भारतीय संविधान (Constitution of India) – इतिहास, विशेषताएँ, संशोधन, मौलिक अधिकार एवं UPSC/RPSC प्रश्नोत्तरी

प्रवर्तन | 26 जनवरी 1950 |
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निर्माण | 26 नवम्बर 1949 |
भाषाएँ | हिंदी और अंग्रेज़ी |
संशोधन | 106+ (2024 तक) |
लेख | 448 अनुच्छेद |
भाग | 25 भाग |
अनुसूचियाँ | 12 अनुसूचियाँ |
लंबाई | विश्व का सबसे बड़ा संविधान |
भारतीय संविधान
भारतीय संविधान (Constitution of India) भारत गणराज्य का सर्वोच्च कानून है। यह देश की राजनीतिक, कानूनी और सामाजिक संरचना का आधार है। संविधान नागरिकों को मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) प्रदान करता है, मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) निर्धारित करता है और राज्य नीति निर्देशक तत्व (Directive Principles of State Policy) की दिशा देता है। यह 26 नवम्बर 1949 को निर्मित हुआ और 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ।
इतिहास
भारतीय संविधान का इतिहास औपनिवेशिक शासन और स्वतंत्रता संग्राम से गहराई से जुड़ा हुआ है। ब्रिटिश शासनकाल में अनेक अधिनियम जैसे भारतीय परिषद अधिनियम 1861, भारतीय परिषद अधिनियम 1892, मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार 1919 और भारत सरकार अधिनियम 1935 लागू किए गए। इन अधिनियमों ने भारतीय राजनीति को प्रारंभिक ढांचा प्रदान किया। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद एक स्वतंत्र संविधान की आवश्यकता महसूस हुई।

संविधान सभा
भारतीय संविधान की रचना संविधान सभा द्वारा की गई। संविधान सभा की स्थापना कैबिनेट मिशन योजना 1946 के अंतर्गत की गई थी। इसमें कुल 389 सदस्य थे, जिनमें से विभाजन के बाद 299 सदस्य भारत में रहे। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष चुने गए और डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रारूप समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष बने।
संविधान निर्माण की समय-रेखा
तारीख | घटना |
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9 दिसम्बर 1946 | संविधान सभा की पहली बैठक |
29 अगस्त 1947 | प्रारूप समिति का गठन |
26 नवम्बर 1949 | संविधान सभा ने संविधान को अपनाया |
26 जनवरी 1950 | संविधान लागू हुआ (गणतंत्र दिवस) |
निर्माण प्रक्रिया
संविधान सभा ने लगभग 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में संविधान तैयार किया। इस प्रक्रिया में कुल 11 अधिवेशन (Sessions) हुए और 114 दिनों तक विचार-विमर्श चला। संविधान सभा ने लगभग 2000 संशोधनों पर विचार किया और अंततः संविधान को अंतिम रूप दिया गया।
प्रमुख व्यक्ति
भारतीय संविधान के निर्माण में कई महान नेताओं का योगदान रहा। इनमें सबसे प्रमुख नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर हैं जिन्हें "भारतीय संविधान के शिल्पकार" कहा जाता है। अन्य प्रमुख व्यक्तित्वों में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद शामिल हैं।
प्रमुख समितियाँ और अध्यक्ष
समिति | अध्यक्ष |
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प्रारूप समिति (Drafting Committee) | डॉ. भीमराव अंबेडकर |
प्रांतीय संविधान समिति | जवाहरलाल नेहरू |
संघ शक्तियाँ समिति | जवाहरलाल नेहरू |
मौलिक अधिकार समिति | सरदार वल्लभभाई पटेल |
निर्देशात्मक सिद्धांत समिति | कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी |
संविधान की संरचना
भारतीय संविधान की संरचना व्यापक और विस्तृत मानी जाती है। यह दस्तावेज़ प्रारम्भ में 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियों के साथ लागू हुआ था; बाद के संशोधनों के पश्चात यह 25 भाग, 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ सम्मिलित करता है। संरचना का उद्देश्य संघीय व्यवस्था, मौलिक अधिकार, नीति निर्देशक सिद्धांत, न्यायपालिका की स्वतंत्रता तथा केंद्र–राज्य संबंधों का संतुलन सुनिश्चित करना है।

मुख्य घटक
संविधान का मुख्य ढाँचा प्रस्तावना, भाग (Parts), अनुच्छेद (Articles), अनुसूचियाँ (Schedules) तथा परिशिष्ट/संशोधन (Amendments) पर आधारित है। प्रस्तावना संविधान के मूल आदर्शों जैसे न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता की मूल्य–दृष्टि प्रस्तुत करती है। भाग और अनुच्छेद इन आदर्शों को संस्थागत रूप देते हैं, जबकि अनुसूचियाँ सहायक विवरण, सूचियाँ और प्रशासनिक प्रावधान प्रदान करती हैं।
दस्तावेज़ की विशेषताओं का दायरा
संविधान की विशेषताओं में संघीय व्यवस्था के साथ एक मजबूत केंद्र, न्यायिक पुनरीक्षण (Judicial Review), मौलिक अधिकार (Fundamental Rights), नीति निर्देशक तत्व (DPSP), और मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) का उल्लेखनीय समावेश है। साथ ही, आपात प्रावधानों और संशोधन की सजग प्रक्रिया के माध्यम से यह दस्तावेज़ स्थायित्व तथा अनुकूलनशीलता प्राप्त करता है।
भागों का अवलोकन
भाग संख्या | शीर्षक | विषय-वस्तु (संक्षेप) |
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भाग I | संघ एवं उसका क्षेत्र | राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की संरचना, क्षेत्रीय परिवर्तन |
भाग II | नागरिकता | नागरिकता अधिग्रहण, समाप्ति और संबद्ध प्रावधान |
भाग III | मौलिक अधिकार | समानता, स्वतंत्रता, शोषण–निषेध, धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक/शैक्षिक अधिकार, संवैधानिक उपचार |
भाग IV | राज्य के नीति निर्देशक तत्व | कल्याणकारी राज्य, सामाजिक–आर्थिक न्याय, अंतरराष्ट्रीय शांति |
भाग IVA | मौलिक कर्तव्य | नागरिकों के 11 कर्तव्य (42वां संशोधन से जोड़े गए) |
भाग V | संघ | राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्रिपरिषद, संसद, अटॉर्नी जनरल, संघ–न्यायपालिका |
भाग VI | राज्य | राज्यपाल, मंत्रिपरिषद, राज्य–विधानमंडल, महाधिवक्ता |
भाग VII | (हटाया गया) | पहले आंशिक रूप से केंद्र–राज्य पुनर्गठन हेतु, बाद में विलोपित |
भाग VIII | केंद्रशासित प्रदेश | प्रशासनिक संरचना और विशेष प्रावधान |
भाग IX & IXA & IXB | पंचायत, नगरीय निकाय, सहकारी समितियाँ | स्थानीय स्वशासन की संस्थाएँ और शक्तियाँ |
भाग X | अनुसूचित/जनजातीय क्षेत्र | विशेष प्रशासनिक प्रावधान |
भाग XI | विधायी, प्रशासनिक संबंध | केंद्र–राज्य शक्तियों का वितरण |
भाग XII | वित्त, संपत्ति, अनुबंध | केंद्रीय/राज्य वित्त, समेकित निधि, उधार, कराधान |
भाग XIII | व्यापार, वाणिज्य, परस्पर–व्यवहार | भारत के भीतर व्यापार–स्वतंत्रता |
भाग XIV & XIVA | सेवाएँ, न्यायाधिकरण | लोक सेवा आयोग, न्यायाधिकरणों का गठन |
भाग XV | निर्वाचन | भारत निर्वाचन आयोग और चुनावी ढांचा |
भाग XVI | विशेष प्रावधान | अनुसूचित जाति/जनजाति/अंग्रेज़ों से संबंधित आरक्षण/प्रतिनिधित्व |
भाग XVII | भाषा | राजभाषा, उच्च न्यायालयों/सुप्रीम कोर्ट की भाषा, विशेष प्रावधान |
भाग XVIII | आपात प्रावधान | राष्ट्रीय, राज्य, वित्तीय आपात |
भाग XIX | विविध | विधिक निरंतरता, संक्रमणकालीन प्रावधान |
भाग XX | संशोधन | अनुच्छेद 368 के अंतर्गत प्रक्रिया |
भाग XXI | अस्थायी, संक्रमणकालीन, विशेष प्रावधान | विशेष स्थिति वाले राज्य/क्षेत्र |
भाग XXII | संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ, अधिकृत हिंदी/अंग्रेज़ी पाठ | प्रकाशन, प्रामाणिकता |
अनुच्छेदों का उच्च-स्तरीय वितरण
खंड/थीम | अनुमानित अनुच्छेद दायरा | मुख्य फोकस |
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संघ एवं राज्य | Art. 1–4, 152–237 | क्षेत्र, पुनर्गठन, राज्य–संरचना |
मौलिक अधिकार | Art. 12–35 | समानता, स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, संवैधानिक उपचार |
DPSP | Art. 36–51 | राज्य की नीति निर्देशक तत्व |
मौलिक कर्तव्य | Art. 51A | नागरिक कर्तव्यों का संहिताकरण |
वित्त/व्यापार | Art. 264–300A | वित्त, संपत्ति, अनुबंध, व्यापार–स्वतंत्रता |
न्यायपालिका | Art. 124–147, 214–231 | सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय |
आपात प्रावधान | Art. 352–360 | राष्ट्रीय/राज्य/वित्तीय आपात |

अनुसूचियाँ (Schedules)
अनुसूचियाँ प्रशासनिक विवरण, सूचियाँ और कार्य–वितरण की स्पष्टता हेतु जोड़ी गई हैं। प्रारम्भ में 8 अनुसूचियाँ थीं; बाद के संशोधनों द्वारा यह संख्या 12 हो गई। इनमें क्षेत्रीय सूचियाँ, भाषाएँ, वेतनमान, जनप्रतिनिधियों की पात्रता, पंचायत–नगरपालिका प्रावधान, सिमा–निर्धारण आदि सम्मिलित हैं।
अनुसूची | विषय-वस्तु | उद्देश्य |
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प्रथम अनुसूची | राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के नाम/क्षेत्र | संघीय क्षेत्रीय संरचना |
द्वितीय अनुसूची | राष्ट्रपति, राज्यपाल, न्यायाधीश आदि के वेतन/भत्ते | संवैधानिक प्राधिकारियों का पारिश्रमिक |
तृतीय अनुसूची | शपथ/प्रतिज्ञाएँ | पद–ग्रहण हेतु शपथ–विधि |
चतुर्थ अनुसूची | राज्यसभा में राज्यों का सीट–वितरण | प्रतिनिधित्व का अनुपात |
पंचम/षष्ठम | अनुसूचित क्षेत्र/जनजातीय क्षेत्र | विशेष प्रशासनिक प्रावधान |
सप्तम | संघ, राज्य और समवर्ती सूची | विधायी विषय–वितरण |
अष्टम | भारत की अनुसूचित भाषाएँ | भाषाई विविधता की मान्यता |
नवम | कृ्षि सुधार/कुछ विधियों का संरक्षण | न्यायिक समीक्षा से आंशिक सुरक्षा |
दशम/एकादश/द्वादश | दलों के दलबदल–रोध (10वीं), पंचायती राज (11वीं), नगर पालिकाएँ (12वीं) | राजनीतिक स्थिरता और स्थानीय स्वशासन |
संघीय ढाँचा और शक्तियाँ
भारत का संविधान संघीय प्रकृति का है, परंतु इसमें एकात्मक झुकाव भी दिखाई देता है। विषय–वितरण हेतु सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची दी गई हैं। केंद्र को रक्षा, विदेश, मुद्रा जैसे रणनीतिक विषय सौंपे गए हैं, जबकि राज्य सूची में पुलिस, लोक–व्यवस्था, स्वास्थ्य जैसे विषय आते हैं; समवर्ती सूची पर दोनों स्तर कानून बना सकते हैं, परंतु टकराव की दशा में संविधान के अनुसार केंद्र का अधिनियम प्रधान होता है।
केंद्र–राज्य–समवर्ती तुलना
सूची | उदाहरण विषय | विधायी प्रधानता |
---|---|---|
संघ सूची | रक्षा, विदेश, परमाणु ऊर्जा, मुद्रा | केंद्र |
राज्य सूची | पुलिस, लोक–व्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि | राज्य |
समवर्ती सूची | शिक्षा, विवाह, वन, श्रम कल्याण | टकराव में केंद्र वरीय |

प्रस्तावना (Preamble)
प्रस्तावना संविधान की आत्मा कही जाती है। यह सार्वभौम, समाजवादी, पंथ-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य के रूप में भारत के स्वरूप की उद्घोषणा करती है और न्याय, स्वतंत्रता, समता तथा बंधुता के आदर्श प्रस्तुत करती है। न्याय में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आयाम शामिल हैं; स्वतंत्रता में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और उपासना को स्थान दिया गया है; समता का लक्ष्य अवसर–समानता से सुदृढ़ होता है, जबकि बंधुता से व्यक्ति–गरिमा और राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ होती है।
प्रस्तावना के कीवर्ड और संवैधानिक स्थापन
कीवर्ड | संवैधानिक आधार | संक्षिप्त व्याख्या |
---|---|---|
न्याय | DPSP, मूल अधिकार | सामाजिक–आर्थिक–राजनीतिक न्याय की परिकल्पना |
स्वतंत्रता | Art. 19–22 | विचार, अभिव्यक्ति, संघ, गमन, पेशा, निवास |
समता | Art. 14–18 | कानून के समक्ष समानता, अस्पृश्यता–उन्मूलन, उपाधि–उन्मूलन |
बंधुता | प्रस्तावना/मूल ढाँचा | व्यक्ति–गरिमा, राष्ट्रीय एकता और अखंडता |
मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
मौलिक अधिकार व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करते हैं। ये अधिकार प्रत्यक्ष रूप से न्यायालयों द्वारा संरक्षित होते हैं। यदि किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो वह संवैधानिक उपचार (Art. 32) के तहत उच्चतम न्यायालय से प्रतिकार मांग सकता है। अधिकारों में समानता, स्वतंत्रता, शोषण–निषेध, धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक/शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचार सम्मिलित हैं।
अधिकार श्रेणी | अनुच्छेद | मुख्य बिंदु |
---|---|---|
समता का अधिकार | 14–18 | कानून के समक्ष समानता, भेदभाव–निषेध, अस्पृश्यता–उन्मूलन |
स्वतंत्रता का अधिकार | 19–22 | विचार/अभिव्यक्ति, संघ, गमन, निवास, पेशा; गिरफ्तारी पर सुरक्षा |
शोषण–निषेध | 23–24 | मानव तस्करी, बंधुआ मज़दूरी, बाल–श्रम का निषेध |
धार्मिक स्वतंत्रता | 25–28 | अंतरात्मा की स्वतंत्रता, धर्म का प्रचार/पालन |
सांस्कृतिक/शैक्षिक | 29–30 | अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक अधिकार, शैक्षिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार |
संवैधानिक उपचार | 32 | रिट अधिकार; मौलिक अधिकारों की न्यायिक सुरक्षा |
राज्य के नीति निर्देशक तत्त्व (DPSP)
DPSP शासन–नीति के मार्गदर्शक सिद्धांत प्रस्तुत करते हैं, जो न्यायालय में प्रत्यक्ष रूप से प्रवर्तनीय नहीं हैं, परंतु राज्य के लिए नीति–निर्माण का संवैधानिक दायित्व निर्धारित करते हैं। इनमें सामाजिक–आर्थिक न्याय, समान वेतन, स्वास्थ्य/शिक्षा, ग्राम–पंचायत सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, अंतरराष्ट्रीय शांति जैसे लक्ष्य सम्मिलित हैं।
मौलिक अधिकार बनाम नीति निर्देशक तत्त्व
पहलू | मौलिक अधिकार | DPSP |
---|---|---|
प्रवर्तनीयता | न्यायालय में प्रवर्तनीय | अप्रवर्तनीय, पर नीति–निर्देशक |
उद्देश्य | व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा | समाज–कल्याण और राज्य–नीति |
प्रकृति | नकारात्मक/सीमित हस्तक्षेप | सकारात्मक/कल्याणकारी लक्ष्यों पर बल |
मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties)
मौलिक कर्तव्यों का समावेश 42वें संशोधन (1976) द्वारा किया गया। वर्तमान में 11 कर्तव्य हैं, जिनमें संविधान का पालन, राष्ट्रीय ध्वज/प्रतीकों का सम्मान, समरसता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण जैसे दायित्व शामिल हैं। ये नागरिक–दायित्व सामाजिक अनुशासन और राष्ट्र–निर्माण को प्रोत्साहन देते हैं।
विषय | उदाहरण कर्तव्य | उद्देश्य |
---|---|---|
संवैधानिक निष्ठा | संविधान/राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान | राष्ट्र–चेतना और एकता |
सामाजिक–नैतिक | समरसता, स्त्री–सम्मान, वैज्ञानिक दृष्टिकोण | समावेशन और प्रगति |
पर्यावरण/संपत्ति | पर्यावरण–संरक्षण, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा | सतत विकास और अनुशासन |
संविधान संशोधन
भारतीय संविधान को अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संशोधित किया जा सकता है। यह प्रक्रिया संविधान को समय के साथ अद्यतन और प्रासंगिक बनाए रखने हेतु आवश्यक है। संशोधन तीन प्रकार से हो सकते हैं: (1) साधारण बहुमत (Simple Majority), (2) विशेष बहुमत (Special Majority), और (3) विशेष बहुमत + राज्यों की स्वीकृति। अब तक 2024 तक 106 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं।
संशोधन की प्रक्रिया
संशोधन प्रकार | आवश्यक बहुमत | उदाहरण |
---|---|---|
साधारण बहुमत | उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत | राज्यों का पुनर्गठन, नागरिकता संबंधी परिवर्तन |
विशेष बहुमत | सदस्यों के कुल बहुमत + 2/3 उपस्थित और मतदान करने वाले | मौलिक अधिकारों में संशोधन, राष्ट्रपति का चुनाव |
विशेष बहुमत + आधे राज्यों की सहमति | विशेष बहुमत + 50% राज्यों का अनुमोदन | संघ–राज्य संबंध, उच्च न्यायालय शक्तियाँ |
प्रमुख संशोधन
संशोधन संख्या | वर्ष | प्रावधान |
---|---|---|
7वां संशोधन | 1956 | राज्यों का पुनर्गठन, भाषाई आधार पर राज्यों का निर्माण |
42वां संशोधन | 1976 | मौलिक कर्तव्य जोड़े गए, संविधान को "Mini Constitution" कहा गया |
44वां संशोधन | 1978 | आपातकालीन शक्तियों में कमी, संपत्ति का अधिकार हटाया |
73वां संशोधन | 1992 | पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा |
74वां संशोधन | 1992 | नगरपालिका/शहरी निकायों को संवैधानिक दर्जा |
86वां संशोधन | 2002 | 6 से 14 वर्ष तक नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा |
101वां संशोधन | 2016 | वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू |
103वां संशोधन | 2019 | आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण |
105वां संशोधन | 2021 | राज्यों को पिछड़े वर्गों की सूची बनाने का अधिकार |

मूल संरचना सिद्धांत (Basic Structure Doctrine)
1973 के केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (Kesavananda Bharati v. State of Kerala) निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संसद संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) को बदल नहीं सकती। इसमें न्यायपालिका की स्वतंत्रता, मौलिक अधिकार, संघीय ढाँचा, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र जैसे तत्व शामिल हैं। यह सिद्धांत भारत में संविधान–व्याख्या का आधार बन चुका है।
केंद्र–राज्य संबंध
संविधान भारत को एक संघीय राज्य घोषित करता है, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों को शक्तियाँ प्राप्त हैं। संविधान के अनुच्छेद 245 से 263 तक इन संबंधों का उल्लेख है। विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय संबंध तीन प्रमुख आयाम हैं।
वित्तीय संबंध
संस्था | संवैधानिक अनुच्छेद | कार्य |
---|---|---|
वित्त आयोग | Art. 280 | केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व–वितरण की सिफारिश |
GST परिषद | Art. 279A | GST दरों, ढांचे और प्रशासन पर निर्णय |
योजना आयोग/नीति आयोग | (गैर-संवैधानिक) | नीतिगत योजना और आर्थिक सुधार |
प्रशासनिक संबंध
केंद्र और राज्यों के बीच प्रशासनिक सहयोग के लिए संविधान आपात प्रावधान, राज्यों पर केंद्र का नियंत्रण, और राज्यपाल की नियुक्ति जैसे प्रावधान देता है। अनुच्छेद 256–263 प्रशासनिक संबंधों से संबंधित हैं।
विधायी संबंध
सातवीं अनुसूची में तीन सूचियाँ (संघ, राज्य और समवर्ती) के माध्यम से केंद्र और राज्य के बीच विधायी शक्तियों का वितरण किया गया है। इससे संघीय ढाँचे के साथ एकात्मक प्रवृत्ति भी सुनिश्चित होती है।
आपात प्रावधान
भारतीय संविधान में आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए अनुच्छेद 352 से 360 तक विशेष प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य राष्ट्र की अखंडता और सुरक्षा बनाए रखना है। आपातकाल के तीन प्रकार हैं:
आपातकाल का प्रकार | अनुच्छेद | विवरण |
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राष्ट्रीय आपात | 352 | युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में |
राज्य आपात (President’s Rule) | 356 | राज्य में संवैधानिक मशीनरी की विफलता |
वित्तीय आपात | 360 | भारत की वित्तीय स्थिरता या ऋण–साख संकट में |

भारतीय संविधान की विशेषताएँ
भारतीय संविधान की निम्नलिखित विशेषताएँ इसे विशिष्ट बनाती हैं:
- विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान।
- संघीय व्यवस्था के साथ एकात्मक झुकाव।
- मौलिक अधिकार, कर्तव्य और नीति निर्देशक तत्व।
- स्वतंत्र न्यायपालिका और न्यायिक पुनरीक्षण।
- संसदीय शासन प्रणाली।
- धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक संरचना।
- लचीला और कठोर दोनों गुण (संशोधन प्रक्रिया के कारण)।
अन्य देशों से तुलना
विशेषता | भारत | अन्य देश |
---|---|---|
संविधान की लंबाई | 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियाँ | अमेरिका: 7 अनुच्छेद, UK: लिखित संविधान नहीं |
संशोधन प्रक्रिया | लचीला + कठोर (मिश्रित) | अमेरिका: कठोर, UK: लचीला |
राज्य व्यवस्था | संघीय + मजबूत केंद्र | अमेरिका: संघीय, UK: एकात्मक |
अधिकार + कर्तव्य | अधिकार (भाग III), कर्तव्य (भाग IVA) | अमेरिका: अधिकार, सोवियत संघ से प्रेरित कर्तव्य |
भारतीय संविधान की आलोचना
भारतीय संविधान की व्यापकता और जटिलता के कारण कई आलोचनाएँ भी की जाती हैं। मुख्य आलोचनाएँ निम्नलिखित हैं:
- अत्यधिक लंबा और जटिल दस्तावेज़।
- अत्यधिक संशोधन (100 से अधिक) से स्थायित्व पर प्रश्न।
- मजबूत केंद्र के कारण राज्यों की शक्तियों का सीमित होना।
- आपात प्रावधानों का दुरुपयोग (विशेषकर 1975–77 के दौरान)।
- कानून की भाषा साधारण नागरिकों के लिए कठिन।
आलोचना | कारण | प्रभाव |
---|---|---|
लंबाई और जटिलता | बहुत सारे अनुच्छेद और अनुसूचियाँ | कठिन अध्ययन और सामान्य समझ में बाधा |
केंद्र–प्रभुत्व | आपात प्रावधान, राज्यपाल की भूमिका | संघीय संतुलन पर प्रश्न |
संशोधन अधिकता | 100+ संशोधन | स्थायित्व और गंभीरता पर प्रभाव |
भारतीय संविधान का महत्व
भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक आत्मा का प्रतीक है। यह नागरिकों को अधिकार, स्वतंत्रता और समानता प्रदान करता है, साथ ही राज्य को कल्याणकारी नीतियों की दिशा देता है। संविधान भारत की विविधता को एकता में बाँधने वाला आधार है।
संविधान का प्रभाव
क्षेत्र | प्रभाव |
---|---|
राजनीतिक | लोकतंत्र, चुनाव, प्रतिनिधित्व |
सामाजिक | समता, न्याय, अस्पृश्यता–निषेध |
आर्थिक | सामाजिक न्याय, शिक्षा, रोजगार, GST व्यवस्था |
अंतरराष्ट्रीय | भारत की लोकतांत्रिक छवि और प्रेरणा |
भारतीय संविधान पर वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी (MCQ)
यहाँ भारतीय संविधान पर आधारित महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) दिए गए हैं, जो RPSC, UPSC और अन्य परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।
- भारतीय संविधान को कब अपनाया गया?
(A) 15 अगस्त 1947
(B) 26 जनवरी 1950
(C) 26 नवम्बर 1949
(D) 9 दिसम्बर 1946
उत्तर: (C) 26 नवम्बर 1949 - भारतीय संविधान कब लागू हुआ?
(A) 26 नवम्बर 1949
(B) 15 अगस्त 1947
(C) 26 जनवरी 1950
(D) 1 मार्च 1950
उत्तर: (C) 26 जनवरी 1950 - संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष कौन थे?
(A) जवाहरलाल नेहरू
(B) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(C) डॉ. भीमराव अंबेडकर
(D) सरदार पटेल
उत्तर: (B) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद - संविधान के शिल्पकार किसे कहा जाता है?
(A) महात्मा गांधी
(B) जवाहरलाल नेहरू
(C) डॉ. भीमराव अंबेडकर
(D) मौलाना आज़ाद
उत्तर: (C) डॉ. भीमराव अंबेडकर - संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द किस संशोधन से जोड़े गए?
(A) 24वां संशोधन
(B) 42वां संशोधन
(C) 44वां संशोधन
(D) 52वां संशोधन
उत्तर: (B) 42वां संशोधन - भारत का संविधान किस प्रकार का है?
(A) लिखित और लचीला
(B) लिखित और कठोर
(C) लिखित और लचीला+कठोर दोनों
(D) अलिखित
उत्तर: (C) लिखित और लचीला+कठोर दोनों - भारतीय संविधान की प्रस्तावना को संविधान की ‘आत्मा’ किसने कहा?
(A) थारू राधाकृष्णन
(B) केशवानंद भारती
(C) पंडित नेहरू
(D) एन. ए. पालकीवाला
उत्तर: (D) एन. ए. पालकीवाला - मौलिक अधिकार कितने अनुच्छेदों में दिए गए हैं?
(A) 12–32
(B) 14–31
(C) 19–32
(D) 36–51
उत्तर: (A) 12–32 - मौलिक कर्तव्य संविधान में किस संशोधन से जोड़े गए?
(A) 42वां संशोधन
(B) 44वां संशोधन
(C) 52वां संशोधन
(D) 73वां संशोधन
उत्तर: (A) 42वां संशोधन - संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘रिट अधिकार’ प्रदान करता है?
(A) अनुच्छेद 14
(B) अनुच्छेद 19
(C) अनुच्छेद 32
(D) अनुच्छेद 51A
उत्तर: (C) अनुच्छेद 32 - ‘मूल संरचना सिद्धांत’ किस मामले से संबंधित है?
(A) गोलकनाथ केस
(B) केशवानंद भारती केस
(C) शंकरन केस
(D) मेनका गांधी केस
उत्तर: (B) केशवानंद भारती केस - संविधान के किस भाग में राज्य के नीति निर्देशक तत्व (DPSP) शामिल हैं?
(A) भाग II
(B) भाग III
(C) भाग IV
(D) भाग IVA
उत्तर: (C) भाग IV - संविधान सभा ने कितने समय में संविधान का निर्माण किया?
(A) 2 वर्ष 11 माह 18 दिन
(B) 3 वर्ष 10 दिन
(C) 1 वर्ष 9 माह 20 दिन
(D) 4 वर्ष 2 माह
उत्तर: (A) 2 वर्ष 11 माह 18 दिन - भारतीय संविधान में कुल अनुसूचियाँ कितनी हैं (2024 तक)?
(A) 8
(B) 10
(C) 12
(D) 14
उत्तर: (C) 12 - संविधान की प्रस्तावना में "We the People" किस आदर्श को दर्शाता है?
(A) सार्वभौमिकता
(B) धर्मनिरपेक्षता
(C) लोकतंत्र
(D) गणराज्य
उत्तर: (A) सार्वभौमिकता
भारतीय संविधान पर लघु प्रश्नोत्तर
यहाँ 30 महत्वपूर्ण लघु प्रश्नोत्तर दिए जा रहे हैं, जो Board Exams तथा Competitive Exams दोनों के लिए उपयोगी हैं।
- प्रश्न: भारतीय संविधान को किसने तैयार किया?
उत्तर: संविधान सभा ने तैयार किया, डॉ. भीमराव अंबेडकर ने प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में नेतृत्व किया। - प्रश्न: संविधान सभा का अध्यक्ष कौन था?
उत्तर: डॉ. राजेन्द्र प्रसाद। - प्रश्न: संविधान लागू होने की तिथि क्या है?
उत्तर: 26 जनवरी 1950। - प्रश्न: संविधान निर्माण में कुल कितना खर्च आया?
उत्तर: लगभग 6.3 करोड़ रुपये। - प्रश्न: संविधान में मौलिक अधिकार कितने हैं?
उत्तर: प्रारंभ में 7, अब 6 मौलिक अधिकार हैं। - प्रश्न: संविधान का अनुच्छेद 370 किससे संबंधित था?
उत्तर: जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा। - प्रश्न: "संविधान की आत्मा" किसे कहा जाता है?
उत्तर: प्रस्तावना को। - प्रश्न: संविधान की लंबाई विश्व में किस स्थान पर है?
उत्तर: यह विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। - प्रश्न: भारतीय संविधान का मूल आदर्श वाक्य क्या है?
उत्तर: "सत्यमेव जयते"। - प्रश्न: मौलिक कर्तव्य कितने हैं?
उत्तर: कुल 11 मौलिक कर्तव्य। - प्रश्न: संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई?
उत्तर: 9 दिसम्बर 1946। - प्रश्न: भारत का राष्ट्रपति किस प्रकार का प्रमुख है?
उत्तर: संवैधानिक प्रमुख। - प्रश्न: संविधान संशोधन का अनुच्छेद कौन सा है?
उत्तर: अनुच्छेद 368। - प्रश्न: 42वां संशोधन क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर: इसे "Mini Constitution" कहा जाता है। - प्रश्न: संविधान का कौन सा अनुच्छेद आपातकाल से संबंधित है?
उत्तर: अनुच्छेद 352, 356, 360। - प्रश्न: "We the People" किस सिद्धांत को दर्शाता है?
उत्तर: जनसत्ता (Sovereignty of People)। - प्रश्न: भारतीय संविधान में कितनी अनुसूचियाँ हैं?
उत्तर: कुल 12 अनुसूचियाँ। - प्रश्न: "न्यायपालिका की स्वतंत्रता" का क्या महत्व है?
उत्तर: यह नागरिक अधिकारों की रक्षा और विधि के शासन की गारंटी देता है। - प्रश्न: मौलिक अधिकारों की सुरक्षा कौन करता है?
उत्तर: सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय। - प्रश्न: संविधान की भाषा कौन सी है?
उत्तर: हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों।
भारतीय संविधान पर पूर्व परीक्षाओं (UPSC/RPSC/SSC) में पूछे गए प्रश्न
यहाँ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर दिए जा रहे हैं। ये प्रश्न वास्तविक परीक्षा पत्रों से लिए गए हैं।
- प्रश्न (UPSC CSE Pre 2019): संविधान सभा में "उद्देश्य प्रस्ताव" (Objective Resolution) किसने प्रस्तुत किया था?
उत्तर: पंडित जवाहरलाल नेहरू। - प्रश्न (RPSC RAS 2018): भारतीय संविधान में "मौलिक अधिकार" किस देश के संविधान से लिए गए हैं?
उत्तर: अमेरिका (US Constitution) से। - प्रश्न (UPSC CSE Pre 2020): भारतीय संविधान की ‘संघीय व्यवस्था’ किस देश से प्रेरित है?
उत्तर: कनाडा से। - प्रश्न (SSC CGL 2021): ‘संविधान सभा’ का गठन किस योजना के आधार पर हुआ था?
उत्तर: कैबिनेट मिशन योजना, 1946। - प्रश्न (UPSC CSE Pre 2017): अनुच्छेद 32 को डॉ. अंबेडकर ने किस नाम से संबोधित किया?
उत्तर: "संविधान का हृदय और आत्मा"। - प्रश्न (RPSC 2016): 42वें संशोधन द्वारा कौन सा प्रावधान जोड़ा गया?
उत्तर: प्रस्तावना में "समाजवादी" और "पंथनिरपेक्ष" शब्द जोड़े गए, मौलिक कर्तव्य शामिल किए गए। - प्रश्न (UPSC CSE Pre 2018): भारत के संविधान में कितनी अनुसूचियाँ प्रारंभ में थीं?
उत्तर: 8 अनुसूचियाँ। - प्रश्न (SSC CPO 2019): 73वें संशोधन का संबंध किससे है?
उत्तर: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा। - प्रश्न (UPSC CSE Mains 2015): "मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों के बीच संबंध" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: मौलिक अधिकार नागरिकों की स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं, जबकि DPSP सामाजिक-आर्थिक न्याय हेतु मार्गदर्शन करते हैं। दोनों का उद्देश्य संविधान के आदर्शों को साकार करना है। - प्रश्न (RPSC RAS 2021): भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद समानता का अधिकार देता है?
उत्तर: अनुच्छेद 14। - प्रश्न (UPSC CSE Pre 2014): "लोकसभा का कार्यकाल" कितने वर्षों का होता है?
उत्तर: सामान्यतः 5 वर्ष। - प्रश्न (SSC CHSL 2020): संविधान सभा के "मसौदा समिति" (Drafting Committee) के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर: डॉ. भीमराव अंबेडकर। - प्रश्न (UPSC CSE Pre 2016): "संपत्ति का अधिकार" किस संशोधन के बाद मौलिक अधिकारों से हटा दिया गया?
उत्तर: 44वें संशोधन (1978)। - प्रश्न (RPSC School Lecturer 2019): संविधान की प्रस्तावना में "बंधुता" का क्या अर्थ है?
उत्तर: व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्रीय एकता सुनिश्चित करना। - प्रश्न (UPSC CSE Mains 2021): "मौलिक कर्तव्यों का संवैधानिक महत्व" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: मौलिक कर्तव्य नागरिकों को संविधान और राष्ट्र के प्रति दायित्व याद दिलाते हैं; ये सामाजिक अनुशासन और देशभक्ति की भावना को सुदृढ़ करते हैं। - प्रश्न (SSC CGL 2022): "भारत का निर्वाचन आयोग" किस अनुच्छेद में उल्लेखित है?
उत्तर: अनुच्छेद 324। - प्रश्न (UPSC CSE Pre 2022): "संविधान सभा की पहली बैठक" किस तारीख को हुई थी?
उत्तर: 9 दिसम्बर 1946। - प्रश्न (RPSC 2020): "संविधान का सर्वोच्चता सिद्धांत" किस प्रावधान से स्पष्ट होता है?
उत्तर: संविधान सर्वोच्च कानून है, संसद/राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून संविधान के अधीन हैं। - प्रश्न (UPSC CSE Pre 2015): 86वें संशोधन द्वारा कौन सा अधिकार मौलिक अधिकार बना?
उत्तर: 6–14 वर्ष तक बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा। - प्रश्न (SSC GD 2021): भारतीय संविधान में कितने मौलिक कर्तव्य हैं?
उत्तर: कुल 11 मौलिक कर्तव्य।
संदर्भ
- भारतीय संविधान की मूल प्रति, संसद पुस्तकालय, नई दिल्ली।
- Granville Austin, The Indian Constitution: Cornerstone of a Nation, Oxford University Press, 1966.
- Subhash C. Kashyap, Our Constitution: An Introduction to India's Constitution and Constitutional Law, National Book Trust.
- भारत का संविधान, भारत सरकार का विधि एवं न्याय मंत्रालय, 2024 संस्करण।
- Durga Das Basu, Introduction to the Constitution of India, Lexis Nexis, 2019.
- UPSC Civil Services Examination Previous Year Papers, 2014–2022।
- Rajasthan Public Service Commission (RPSC) RAS Papers, 2016–2021।
- Supreme Court of India Judgments: Kesavananda Bharati v. State of Kerala (1973)।
- National Informatics Centre, भारत निर्वाचन आयोग आधिकारिक वेबसाइट।
- Wikimedia Commons: Constitution of India Images, 2024।
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