सामान्य विज्ञान - रसायन विज्ञान
परमाणु संरचना, रासायनिक बंध और आवर्त सारणी का विस्तृत अध्ययन
विषय सूची
1. परिचय
रसायन विज्ञान पदार्थ का अध्ययन है जो उसकी संरचना, गुणधर्म और परिवर्तनों से संबंधित है। यह विज्ञान की एक मूलभूत शाखा है जो भौतिक विज्ञान और जीव विज्ञान के बीच सेतु का काम करती है। परमाणु संरचना, रासायनिक बंध और आवर्त सारणी रसायन विज्ञान के तीन स्तंभ हैं।
2. परमाणु संरचना
2.1 मूलभूत कण
परमाणु पदार्थ की सबसे छोटी इकाई है जो रासायनिक गुणधर्म को बनाए रखती है। यह तीन मूलभूत कणों से मिलकर बना है:
कण | प्रतीक | आवेश | द्रव्यमान (amu) | स्थिति | खोजकर्ता | वर्ष |
---|---|---|---|---|---|---|
प्रोटॉन | p⁺ | +1 | 1.007276 | नाभिक में | रदरफोर्ड | 1919 |
न्यूट्रॉन | n | 0 | 1.008665 | नाभिक में | चैडविक | 1932 |
इलेक्ट्रॉन | e⁻ | -1 | 0.000549 | कक्षाओं में | थॉमसन | 1897 |
द्रव्यमान संख्या (A) = प्रोटॉन + न्यूट्रॉन
न्यूट्रॉन की संख्या = A - Z
2.2 परमाणु मॉडल
डाल्टन का परमाणु सिद्धांत (1808):
- सभी पदार्थ अविभाज्य कणों (परमाणु) से बने हैं
- एक तत्व के सभी परमाणु समान होते हैं
- भिन्न तत्वों के परमाणु भिन्न होते हैं
- रासायनिक अभिक्रिया में परमाणु पुनर्व्यवस्थित होते हैं
थॉमसन का मॉडल (1904) - "प्लम पुडिंग मॉडल":
- परमाणु एक धनावेशित गोला है
- इलेक्ट्रॉन इस गोले में समान रूप से वितरित हैं
- किशमिश के केक के समान संरचना
रदरफोर्ड का मॉडल (1911) - "नाभिकीय मॉडल":
- परमाणु का केंद्रीय नाभिक धनावेशित है
- इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं
- α-कण प्रकीर्णन प्रयोग से सिद्ध
- अधिकांश परमाणु खाली स्थान है
बोर का मॉडल (1913) - "कक्षीय मॉडल":
- इलेक्ट्रॉन निश्चित ऊर्जा स्तरों (कक्षाओं) में गति करते हैं
- ऊर्जा का उत्सर्जन/अवशोषण ही स्पेक्ट्रम उत्पन्न करता है
- कक्षाओं को n = 1, 2, 3... से दर्शाया जाता है
- हाइड्रोजन परमाणु के लिए सफल
E = -13.6/n² eV (हाइड्रोजन के लिए)
rₙ = 0.529 × n² Å
आधुनिक परमाणु मॉडल - क्वांटम यांत्रिक मॉडल:
- हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धांत पर आधारित
- इलेक्ट्रॉन की स्थिति संभाव्यता के रूप में व्यक्त
- कक्षकों (orbitals) की अवधारणा
- श्रॉडिंगर समीकरण का प्रयोग
2.3 इलेक्ट्रॉन विन्यास
ऊर्जा स्तर और उप-कोश:
मुख्य ऊर्जा स्तर (n) | उप-कोश | कक्षकों की संख्या | अधिकतम इलेक्ट्रॉन |
---|---|---|---|
1 | 1s | 1 | 2 |
2 | 2s, 2p | 1, 3 | 2, 6 |
3 | 3s, 3p, 3d | 1, 3, 5 | 2, 6, 10 |
4 | 4s, 4p, 4d, 4f | 1, 3, 5, 7 | 2, 6, 10, 14 |
इलेक्ट्रॉन भरने के नियम:
- आउफबाऊ सिद्धांत: इलेक्ट्रॉन पहले कम ऊर्जा वाले कक्षकों में भरते हैं
- पाउली का अपवर्जन सिद्धांत: एक कक्षक में अधिकतम 2 इलेक्ट्रॉन (विपरीत चक्रण के साथ)
- हुंड का नियम: समान ऊर्जा के कक्षकों में पहले एक-एक इलेक्ट्रॉन भरता है
H (1): 1s¹
He (2): 1s²
C (6): 1s² 2s² 2p²
O (8): 1s² 2s² 2p⁴
Ne (10): 1s² 2s² 2p⁶
Na (11): 1s² 2s² 2p⁶ 3s¹
2.4 क्वांटम संख्याएं
क्वांटम संख्या | प्रतीक | मान | दर्शाता है |
---|---|---|---|
मुख्य क्वांटम संख्या | n | 1, 2, 3, 4... | ऊर्जा स्तर |
कोणीय गति क्वांटम संख्या | l | 0 से (n-1) तक | उप-कोश (s,p,d,f) |
चुंबकीय क्वांटम संख्या | m | -l से +l तक | कक्षक की दिशा |
चक्रण क्वांटम संख्या | s | +½, -½ | इलेक्ट्रॉन का चक्रण |
3. रासायनिक बंध
रासायनिक बंध वे बल हैं जो परमाणुओं को एक साथ जोड़कर अणु या यौगिक बनाते हैं। यह इलेक्ट्रॉनों के स्थानांतरण, साझाकरण या विकर्षण से बनते हैं।
3.1 आयनिक बंध
विशेषताएं:
- धातु और अधातु के बीच बनता है
- इलेक्ट्रॉन का पूर्ण स्थानांतरण
- धनायन और ऋणायन का निर्माण
- उच्च गलनांक और क्वथनांक
- जल में घुलनशील
- विद्युत चालक (पिघली अवस्था में)
आयनिक यौगिकों के उदाहरण:
यौगिक | सूत्र | धनायन | ऋणायन | उपयोग |
---|---|---|---|---|
सोडियम क्लोराइड | NaCl | Na⁺ | Cl⁻ | नमक, खाना पकाने |
कैल्शियम कार्बोनेट | CaCO₃ | Ca²⁺ | CO₃²⁻ | संगमरमर, चूना |
मैग्नीशियम ऑक्साइड | MgO | Mg²⁺ | O²⁻ | अपवर्तक पदार्थ |
पोटेशियम ब्रोमाइड | KBr | K⁺ | Br⁻ | फोटोग्राफी |
3.2 सहसंयोजक बंध
विशेषताएं:
- अधातुओं के बीच बनता है
- इलेक्ट्रॉन जोड़े का साझाकरण
- दिशात्मक प्रकृति
- कम गलनांक और क्वथनांक
- कार्बनिक विलायकों में घुलनशील
- सामान्यतः विद्युत के कुचालक
सहसंयोजक बंध के प्रकार:
बंध प्रकार | इलेक्ट्रॉन जोड़े | उदाहरण | बंध लंबाई | बंध ऊर्जा |
---|---|---|---|---|
एकल बंध | 1 | H₂, Cl₂, CH₄ | सबसे अधिक | सबसे कम |
द्विक बंध | 2 | O₂, CO₂, C₂H₄ | मध्यम | मध्यम |
त्रिक बंध | 3 | N₂, CO, C₂H₂ | सबसे कम | सबसे अधिक |
VSEPR सिद्धांत (आकार निर्धारण):
इलेक्ट्रॉन जोड़े एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं और अधिकतम दूरी बनाए रखते हैं
इलेक्ट्रॉन जोड़े | आकार | कोण | उदाहरण |
---|---|---|---|
2 | रैखिक | 180° | BeCl₂, CO₂ |
3 | त्रिकोणीय समतल | 120° | BF₃, SO₃ |
4 | चतुष्फलकीय | 109.5° | CH₄, NH₄⁺ |
5 | त्रिकोणीय द्विपिरामिडल | 90°, 120° | PF₅ |
6 | अष्टफलकीय | 90° | SF₆ |
3.3 धात्विक बंध
विशेषताएं:
- धातुओं में पाया जाता है
- इलेक्ट्रॉन समुद्र मॉडल
- मुक्त गति करने वाले इलेक्ट्रॉन
- उच्च विद्युत चालकता
- तापीय चालकता
- आघातवर्धनीयता और तन्यता
- धात्विक चमक
3.4 अंतर-आणविक बल
वान डर वाल्स बल:
बल प्रकार | कारण | सामर्थ्य | उदाहरण |
---|---|---|---|
लंदन विकीर्णन बल | तत्कालिक द्विध्रुव | सबसे कमजोर | नोबल गैसें, हाइड्रोकार्बन |
द्विध्रुव-द्विध्रुव बल | स्थायी द्विध्रुव | मध्यम | HCl, SO₂ |
हाइड्रोजन बंध | H-F, H-O, H-N | सबसे मजबूत | H₂O, NH₃, HF |
4. आवर्त सारणी
4.1 मेंडेलीव की आवर्त सारणी (1869)
मेंडेलीव के योगदान:
- परमाणु भार के बढ़ते क्रम में तत्वों का क्रम
- समान गुणधर्म वाले तत्वों को एक समूह में रखा
- अज्ञात तत्वों के लिए स्थान छोड़ा
- Ga, Sc, Ge तत्वों की भविष्यवाणी
मेंडेलीव की सारणी की सीमाएं:
- हाइड्रोजन की स्थिति अनिश्चित
- समस्थानिकों की समस्या
- Co-Ni, Ar-K की गलत स्थिति
- लैंथेनाइड और एक्टिनाइड की कोई व्यवस्था नहीं
4.2 आधुनिक आवर्त सारणी
मोसले का आवर्त नियम (1913):
"तत्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या के आवर्त फलन हैं।"
आधुनिक आवर्त सारणी की संरचना:
विशेषता | संख्या | विवरण |
---|---|---|
आवर्त (Periods) | 7 | क्षैतिज पंक्तियां |
समूह (Groups) | 18 | ऊर्ध्वाधर स्तंभ |
s-ब्लॉक तत्व | समूह 1, 2 | क्षार धातु, क्षारीय मृदा धातु |
p-ब्लॉक तत्व | समूह 13-18 | धातु, अधातु, उपधातु |
d-ब्लॉक तत्व | समूह 3-12 | संक्रमण धातुएं |
f-ब्लॉक तत्व | लैंथेनाइड, एक्टिनाइड | आंतरिक संक्रमण तत्व |
4.3 आवर्त गुणधर्म
परमाणु त्रिज्या:
- आवर्त में: बाएं से दाएं घटती है (नाभिकीय आवेश बढ़ता है)
- समूह में: ऊपर से नीचे बढ़ती है (नए कोश जुड़ते हैं)
आयनीकरण ऊर्जा:
दिशा | आवर्त में | समूह में | कारण |
---|---|---|---|
आयनीकरण ऊर्जा | बाएं से दाएं बढ़ती | ऊपर से नीचे घटती | नाभिकीय आवेश और परमाणु आकार |
इलेक्ट्रॉन बंधुता | बाएं से दाएं बढ़ती | ऊपर से नीचे घटती | नाभिकीय आकर्षण |
विद्युत ऋणात्मकता | बाएं से दाएं बढ़ती | ऊपर से नीचे घटती | इलेक्ट्रॉन आकर्षण क्षमता |
विद्युत ऋणात्मकता पैमाना (पॉलिंग स्केल):
- फ्लोरीन (F): 4.0 (सर्वाधिक)
- ऑक्सीजन (O): 3.5
- नाइट्रोजन (N): 3.0
- कार्बन (C): 2.5
- हाइड्रोजन (H): 2.1
- सीज़ियम (Cs): 0.7 (न्यूनतम)
4.4 तत्वों के समूह
s-ब्लॉक तत्व:
समूह | नाम | सामान्य गुणधर्म | उदाहरण |
---|---|---|---|
1 | क्षार धातुएं | नरम, चमकदार, अत्यधिक क्रियाशील | Li, Na, K, Rb, Cs |
2 | क्षारीय मृदा धातुएं | कठोर, चमकदार, कम क्रियाशील | Be, Mg, Ca, Sr, Ba |
p-ब्लॉक तत्व:
- समूह 13: बोरॉन परिवार (B, Al, Ga, In, Tl)
- समूह 14: कार्बन परिवार (C, Si, Ge, Sn, Pb)
- समूह 15: नाइट्रोजन परिवार (N, P, As, Sb, Bi)
- समूह 16: ऑक्सीजन परिवार/चैल्कोजन (O, S, Se, Te, Po)
- समूह 17: हैलोजन (F, Cl, Br, I, At)
- समूह 18: नोबल गैसें (He, Ne, Ar, Kr, Xe, Rn)
d-ब्लॉक तत्व (संक्रमण धातुएं):
विशेषताएं:
- परिवर्तनीय ऑक्सीकरण अवस्था
- रंगीन यौगिक बनाते हैं
- चुंबकीय गुणधर्म
- उत्प्रेरक गुण
- संकुल यौगिक बनाते हैं
- उच्च गलनांक और घनत्व
5. व्यावहारिक अनुप्रयोग
दैनिक जीवन में रसायन:
क्षेत्र | उदाहरण | रासायनिक सिद्धांत |
---|---|---|
खाना पकाना | बेकिंग सोडा, खमीर | रासायनिक अभिक्रिया, किण्वन |
सफाई | साबुन, डिटर्जेंट | मिसेल निर्माण, सतही तनाव |
चिकित्सा | एस्पिरिन, एंटासिड | अम्ल-क्षार अभिक्रिया |
कृषि | उर्वरक, कीटनाशक | पोषक तत्व, आयनिक यौगिक |
प्रौद्योगिकी | बैटरी, सेमीकंडक्टर | इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण, बैंड सिद्धांत |
- प्रोटॉन: नाभिक में स्थित, धनावेशित (+1), द्रव्यमान 1.007 amu, परमाणु संख्या निर्धारित करते हैं
- न्यूट्रॉन: नाभिक में स्थित, उदासीन (0), द्रव्यमान 1.008 amu, समस्थानिक बनाते हैं
- इलेक्ट्रॉन: नाभिक के चारों ओर कक्षाओं में, ऋणावेशित (-1), नगण्य द्रव्यमान, रासायनिक गुण निर्धारित करते हैं
- इलेक्ट्रॉन निश्चित ऊर्जा स्तरों (कक्षाओं) में घूमते हैं
- स्थिर कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन ऊर्जा उत्सर्जित नहीं करते
- कक्षा परिवर्तन में ऊर्जा अवशोषित/उत्सर्जित होती है
- हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की सफल व्याख्या
- केवल हाइड्रोजन के लिए सफल
- जीमान प्रभाव की व्याख्या नहीं कर सका
- रासायनिक बंध की व्याख्या नहीं
- बहु-इलेक्ट्रॉन परमाणुओं के लिए असफल
आयनिक बंध:
- धातु और अधातु के बीच
- इलेक्ट्रॉन का पूर्ण स्थानांतरण
- आयनों का निर्माण
- उच्च गलनांक-क्वथनांक
- जल में घुलनशील
- विद्युत चालक (पिघली अवस्था में)
- अधातुओं के बीच
- इलेक्ट्रॉन जोड़े का साझाकरण
- अणुओं का निर्माण
- कम गलनांक-क्वथनांक
- कार्बनिक विलायकों में घुलनशील
- सामान्यतः विद्युत के कुचालक
- मूल सिद्धांत: संयोजकता कोश के इलेक्ट्रॉन जोड़े एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं
- न्यूनतम प्रतिकर्षण: इलेक्ट्रॉन जोड़े अधिकतम दूरी बनाए रखते हैं
- 2 जोड़े: रैखिक (180°) - BeCl₂
- 3 जोड़े: त्रिकोणीय समतल (120°) - BF₃
- 4 जोड़े: चतुष्फलकीय (109.5°) - CH₄
- 5 जोड़े: त्रिकोणीय द्विपिरामिडल - PF₅
- 6 जोड़े: अष्टफलकीय (90°) - SF₆
- परमाणु संख्या: तत्वों को परमाणु संख्या के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया गया
- इलेक्ट्रॉन विन्यास: समान बाह्यतम कोश वाले तत्व एक समूह में
- मोसले का नियम: "तत्वों के गुण परमाणु संख्या के आवर्त फलन हैं"
- 7 आवर्त (क्षैतिज पंक्तियां)
- 18 समूह (ऊर्ध्वाधर स्तंभ)
- s, p, d, f ब्लॉक विभाजन
- धातु, अधातु, उपधातु का स्पष्ट विभाजन
आवर्त में (बाएं से दाएं):
- आयनीकरण ऊर्जा बढ़ती है
- कारण: नाभिकीय आवेश बढ़ता है
- परमाणु त्रिज्या घटती है
- इलेक्ट्रॉन और नाभिक के बीच आकर्षण बढ़ता है
- आयनीकरण ऊर्जा घटती है
- कारण: परमाणु आकार बढ़ता है
- नए इलेक्ट्रॉन कोश जुड़ते हैं
- आंतरिक इलेक्ट्रॉनों की आड़ (शील्डिंग) प्रभाव
- H-F, H-O, H-N बंधों में पाया जाता है
- हाइड्रोजन और अत्यधिक विद्युत ऋणात्मक तत्व के बीच
- द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण का विशेष मामला
- अंतर-आणविक और अंतः-आणविक दोनों प्रकार का
- जल का उच्च क्वथनांक: जीवन के लिए आवश्यक
- DNA की द्विकुंडलिनी संरचना: आनुवंशिक स्थिरता
- प्रोटीन की द्वितीयक संरचना: α-हेलिक्स, β-शीट
- एंजाइम-सब्स्ट्रेट पहचान: विशिष्टता
- बर्फ का घनत्व: जल से कम, जलीय जीवन की सुरक्षा
s-ब्लॉक तत्व (समूह 1, 2):
- बाह्यतम s-कक्षक में इलेक्ट्रॉन
- प्रबल धनविद्युत प्रकृति
- कम आयनीकरण ऊर्जा
- आयनिक यौगिक बनाते हैं
- बाह्यतम p-कक्षक में इलेक्ट्रॉन
- धातु, अधातु, उपधातु सभी शामिल
- विविध गुणधर्म
- सहसंयोजक और आयनिक दोनों बंध
- d-कक्षक भर रहे हैं
- परिवर्तनीय ऑक्सीकरण अवस्था
- रंगीन यौगिक, चुंबकीय गुण
- उत्प्रेरक गुण
- f-कक्षक भर रहे हैं
- लैंथेनाइड और एक्टिनाइड श्रृंखला
- समान गुणधर्म (लैंथेनाइड संकुचन)
- रेडियोधर्मी (एक्टिनाइड)
1. मुख्य क्वांटम संख्या (n):
- मान: 1, 2, 3, 4...
- ऊर्जा स्तर दर्शाती है
- नाभिक से दूरी निर्धारित करती है
- मान: 0 से (n-1) तक
- उप-कोश दर्शाती है (s=0, p=1, d=2, f=3)
- कक्षक का आकार निर्धारित करती है
- मान: -l से +l तक
- कक्षक की स्थानिक दिशा
- चुंबकीय क्षेत्र में व्यवहार
- मान: +½ या -½
- इलेक्ट्रॉन का आंतरिक चक्रण
- पाउली सिद्धांत के लिए आवश्यक
- धातुओं में पाया जाता है
- बैंड सिद्धांत पर आधारित
- गैर-दिशात्मक प्रकृति
- स्थानीकृत नहीं होता
- धातु परमाणु मिलकर धनायन बनाते हैं
- मुक्त इलेक्ट्रॉन समुद्र में तैरते हैं
- इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रूप से गति करते हैं
- धनायन और इलेक्ट्रॉन समुद्र के बीच आकर्षण
- विद्युत चालकता: मुक्त इलेक्ट्रॉन गति
- तापीय चालकता: ऊर्जा स्थानांतरण
- आघातवर्धनीयता: परतों का खिसकना
- धात्विक चमक: प्रकाश का परावर्तन
परमाणु संरचना की समझ का विकास रसायन विज्ञान की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। इस यात्रा में कई महान वैज्ञानिकों का योगदान है जिन्होंने क्रमिक खोजों से आज के आधुनिक परमाणु सिद्धांत की नींव रखी।
डाल्टन का योगदान (1808): जॉन डाल्टन ने पहली बार परमाणु की वैज्ञानिक अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार परमाणु अविभाज्य कण हैं और सभी तत्वों के परमाणु समान होते हैं। यद्यपि बाद में यह सिद्धांत आंशिक रूप से गलत साबित हुआ, फिर भी इसने परमाणु की अवधारणा को स्थापित किया।
थॉमसन की खोजें (1897-1904): जे.जे. थॉमसन ने कैथोड रे के प्रयोगों से इलेक्ट्रॉन की खोज की। उन्होंने "प्लम पुडिंग मॉडल" प्रस्तुत किया जिसमें परमाणु को धनावेशित गोले के रूप में दिखाया गया जिसमें इलेक्ट्रॉन समान रूप से वितरित हैं। इससे पहली बार पता चला कि परमाणु विभाज्य है।
रदरफोर्ड का क्रांतिकारी मॉडल (1911): अर्नेस्ट रदरफोर्ड के α-कण प्रकीर्णन प्रयोग ने परमाणु संरचना की समझ में क्रांति ला दी। उन्होंने दिखाया कि परमाणु का अधिकांश भाग खाली स्थान है और केंद्र में एक छोटा, धनावेशित नाभिक है। इससे नाभिकीय मॉडल का जन्म हुआ।
बोर का योगदान (1913): नील्स बोर ने क्वांटम सिद्धांत को परमाणु संरचना में लागू किया। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉन निश्चित ऊर्जा स्तरों में चक्कर लगाते हैं और ऊर्जा का उत्सर्जन/अवशोषण ही स्पेक्ट्रम उत्पन्न करता है। इस मॉडल ने हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की सफल व्याख्या की।
आधुनिक क्वांटम मॉडल: हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धांत और श्रॉडिंगर समीकरण ने आधुनिक परमाणु सिद्धांत की नींव रखी। इसमें इलेक्ट्रॉन की स्थिति संभाव्यता के रूप में व्यक्त की जाती है और कक्षकों की अवधारणा दी गई है।
चैडविक की खोज (1932): जेम्स चैडविक ने न्यूट्रॉन की खोज की जो नाभिक में प्रोटॉन के साथ स्थित होता है। इससे समस्थानिकों की व्याख्या संभव हुई।
निष्कर्ष: आधुनिक परमाणु सिद्धांत एक वैज्ञानिक विकास की गाथा है जिसमें प्रत्येक वैज्ञानिक ने अपनी खोजों से पिछले मॉडल को सुधारा और विकसित किया। आज हमारी समझ इतनी परिष्कृत है कि हम परमाणु की संरचना का उपयोग करके नई सामग्री और तकनीक विकसित कर सकते हैं।
रासायनिक बंध वे बल हैं जो परमाणुओं को एक साथ जोड़कर अणु और यौगिक बनाते हैं। ये बंध इलेक्ट्रॉनों की परस्पर क्रिया से बनते हैं और पदार्थ के गुणधर्म निर्धारित करते हैं।
आयनिक बंध: यह धातु और अधातु के बीच बनता है जहाँ इलेक्ट्रॉन का पूर्ण स्थानांतरण होता है। धातु इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनती है और अधातु इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनती है। इन विपरीत आवेशित आयनों के बीच स्थैतिक विद्युत आकर्षण से आयनिक बंध बनता है। इसकी विशेषताएं हैं: उच्च गलनांक-क्वथनांक, जल में घुलनशीलता, विद्युत चालकता (पिघली अवस्था में), और कठोरता। उदाहरण: NaCl, CaCO₃, MgO।
सहसंयोजक बंध: अधातुओं के बीच इलेक्ट्रॉन जोड़ों के साझाकरण से बनता है। यह दिशात्मक होता है और अणु निर्माण करता है। इसकी विशेषताएं हैं: कम गलनांक-क्वथनांक, कार्बनिक विलायकों में घुलनशीलता, विद्युत के कुचालक होना। एकल, द्विक, और त्रिक बंध के रूप में पाया जाता है। उदाहरण: H₂, O₂, N₂, CH₄।
धात्विक बंध: धातुओं में पाया जाता है जहाँ मुक्त इलेक्ट्रॉन समुद्र में धनायन तैरते हैं। यह विद्युत चालकता, तापीय चालकता, आघातवर्धनीयता, तन्यता, और धात्विक चमक के लिए जिम्मेदार है। उदाहरण: Fe, Cu, Au।
अंतर-आणविक बल: वान डर वाल्स बल, द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण, और हाइड्रोजन बंध शामिल हैं। हाइड्रोजन बंध सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जल के अनोखे गुणधर्म और जैविक अणुओं की संरचना के लिए जिम्मेदार है।
दैनिक जीवन में अनुप्रयोग: आयनिक यौगिक नमक, उर्वरक, दवाओं में प्रयुक्त होते हैं। सहसंयोजक यौगिक प्लास्टिक, ईंधन, दवाओं में मिलते हैं। धात्विक बंध तार, बर्तन, निर्माण सामग्री में महत्वपूर्ण है। हाइड्रोजन बंध DNA संरचना, प्रोटीन फोल्डिंग में आवश्यक है।
निष्कर्ष: रासायनिक बंधों की समझ न केवल रसायन विज्ञान की आधारशिला है बल्कि नई सामग्री, दवाएं, और तकनीक विकसित करने के लिए भी अत्यावश्यक है।
आवर्त सारणी रसायन विज्ञान की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है जो तत्वों के व्यवस्थित वर्गीकरण और उनके गुणधर्मों की भविष्यवाणी में सहायक है।
ऐतिहासिक विकास: आवर्त सारणी का विकास कई चरणों में हुआ। डॉबेराइनर के त्रिक नियम (1829) से शुरुआत हुई, न्यूलैंड्स के अष्टक नियम (1865) ने आवर्तता की अवधारणा दी। मेंडेलीव (1869) ने परमाणु भार के आधार पर व्यवस्थित सारणी बनाई और अज्ञात तत्वों की सफल भविष्यवाणी की। हेनरी मोसले (1913) ने एक्स-रे अध्ययन से परमाणु संख्या की खोज की और आधुनिक आवर्त नियम स्थापित किया।
आधुनिक आवर्त सारणी की संरचना: वर्तमान सारणी परमाणु संख्या के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित है। इसमें 7 आवर्त (क्षैतिज पंक्तियां) और 18 समूह (ऊर्ध्वाधर स्तंभ) हैं। तत्वों को s, p, d, f ब्लॉकों में विभाजित किया गया है जो उनके इलेक्ट्रॉन विन्यास पर आधारित है। s-ब्लॉक में क्षार और क्षारीय मृदा धातुएं, p-ब्लॉक में मुख्य समूह के तत्व, d-ब्लॉक में संक्रमण धातुएं, और f-ब्लॉक में लैंथेनाइड व एक्टिनाइड शामिल हैं।
आवर्त गुणधर्म: आवर्त सारणी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि तत्वों के गुणधर्म आवर्तता दर्शाते हैं। परमाणु त्रिज्या आवर्त में बाएं से दाएं घटती है (बढ़ते नाभिकीय आवेश के कारण) और समूह में ऊपर से नीचे बढ़ती है (नए इलेक्ट्रॉन कोश के कारण)। आयनीकरण ऊर्जा का ट्रेंड परमाणु त्रिज्या के विपरीत है - आवर्त में बढ़ती है और समूह में घटती है।
विद्युत ऋणात्मकता: यह तत्व की इलेक्ट्रॉन आकर्षण क्षमता है। फ्लोरीन सबसे अधिक विद्युत ऋणात्मक (4.0) और सीज़ियम सबसे कम (0.7) है। यह गुण रासायनिक बंध की प्रकृति निर्धारित करता है।
व्यावहारिक महत्व: आवर्त सारणी से नए तत्वों की भविष्यवाणी की जा सकती है। यह रासायनिक अभिक्रियाओं की प्रकृति, यौगिकों के गुण, और औद्योगिक अनुप्रयोगों की जानकारी देती है। धातुविज्ञान, दवा निर्माण, और नई सामग्री विकास में इसका व्यापक उपयोग है।
भविष्य की संभावनाएं: वैज्ञानिक अभी भी नए सुपर-हैवी तत्वों की खोज में लगे हैं। तत्व 119 और 120 की खोज चल रही है जो आवर्त सारणी को और विस्तृत करेगी।
निष्कर्ष: आवर्त सारणी केवल तत्वों की सूची नहीं बल्कि प्रकृति के मूलभूत नियमों का प्रतिबिंब है जो रसायन विज्ञान की समझ और विकास का आधार है।
परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण तथ्य:
- परमाणु संख्या = प्रोटॉन की संख्या = इलेक्ट्रॉन की संख्या (उदासीन परमाणु में)
- द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉन + न्यूट्रॉन
- s-कक्षक गोलाकार, p-कक्षक डंबल आकार, d-कक्षक जटिल आकार
- आयनिक त्रिज्या: धनायन < परमाणु < ऋणायन
- नोबल गैसों में सबसे अधिक आयनीकरण ऊर्जा
- हाइड्रोजन बंध सबसे मजबूत अंतर-आणविक बल है
-
प्रश्न: परमाणु क्रमांक (Atomic Number) क्या दर्शाता है?
उत्तर: परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2018
-
प्रश्न: समस्थानिक (Isotopes) क्या हैं?
उत्तर: जिन परमाणुओं का परमाणु क्रमांक समान परंतु द्रव्यमान संख्या भिन्न हो।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2016
-
प्रश्न: समावयवी (Isoelectronic) प्रजातियाँ किसे कहते हैं?
उत्तर: जिनमें कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान हो (उदा. Ne, Na+, Mg2+).
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2021
-
प्रश्न: कौन‑सा क्वांटम संख्या ऑर्बिटल का आकार बताती है?
उत्तर: द्वितीय (आजिमुथल) क्वांटम संख्या, l.
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2018
-
प्रश्न: हंड का नियम (Hund’s rule) किससे संबंधित है?
उत्तर: उपखण्ड में इलेक्ट्रॉनों का अधिकतम अपैरिंग/समान स्पिन के साथ भरण।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2016
-
प्रश्न: आयनिक बंध कब बनता है?
उत्तर: जब उच्च विद्युदणुता अंतर के कारण एक परमाणु से दूसरे में इलेक्ट्रॉन का स्थानांतरण होता है (उदा. NaCl).
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2018
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प्रश्न: सहसंयोजक बंध (Covalent bond) की मूल प्रकृति क्या है?
उत्तर: दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन युग्म का साझाकरण।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2016/2021
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प्रश्न: विद्युदणुता (Electronegativity) का सामान्य आवर्त प्रवृत्ति क्या है?
उत्तर: आवर्त में बाएँ से दाएँ बढ़ती है, समूह में ऊपर से नीचे घटती है; सबसे अधिक—फ्लोरीन।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2018
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प्रश्न: आयनीकरण ऊर्जा (Ionization Enthalpy) किस दिशा में बढ़ती है?
उत्तर: आवर्त में बाएँ से दाएँ बढ़ती तथा समूह में ऊपर से नीचे घटती; अपवाद—Be, N, Mg, P आदि।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2016/2018
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प्रश्न: प्रथम आवर्त में कुल कितने अवयव (elements) हैं?
उत्तर: दो—हाइड्रोजन और हीलियम।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2021
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