दीपावली (दिवाली) - प्रकाश का महापर्व

| अक्टूबर 20, 2025
दीपावली (दिवाली) - संपूर्ण विश्वकोश | इतिहास, पूजा विधि, मंत्र, आरती - विकिपीडिया

🪔 दीपावली (दिवाली) - प्रकाश का महापर्व 🪔

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यह लेख हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार दीपावली से संबंधित है। दिवाली, दीवाली और दीपमाला इसी पर्व के अन्य नाम हैं। यह लेख शिक्षकों, छात्रों और सभी के लिए संपूर्ण मार्गदर्शिका है।

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दीपावली (दिवाली)
Deepavali / Diwali
दीपावली के दीपक

दीपावली पर प्रज्वलित मिट्टी के दीपक

अन्य नाम:
दिवाली, दीपमाला, दीपोत्सव, प्रकाश पर्व
प्रकार:
हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध
तिथि:
कार्तिक मास की अमावस्या
2024 में:
1 नवंबर (शुक्रवार)
2025 में:
20 अक्टूबर (सोमवार)
अवधि:
5 दिन (धनतेरस से भाई दूज तक)
मुख्य देवता:
श्री लक्ष्मी जी, श्री गणेश जी
उत्सव:
दीप प्रज्वलन, पूजा, मिठाई, पटाखे
मनाने वाले:
भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, मॉरीशस आदि
महत्व:
अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई की विजय

यह लेख हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार दीपावली से संबंधित है। दिवाली, दीवाली और दीपमाला इसी पर्व के अन्य नाम हैं। यह लेख शिक्षकों, छात्रों और सभी के लिए संपूर्ण मार्गदर्शिका है।

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दीपावली या दिवाली (संस्कृत: दीपावलिः) हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में जहां भी हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध समुदाय रहते हैं, वहां अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। "दीपावली" शब्द संस्कृत के दो शब्दों "दीप" (अर्थात दीपक) और "आवली" (अर्थात पंक्ति या श्रृंखला) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है - "दीपों की पंक्ति" या "दीपों की माला"।

दीपावली हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई, अज्ञान पर ज्ञान और निराशा पर आशा की विजय का प्रतीक है। इस पर्व में घरों, मंदिरों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों को असंख्य दीपकों से सजाया जाता है, जो रात्रि में अद्भुत दृश्य उपस्थित करते हैं।

दीपावली की रंगोली

दीपावली पर बनाई गई पारंपरिक रंगोली और दीपक

दीपावली केवल एक दिन का पर्व नहीं है बल्कि यह पांच दिनों का महोत्सव है जो धनतेरस से आरंभ होकर भाई दूज पर समाप्त होता है। इन पांच दिनों में धनतेरस, नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली), लक्ष्मी पूजन (मुख्य दीपावली), गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) और भाई दूज (भ्रातृ द्वितीया) मनाए जाते हैं।

परिचय और नामकरण

दीपावली शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है। "दीप" का अर्थ है "प्रदीप्त दीपक" और "आवली" का अर्थ है "पंक्ति" या "माला"। इस प्रकार दीपावली का शाब्दिक अर्थ है "दीपों की पंक्ति" या "दीपमाला"। प्राचीन संस्कृत साहित्य में इस पर्व को "दीपप्रतिपादुत्सव" और "दीपोत्सव" के नाम से भी उल्लेखित किया गया है।

विभिन्न भाषाओं में नाम

भारत की विविध भाषाओं और संस्कृतियों में दीपावली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है:

  • हिंदी: दीपावली, दिवाली
  • संस्कृत: दीपावलिः, दीपमाला
  • तमिल: தீபாவளி (थीपावळी)
  • तेलुगु: దీపావళి (दीपावलि)
  • मलयालम: ദീപാവലി (दीपावलि)
  • कन्नड़: ದೀಪಾವಳಿ (दीपावलि)
  • मराठी: दिवाळी
  • गुजराती: દિવાળી (दिवाली)
  • बंगाली: দীপাবলি (दीपाबलि), काली पूजा
  • पंजाबी: ਦਿਵਾਲੀ (दिवाली), बंदी छोड़ दिवस
  • नेपाली: दीपावली, तिहार

इतिहास और प्राचीनता

दीपावली का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इस पर्व के मनाए जाने के प्रमाण वैदिक युग से मिलते हैं। विभिन्न प्राचीन ग्रंथों और पुरातात्विक साक्ष्यों से यह सिद्ध होता है कि दीपावली हजारों वर्षों से भारतीय समाज का अभिन्न अंग रही है।

दीपावली का ऐतिहासिक कालक्रम
2000-1500 ईसा पूर्व
वैदिक युग: ऋग्वेद और अथर्ववेद में दीप प्रज्वलन और प्रकाश उत्सव के संदर्भ। "तमसो मा ज्योतिर्गमय" (अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो) की अवधारणा।
500 ईसा पूर्व
महाभारत काल: पांडवों के वनवास से वापसी पर दीप प्रज्वलन। स्कंद पुराण में दीपावली का विस्तृत वर्णन।
300 ईसा पूर्व - 200 ईस्वी
रामायण युग: भगवान राम के अयोध्या वापसी पर 14 वर्ष के वनवास के बाद दीप उत्सव। यह दीपावली का सबसे प्रसिद्ध आख्यान।
300 ईसा पूर्व
जैन धर्म: भगवान महावीर का निर्वाण दिवस। जैन समुदाय के लिए दीपावली का विशेष महत्व।
7वीं शताब्दी
संस्कृत साहित्य: हर्षचरित (बाणभट्ट) और कादंबरी में दीपावली उत्सव का विस्तृत वर्णन। राजमहलों में दीप प्रतियोगिताएं।
1577 ईस्वी
सिख इतिहास: गुरु अमर दास जी द्वारा दीपावली पर विशेष सभा। बाद में गुरु हरगोबिंद सिंह जी की ग्वालियर कारागार से रिहाई (बंदी छोड़ दिवस)।
16वीं-18वीं शताब्दी
मुगल काल: अकबर के दरबार में दीपावली उत्सव। जहांगीर और शाहजहां के शासनकाल में शाही दीपावली समारोह।
19वीं शताब्दी
ब्रिटिश काल: दीपावली का प्रसार भारतीय प्रवासियों के साथ विश्व भर में। मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद में दीपावली उत्सव।
20वीं-21वीं शताब्दी
आधुनिक युग: दीपावली का वैश्वीकरण। संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, ब्रिटिश संसद, व्हाइट हाउस में दीपावली समारोह। ई-दीपावली और पर्यावरण अनुकूल उत्सव।

प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख

  • स्कंद पुराण: कार्तिक मास में दीप दान का महत्व और लक्ष्मी पूजन की विधि
  • पद्म पुराण: दीपावली की रात्रि में जागरण और पूजन का वर्णन
  • नारद पुराण: दीप प्रज्वलन से पापों का नाश और पुण्य प्राप्ति
  • वाल्मीकि रामायण: श्री राम के अयोध्या आगमन पर नगर में दीप उत्सव
  • महाभारत: पांडवों की वापसी पर इंद्रप्रस्थ में दीप प्रज्वलन

पौराणिक कथाएं और धार्मिक महत्व

माता लक्ष्मी

माता लक्ष्मी - दीपावली पर पूजित धन और समृद्धि की देवी

दीपावली से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं हैं जो इस पर्व के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती हैं। विभिन्न धर्मों और क्षेत्रों में दीपावली मनाने के अलग-अलग कारण हैं:

हिंदू धर्म में दीपावली

1. श्री राम की अयोध्या वापसी (उत्तर भारत)

यह दीपावली का सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से मान्य कारण है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान श्री राम ने लंका के राक्षस राज रावण का वध करके 14 वर्ष के वनवास के पश्चात कार्तिक मास की अमावस्या को अयोध्या में प्रवेश किया। अयोध्यावासियों ने अपने प्रिय राजा के स्वागत में संपूर्ण नगर को दीपों से सजाया और महान उत्सव मनाया।

🎭 कथा का सार: भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे। उनके आगमन की खुशी में अयोध्या की प्रजा ने घी के दीये जलाए, फूलों की वर्षा की और मिठाइयां बांटीं। रात्रि में संपूर्ण अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा उठी। तब से यह परंपरा आज तक चली आ रही है।

श्री राम की अयोध्या वापसी

भगवान श्री राम, सीता और लक्ष्मण जी की 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापसी

2. भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर वध (दक्षिण भारत)

दक्षिण भारत में विशेषकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में दीपावली नरकासुर वध के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। भागवत पुराण के अनुसार, नरकासुर एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस था जिसने 16,000 कन्याओं को बंदी बना रखा था। भगवान श्री कृष्ण ने माता सत्यभामा की सहायता से नरकासुर का वध किया और सभी कन्याओं को मुक्त कराया।

3. माता लक्ष्मी का प्रकटीकरण

पौराणिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या को समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का प्रकटीकरण हुआ था। इसी दिन भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से विवाह किया था। इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह भी मान्यता है कि दीपावली की रात्रि में माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और स्वच्छ, प्रकाशित घरों में प्रवेश करती हैं।

4. राजा बलि और वामन अवतार

केरल में दीपावली राजा बलि और भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा से जुड़ी है। दानवीर राजा बलि ने भगवान वामन को तीन पग भूमि दान में दी थी। भगवान ने तीन पग में संपूर्ण ब्रह्मांड नाप लिया और बलि को पाताल लोक भेज दिया। परंतु उन्हें वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने की अनुमति दी, जिसे ओणम के रूप में मनाया जाता है।

जैन धर्म में दीपावली

जैन समुदाय के लिए दीपावली अत्यंत पवित्र दिवस है। इस दिन भगवान महावीर (जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर) ने 527 ईसा पूर्व में पावापुरी (बिहार) में निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया था। उनके निर्वाण के उपलक्ष्य में 18 राजाओं ने अपने राज्यों में दीप जलाकर उत्सव मनाया। जैन समुदाय इस दिन भगवान महावीर को श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

सिख धर्म में दीपावली (बंदी छोड़ दिवस)

स्वर्ण मंदिर अमृतसर

दीपावली पर प्रकाशित स्वर्ण मंदिर (हरमंदिर साहिब), अमृतसर

सिखों के लिए दीपावली "बंदी छोड़ दिवस" के रूप में मनाई जाती है। 1619 में इसी दिन सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी को मुगल सम्राट जहांगीर ने ग्वालियर के किले से रिहा किया था। गुरु जी ने अपनी रिहाई की शर्त के रूप में 52 अन्य राजाओं को भी मुक्त कराया। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर (हरमंदिर साहिब) में इस दिन विशेष समारोह आयोजित होता है।

बौद्ध धर्म में दीपावली

कुछ बौद्ध समुदाय, विशेषकर नेवार बौद्ध (नेपाल), दीपावली को सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म में परिवर्तन के उपलक्ष्य में मनाते हैं। तिब्बती बौद्ध भी इस दिन दीप प्रज्वलन करते हैं।

पांच दिवसीय उत्सव

दीपावली वास्तव में पांच दिनों का महोत्सव है। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और अनुष्ठान है:

दिन 1
🪙 धनतेरस
तिथि: कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी
देवता: धन्वंतरि, यम, लक्ष्मी
कार्य: बर्तन/गहने खरीदना, यम दीप
महत्व: धन और आरोग्य की प्राप्ति
दिन 2
🌙 नरक चतुर्दशी
तिथि: कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी
देवता: यम, हनुमान, काली
कार्य: तेल स्नान, 14 दीप प्रज्वलन
महत्व: नरकासुर वध, बुराई पर विजय
दिन 3
🪔 दीपावली (मुख्य)
तिथि: कार्तिक अमावस्या
देवता: लक्ष्मी, गणेश
कार्य: लक्ष्मी पूजन, दीप दान
महत्व: धन-समृद्धि की कामना
दिन 4
🏔️ गोवर्धन पूजा
तिथि: कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा
देवता: कृष्ण, गोवर्धन पर्वत
कार्य: अन्नकूट, गोबर से पर्वत
महत्व: कृष्ण की इंद्र पर विजय
दिन 5
👫 भाई दूज
तिथि: कार्तिक शुक्ल द्वितीया
देवता: यम, यमुना
कार्य: भाई-बहन का त्योहार
महत्व: भाई-बहन का प्रेम, यम तर्पण
दीपावली समारोह

दीपावली की रात्रि में दीपक, आतिशबाजी और उत्सव का भव्य दृश्य

प्रत्येक दिन का विस्तृत वर्णन

1. धनतेरस (धन त्रयोदशी)

दीपावली उत्सव का प्रारंभ धनतेरस से होता है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि (देवताओं के वैद्य) समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे। वे अपने हाथों में अमृत कलश लेकर निकले थे। इसलिए इस दिन धन और आरोग्य की पूजा की जाती है।

धनतेरस के रीति-रिवाज:

  • नए बर्तन, गहने, वाहन खरीदना शुभ माना जाता है
  • सोना-चांदी खरीदना विशेष फलदायी
  • यम दीप जलाना - मृत्यु के देवता यम की पूजा
  • तुलसी के पौधे के पास दीप जलाना
  • घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक और रंगोली बनाना

2. नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली)

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। दक्षिण भारत में यह दिन मुख्य दीपावली के रूप में मनाया जाता है।

नरक चतुर्दशी के विधान:

  • सूर्योदय से पहले तेल से स्नान (अभ्यंग स्नान)
  • 14 दीपक जलाकर यम की पूजा
  • काली माता और हनुमान जी की पूजा
  • घर के कोने-कोने में सरसों के तेल के दीप
  • पितरों का तर्पण

3. दीपावली (लक्ष्मी पूजन)

कार्तिक अमावस्या को मनाई जाने वाली यह मुख्य दीपावली है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस रात्रि माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और स्वच्छ, सुंदर और प्रकाशित घरों में प्रवेश करती हैं।

विस्तृत पूजा विधि आगे दी गई है।

4. गोवर्धन पूजा (अन्नकूट)

कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। यह भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रज की रक्षा करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसे अन्नकूट भी कहते हैं क्योंकि इस दिन 56 या 108 प्रकार के भोजन बनाकर भगवान को अर्पित किए जाते हैं।

गोवर्धन पूजा विधि:

  • गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक निर्माण
  • पर्वत पर फूल, अक्षत, दूर्वा चढ़ाना
  • 56 भोग (छप्पन भोग) तैयार करना
  • गायों की पूजा और उन्हें भोजन कराना
  • गोवर्धन परिक्रमा (वृंदावन में)

5. भाई दूज (यम द्वितीया)

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज मनाया जाता है। यह भाई-बहन के पवित्र प्रेम का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।

भाई दूज की पौराणिक कथा: यमराज इस दिन अपनी बहन यमुना के घर गए थे। यमुना ने उनका स्वागत-सत्कार किया और तिलक लगाया। प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि इस दिन जो बहन अपने भाई को तिलक लगाएगी, उसके भाई को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।

लक्ष्मी पूजन विधि (संपूर्ण प्रक्रिया)

दीपावली की रात्रि में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विशेष विधि से की जाती है। यह पूजा प्रदोष काल (सूर्यास्त के समय) में की जाती है। यहां संपूर्ण पूजा विधि चरणबद्ध तरीके से दी गई है:

🕉️ पूजा की पूर्व तैयारी

  1. स्नान और शुद्धिकरण: दीपावली के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। संध्या काल में पूजा से पहले हाथ-पैर धो लें।
  2. घर की सफाई: संपूर्ण घर की सफाई करें। माना जाता है कि माता लक्ष्मी स्वच्छ स्थान पर ही विराजमान होती हैं।
  3. रंगोली निर्माण: घर के मुख्य द्वार और पूजा स्थल पर रंगोली बनाएं। रंगोली में कमल, स्वास्तिक, दीपक आदि शुभ चिह्न बनाएं।
  4. पूजा स्थान तैयार करना: एक स्वच्छ चौकी या पटिया पर लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर चावल रखकर समतल करें।

🪔 मुख्य पूजा विधि

  1. कलश स्थापना: चावल के ऊपर जल से भरा कलश (ताम्बे या मिट्टी का) रखें। कलश पर आम के पत्ते और उसके ऊपर नारियल रखें। कलश पर स्वास्तिक बनाएं।
  2. गणेश स्थापना: कलश के पास भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र रखें। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, इसलिए सर्वप्रथम उनकी पूजा की जाती है।
  3. लक्ष्मी स्थापना: गणेश जी के पास माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। कुछ लोग माता सरस्वती की मूर्ति भी रखते हैं।
  4. आवाहन (आह्वान): आचमन करें और संकल्प लें। फिर मंत्रोच्चारण के साथ माता लक्ष्मी और गणेश जी का आवाहन करें।
  5. पंचामृत स्नान: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर (पंचामृत) से मूर्तियों को स्नान कराएं। फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं और वस्त्र अर्पित करें।
  6. षोडशोपचार पूजन: निम्नलिखित 16 उपचारों से पूजा करें:
    • आसन - बैठने का स्थान
    • स्वागत - स्वागत करना
    • पाद्य - पैर धोने के लिए जल
    • अर्घ्य - हाथ धोने के लिए जल
    • आचमन - पीने के लिए जल
    • स्नान - स्नान कराना
    • वस्त्र - वस्त्र अर्पित करना
    • यज्ञोपवीत - जनेऊ चढ़ाना
    • गंध - चंदन लगाना
    • पुष्प - फूल चढ़ाना
    • धूप - धूप दिखाना
    • दीप - दीपक दिखाना
    • नैवेद्य - भोग लगाना
    • आचमन - पुनः आचमन कराना
    • ताम्बूल - पान-सुपारी अर्पित करना
    • दक्षिणा - दक्षिणा अर्पित करना
  7. भोग अर्पण: मिठाई, फल, सूखे मेवे आदि का भोग लगाएं। भोग में खीर, हलवा, पूड़ी विशेष रूप से रखें।
  8. आरती: लक्ष्मी और गणेश की आरती करें। घंटी, शंख बजाएं।
  9. प्रदक्षिणा और प्रणाम: मूर्तियों की तीन या सात परिक्रमा करें और साष्टांग प्रणाम करें।
  10. दीप प्रज्वलन: घर के हर कोने में, मुख्य द्वार पर, तुलसी के पास, गौशाला में दीपक जलाएं। विशेष रूप से दक्षिण दिशा में यम के लिए दीप जलाना शुभ माना जाता है।

⏰ शुभ मुहूर्त और समय

लक्ष्मी पूजन काल: प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का पहला प्रहर) में पूजा सर्वोत्तम मानी जाती है। यह समय लगभग 1.5 से 2 घंटे का होता है।

2024 की दीपावली मुहूर्त:

  • दिनांक: 1 नवंबर 2024 (शुक्रवार)
  • लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: सायं 06:00 बजे से 07:30 बजे तक (लगभग)
  • प्रदोष काल: सूर्यास्त से रात्रि 8 बजे तक
  • अमावस्या तिथि: प्रारंभ - 31 अक्टूबर, समाप्ति - 1 नवंबर

नोट: मुहूर्त स्थान के अनुसार भिन्न हो सकता है। अपने स्थानीय पंचांग या ज्योतिषी से सटीक समय जानें।

पूजा सामग्री की संपूर्ण सूची

पूजा की थाली

पारंपरिक पूजा थाली - दीये, फूल, रोली, चावल और अन्य सामग्री

लक्ष्मी पूजन के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है। यह सूची पारंपरिक विधि के अनुसार तैयार की गई है:

🪔
दीपक (मिट्टी के)
21 या अधिक मिट्टी के दीपक, घी/तेल, बाती
🏺
कलश
ताम्बे या मिट्टी का कलश, जल से भरा
🥥
नारियल
साबुत नारियल (लाल कपड़े में लपेटा)
🌾
आम के पत्ते
कलश के लिए 5-7 पत्ते
🙏
गणेश-लक्ष्मी मूर्ति
मूर्ति या चित्र (धातु/मिट्टी)
🌺
फूल और माला
लाल गुलाब, कमल, गेंदा, कमल माला
🌿
दूर्वा (दूब घास)
गणेश जी के लिए विशेष
🍚
चावल (अक्षत)
साबुत चावल (कच्चे)
💰
सिक्के
चांदी/तांबे के सिक्के या नए सिक्के
🪙
कौड़ी
धन का प्रतीक, 11 कौड़ियां
🌰
सुपारी
5-11 सुपारी
🥛
पंचामृत
दूध, दही, घी, शहद, शक्कर
🧈
घी और तेल
शुद्ध घी और सरसों/तिल का तेल
🟤
चंदन
लाल और सफेद चंदन
🔴
रोली और सिंदूर
कुमकुम, रोली, सिंदूर
🌾
हल्दी और चुनरी
पीली/लाल हल्दी, लाल चुनरी
🍬
मिठाई और भोग
लड्डू, बर्फी, खीर, हलवा, पूड़ी
🍇
फल
केला, सेब, अनार, मौसमी फल
🌰
मेवे
काजू, बादाम, किशमिश, पिस्ता
💨
धूप और अगरबत्ती
चंदन/गुग्गुल धूप, सुगंधित अगरबत्ती
🕉️
यज्ञोपवीत (जनेऊ)
गणेश जी के लिए
🍃
तुलसी के पत्ते
पूजन और प्रसाद के लिए
🪵
मोली (कलावा)
लाल-पीली डोरी
🔔
घंटी और शंख
पूजा के समय बजाने के लिए
🧺
पूजा की थाली
स्टील/पीतल की थाली
🪶
कलम और दवात
माता सरस्वती के लिए (वैकल्पिक)
📿
माला
रुद्राक्ष या तुलसी की माला
📖
बही-खाता
व्यापारियों के लिए नया बही-खाता

💡 विशेष सामग्री (वैकल्पिक)

  • स्वास्तिक: लकड़ी या धातु का स्वास्तिक चिह्न
  • श्री यंत्र: माता लक्ष्मी का यंत्र (पूजा में रखने के लिए)
  • गोमती चक्र: 11 गोमती चक्र (धन लाभ के लिए)
  • कमल बीज: सूखे कमल के बीज
  • पान के पत्ते: भोग और ताम्बूल के लिए
  • लौंग-इलायची: सुगंध के लिए
  • गंगाजल: पवित्र जल के रूप में
दीपावली की मिठाइयां

दीपावली पर विभिन्न प्रकार की पारंपरिक भारतीय मिठाइयां - लड्डू, बर्फी, जलेबी, काजू कतली

महत्वपूर्ण मंत्र और स्तोत्र

दीपावली पूजन में विभिन्न मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यहां सभी प्रमुख मंत्र संस्कृत और हिंदी में दिए गए हैं:

🙏 माता लक्ष्मी के मंत्र

1. लक्ष्मी मूल मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद।
श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः।।

अर्थ: हे कमल में वास करने वाली माता लक्ष्मी, प्रसन्न होइए। हे महालक्ष्मी, मैं आपको नमन करता हूं।
2. लक्ष्मी गायत्री मंत्र

ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे।
विष्णुप्रियायै च धीमहि।
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।।

अर्थ: हम महालक्ष्मी को जानते हैं। हम विष्णुप्रिया का ध्यान करते हैं। वह लक्ष्मी हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।
3. दीपावली विशेष लक्ष्मी मंत्र

ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः।।
ॐ श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।।

अर्थ: मेरी कृपा से मनुष्य सभी बाधाओं से मुक्त, धन-धान्य से संपन्न और संतान से युक्त होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।
4. लक्ष्मी प्रार्थना

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते।।

अर्थ: हे महामाया, श्रीपीठवासिनी, देवताओं द्वारा पूजित, शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली महालक्ष्मी, आपको मेरा नमस्कार है।

🐘 भगवान गणेश के मंत्र

1. गणेश मूल मंत्र

ॐ गं गणपतये नमः।।

अर्थ: गणपति को मेरा नमस्कार है।
2. गणेश आवाहन मंत्र

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।।
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्।।

3. गणेश स्तुति

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

अर्थ: हे वक्रतुण्ड, महाकाय, करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी देव, मेरे सभी कार्यों में सदैव विघ्न दूर कीजिए।

💰 धन प्राप्ति के मंत्र

1. कुबेर मंत्र

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये।
धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।।

2. धन आकर्षण मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं।
महालक्ष्मीं सर्व सुख समृद्धि दा दा स्वाहा।।

🪔 दीप प्रज्वलन मंत्र

दीपज्योति परब्रह्म दीपज्योति जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।

अर्थ: दीप की ज्योति परब्रह्म है, दीप की ज्योति जनार्दन (विष्णु) हैं। दीपक मेरे पापों को नष्ट करे, दीपक की ज्योति को मेरा नमस्कार है।
सुप्रसिद्ध दीप मंत्र

शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसम्पदा।
शत्रुबुद्धि विनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।।

अर्थ: शुभ, कल्याण, आरोग्य और धन-संपदा प्रदान करने वाली तथा शत्रु बुद्धि का नाश करने वाली दीपक की ज्योति को नमस्कार है।

🌅 सरस्वती वंदना (ज्ञान के लिए)

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।।

अर्थ: हे वरदायिनी, कामरूपिणी माता सरस्वती, आपको मेरा नमस्कार है। मैं विद्या का आरंभ कर रहा हूं, मुझे सदा सिद्धि प्राप्त हो।

लक्ष्मी जी और गणेश जी की आरती

दीपावली पूजन के बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती की जाती है। यहां दोनों की संपूर्ण आरती प्रस्तुत है:

🎵 श्री लक्ष्मी जी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

जिस घर तुम रहती हो, ता में है उजियाला।
उस घर में नहीं रहती, दारिद्र और जंजाला॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

शुभ गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

🎵 श्री गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश देवा...

एक दन्त दयावन्त, चार भुजा धारी।
माथे सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश देवा...

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

जय गणेश देवा...

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जय गणेश देवा...

'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा॥

भारत में क्षेत्रीय परंपराएं

भारत के विभिन्न राज्यों में दीपावली अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट परंपराएं और रीति-रिवाज हैं:

🏛️ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
  • अयोध्या: रामलीला और दीप उत्सव। सरयू नदी के किनारे लाखों दीप
  • वाराणसी: गंगा आरती और दीपदान। घाटों पर असंख्य दीपक
  • मथुरा-वृंदावन: गोवर्धन पूजा विशेष। छप्पन भोग और रास लीला
  • लखनऊ: शाही परंपरा में दीपावली, आतिशबाजी
🌾 पंजाब
  • बंदी छोड़ दिवस: गुरु हरगोबिंद जी की रिहाई
  • स्वर्ण मंदिर: विशेष प्रकाश सज्जा और प्रार्थना
  • पारंपरिक व्यंजन: मक्की की रोटी, सरसों का साग
  • गतका प्रदर्शन और लंगर
🏔️ बंगाल (काली पूजा)
  • काली पूजा: मुख्य उत्सव माँ काली की पूजा
  • प्रतिमा स्थापना: विशाल काली प्रतिमाएं
  • विशेष भोग: मांस, मछली और मदिरा
  • पूरे बंगाल में पूजा पंडाल और प्रतियोगिताएं
🎨 गुजरात
  • नूतन वर्ष: गुजराती नव वर्ष (बेस्तु वरस)
  • व्यापारिक परंपरा: नए बही-खातों की पूजा
  • चोरिपाड़ी: नए बर्तनों में दूध उबालना
  • फराल (उपवास का भोजन) और रंगोली प्रतियोगिता
🏰 राजस्थान
  • शाही परंपरा: महलों में भव्य दीप उत्सव
  • मेले और बाजार: दीपावली मेले
  • पारंपरिक पकवान: घेवर, मावा कचौरी
  • आतिशबाजी और लोक नृत्य
🌴 केरल
  • बलि प्रतिपदा: राजा बलि की स्मृति
  • नरकासुर वध: प्रातःकाल तेल स्नान
  • विशेष व्यंजन: सद्या (पत्तल पर परोसा गया भोजन)
  • पटाखे और परिवार समारोह
🌊 तमिलनाडु
  • नरकासुर चतुर्दशी: मुख्य दिन
  • तेल स्नान: ब्राह्म मुहूर्त में गंगा स्नान
  • पारंपरिक पकवान: मिठाई और मुरुक्कु
  • नए कपड़े और पटाखे
🏞️ महाराष्ट्र
  • वसु बरस: गायों की विशेष पूजा
  • रंगोली स्पर्धा: विशाल रंगोली प्रतियोगिताएं
  • फराल: विशेष नाश्ता (चिवड़ा, चकली)
  • देवी-देवताओं के पदचिह्न (पायल)
🌄 नेपाल (तिहार)
  • पंच दिवसीय तिहार: कौआ, कुत्ता, गाय, बैल और भाई की पूजा
  • काग तिहार: कौओं को भोजन
  • कुकुर तिहार: कुत्तों की पूजा और भोजन
  • भाई टीका: बहनों द्वारा भाइयों को तिलक
दीपावली सजावट

दीपावली पर भारतीय घरों और सड़कों की पारंपरिक सजावट - दीपक, लाइट्स और रंगोली

वैज्ञानिक और खगोलीय महत्व

दीपावली केवल धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि इसका वैज्ञानिक और खगोलीय महत्व भी है:

1. अमावस्या का महत्व

दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या (New Moon) को मनाई जाती है। अमावस्या वह तिथि है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और पृथ्वी से दिखाई नहीं देता। इस दिन रात्रि सबसे अंधकारमय होती है। दीपक जलाकर इस अंधकार को दूर किया जाता है, जो प्रकाश पर अंधकार की विजय का प्रतीक है।

2. ऋतु परिवर्तन

दीपावली शरद ऋतु और शीत ऋतु के संधिकाल में आती है। इस समय मौसम में परिवर्तन होता है। वर्षा ऋतु समाप्त हो चुकी होती है और शीत ऋतु का आगमन होने वाला होता है। यह समय फसल कटाई का भी है। किसान खरीफ की फसल काट चुके होते हैं और नई फसल की बुवाई की तैयारी करते हैं।

3. स्वास्थ्य लाभ

  • घर की सफाई: दीपावली से पहले घरों की गहन सफाई से स्वच्छता बढ़ती है और रोग-कीटाणु नष्ट होते हैं।
  • तेल स्नान: नरक चतुर्दशी पर तेल से स्नान त्वचा के लिए लाभदायक है। यह शीत ऋतु में त्वचा को मॉइस्चराइज करता है।
  • दीपक की रोशनी: घी के दीपकों से निकलने वाला प्रकाश और धुआं कीटाणुनाशक होता है। यह मच्छरों और कीड़ों को दूर रखता है।
  • हवन और धूप: हवन की सामग्री और धूप में औषधीय गुण होते हैं जो वायु को शुद्ध करते हैं।

4. मनोवैज्ञानिक प्रभाव

दीपावली का उत्सव मन को प्रसन्नता और उत्साह से भर देता है। परिवार और मित्रों से मिलना, उपहार आदान-प्रदान, सामूहिक उत्सव मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। यह सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है और अवसाद को दूर करता है।

5. पर्यावरणीय संतुलन

पारंपरिक रूप से दीपावली पर्यावरण के अनुकूल थी। मिट्टी के दीपक, प्राकृतिक रंगों से रंगोली, प्राकृतिक सामग्री से पूजा - ये सभी बायोडिग्रेडेबल थे। आधुनिक समय में पटाखों के कारण प्रदूषण बढ़ा है, लेकिन पारंपरिक तरीके पर्यावरण अनुकूल थे।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

दीपावली भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है:

1. आर्थिक गतिविधियां

  • खुदरा व्यापार: दीपावली के समय खुदरा बिक्री में 30-40% की वृद्धि होती है। कपड़े, गहने, इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू सामान की बिक्री चरम पर होती है।
  • सोने-चांदी की खरीद: धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन भारत में सबसे अधिक सोने की खरीदारी होती है।
  • रोजगार सृजन: दीवाली के मौसम में अस्थायी रोजगार के अवसर बढ़ते हैं - दुकानों में, डिलीवरी सेवाओं में, मिठाई की दुकानों में।
  • मिठाई उद्योग: दीपावली में मिठाई का व्यवसाय कई गुना बढ़ जाता है।
  • पटाखा उद्योग: हालांकि विवादास्पद, पटाखा उद्योग लाखों लोगों को रोजगार देता है।

2. व्यापारिक परंपराएं

भारतीय व्यापारी दीपावली को अपने वित्तीय वर्ष का अंत और नए वर्ष की शुरुआत मानते हैं। इस दिन:

  • पुराने बही-खाते बंद किए जाते हैं
  • नए बही-खाते की पूजा होती है
  • कर्मचारियों को बोनस दिया जाता है
  • लेनदारों से हिसाब-किताब का निपटारा

3. सामाजिक प्रभाव

  • सामाजिक एकता: विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग मिलकर दीपावली मनाते हैं
  • दान और परोपकार: गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने की परंपरा
  • पारिवारिक बंधन: परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं
  • सांस्कृतिक संरक्षण: परंपराओं और संस्कृति का संरक्षण और प्रसार

पर्यावरण अनुकूल दीपावली

आधुनिक समय में पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। पटाखों और रासायनिक सामग्री के कारण दीपावली पर प्रदूषण बढ़ता है। यहां पर्यावरण अनुकूल दीपावली मनाने के उपाय दिए गए हैं:

🌿 हरित दीपावली के उपाय

1. पटाखों का विकल्प
  • पटाखों की जगह मिट्टी के दीये जलाएं
  • लेजर लाइट शो या LED लाइट्स का प्रयोग करें
  • पर्यावरण अनुकूल "हरे पटाखे" (Green Crackers) का उपयोग करें
  • निर्धारित समय (रात 8-10 बजे) में ही पटाखे चलाएं
2. प्राकृतिक सामग्री का उपयोग
  • मिट्टी के दीये (न कि प्लास्टिक या चीनी मिट्टी के)
  • प्राकृतिक रंगों से रंगोली (फूल, हल्दी, कुमकुम)
  • कागज और बांस की सजावट (प्लास्टिक की जगह)
  • कपड़े के तोरण और झंडे
3. अपशिष्ट प्रबंधन
  • पटाखों के कचरे को एकत्र करके उचित स्थान पर फेंकें
  • पूजा सामग्री को नदी में न बहाएं, बल्कि मिट्टी में दबाएं
  • फूलों को कंपोस्ट बनाने में उपयोग करें
  • खाने की बर्बादी से बचें
4. ऊर्जा संरक्षण
  • LED बल्बों का उपयोग करें
  • सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइट्स लगाएं
  • अनावश्यक लाइट्स बंद रखें
  • टाइमर का उपयोग करें
5. सामाजिक जिम्मेदारी
  • पालतू जानवरों और पक्षियों का ध्यान रखें (तेज आवाज से डर लगता है)
  • बुजुर्गों और मरीजों की सुविधा का ध्यान रखें
  • बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में शिक्षित करें
  • स्थानीय कारीगरों से दीये और सामान खरीदें

सरकारी पहल

  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों पर प्रतिबंध और समय सीमा
  • CSIR द्वारा "हरे पटाखों" (Green Firecrackers) का विकास
  • राज्य सरकारों द्वारा जागरूकता अभियान
  • प्रदूषण मापक यंत्रों की निगरानी

विश्व में दीपावली

विश्व में दीपावली

यूनाइटेड किंगडम के लीसेस्टर में दीपावली उत्सव - यूरोप का सबसे बड़ा दीपावली समारोह

दीपावली केवल भारत का त्योहार नहीं है। यह विश्व के कई देशों में मनाया जाता है जहां भारतीय समुदाय निवास करता है:

आधिकारिक अवकाश वाले देश

  • नेपाल: तिहार के रूप में 5 दिवसीय राष्ट्रीय अवकाश
  • श्रीलंका: तमिल समुदाय द्वारा राष्ट्रीय अवकाश
  • मलेशिया: संघीय अवकाश
  • सिंगापुर: राष्ट्रीय अवकाश
  • मॉरीशस: राष्ट्रीय अवकाश
  • गयाना: राष्ट्रीय अवकाश
  • त्रिनिदाद और टोबैगो: राष्ट्रीय अवकाश
  • सूरीनाम: राष्ट्रीय अवकाश
  • फिजी: राष्ट्रीय अवकाश
  • पाकिस्तान: हिंदू समुदाय के लिए वैकल्पिक अवकाश

प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समारोह

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: व्हाइट हाउस में दीपावली समारोह (2003 से), न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वायर पर दीपावली उत्सव
  • यूनाइटेड किंगडम: ब्रिटिश संसद में दीपावली समारोह, लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर पर भव्य उत्सव, लीसेस्टर में यूरोप का सबसे बड़ा दीपावली उत्सव
  • संयुक्त राष्ट्र: UN मुख्यालय में दीपावली समारोह और विशेष कार्यक्रम
  • कनाडा: टोरंटो और वैंकूवर में भव्य दीपावली मेले
  • ऑस्ट्रेलिया: सिडनी और मेलबर्न में दीपावली उत्सव
  • दुबई (UAE): बुर्ज खलीफा पर दीपावली लाइट शो

वैश्विक मान्यता

  • 2016 में, संयुक्त राष्ट्र ने दीपावली को आधिकारिक अवकाश घोषित किया
  • विश्व के 100+ देशों में दीपावली मनाई जाती है
  • अनुमानित 1 अरब से अधिक लोग विश्वभर में दीपावली मनाते हैं
  • UNESCO द्वारा "सांस्कृतिक विरासत" के रूप में मान्यता

दीपावली की शुभकामनाएं विभिन्न भाषाओं में

भाषा शुभकामना
हिंदी दीपावली की शुभकामनाएं! / शुभ दीपावली!
संस्कृत शुभं दीपावलिः! / दीपावलि-पर्व-शुभाशयाः!
अंग्रेजी Happy Diwali! / Wish you a Happy Deepavali!
तमिल தீபாவளி நல்வாழ்த்துக்கள்! (थीपावळी नल्वाऴ्त्तुक्कळ्)
तेलुगु దీపావళి శుభాకాంక్షలు! (दीपावलि शुभाकांक्षलु)
कन्नड़ ದೀಪಾವಳಿ ಶುಭಾಶಯಗಳು! (दीपावलि शुभाशयगळु)
मराठी दिवाळीच्या हार्दिक शुभेच्छा!
गुजराती દિવાળીની શુભકામનાઓ! (दिवाळीनी शुभकामनाओ)
बंगाली দীপাবলির শুভেচ্ছা! (दीपाबलीर शुभेच्छा)
पंजाबी ਦਿਵਾਲੀ ਦੀਆਂ ਮੁਬਾਰਕਾਂ! (दिवाळी दीआं मुबारकां)

संदर्भ और स्रोत

  1. वाल्मीकि रामायण - युद्धकांड, अयोध्या में श्री राम के स्वागत का वर्णन
  2. स्कंद पुराण - कार्तिक मास माहात्म्य, दीपदान का महत्व
  3. पद्म पुराण - सृष्टि खंड, लक्ष्मी प्रकटीकरण की कथा
  4. भागवत पुराण - दशम स्कंध, नरकासुर वध का वर्णन
  5. महाभारत - सभा पर्व, पांडवों की वापसी और दीप उत्सव
  6. जैन आगम - भगवान महावीर के निर्वाण का विवरण
  7. सिख इतिहास - गुरु हरगोबिंद सिंह जी की रिहाई (1619)
  8. भारत सरकार - संस्कृति मंत्रालय - www.indiaculture.nic.in
  9. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण - प्राचीन दीपावली उत्सव के प्रमाण
  10. UNESCO - अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची

दीपावली उत्सव: छवि संग्रह

वाराणसी में दीपावली

वाराणसी में गंगा घाट पर दीपावली

दीपावली बाजार

दीपावली के लिए बाजार में खरीदारी

परिवार के साथ पूजा

परिवार के साथ लक्ष्मी पूजन

रात में दीये

रात्रि में प्रज्वलित दीपकों का दृश्य

बाहरी कड़ियाँ और अतिरिक्त संसाधन

सरकारी वेबसाइट

धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थान

  • रामकृष्ण मिशन - आध्यात्मिक मार्गदर्शन
  • चिन्मय मिशन - वैदिक ज्ञान
  • इस्कॉन (ISKCON) - वैष्णव परंपरा

शैक्षणिक संसाधन

  • NCERT - भारतीय त्योहार और संस्कृति
  • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR)
  • संस्कृत विश्वविद्यालय - पौराणिक अध्ययन
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शुभ दीपावली!

आप सभी को दीपों के इस महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। माता लक्ष्मी की कृपा सदैव आप पर बनी रहे।

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श्रेणी: भारतीय त्योहार | हिंदू पर्व | दीपावली | धार्मिक उत्सव | भारतीय संस्कृति | लक्ष्मी पूजा | सांस्कृतिक विरासत

यह पृष्ठ अंतिम बार 20 अक्टूबर 2025 को 20:30 बजे संपादित किया गया था।

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नोट: यह एक शैक्षणिक और सांस्कृतिक संसाधन है। पूजा विधि और मुहूर्त के लिए कृपया स्थानीय पंडित या ज्योतिषी से परामर्श लें।

🙏 हर हर महादेव | ॐ नमः शिवाय | जय श्री राम | राधे-राधे 🙏