राजस्थान का प्रशासनिक ढांचा – राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद और विधानसभा
राजस्थान का प्रशासनिक ढांचा
राज्यपाल की भूमिका, मुख्यमंत्री व मंत्रिपरिषद के अधिकार, विधानसभा की संरचना व कार्यप्रणाली
विषय सूची
1. परिचय
राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है जो क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का 10.4% भाग है। राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था भारतीय संविधान के भाग VI के अनुसार संसदीय प्रणाली पर आधारित है। राजस्थान का गठन 30 मार्च 1949 को हुआ था और वर्तमान स्वरूप 1 नवंबर 1956 को प्राप्त हुआ।
2. राज्यपाल
2.1 नियुक्ति और योग्यताएं
राजस्थान के राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है और राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है।
योग्यताएं (अनुच्छेद 157):
योग्यता | विवरण |
---|---|
नागरिकता | भारत का नागरिक हो |
आयु | 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो |
पद धारण | केंद्र या राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण न करता हो |
संसद सदस्यता | संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए |
कार्यकाल और वेतन:
- कार्यकाल: 5 वर्ष (राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत)
- वेतन: ₹3,50,000 प्रति माह
- भत्ते: निःशुल्क आवास, चिकित्सा, यात्रा भत्ता
- निवास: राजभवन, जयपुर
2.2 शक्तियां और कार्य
कार्यपालिका शक्तियां:
- मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति
- राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति
- राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति
- राज्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति
- राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति
- विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति
विधायी शक्तियां:
शक्ति | विवरण | संवैधानिक आधार |
---|---|---|
विधानसभा का सत्र बुलाना | विधानसभा के सत्र आरंभ और समाप्त करना | अनुच्छेद 174 |
विधानसभा भंग करना | मुख्यमंत्री की सलाह पर विधानसभा भंग करना | अनुच्छेद 174 |
विधेयकों पर स्वीकृति | विधेयकों को स्वीकार करना या राष्ट्रपति के लिए आरक्षित करना | अनुच्छेद 200 |
अध्यादेश जारी करना | विधानसभा के सत्र में न होने पर अध्यादेश जारी करना | अनुच्छेद 213 |
न्यायिक शक्तियां:
- राज्य के न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति को सलाह
- दंड माफी, दंड कम करना, दंड स्थगन की शक्ति
- राज्य कानून के अधीन दोषी व्यक्तियों की क्षमादान शक्ति
2.3 विवेकाधीन शक्तियां
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति (जब किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला हो)
- मुख्यमंत्री की बर्खास्तगी
- राष्ट्रपति शासन की सिफारिश
- कुछ विधेयकों को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित करना
3. मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद
3.1 मुख्यमंत्री की नियुक्ति
मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करता है। सामान्यतः विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता मुख्यमंत्री बनता है।
नियुक्ति की शर्तें:
- राज्य विधानसभा का सदस्य होना चाहिए
- यदि विधानसभा सदस्य नहीं है तो 6 महीने में सदस्य बनना आवश्यक
- विधानसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त हो
- भारत का नागरिक हो
- 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो
3.2 मुख्यमंत्री की शक्तियां
मंत्रिपरिषद संबंधी शक्तियां:
शक्ति | विवरण |
---|---|
मंत्रियों की नियुक्ति | राज्यपाल को मंत्रियों की नियुक्ति की सलाह देना |
मंत्रालयों का आवंटन | मंत्रियों के बीच विभागों का वितरण |
मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता | मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता |
नीति निर्धारण | राज्य की नीतियों का निर्माण और दिशा निर्धारण |
विधायी शक्तियां:
- विधानसभा में सरकार का नेतृत्व
- विधानसभा में बहुमत बनाए रखना
- महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराना
- राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सलाह
- विपक्ष के प्रश्नों का उत्तर देना
प्रशासनिक शक्तियां:
- राज्य प्रशासन का सर्वोच्च नेतृत्व
- मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति में भूमिका
- राज्य बजट का प्रस्तुतीकरण
- राज्य सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन
- केंद्र-राज्य संबंधों में राज्य का प्रतिनिधित्व
3.3 मंत्रिपरिषद की संरचना
मंत्री का प्रकार | संख्या सीमा | अधिकार क्षेत्र | वेतन (मासिक) |
---|---|---|---|
मुख्यमंत्री | 1 | संपूर्ण मंत्रिपरिषद का नेतृत्व | ₹2,00,000 |
कैबिनेट मंत्री | विधानसभा के 15% तक | पूर्ण विभागीय अधिकार | ₹1,60,000 |
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) | सीमित | निर्दिष्ट विभागों का स्वतंत्र प्रभार | ₹1,30,000 |
राज्य मंत्री | सीमित | कैबिनेट मंत्री के सहयोग में कार्य | ₹1,30,000 |
4. राजस्थान विधानसभा
4.1 संरचना और संघटन
राजस्थान में एकसदनीय विधायिका है। राज्य में केवल विधानसभा है, विधान परिषद नहीं है।
विधानसभा की संरचना:
- कुल सदस्य संख्या: 200
- निर्वाचित सदस्य: 200
- मनोनीत सदस्य: 0 (कोई प्रावधान नहीं)
- कार्यकाल: 5 वर्ष
- गठन: 1952
जिलेवार सीटों का वितरण:
जिला | सीटों की संख्या | अनुसूचित जाति | अनुसूचित जनजाति |
---|---|---|---|
जयपुर | 19 | 3 | 0 |
जोधपुर | 11 | 2 | 0 |
उदयपुर | 10 | 1 | 3 |
बीकानेर | 8 | 2 | 0 |
कोटा | 7 | 1 | 0 |
विधानसभा के पदाधिकारी:
पद | निर्वाचन | कार्यकाल | मुख्य कार्य |
---|---|---|---|
अध्यक्ष | सदस्यों द्वारा निर्वाचित | सदन की अवधि तक | सदन की कार्यवाही संचालन |
उपाध्यक्ष | सदस्यों द्वारा निर्वाचित | सदन की अवधि तक | अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्य |
सरकारी मुख्य सचेतक | मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त | मुख्यमंत्री के प्रसादपर्यंत | दलीय अनुशासन बनाए रखना |
विपक्षी नेता | सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता | सदन की अवधि तक | विपक्ष का नेतृत्व |
4.2 शक्तियां और कार्य
विधायी शक्तियां:
- राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून निर्माण
- धन विधेयक पारित करना
- सामान्य विधेयकों पर विचार और पारित करना
- संविधान संशोधन विधेयकों पर मत देना
वित्तीय शक्तियां:
- राज्य बजट पर विचार और अनुमोदन
- नई करों और शुल्कों की स्वीकृति
- राज्य की आकस्मिक निधि से व्यय की अनुमति
- लेखानुदान और अनुपूरक अनुदान की स्वीकृति
नियंत्रण शक्तियां:
नियंत्रण उपाय | प्रक्रिया | उद्देश्य |
---|---|---|
प्रश्नकाल | मंत्रियों से प्रश्न पूछना | सरकारी कार्यों की जानकारी |
अविश्वास प्रस्ताव | मंत्रिपरिषद के विरुद्ध प्रस्ताव | सरकार गिराना |
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव | तत्काल सार्वजनिक महत्व के मामले | सरकार का ध्यान आकर्षित करना |
निंदा प्रस्ताव | सरकार की नीति की निंदा | सरकार पर दबाव |
4.3 कार्यप्रणाली
सत्र और बैठकें:
- सत्र की संख्या: वर्ष में कम से कम 2 सत्र
- बजट सत्र: फरवरी-मार्च
- मानसून सत्र: जुलाई-अगस्त
- शीतकालीन सत्र: नवंबर-दिसंबर (आवश्यकतानुसार)
- गणपूर्ति: कुल सदस्यों का 1/10 भाग (20 सदस्य)
विधायी प्रक्रिया:
- प्रथम वाचन: विधेयक का परिचय और शीर्षक पठन
- द्वितीय वाचन: सामान्य चर्चा और खंडवार विचार
- तृतीय वाचन: संशोधनों सहित विधेयक पारित करना
- राज्यपाल की स्वीकृति: विधेयक को कानून बनाने के लिए
संसदीय समितियां:
समिति | सदस्य संख्या | मुख्य कार्य |
---|---|---|
प्राक्कलन समिति | 22 | सरकारी व्यय की जांच |
लोक लेखा समिति | 15 | सरकारी खातों की जांच |
नियम समिति | 11 | कार्यप्रणाली नियम निर्धारण |
विशेषाधिकार समिति | 11 | विशेषाधिकार भंग के मामले |
5. प्रशासनिक तंत्र
सचिवालय संगठन:
- मुख्य सचिव: राज्य प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी
- सचिव: विभागीय प्रमुख
- संयुक्त सचिव, उप सचिव: सहायक स्तर के अधिकारी
- अवर सचिव: प्रारंभिक स्तर के अधिकारी
जिला प्रशासन:
पद | नियुक्ति | मुख्य कार्य |
---|---|---|
जिला कलक्टर | राज्य सरकार | जिले का प्रशासनिक प्रमुख |
पुलिस अधीक्षक | राज्य सरकार | जिले का पुलिस प्रमुख |
जिला न्यायाधीश | उच्च न्यायालय | जिले का न्यायिक प्रमुख |
योग्यताएं:
- भारत का नागरिक होना चाहिए
- 35 वर्ष की आयु पूर्ण करना आवश्यक
- केंद्र या राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण नहीं करना चाहिए
- संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए
वेतन: ₹3,50,000 प्रति माह + भत्ते
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति: जब किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला हो
- मुख्यमंत्री की बर्खास्तगी: यदि वह विधानसभा का विश्वास खो दे
- विधानसभा भंग करना: संवैधानिक संकट की स्थिति में
- राष्ट्रपति शासन की सिफारिश: राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल होने पर
- विधेयकों को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित करना: संविधान के विपरीत विधेयक
मंत्रिपरिषद संबंधी:
- मंत्रियों की नियुक्ति की सिफारिश
- मंत्रालयों का आवंटन और पुनर्गठन
- मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता
- विधानसभा में सरकार का नेतृत्व
- नीतिगत विधेयकों का प्रस्तुतीकरण
- बजट प्रस्तुत करना
- राज्य प्रशासन का नेतृत्व
- वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति में भूमिका
- केंद्र-राज्य संबंधों में राज्य का प्रतिनिधित्व
- कुल सदस्य: 200 (सभी निर्वाचित)
- अनुसूचित जाति सीटें: 34
- अनुसूचित जनजाति सीटें: 25
- सामान्य सीटें: 141
- कार्यकाल: 5 वर्ष
- अध्यक्ष (सदस्यों द्वारा निर्वाचित)
- उपाध्यक्ष (सदस्यों द्वारा निर्वाचित)
- विपक्षी नेता
- सरकारी मुख्य सचेतक
विधायी शक्तियां:
- राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून निर्माण
- धन विधेयक और सामान्य विधेयक पारित करना
- संविधान संशोधन पर मत देना
- राज्य बजट की स्वीकृति
- करों और शुल्कों की अनुमति
- लेखानुदान और अनुपूरक अनुदान
- प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव
- अविश्वास प्रस्ताव
- निंदा प्रस्ताव
श्रेणियां:
- मुख्यमंत्री: मंत्रिपरिषद का मुखिया (₹2,00,000/माह)
- कैबिनेट मंत्री: पूर्ण विभागीय अधिकार (₹1,60,000/माह)
- राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार): निर्दिष्ट विभाग (₹1,30,000/माह)
- राज्य मंत्री: कैबिनेट मंत्री के सहयोग में (₹1,30,000/माह)
- 91वां संविधान संशोधन के अनुसार विधानसभा के 15% से अधिक सदस्य मंत्री नहीं हो सकते
- राजस्थान में अधिकतम 30 मंत्री हो सकते हैं (200 का 15%)
- सत्र: वर्ष में कम से कम 2 सत्र (बजट, मानसून, शीतकालीन)
- गणपूर्ति: 20 सदस्य (कुल का 1/10)
- कार्य भाषा: हिंदी और अंग्रेजी
- प्राक्कलन समिति: 22 सदस्य (सरकारी व्यय की जांच)
- लोक लेखा समिति: 15 सदस्य (सरकारी खातों की जांच)
- नियम समिति: 11 सदस्य (कार्यप्रणाली नियम)
- विशेषाधिकार समिति: 11 सदस्य (विशेषाधिकार भंग)
संवैधानिक स्थिति:
- राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख, मुख्यमंत्री वास्तविक कार्यपालिका प्रमुख
- राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर कार्य करता है
- राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य
- मुख्यमंत्री राज्यपाल को अपनी नीतियों की जानकारी देता है
- राज्यपाल विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग कर सकता है
- मुख्यमंत्री की बर्खास्तगी या विधानसभा भंग करना
राज्य स्तर (सचिवालय):
- मुख्य सचिव: राज्य प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी
- सचिव: विभागीय प्रमुख अधिकारी
- संयुक्त सचिव/उप सचिव: सहायक स्तर
- अवर सचिव: प्रारंभिक स्तर
- जिला कलक्टर: जिले का प्रशासनिक प्रमुख
- पुलिस अधीक्षक: कानून व्यवस्था प्रमुख
- जिला न्यायाधीश: न्यायिक प्रमुख
- BDO (खंड विकास अधिकारी)
- तहसीलदार
- पटवारी
संवैधानिक स्थिति:
- विपक्षी नेता को कैबिनेट मंत्री के समान दर्जा
- सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता बनता है विपक्षी नेता
- सरकारी नीतियों की आलोचना और विकल्प प्रस्तुत करना
- प्रश्नकाल में सरकार से जवाबदेही सुनिश्चित करना
- अविश्वास प्रस्ताव लाना
- संसदीय समितियों में भागीदारी
- संसदीय समितियों में प्रतिनिधित्व
- ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाने का अधिकार
- निंदा प्रस्ताव का अधिकार
- बजट पर चर्चा का अधिकार
राजस्थान के राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति भारतीय संघीय ढांचे में अत्यंत महत्वपूर्ण है। अनुच्छेद 153 के अनुसार राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है और राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है।
नियुक्ति और योग्यताएं: राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 5 वर्ष के लिए की जाती है। अनुच्छेद 157 के अनुसार उम्मीदवार का भारतीय नागरिक होना, 35 वर्ष की आयु पूर्ण करना और कोई लाभ का पद धारण न करना आवश्यक है।
शक्तियां और कार्य: राज्यपाल की शक्तियां व्यापक हैं। कार्यपालिका शक्तियों के अंतर्गत वह मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति करता है। विधायी शक्तियों में विधानसभा के सत्र बुलाना, विधेयकों पर स्वीकृति देना और अध्यादेश जारी करना शामिल है। न्यायिक शक्तियों के तहत वह राज्य कानूनों के अधीन दोषी व्यक्तियों को क्षमा कर सकता है।
विवेकाधीन शक्तियां: संकट की स्थिति में राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियां महत्वपूर्ण हो जाती हैं। जब किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता, तो मुख्यमंत्री की नियुक्ति में राज्यपाल का विवेक प्रमुख होता है। इसी प्रकार राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भी उनकी विवेकाधीन शक्ति है।
व्यावहारिक चुनौतियां: राज्यपाल की भूमिका में राजनीतिक तटस्थता बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होने के कारण कभी-कभी राज्य सरकार के साथ विवाद हो जाते हैं।
निष्कर्ष: राजस्थान के राज्यपाल की भूमिका संवैधानिक लोकतंत्र में संतुलनकारी है। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे संविधान की मर्यादा के अनुसार निष्पक्ष और संतुलित भूमिका निभाएं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री की स्थिति संसदीय शासन प्रणाली में केंद्रीय है। वह राज्य सरकार का वास्तविक प्रमुख होता है और राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्ति का प्रयोगकर्ता है।
नियुक्ति और योग्यताएं: मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करता है। सामान्यतः विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता मुख्यमंत्री बनता है। उसका विधानसभा सदस्य होना आवश्यक है, यदि नहीं है तो 6 महीने में सदस्य बनना पड़ता है।
मंत्रिपरिषद संबंधी शक्तियां: मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद का मुखिया होता है। वह राज्यपाल को मंत्रियों की नियुक्ति की सलाह देता है। मंत्रालयों का आवंटन और पुनर्गठन उसके अधिकार क्षेत्र में है। मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करना और नीति निर्धारण में नेतृत्व प्रदान करना उसके मुख्य कार्य हैं।
विधायी भूमिका: विधानसभा में मुख्यमंत्री सरकार का नेतृत्व करता है। महत्वपूर्ण नीतिगत विधेयकों का प्रस्तुतीकरण उसकी जिम्मेदारी है। राज्य बजट प्रस्तुत करना और विधानसभा में बहुमत बनाए रखना उसके प्रमुख दायित्व हैं।
प्रशासनिक नेतृत्व: राज्य प्रशासन का सर्वोच्च नेतृत्व मुख्यमंत्री के पास है। मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। राज्य की विकास योजनाओं का क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग उसके अधीन होता है।
मंत्रिपरिषद के साथ संबंध: मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के बीच सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत काम करता है। मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से जिम्मेदार होती है। 91वें संविधान संशोधन के अनुसार राजस्थान में अधिकतम 30 मंत्री हो सकते हैं।
चुनौतियां: गठबंधन राजनीति में विभिन्न दलों के हितों में संतुलन बनाना, केंद्र-राज्य संबंधों का प्रबंधन और जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना प्रमुख चुनौतियां हैं।
निष्कर्ष: मुख्यमंत्री की भूमिका राज्य के समग्र विकास और प्रशासनिक दक्षता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उसके नेतृत्व गुणों पर राज्य की प्रगति निर्भर करती है।
राजस्थान विधानसभा राज्य की एकसदनीय विधायिका है जो लोकतांत्रिक शासन का आधार है। यह राज्य की जनता का प्रतिनिधित्व करती है और राज्य सरकार पर नियंत्रण रखती है।
संरचना और संघटन: राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सदस्य हैं, जो सभी प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने जाते हैं। इनमें 34 सीटें अनुसूचित जाति, 25 सीटें अनुसूचित जनजाति और 141 सामान्य सीटों के लिए आरक्षित हैं। विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है, परंतु राज्यपाल इसे पहले भी भंग कर सकता है।
पदाधिकारी: विधानसभा के मुख्य पदाधिकारी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष हैं, जो सदस्यों द्वारा निर्वाचित होते हैं। अध्यक्ष सदन की कार्यवाही का संचालन करता है और व्यवस्था बनाए रखता है। विपक्षी नेता को कैबिनेट मंत्री के समान दर्जा प्राप्त होता है।
शक्तियां और कार्य: विधानसभा की विधायी शक्तियों के अंतर्गत राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून निर्माण आता है। वित्तीय शक्तियों में राज्य बजट की स्वीकृति, करों की अनुमति और सरकारी व्यय पर नियंत्रण शामिल है। नियंत्रण शक्तियों के माध्यम से यह सरकार पर निगरानी रखती है।
कार्यप्रणाली: विधानसभा के वर्ष में कम से कम दो सत्र होते हैं। बजट सत्र, मानसून सत्र और आवश्यकतानुसार शीतकालीन सत्र आयोजित होते हैं। गणपूर्ति के लिए 20 सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक है। विधायी प्रक्रिया में तीन वाचन होते हैं।
संसदीय समितियां: प्राक्कलन समिति, लोक लेखा समिति, नियम समिति और विशेषाधिकार समिति जैसी समितियां विधानसभा के कार्यों में सहायक हैं।
निष्कर्ष: राजस्थान विधानसभा लोकतांत्रिक मूल्यों की संरक्षक है और राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण तथ्य:
- राजस्थान का गठन: 30 मार्च 1949, पूर्ण स्वरूप: 1 नवंबर 1956
- विधानसभा सीटें: 200 (SC-34, ST-25, सामान्य-141)
- राज्यपाल का कार्यकाल: 5 वर्ष, वेतन: ₹3,50,000/माह
- मंत्रिपरिषद की अधिकतम सीमा: 30 (विधानसभा का 15%)
- राजस्थान में विधान परिषद नहीं है (एकसदनीय विधायिका)
- विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सदस्यों द्वारा निर्वाचित होते हैं
राजस्थान का प्रशासनिक ढांचा – राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद और विधानसभा (RPSC PYQ)
-
प्रश्न: राज्य मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से किसके प्रति उत्तरदायी होती है?
उत्तर: राज्य विधानसभा के प्रति (अनुच्छेद 164(2)).
पुछा गया: RAS/RTS Prelims 2018 (Polity)
-
प्रश्न: राजस्थान के राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर: भारत के राष्ट्रपति द्वारा (अनुच्छेद 155).
पुछा गया: RAS/RTS Prelims (पिछले वर्षों में—Polity)
-
प्रश्न: राजस्थान विधानसभा के कुल सदस्य कितने हैं?
उत्तर: 200 सदस्य (छठी विधानसभा में 184 से 200 किए गए).
पुछा गया: RAS/RTS Prelims 2018/अन्य वर्षों (राजस्थान विधानमंडल)
-
प्रश्न: राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य अपने पद पर किसकी प्रसन्नता तक बने रहते हैं?
उत्तर: राज्यपाल की प्रसन्नता (वास्तव में CM की सलाह पर), पर सामूहिक उत्तरदायित्व विधानसभा के प्रति।
पुछा गया: RAS/RTS Prelims (Polity—Council of Ministers)
-
प्रश्न: मुख्यमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर: राज्यपाल (अनुच्छेद 164(1)).
पुछा गया: RAS/RTS Prelims (Polity—CM/Governor)
-
प्रश्न: मंत्रिपरिषद का आकार किस आधार पर सीमित है?
उत्तर: 91वां संशोधन: राज्य विधानमंडल के कुल सदस्यों का 15% (न्यूनतम 12).
पुछा गया: RAS/RTS Prelims (Constitutional Amendments—State CoM)
-
प्रश्न: विधानसभा का सामान्य कार्यकाल कितने वर्षों का होता है?
उत्तर: 5 वर्ष (आपातकाल/विघटन को छोड़कर).
पुछा गया: RAS/RTS Prelims (State Legislature)
-
प्रश्न: राजस्थान विधान परिषद (Legislative Council) का अस्तित्व है?
उत्तर: नहीं, राजस्थान में एकसदनीय विधानमंडल (केवल विधानसभा) है।
पुछा गया: RAS/RTS Prelims (State Legislature—Unicameral)
-
प्रश्न: राज्यपाल असेंबली को संदेश भेजने/अधिवेशन बुलाने का अधिकार किस अनुच्छेद से प्राप्त है?
उत्तर: अनुच्छेद 174 (अधिवेशन, स्थगन व विघटन). संदेश देने की शक्ति—अनुच्छेद 175.
पुछा गया: RAS/RTS Prelims (Governor—Powers)
-
प्रश्न: ‘सामूहिक उत्तरदायित्व’ सिद्धांत का अर्थ क्या है?
उत्तर: मंत्रिपरिषद एक इकाई की तरह कार्य करती है; सभी मंत्री विधानसभा के प्रति संयुक्त रूप से उत्तरदायी हैं—साथ जीतें/साथ हारें।
पुछा गया: RAS/RTS Prelims (Core Polity Concept)
स्रोत/संदर्भ (PYQ & Polity): RPSC Previous Question Papers (Official) • RajRAS – RAS 2018 Pre Answer Key • State Legislature (Aarthis IAS)
Telegram Join Link: https://t.me/sarkariserviceprep
📥 Download Zone:
📌 Useful for Exams:
- UPSC | RPSC | SSC | REET | Patwar | LDC
- All India Competitive Exams
✅ Note: Don’t forget to share this post with your friends and join our Telegram for regular updates.