक चलेगी और कई चरणों में होगी। पहली निकट मुठभेड़ में, दोनों आकाशगंगाएं एक-दूसरे से गुजरेंगी, लेकिन गुरुत्वाकर्षण अंतःक्रिया उन्हें वापस खींचेगी। दूसरी और संभवतः तीसरी मुठभेड़ों में, वे धीरे-धीरे विलय होंगी। अंतिम परिणाम एक विशाल दीर्घवृत्ताकार आकाशगंगा होगा।
पृथ्वी और सौरमंडल के लिए, यह घटना अपेक्षाकृत सुरक्षित होगी। सूर्य और अन्य तारे बस नई कक्षाओं में पुनर्व्यवस्थित हो जाएंगे। हालांकि, रात का आकाश नाटकीय रूप से बदल जाएगा - एंड्रोमेडा पूरे आकाश में फैल जाएगा और अंततः हमारी आकाशगंगा के साथ विलय हो जाएगा। यह भी ध्यान देने योग्य है कि इस समय तक, सूर्य पहले ही अपने मुख्य अनुक्रम चरण के अंत के करीब होगा (सूर्य की आयु लगभग 10 अरब वर्ष है और यह लगभग 4.6 अरब वर्ष पुराना है)। इसलिए, गैलेक्टिक टकराव से पहले ही पृथ्वी पर बड़े परिवर्तन होंगे क्योंकि सूर्य गर्म और चमकीला हो जाएगा।
आकाशगंगा | प्रकार | पृथ्वी से दूरी | तारों की संख्या | स्थिति |
---|---|---|---|---|
आकाशगंगा (मिल्की वे) | सर्पिल (SBc) | --- | 100-400 अरब | हमारी आकाशगंगा |
एंड्रोमेडा (M31) | सर्पिल (SA) | 2.5 मिलियन प्रकाश वर्ष | ~1 ट्रिलियन | स्थानीय समूह में सबसे बड़ी |
त्रिकोण (M33) | सर्पिल (SA) | 3 मिलियन प्रकाश वर्ष | ~40 अरब | स्थानीय समूह में तीसरी सबसे बड़ी |
लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड | अनियमित | 160,000 प्रकाश वर्ष | ~30 अरब | आकाशगंगा का उपग्रह |
स्मॉल मैगेलैनिक क्लाउड | अनियमित | 200,000 प्रकाश वर्ष | ~3 अरब | आकाशगंगा का उपग्रह |
[संपादित करें]आकाशगंगा का भविष्य
आकाशगंगा का भविष्य कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें तारा निर्माण की दर, एंड्रोमेडा के साथ टकराव, और ब्रह्मांड का समग्र विकास शामिल है।[28] अगले कुछ अरब वर्षों में, आकाशगंगा में तारा निर्माण जारी रहेगा, हालांकि धीमी गति से क्योंकि गैस की आपूर्ति कम होती जाएगी। वर्तमान में, आकाशगंगा प्रति वर्ष लगभग 1-2 नए तारे बनाती है। अगले 1-2 अरब वर्षों में, लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड संभवतः आकाशगंगा से टकराएगा, जिससे तारा निर्माण में वृद्धि होगी।
लगभग 4-5 अरब वर्ष बाद, एंड्रोमेडा के साथ विलय शुरू होगा। यह महाकाव्य घटना कई अरब वर्षों तक चलेगी। दोनों आकाशगंगाओं के केंद्रीय सुपरमैसिव ब्लैक होल अंततः विलय होकर एक और भी विशाल ब्लैक होल बनाएंगे। विलय के दौरान, गैस के बादलों का संपीड़न तारा निर्माण की एक बड़ी लहर पैदा करेगा - एक "स्टारबर्स्ट" घटना। अंतिम परिणाम एक विशाल दीर्घवृत्ताकार आकाशगंगा होगा जो अब सर्पिल संरचना नहीं दिखाएगा।
बहुत दूर के भविष्य में (खरबों वर्षों बाद), जब सभी गैस समाप्त हो जाएगी और कोई नया तारा नहीं बनेगा, तो आकाशगंगा (या उस समय तक जो भी विलय हो चुका होगा) धीरे-धीरे मंद होती जाएगी। पुराने तारे मरते जाएंगे, और केवल सफेद बौने, न्यूट्रॉन तारे, और ब्लैक होल बचेंगे। ब्रह्मांड के विस्तार के कारण, स्थानीय समूह के बाहर की आकाशगंगाएं इतनी दूर चली जाएंगी कि उनका प्रकाश हम तक नहीं पहुंचेगा। यह "बड़ी ठंडक" (Big Freeze) या "गर्मी की मृत्यु" (Heat Death) परिदृश्य है। हालांकि, यह इतना दूर भविष्य है (10¹⁴ वर्ष या अधिक) कि इसकी भविष्यवाणी करना अत्यंत कठिन है। फिलहाल, आकाशगंगा एक गतिशील, विकासशील प्रणाली है जो लगातार बदल रही है।
[संपादित करें]संदर्भ
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