भारत का भूगोल – भौतिक भूगोल: स्थलाकृति, नदियाँ, जलवायु, मृदा और वनस्पति

| अगस्त 11, 2025
भारत का भूगोल - भौतिक भूगोल | Sarkari Service Prep

भारत का भूगोल
भौतिक भूगोल

1. परिचय

भारत एक विशाल और भौगोलिक विविधता से भरपूर देश है। उत्तर में विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला हिमालय से लेकर दक्षिण में हिंद महासागर तक, भारत की भौगोलिक संरचना अत्यंत जटिल और विविधतापूर्ण है। इस भूमि पर विभिन्न भूगर्भीय काल की चट्टानें, विविध जलवायु क्षेत्र, और असंख्य नदी प्रणालियाँ मिलती हैं।

भारत के भौगोलिक तथ्य:
• क्षेत्रफल: 32,87,263 वर्ग किमी
• उत्तर से दक्षिण तक विस्तार: 3,214 किमी
• पूर्व से पश्चिम तक विस्तार: 2,933 किमी
• तटरेखा की लंबाई: 7,516.6 किमी
• अक्षांशीय विस्तार: 8°4' उत्तर से 37°6' उत्तर
• देशांतरीय विस्तार: 68°7' पूर्व से 97°25' पूर्व

2. स्थलाकृति (भूआकृति)

भारत की स्थलाकृति को मुख्यतः पांच भागों में विभाजित किया जा सकता है। प्रत्येक भाग की अपनी विशिष्ट भूवैज्ञानिक संरचना, आकृति और महत्व है।

2.1 हिमालय पर्वत श्रृंखला

हिमालय विश्व की सबसे युवा और सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला है। यह भारत की उत्तरी सीमा पर 2,500 किमी की लंबाई में पश्चिम से पूर्व तक फैली हुई है।

हिमालय का निर्माण:

हिमालय का निर्माण टेथिस सागर के अवसादों से हुआ है जब भारतीय प्लेट यूरेशियाई प्लेट से टकराई। यह प्रक्रिया आज भी जारी है, जिससे हिमालय की ऊंचाई निरंतर बढ़ रही है।

हिमालय के मुख्य भाग:

1. ट्रांस हिमालय (तिब्बती हिमालय):
  • काराकोरम श्रेणी: K2 (गॉडविन ऑस्टिन), गाशेरब्रुम
  • लद्दाख श्रेणी: लेह-लद्दाख क्षेत्र
  • जास्कर श्रेणी: सिंधु नदी का मार्ग
2. वृहत हिमालय (हिमाद्री):
  • औसत ऊंचाई: 6,000 मीटर से अधिक
  • प्रमुख चोटियां: माउंट एवरेस्ट (8,848 मी), कंचनजंगा (8,598 मी), मकालू (8,485 मी)
  • विशेषताएं: स्थायी हिमावरण, ग्लेशियर का स्रोत
3. लघु हिमालय (हिमाचल):
  • औसत ऊंचाई: 1,000-4,500 मीटर
  • प्रमुख श्रेणियां: पीर पंजाल, धौलाधर, महाभारत श्रेणी
  • हिल स्टेशन: शिमला, मसूरी, दार्जिलिंग, कुल्लू
4. बाहरी हिमालय (शिवालिक):
  • औसत ऊंचाई: 600-1,500 मीटर
  • चौड़ाई: 10-50 किमी
  • संरचना: अवसादी चट्टानें, कंकड़-पत्थर
महत्वपूर्ण तथ्य: हिमालय को 'पृथ्वी का मुकुट' और 'एशिया का जल संग्रह केंद्र' कहा जाता है।

क्षेत्रीय विभाजन:

  1. पश्चिमी हिमालय: सिंधु से काली नदी तक
  2. मध्य हिमालय: काली से तीस्ता नदी तक
  3. पूर्वी हिमालय: तीस्ता से ब्रह्मपुत्र तक

2.2 उत्तरी मैदान

उत्तरी मैदान भारत का सबसे उपजाऊ और घनी आबादी वाला क्षेत्र है। यह हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा लाए गए जलोढ़ निक्षेप से बना है।

निर्माण:

  • सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी प्रणालियों का योगदान
  • लाखों वर्षों के जलोढ़ निक्षेप
  • विश्व का सबसे बड़ा जलोढ़ मैदान

विभाजन:

1. पंजाब-हरियाणा मैदान:
  • क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश
  • नदियां: सिंधु की सहायक नदियां
  • विशेषता: गेहूं की खेती, हरित क्रांति का केंद्र
2. गंगा का मैदान:
  • क्षेत्र: उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल
  • उपविभाग: ऊपरी गंगा मैदान, मध्य गंगा मैदान, निचला गंगा मैदान
  • विशेषता: सर्वाधिक उपजाऊ भूमि
3. ब्रह्मपुत्र मैदान:
  • क्षेत्र: असम
  • विशेषता: चाय की खेती, तेल के भंडार
  • समस्या: वार्षिक बाढ़

मैदान के भाग (ऊंचाई के आधार पर):

  1. भाबर: कंकड़-पत्थर वाला क्षेत्र
  2. तराई: दलदली और घने जंगल वाला क्षेत्र
  3. भांगर: पुराना जलोढ़ क्षेत्र
  4. खादर: नया जलोढ़ क्षेत्र

2.3 प्रायद्वीपीय पठार

प्रायद्वीपीय पठार भारत की सबसे पुरानी भूगर्भीय संरचना है। यह गोंडवाना लैंड का हिस्सा था और मुख्यतः आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों से बना है।

निर्माण और संरचना:

  • आयु: प्री-कैम्ब्रियन काल (250 करोड़ वर्ष पुराना)
  • चट्टानें: ग्रेनाइट, नीस, शिस्ट
  • आकार: त्रिकोणाकार
  • आधार: दिल्ली से लेकर दक्षिण तक

प्रमुख भाग:

1. मध्य उच्चभूमि:
  • स्थिति: नर्मदा नदी के उत्तर में
  • भाग: मालवा पठार, छोटानागपुर पठार, बुंदेलखंड पठार
  • खनिज: कोयला, लौह अयस्क, मैंगनीज
2. दक्कन का पठार:
  • स्थिति: नर्मदा नदी के दक्षिण में
  • संरचना: मुख्यतः बेसाल्ट चट्टानें
  • मिट्टी: काली मिट्टी (रेगुर)

प्रमुख पर्वत श्रेणियां:

अरावली श्रेणी:
  • स्थिति: राजस्थान और हरियाणा
  • सर्वोच्च शिखर: गुरु शिखर (माउंट आबू) - 1,722 मी
  • विशेषता: भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रेणी
विंध्य श्रेणी:
  • स्थिति: मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश
  • महत्व: उत्तर और दक्षिण भारत की सीमा
सतपुड़ा श्रेणी:
  • स्थिति: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र
  • सर्वोच्च शिखर: धूपगढ़ (1,350 मी)
पश्चिमी घाट:
  • स्थिति: गुजरात से कन्याकुमारी तक
  • सर्वोच्च शिखर: अनाईमुडी (2,695 मी) - केरल
  • अन्य नाम: सह्याद्री पर्वत
पूर्वी घाट:
  • स्थिति: उड़ीसा से तमिलनाडु तक
  • सर्वोच्च शिखर: महेंद्रगिरि (1,501 मी) - उड़ीसा
  • विशेषता: नदियों द्वारा काटा गया
नीलगिरि पहाड़ियां:
  • स्थिति: तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक का संगम
  • सर्वोच्च शिखर: डोडाबेट्टा (2,637 मी)
  • विशेषता: चाय की खेती

2.4 तटीय मैदान

भारत के तटीय मैदान पश्चिमी और पूर्वी तट पर स्थित हैं। ये समुद्री तरंगों और नदियों के निक्षेप से बने हैं।

पश्चिमी तटीय मैदान:

मालाबार तट:
  • स्थिति: केरल और कर्नाटक
  • विशेषताएं: बैकवॉटर, नारियल की खेती
  • बंदरगाह: कोच्चि, मैंगलोर
कन्कण तट:
  • स्थिति: गोवा और महाराष्ट्र
  • विशेषताएं: संकरा तट, मत्स्य उद्योग
  • बंदरगाह: मुंबई, जेएनपीटी
काठियावाड़ तट:
  • स्थिति: गुजरात
  • विशेषताएं: कच्छ का रण, नमक उत्पादन
  • बंदरगाह: कांडला, भावनगर

पूर्वी तटीय मैदान:

कोरोमंडल तट:
  • स्थिति: तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश
  • विशेषताएं: चौड़ा तट, डेल्टा क्षेत्र
  • बंदरगाह: चेन्नई, विशाखापत्तनम
उत्तरी सरकार तट:
  • स्थिति: उड़ीसा और पश्चिम बंगाल
  • विशेषताएं: गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा
  • बंदरगाह: कोलकाता, पारादीप

2.5 द्वीप समूह

भारत के दो मुख्य द्वीप समूह हैं जो भारत की मुख्य भूमि से दूर समुद्र में स्थित हैं।

लक्षद्वीप:

  • स्थिति: अरब सागर में केरल तट से 200-300 किमी दूर
  • द्वीपों की संख्या: 36 (केवल 10 बसे हुए)
  • निर्माण: कोरल द्वीप
  • राजधानी: कवरत्ती
  • क्षेत्रफल: 32 वर्ग किमी

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह:

  • स्थिति: बंगाल की खाड़ी में
  • द्वीपों की संख्या: 572 (36 बसे हुए)
  • निर्माण: ज्वालामुखी द्वीप
  • राजधानी: पोर्ट ब्लेयर
  • क्षेत्रफल: 8,249 वर्ग किमी
  • सर्वोच्च शिखर: सैडल पीक (732 मी)
महत्वपूर्ण: अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु 'इंदिरा पॉइंट' (ग्रेट निकोबार में) स्थित है।

3. प्रमुख नदियाँ व जल प्रणालियाँ

भारत की नदियाँ देश की सभ्यता, संस्कृति और अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा हैं। भारत की नदियों को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है।

3.1 हिमालयी नदियाँ

हिमालयी नदियाँ बर्फ और वर्षा दोनों से पोषित होती हैं। ये सदानीरा होती हैं और बड़े डेल्टा का निर्माण करती हैं।

सिंधु नदी प्रणाली:

सिंधु नदी:
• उद्गम: मानसरोवर झील के पास (तिब्बत)
• लंबाई: 2,880 किमी (भारत में 1,114 किमी)
• संगम: अरब सागर
• मुख्य सहायक नदियां: झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज
सिंधु की सहायक नदियां:
  • झेलम: वेरीनाग (कश्मीर) से निकलती है
  • चिनाब: चंद्रा और भागा नदियों के मिलने से बनती है
  • रावी: रोहतांग दर्रे से निकलती है
  • ब्यास: व्यास कुंड (रोहतांग) से निकलती है
  • सतलुज: राकसताल झील (तिब्बत) से निकलती है

गंगा नदी प्रणाली:

गंगा नदी:
• उद्गम: गंगोत्री ग्लेशियर से गोमुख (उत्तराखंड)
• लंबाई: 2,525 किमी
• संगम: बंगाल की खाड़ी
• अन्य नाम: भागीरथी (उद्गम स्थल पर), हुगली (पश्चिम बंगाल में)
गंगा की प्रमुख सहायक नदियां:
दाहिनी तरफ से मिलने वाली (हिमालयी):
  • यमुना: यमुनोत्री से, सबसे लंबी सहायक नदी
  • रामगंगा: कुमाऊं हिमालय से
  • घाघरा: तिब्बत से (मप्चाछुंगो ग्लेशियर)
  • गंडक: नेपाल हिमालय से
  • कोसी: नेपाल से (बिहार का शोक)
बाईं तरफ से मिलने वाली (प्रायद्वीपीय):
  • चंबल: मध्य प्रदेश से
  • सिंध: मध्य प्रदेश से
  • बेतवा: मध्य प्रदेश से
  • केन: मध्य प्रदेश से
  • सोन: छोटानागपुर पठार से

ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली:

ब्रह्मपुत्र नदी:
• उद्गम: मानसरोवर झील के पास (तिब्बत में सांग्पो)
• लंबाई: 2,900 किमी (भारत में 916 किमी)
• संगम: बंगाल की खाड़ी
• विशेषता: मासे का डेल्टा बनाती है (गंगा के साथ मिलकर)
ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियां:
  • तीस्ता: सिक्किम हिमालय से
  • दिहांग: अरुणाचल प्रदेश से
  • लोहित: अरुणाचल प्रदेश से
  • सुबनसिरी: तिब्बत से

3.2 प्रायद्वीपीय नदियाँ

प्रायद्वीपीय नदियाँ मुख्यतः वर्षा पर निर्भर हैं। ये मौसमी होती हैं और घाटी का निर्माण करती हैं।

पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ:

नर्मदा नदी:
  • उद्गम: अमरकंटक (मध्य प्रदेश)
  • लंबाई: 1,312 किमी
  • संगम: अरब सागर (भरूच के पास)
  • विशेषता: भ्रंश घाटी में बहती है
ताप्ती नदी:
  • उद्गम: बेतुल (मध्य प्रदेश)
  • लंबाई: 724 किमी
  • संगम: अरब सागर (सूरत के पास)
  • विशेषता: भ्रंश घाटी में बहती है

पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ:

महानदी:
  • उद्गम: सिहावा (छत्तीसगढ़)
  • लंबाई: 851 किमी
  • संगम: बंगाल की खाड़ी
  • राज्य: छत्तीसगढ़, उड़ीसा
गोदावरी नदी:
  • उद्गम: त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र)
  • लंबाई: 1,465 किमी
  • संगम: बंगाल की खाड़ी
  • उपनाम: दक्षिण गंगा
कृष्णा नदी:
  • उद्गम: महाबलेश्वर (महाराष्ट्र)
  • लंबाई: 1,400 किमी
  • संगम: बंगाल की खाड़ी
  • सहायक नदियाँ: तुंगभद्रा, भीमा
कावेरी नदी:
  • उद्गम: ब्रह्मगिरि पहाड़ी (कर्नाटक)
  • लंबाई: 800 किमी
  • संगम: बंगाल की खाड़ी
  • विशेषता: दक्षिण की गंगा

3.3 अपवाह तंत्र

भारत में चार मुख्य अपवाह तंत्र हैं:

अपवाह तंत्र क्षेत्रफल (%) मुख्य नदियाँ संगम
अरब सागरीय 23% सिंधु, नर्मदा, ताप्ती अरब सागर
बंगाल की खाड़ी 77% गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी बंगाल की खाड़ी
अंतर्देशीय - लूनी, घग्घर समुद्र तक नहीं पहुंचती
हिमनदी - सियाचिन ग्लेशियर बर्फ में जम जाती है

4. जलवायु की विशेषताएँ

भारत की जलवायु मानसूनी प्रकार की है। यहाँ ऋतुओं का स्पष्ट विभाजन मिलता है और मानसूनी पवनों का प्रभाव देखा जाता है।

4.1 मानसूनी जलवायु

मानसून अरबी भाषा के 'मौसिम' शब्द से बना है जिसका अर्थ है 'मौसम'। यह पवन प्रणाली है जो ऋतुओं के साथ अपनी दिशा बदलती रहती है।

मानसून के प्रकार:

1. दक्षिण-पश्चिम मानसून (ग्रीष्मकालीन):
  • समय: जून से सितंबर
  • दिशा: दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व
  • प्रभाव: वर्षा लाता है
  • शाखाएं: अरब सागरीय और बंगाल की खाड़ी
2. उत्तर-पूर्व मानसून (शीतकालीन):
  • समय: दिसंबर से फरवरी
  • दिशा: उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम
  • प्रभाव: शुष्क पवनें (तमिलनाडु में वर्षा)

4.2 जलवायु नियंत्रक कारक

1. अक्षांश:

  • कर्क रेखा भारत के मध्य से गुजरती है
  • उत्तर में शीतोष्ण, दक्षिण में उष्णकटिबंधीय

2. हिमालय पर्वत:

  • मध्य एशिया की ठंडी हवाओं से सुरक्षा
  • मानसूनी पवनों को रोकता है

3. समुद्र से दूरी:

  • तटीय क्षेत्र: सम जलवायु
  • अंतर्देशीय क्षेत्र: चरम जलवायु

4. ऊंचाई:

  • ऊंचाई बढ़ने पर तापमान घटता है
  • प्रति 165 मीटर पर 1°C की कमी

5. वायु दाब और पवन प्रणाली:

  • मानसूनी पवनों का प्रभाव
  • जेट स्ट्रीम का प्रभाव

4.3 ऋतुएँ

भारत में चार मुख्य ऋतुएँ होती हैं:

1. शीत ऋतु (दिसंबर-फरवरी):

  • तापमान: 10°C से 27°C
  • वर्षा: उत्तर-पश्चिम में हल्की वर्षा
  • पवनें: उत्तर-पूर्व मानसून

2. ग्रीष्म ऋतु (मार्च-मई):

  • तापमान: 30°C से 45°C
  • विशेषताएं: लू, धूल भरी आंधी
  • न्यूनतम दबाव: उत्तर-पश्चिम में

3. वर्षा ऋतु (जून-सितंबर):

  • वर्षा: 75% वार्षिक वर्षा
  • पवनें: दक्षिण-पश्चिम मानसून
  • आर्द्रता: उच्च

4. शरद ऋतु (अक्टूबर-नवंबर):

  • तापमान: धीरे-धीरे कम होता है
  • वर्षा: तमिलनाडु में चक्रवातीय वर्षा
  • मौसम: साफ आसमान
ऋतु महीने तापमान वर्षा विशेषताएं
शीत दिसंबर-फरवरी 10-27°C कम उत्तर-पूर्व मानसून
ग्रीष्म मार्च-मई 30-45°C बहुत कम लू, आंधी
वर्षा जून-सितंबर 25-35°C अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून
शरद अक्टूबर-नवंबर 20-30°C कम वापसी मानसून

5. मृदा व प्राकृतिक वनस्पति

भारत में विविध प्रकार की मिट्टी और प्राकृतिक वनस्पति पाई जाती है जो जलवायु, स्थलाकृति और भूगर्भीय संरचना पर निर्भर करती है।

5.1 मृदा के प्रकार

भारत में मुख्यतः आठ प्रकार की मिट्टी पाई जाती है:

1. जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil):

  • क्षेत्र: उत्तरी मैदान, डेल्टा क्षेत्र
  • रंग: हल्के भूरे से राख का रंग
  • विशेषताएं: उपजाऊ, पोटाश और फास्फोरस भरपूर
  • फसलें: चावल, गेहूं, मक्का, गन्ना
  • क्षेत्रफल: भारत की 40% भूमि

2. काली मिट्टी (Black Soil):

  • क्षेत्र: दक्कन का पठार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश
  • निर्माण: बेसाल्ट चट्टानों से
  • विशेषताएं: नमी रोकने की क्षमता, स्व-जुताई
  • फसलें: कपास (मुख्य), तंबाकू, मिर्च
  • अन्य नाम: रेगुर मिट्टी, कपास की मिट्टी

3. लाल मिट्टी (Red Soil):

  • क्षेत्र: तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा
  • रंग: आयरन ऑक्साइड के कारण लाल
  • विशेषताएं: कम उपजाऊ, फास्फोरस की कमी
  • फसलें: बाजरा, मक्का, दलहन

4. लेटराइट मिट्टी (Laterite Soil):

  • क्षेत्र: केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा
  • निर्माण: अधिक वर्षा और उच्च तापमान
  • विशेषताएं: अम्लीय, लौह और एल्युमिनियम भरपूर
  • उपयोग: ईंट बनाने में, काजू की खेती

5. पर्वतीय मिट्टी (Mountain Soil):

  • क्षेत्र: हिमालयी क्षेत्र, पूर्वोत्तर राज्य
  • विशेषताएं: कार्बनिक पदार्थ भरपूर, अम्लीय
  • फसलें: चाय, कॉफी, मसाले, फल

6. मरुस्थलीय मिट्टी (Desert Soil):

  • क्षेत्र: राजस्थान, गुजरात, हरियाणा
  • विशेषताएं: रेतीली, कम ह्यूमस, खारी
  • फसलें: बाजरा, ज्वार, दलहन

7. दलदली मिट्टी (Marshy Soil):

  • क्षेत्र: सुंदरवन, कुछ तटीय क्षेत्र
  • विशेषताएं: खारी, कार्बनिक पदार्थ भरपूर
  • वनस्पति: मैंग्रोव वन

8. पीट मिट्टी (Peat Soil):

  • क्षेत्र: केरल के कुछ भाग
  • विशेषताएं: कार्बनिक पदार्थ अधिक, अम्लीय
  • उपयोग: ईंधन के रूप में
मिट्टी का प्रकार मुख्य क्षेत्र रंग मुख्य फसलें विशेषता
जलोढ़ उत्तरी मैदान हल्का भूरा चावल, गेहूं सर्वाधिक उपजाऊ
काली दक्कन पठार काला कपास नमी धारण
लाल दक्षिण भारत लाल बाजरा, दलहन आयरन ऑक्साइड
लेटराइट केरल, कर्नाटक लाल-पीला काजू, नारियल अम्लीय प्रकृति
मरुस्थलीय राजस्थान पीला-भूरा बाजरा रेतीली

5.2 प्राकृतिक वनस्पति

भारत में प्राकृतिक वनस्पति मुख्यतः जलवायु, मिट्टी और स्थलाकृति पर निर्भर करती है। यहाँ उष्णकटिबंधीय से लेकर अल्पाइन तक की वनस्पति मिलती है।

वन के प्रकार:

1. उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन:
  • स्थिति: पश्चिमी घाट, पूर्वोत्तर राज्य
  • वर्षा: 200 सेमी से अधिक
  • वृक्ष: महोगनी, एबोनी, रोजवुड, सिनकोना
  • विशेषताएं: घने वन, विविध प्रजातियां
2. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन:
  • स्थिति: छोटानागपुर पठार, ओडिशा, मध्य प्रदेश
  • वर्षा: 70-200 सेमी
  • वृक्ष: सागौन, शीशम, चंदन, साल
  • विशेषताएं: शुष्क मौसम में पत्ते गिराते हैं
3. उष्णकटिबंधीय कांटेदार वन:
  • स्थिति: राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश के भाग
  • वर्षा: 50 सेमी से कम
  • वृक्ष: बबूल, खैर, खजूर, नागफनी
  • विशेषताएं: कम पानी की आवश्यकता
4. पर्वतीय वन:
उप-उष्णकटिबंधीय वन:
  • ऊंचाई: 1000-2000 मीटर
  • वृक्ष: चीड़, देवदार, सफेदा
शीतोष्ण वन:
  • ऊंचाई: 1500-3000 मीटर
  • वृक्ष: ओक, बर्च, मेपल
अल्पाइन वन:
  • ऊंचाई: 3000 मीटर से अधिक
  • वृक्ष: जुनिपर, रोडोडेंड्रन
5. मैंग्रोव वन:
  • स्थिति: सुंदरवन, गोदावरी डेल्टा
  • विशेषताएं: खारे पानी में पनपते हैं
  • वृक्ष: सुंदरी, गोरान, केवड़ा
  • महत्व: तटीय सुरक्षा, मत्स्य उद्योग
महत्वपूर्ण तथ्य:
  • भारत में वन क्षेत्र लगभग 21.67% है
  • सुंदरवन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है
  • साल वृक्ष छत्तीसगढ़ का राज्य वृक्ष है
  • सागौन को 'वन का राजा' कहा जाता है

6. प्रश्नोत्तरी

प्रश्न 1: भारत की सबसे ऊंची चोटी कौन सी है?
उत्तर: गॉडविन ऑस्टिन (K2) - 8,611 मीटर (काराकोरम श्रेणी में)
प्रश्न 2: भारत की सबसे लंबी नदी कौन सी है?
उत्तर: गंगा नदी - 2,525 किमी
प्रश्न 3: प्रायद्वीपीय भारत की सबसे ऊंची चोटी कौन सी है?
उत्तर: अनाईमुडी (केरल) - 2,695 मीटर
प्रश्न 4: 'दक्षिण की गंगा' किस नदी को कहा जाता है?
उत्तर: कावेरी नदी को 'दक्षिण की गंगा' कहा जाता है।
प्रश्न 5: कौन सी नदी 'बिहार का शोक' कहलाती है?
उत्तर: कोसी नदी को 'बिहार का शोक' कहा जाता है।
प्रश्न 6: भारत का सबसे बड़ा द्वीप समूह कौन सा है?
उत्तर: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (8,249 वर्ग किमी)
प्रश्न 7: कर्क रेखा भारत के कितने राज्यों से गुजरती है?
उत्तर: कर्क रेखा भारत के 8 राज्यों से गुजरती है - गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम।
प्रश्न 8: भारत की कुल तटरेखा की लंबाई कितनी है?
उत्तर: भारत की कुल तटरेखा की लंबाई 7,516.6 किमी है।
प्रश्न 9: हिमालय की सबसे लंबी ग्लेशियर कौन सी है?
उत्तर: सियाचिन ग्लेशियर (72 किमी लंबी)
प्रश्न 10: भारत में सबसे अधिक वर्षा कहाँ होती है?
उत्तर: मावसिनराम (मेघालय) में सबसे अधिक वर्षा होती है - औसत 11,871 मिमी वार्षिक।
प्रश्न 11: काली मिट्टी किस फसल के लिए सबसे उपयुक्त है?
उत्तर: काली मिट्टी कपास की फसल के लिए सबसे उपयुक्त है।
प्रश्न 12: भारत का कुल वन क्षेत्र कितना प्रतिशत है?
उत्तर: भारत का कुल वन क्षेत्र लगभग 21.67% है।
प्रश्न 13: तीन समुद्रों से घिरी भूमि को क्या कहते हैं?
उत्तर: तीन समुद्रों से घिरी भूमि को प्रायद्वीप कहते हैं।
प्रश्न 14: गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी मिलकर कौन सा डेल्टा बनाती हैं?
उत्तर: गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी मिलकर सुंदरवन डेल्टा (संसार का सबसे बड़ा डेल्टा) बनाती हैं।
प्रश्न 15: भारत की कौन सी नदी अरब सागर में गिरती है?
उत्तर: नर्मदा, ताप्ती, और सिंधु नदी अरब सागर में गिरती हैं।
प्रश्न 16: शिवालिक पहाड़ियों की औसत ऊंचाई कितनी है?
उत्तर: शिवालिक पहाड़ियों की औसत ऊंचाई 600-1,500 मीटर है।
प्रश्न 17: लक्षद्वीप में कुल कितने द्वीप हैं?
उत्तर: लक्षद्वीप में कुल 36 द्वीप हैं जिनमें से केवल 10 पर लोग रहते हैं।
प्रश्न 18: भारत के किस भाग में दक्षिण-पश्चिम मानसून सबसे पहले पहुंचता है?
उत्तर: दक्षिण-पश्चिम मानसून सबसे पहले केरल तट पर (1 जून के आसपास) पहुंचता है।
प्रश्न 19: वृहत हिमालय को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर: वृहत हिमालय को हिमाद्री के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न 20: जलोढ़ मिट्टी भारत के कितने प्रतिशत भाग में पाई जाती है?
उत्तर: जलोढ़ मिट्टी भारत के लगभग 40% भाग में पाई जाती है।

7. निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1: हिमालय पर्वत श्रृंखला के निर्माण, संरचना और भारत पर इसके प्रभावों का विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर:

हिमालय पर्वत श्रृंखला विश्व की सबसे युवा और सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला है, जो भारत की भौगोलिक, जलवायविक और सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न अंग है।

हिमालय का निर्माण:

भूवैज्ञानिक प्रक्रिया:

  • हिमालय का निर्माण टेथिस सागर के अवसादों से हुआ है
  • लगभग 7 करोड़ वर्ष पूर्व भारतीय प्लेट का यूरेशियाई प्लेट से टकराव
  • यह टकराव आज भी जारी है, जिससे हिमालय की ऊंचाई प्रतिवर्ष 2-5 सेमी बढ़ रही है
  • भूकंप की अधिक संभावना इसी भूवैज्ञानिक गतिविधि के कारण

संरचनात्मक विभाजन:

1. ट्रांस हिमालय:

  • सबसे उत्तरी भाग, तिब्बत में स्थित
  • काराकोरम, लद्दाख, जास्कर श्रेणियां शामिल
  • K2 (8,611 मी) यहाँ स्थित है
  • भारत-पाकिस्तान-चीन की सीमा

2. वृहत हिमालय (हिमाद्री):

  • मुख्य हिमालयी कक्ष, औसत ऊंचाई 6,000 मी से अधिक
  • विश्व की सभी 8,000 मी से ऊंची चोटियां यहाँ
  • स्थायी हिमावरण, ग्लेशियरों का मुख्य क्षेत्र
  • गंगोत्री, यमुनोत्री जैसे महत्वपूर्ण ग्लेशियर

3. लघु हिमालय (हिमाचल):

  • 1,000-4,500 मी की ऊंचाई
  • मुख्य हिल स्टेशन इसी भाग में
  • पीर पंजाल, धौलाधर श्रेणियां
  • घाटियों में कृषि और बागवानी

4. बाहरी हिमालय (शिवालिक):

  • 600-1,500 मी की ऊंचाई
  • नवीनतम निर्मित भाग
  • अवसादी चट्टानों की प्रधानता
  • तराई और भाबर क्षेत्र का निर्माण

भारत पर हिमालय के प्रभाव:

1. जलवायविक प्रभाव:

  • मानसून अवरोधक: दक्षिण-पश्चिम मानसून को रोककर वर्षा कराता है
  • शीत वायु अवरोधक: मध्य एशिया की ठंडी हवाओं से भारत की सुरक्षा
  • तापमान नियंत्रण: भारत का तापमान समशीतोष्ण बनाए रखता है
  • वर्षा वितरण: उत्तर भारत में वर्षा का मुख्य कारक

2. जल संसाधन:

  • नदियों का स्रोत: भारत की तीन मुख्य नदी प्रणालियों का उद्गम
  • जल संग्रह: 'एशिया का जल संग्रह केंद्र' कहलाता है
  • ग्लेशियर: मीठे पानी का विशाल भंडार
  • सिंचाई: उत्तर भारत की कृषि का आधार

3. आर्थिक महत्व:

  • कृषि: हिमालयी क्षेत्र में बागवानी, चाय की खेती
  • वन संपदा: मूल्यवान लकड़ी, जड़ी-बूटी
  • खनिज: कोयला, चूना पत्थर, मैग्नेसाइट
  • पर्यटन: हिल स्टेशन, तीर्थ स्थल, एडवेंचर टूरिज्म
  • हाइड्रो पावर: पनबिजली की अपार संभावनाएं

4. सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभाव:

  • तीर्थ स्थल: चार धाम, अमरनाथ, वैष्णो देवी
  • सांस्कृतिक विविधता: विभिन्न जनजातियों का निवास
  • भाषाई विविधता: तिब्बती-बर्मी भाषा परिवार
  • पारंपरिक ज्ञान: आयुर्वेद, योग की परंपरा

5. सुरक्षा और रणनीतिक महत्व:

  • प्राकृतिक सीमा: चीन से प्राकृतिक अवरोध
  • सीमा सुरक्षा: LAC और LOC का महत्वपूर्ण हिस्सा
  • रणनीतिक दर्रे: खैबर, बोलन जैसे ऐतिहासिक दर्रे

चुनौतियां:

  • भूकंप: सक्रिय भूकंप क्षेत्र
  • भूस्खलन: मानसून के दौरान भूस्खलन की समस्या
  • ग्लेशियर पिघलना: जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
  • पारिस्थितिकी तंत्र: विकास गतिविधियों से पर्यावरणीय नुकसान

निष्कर्ष: हिमालय पर्वत श्रृंखला न केवल भारत की भौगोलिक पहचान है बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, संस्कृति और जलवायु को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण कारक है। इसका संरक्षण और सतत विकास भारत के भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।

प्रश्न 2: भारत की मानसूनी जलवायु की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कृषि पर इसके प्रभावों की चर्चा करें।
उत्तर:

भारत की जलवायु मानसूनी प्रकार की है जो देश की अर्थव्यवस्था, विशेषकर कृषि पर गहरा प्रभाव डालती है। मानसून न केवल भारत की जलवायु बल्कि यहाँ की सभ्यता और संस्कृति को भी आकार देता है।

मानसूनी जलवायु की विशेषताएं:

1. मानसून की परिभाषा और प्रकृति:

  • 'मानसून' अरबी भाषा के 'मौसिम' से आया है जिसका अर्थ है 'मौसम'
  • ऋतुओं के साथ पवन दिशा में परिवर्तन
  • समुद्र और स्थल के तापीय अंतर से उत्पन्न
  • आवधिक और नियमित प्रकृति

2. मानसून के प्रकार:

दक्षिण-पश्चिम मानसून (ग्रीष्मकालीन मानसून):

  • समयावधि: जून से सितंबर (4 महीने)
  • दिशा: दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व
  • कारण: एशियाई महाद्वीप पर निम्न वायुदाब
  • प्रभाव: भारत की 75% वर्षा इसी से
  • शाखाएं: अरब सागरीय और बंगाल की खाड़ी

उत्तर-पूर्व मानसून (शीतकालीन मानसून):

  • समयावधि: दिसंबर से फरवरी
  • दिशा: उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम
  • प्रकृति: मुख्यतः शुष्क
  • विशेष प्रभाव: तमिलनाडु में शीतकालीन वर्षा

3. मानसून के आगमन की प्रक्रिया:

  • केरल तट: 1 जून के आसपास सबसे पहले पहुंचता है
  • प्रगति: दो शाखाओं में बंटकर आगे बढ़ता है
  • समाप्ति: सितंबर के अंत तक वापसी
  • कुल समय: पूरे भारत को ढकने में 6-7 सप्ताह

4. मानसून की अनियमितता:

  • समय की अनिश्चितता: आगमन और वापसी में विलंब
  • वितरण की असमानता: स्थानीय विविधताएं
  • तीव्रता में परिवर्तन: सामान्य, अधिक या कम वर्षा
  • ब्रेक मानसून: बीच में शुष्क अवधि

5. मानसून को प्रभावित करने वाले कारक:

  • हिमालय पर्वत: मानसूनी हवाओं को रोकता है
  • तिब्बती पठार: ग्रीष्म में तप्त होकर निम्न दाब बनाता है
  • हिंद महासागर: जल वाष्प का स्रोत
  • जेट स्ट्रीम: ऊपरी वायुमंडलीय पवनों का प्रभाव
  • एल नीनो/ला नीना: प्रशांत महासागर की घटनाएं

कृषि पर मानसून के प्रभाव:

1. सकारात्मक प्रभाव:

फसल उत्पादन:

  • खरीफ फसलें: चावल, मक्का, गन्ना, कपास का मुख्य आधार
  • जल आपूर्ति: सिंचाई का मुख्य स्रोत
  • मिट्टी की उर्वरता: वर्षा से मिट्टी में पोषक तत्वों की भरपाई
  • भूमिगत जल: कुओं और भूमिगत जल स्तर में वृद्धि

कृषि पैटर्न:

  • फसल कैलेंडर: मानसून के अनुसार बुआई और कटाई
  • फसल विविधता: विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग फसलें
  • द्विफसली खेती: खरीफ और रबी दोनों मौसम में खेती

2. नकारात्मक प्रभाव:

मानसून की अनियमितता:

  • सूखा: देर से आने या कम वर्षा से फसल नुकसान
  • बाढ़: अधिक वर्षा से फसलों का नष्ट होना
  • असमान वितरण: कुछ क्षेत्रों में अधिक, कुछ में कम वर्षा
  • समय की अनिश्चितता: बुआई और कटाई में समस्या

3. क्षेत्रवार प्रभाव:

उत्तर-पश्चिम भारत:

  • कम वर्षा के कारण गेहूं की खेती मुख्य
  • नहरी सिंचाई पर निर्भरता
  • हरित क्रांति का मुख्य क्षेत्र

पूर्वी भारत:

  • अधिक वर्षा के कारण चावल की खेती
  • जूट और चाय का उत्पादन
  • बाढ़ की समस्या

दक्षिण भारत:

  • दोनों मानसून से लाभ
  • नारियल, मसाले, कॉफी की खेती
  • तमिलनाडु में शीतकालीन वर्षा से रबी फसल

पश्चिमी भारत:

  • अनियमित वर्षा
  • कपास, मूंगफली की खेती
  • सूखा प्रवण क्षेत्र

4. आधुनिक अनुकूलन रणनीतियां:

तकनीकी समाधान:

  • सूखा प्रतिरोधी किस्में: कम पानी में उगने वाली फसलें
  • वर्षा जल संचयन: बारिश के पानी का संग्रह
  • ड्रिप इरिगेशन: पानी की बचत
  • मौसम पूर्वानुमान: उपग्रह आधारित जानकारी

नीतिगत उपाय:

  • फसल बीमा: मौसमी नुकसान से सुरक्षा
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य: किसानों की आय सुरक्षा
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन: उत्पादकता वृद्धि
  • सूखा प्रबंधन योजना: संकटकाल के लिए तैयारी

5. भविष्य की चुनौतियां:

  • जलवायु परिवर्तन: मानसून पैटर्न में बदलाव
  • बढ़ती जनसंख्या: खाद्य सुरक्षा की चुनौती
  • जल संकट: भूमिगत जल का गिरता स्तर
  • चरम मौसम: बाढ़ और सूखे की बढ़ती घटनाएं

निष्कर्ष: मानसूनी जलवायु भारतीय कृषि की रीढ़ है। इसकी नियमितता से देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता जुड़ी हुई है। जलवायु परिवर्तन के युग में मानसून की अनिश्चितता बढ़ने से तकनीकी नवाचार, जल प्रबंधन और टिकाऊ कृषि पद्धतियों का विकास आवश्यक है। भारत को मानसून आधारित कृषि से आधुनिक, जलवायु-अनुकूल कृषि की ओर संक्रमण करना होगा।

भारत का भूगोल – भौतिक भूगोल

Landforms, Rivers, Climate, Soil, Vegetation | For RPSC, UPSC & Competitive Exams

Quick Facts

  • स्थलाकृति: 5 प्रमुख भौगोलिक इकाइयाँ – हिमालय, उत्तरी मैदान, प्रायद्वीपीय पठार, तटीय मैदान, द्वीप समूह।
  • हिमालय: तीन भाग – हिमाद्रि (Greater), हिमाचल (Lesser), शिवालिक (Outer Himalayas)।
  • उत्तरी मैदान: गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदियों की जलोढ़ निक्षेप से निर्मित।
  • प्रायद्वीपीय पठार: दक्कन पठार, छोटा नागपुर पठार – खनिज संपन्न क्षेत्र।
  • तटीय मैदान: पूर्वी तट (Coringa, Chilika), पश्चिमी तट (Konkan, Malabar)।
  • द्वीप समूह: अंडमान-निकोबार (ज्वालामुखीय), लक्षद्वीप (प्रवाल निर्मित)।
  • जलवायु: मानसून आधारित, चार ऋतु – ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शीत।
  • मृदा: जलोढ़, काली, लाल, लैटराइट, मरुस्थली, पर्वतीय।
  • वनस्पति: उष्णकटिबंधीय वर्षावन, पर्णपाती, कांटेदार, पर्वतीय वनस्पति।

PYQ-Style MCQs

  1. भारत की सबसे ऊँची पर्वत चोटी कौन-सी है?
    Answer: कंचनजंगा

    ऊँचाई 8,586 मीटर; नेपाल-भारत सीमा पर।

  2. गंगा नदी की उत्पत्ति कहाँ से होती है?
    Answer: गोमुख (भगीरथी)

    उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से।

  3. कौन-सी मृदा कपास की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है?
    Answer: काली मृदा (रेगुर)

    उच्च जलधारण क्षमता व पोषक तत्वों से भरपूर।

  4. भारत का सबसे बड़ा डेल्टा कौन-सा है?
    Answer: सुंदरबन डेल्टा

    गंगा-ब्रह्मपुत्र संगम से बना; विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा।

  5. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह किस समुद्र में स्थित हैं?
    Answer: बंगाल की खाड़ी

    भारत के दक्षिण-पूर्व में; रणनीतिक महत्व।

© Sarkari Service Prep ™

Telegram Join Link: https://t.me/sarkariserviceprep


📥 Download Zone:


📌 Useful for Exams:

  • UPSC | RPSC | SSC | REET | Patwar | LDC
  • All India Competitive Exams

Note: Don’t forget to share this post with your friends and join our Telegram for regular updates.