राजस्थान की पारंपरिक हस्तकलाएं
शिल्प, उनके क्षेत्र, ऐतिहासिक महत्व एवं प्रतियोगी परीक्षा संपूर्ण गाइड
विषय सूची
प्रस्तावना
राजस्थान की हस्तकलाएं भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अमूल्य खजाना हैं। यहाँ की पारंपरिक कलाएं न केवल शिल्पकारों की कुशलता को दर्शाती हैं बल्कि राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की भी साक्षी हैं। राजस्थान में हस्तकलाओं का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है और यहाँ की कलाएं विश्वभर में अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध हैं।
• जीवंत रंगों का प्रयोग
• बारीक कारीगरी और सूक्ष्म डिजाइन
• पारंपरिक तकनीकों का संरक्षण
• स्थानीय सामग्री का उपयोग
• पीढ़ियों से चली आ रही परंपराएं
वस्त्र कलाएं
बंधेज (टाई एंड डाई)
मुख्य केंद्र: जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, उदयपुर
विशेषता: कपड़े को बांधकर रंगने की पारंपरिक तकनीक
प्रकार: इकहरिया, त्रिकुंतला, चांदबूंद, लहरिया
मुख्य उत्पाद: साड़ी, दुपट्टा, ओढ़नी, पगड़ी
ब्लॉक प्रिंटिंग
सांगानेरी प्रिंट
केंद्र: सांगानेर (जयपुर)
विशेषता: महीन फूल-पत्तियों के डिजाइन
रंग: गुलाबी, लाल, हरा मुख्य रंग
प्रसिद्ध: कोटा डोरिया, मलमल की साड़ियां
बगरू प्रिंट
केंद्र: बगरू (जयपुर)
विशेषता: प्राकृतिक रंगों का प्रयोग
रंग: मैरून, काला, सरसों पीला
डिजाइन: ज्यामितीय और वनस्पति पैटर्न
अजरक प्रिंट
केंद्र: बाड़मेर
विशेषता: नील और आल (मैडर) रंग का प्रयोग
तकनीक: 16-चरणीय प्रक्रिया
मूल: सिंधी शिल्पकारों द्वारा विकसित
कालीन बुनाई
मुख्य केंद्र: जयपुर, बीकानेर, टोंक
प्रकार: दरी, कालीन, गलीचा
सामग्री: ऊन, रेशम, कपास
विशेषता: मुगल और फारसी डिजाइन
वस्त्र कला | मुख्य केंद्र | विशेषता | प्रमुख उत्पाद |
---|---|---|---|
बंधेज | जोधपुर, जैसलमेर | बांधकर रंगना | साड़ी, दुपट्टा |
सांगानेरी प्रिंट | सांगानेर (जयपुर) | महीन फूलों के डिजाइन | कोटा डोरिया |
बगरू प्रिंट | बगरू (जयपुर) | प्राकृतिक रंग | सूती वस्त्र |
अजरक प्रिंट | बाड़मेर | नील और मैडर रंग | साफा, दुपट्टा |
कालीन बुनाई | जयपुर, बीकानेर | मुगल डिजाइन | कालीन, दरी |
मिट्टी के शिल्प
ब्लू पॉटरी
केंद्र: जयपुर
मूल: मध्य एशिया से आई तकनीक
विशेषता: कोबाल्ट ब्लू रंग का प्रयोग
सामग्री: क्वार्ट्ज, फुलर्स अर्थ, ग्लास
उत्पाद: वास, प्लेट, टाइल्स, एश ट्रे
• मिट्टी का प्रयोग नहीं होता
• दोहरी पकाई की प्रक्रिया
• तुर्की और फारसी शैली का प्रभाव
• सवाई राम सिंह द्वारा प्रोत्साहन
काले मिट्टी के बर्तन (ब्लैक पॉटरी)
केंद्र: कोटा, बूंदी
सामग्री: स्थानीय मिट्टी
तकनीक: धुएं में पकाना
उत्पाद: मटका, घड़ा, कलश
टेराकोटा
केंद्र: अलवर, बीकानेर
विशेषता: पारंपरिक मूर्तिकला
उत्पाद: मूर्तियां, दीप, खिलौने
धातु कलाएं
पीतल का काम
मुख्य केंद्र: जयपुर, अलवर, जोधपुर
तकनीक: रिपुसे वर्क, एनग्रेविंग
उत्पाद: कलश, थाली, गुलदान, मूर्तियां
विशेषता: हस्तनिर्मित डिजाइन
कांसे का काम
केंद्र: जयपुर, उदयपुर
उत्पाद: मूर्तियां, दीप, बर्तन
विशेषता: धार्मिक आकृतियां
लोहे का काम
केंद्र: जोधपुर, अलवर
उत्पाद: हथियार, कृषि उपकरण, दरवाजे
विशेषता: जटिल नक्काशी
चांदी का काम
केंद्र: जयपुर, उदयपुर, जोधपुर
तकनीक: फिलीग्री वर्क
उत्पाद: आभूषण, बर्तन, फोटो फ्रेम
आभूषण कलाएं
कुंदन जेवरात
केंद्र: जयपुर
तकनीक: शुद्ध सोने की पत्ती का प्रयोग
पत्थर: हीरा, मरकत, माणिक
मूल: मुगलकालीन तकनीक
विशेषता: राजशाही अंदाज
मीनाकारी
केंद्र: जयपुर
तकनीक: धातु पर रंगीन इनैमल
रंग: लाल, हरा, नीला, सफेद, पीला
उत्पाद: आभूषण, बर्तन, फूलदान
मूल: ईरान से आई तकनीक
थेवा कला
केंद्र: प्रतापगढ़
तकनीक: रंगीन कांच पर सोने का काम
संस्थापक: राजा सावंत सिंह
विशेषता: विश्व में केवल प्रतापगढ़ में
आभूषण कला | केंद्र | मुख्य तकनीक | विशेषता |
---|---|---|---|
कुंदन | जयपुर | सोने की पत्ती | कीमती पत्थर |
मीनाकारी | जयपुर | रंगीन इनैमल | जीवंत रंग |
थेवा | प्रतापगढ़ | कांच पर सोना | अनोखी तकनीक |
जड़ाऊ | जयपुर | रत्न जड़ाई | बारीक कारीगरी |
पत्थर शिल्प
संगमरमर की कलाकृतियां
केंद्र: जयपुर, मकराना, किशनगढ़
सामग्री: मकराना संगमरमर
तकनीक: पच्चीकारी, जालीदार काम
उत्पाद: मूर्तियां, फर्नीचर, स्मारक
प्रसिद्ध: ताजमहल में प्रयुक्त
बलुआ पत्थर की नक्काशी
केंद्र: जैसलमेर, जोधपुर, धौलपुर
विशेषता: जटिल कटाई और नक्काशी
उत्पाद: खिड़कियां, दरवाजे, स्तंभ
शैली: हवेलियों की कलाकारी
स्लेट स्टोन वर्क
केंद्र: कोटा, बूंदी
उत्पाद: फर्श की टाइलें, दीवार पैनल
विशेषता: मजबूत और टिकाऊ
लकड़ी के शिल्प
लकड़ी की नक्काशी
केंद्र: जैसलमेर, बीकानेर, उदयपुर
सामग्री: मांगी, सागवान, शीशम
उत्पाद: फर्नीचर, झरोखे, दरवाजे
शैली: राजस्थानी पारंपरिक
लकड़ी के खिलौने
केंद्र: उदयपुर, चित्तौड़गढ़
उत्पाद: गुड़िया, जानवर, पारंपरिक खेल
विशेषता: रंगबिरंगे डिजाइन
लकड़ी के मास्क
केंद्र: उदयपुर
उपयोग: लोक नृत्य और रंगमंच
डिजाइन: देवी-देवता, राजा-महाराजा
चमड़े के शिल्प
मोजड़ी (पारंपरिक जूते)
केंद्र: जयपुर, जोधपुर
सामग्री: बकरी, ऊंट का चमड़ा
विशेषता: कशीदाकारी, मोती का काम
प्रकार: सादी, कलाकारी वाली
चमड़े के थैले और बेल्ट
केंद्र: जोधपुर, पुष्कर
उत्पाद: हैंडबैग, बेल्ट, वॉलेट
विशेषता: हाथ से बुना गया डिजाइन
चमड़े की कठपुतली
केंद्र: नागौर, चुरू
सामग्री: बकरी का चमड़ा
उपयोग: कठपुतली नाटक
डिजाइन: पारंपरिक राजस्थानी पात्र
चित्रकलाएं
मिनिएचर पेंटिंग
मेवाड़ शैली
केंद्र: उदयपुर
विषय: धार्मिक, राजदरबारी
विशेषता: चमकीले रंग, प्राकृतिक दृश्य
प्रसिद्ध: रसिकप्रिया, रागमाला
मारवाड़ शैली
केंद्र: जोधपुर
विशेषता: वीरता और शौर्य के चित्र
रंग: लाल, पीला, सुनहरा
बीकानेर शैली
केंद्र: बीकानेर
विशेषता: मुगल प्रभाव
विषय: दरबारी जीवन, पशु-पक्षी
किशनगढ़ शैली
केंद्र: किशनगढ़
प्रसिद्ध: राधा-कृष्ण की प्रेम लीला
विशेषता: सुंदर नारी चित्रण
प्रसिद्ध चित्र: बनी ठनी
फड़ चित्रकला
केंद्र: शाहपुरा (भीलवाड़ा)
कलाकार: चिपी जाति
विषय: पाबूजी, देवनारायण की गाथा
सामग्री: कपड़े पर प्राकृतिक रंग
आकार: 15-30 फीट लंबे
चित्रकला शैली | केंद्र | मुख्य विषय | विशेषता |
---|---|---|---|
मेवाड़ शैली | उदयपुर | धार्मिक, प्राकृतिक | चमकीले रंग |
मारवाड़ शैली | जोधपुर | वीरता, शौर्य | लाल-पीले रंग |
बीकानेर शैली | बीकानेर | दरबारी जीवन | मुगल प्रभाव |
किशनगढ़ शैली | किशनगढ़ | राधा-कृष्ण | बनी ठनी |
फड़ चित्रकला | शाहपुरा | लोक देवता | कपड़े पर चित्रण |
अन्य महत्वपूर्ण शिल्प
कठपुतली कला
केंद्र: उदयपुर, नागौर, जोधपुर
सामग्री: लकड़ी, कपड़ा, चमड़ा
कलाकार: भाट जाति
प्रदर्शन: लोक गाथाओं का मंचन
विशेषता: एक तार से संचालित
लाख की चूड़ियां
केंद्र: जयपुर, हैदराबाद
सामग्री: प्राकृतिक लाख
प्रक्रिया: गर्म लाख को आकार देना
रंग: लाल, हरा, पीला, गुलाबी
कागज की वस्तुएं
केंद्र: जयपुर, सांगानेर
उत्पाद: हस्तनिर्मित कागज, डायरी
सामग्री: कपास, सन, बांस
विशेषता: पारंपरिक तकनीक
शीशे का काम
केंद्र: फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश से प्रभावित)
उत्पाद: चूड़ियां, दर्पण, सजावटी सामान
तकनीक: हस्तनिर्मित ब्लोइंग
क्षेत्रीय वितरण
जिलेवार प्रमुख हस्तकलाएं
जिला | प्रमुख हस्तकलाएं | विशेष उत्पाद |
---|---|---|
जयपुर | ब्लू पॉटरी, कुंदन, मीनाकारी, ब्लॉक प्रिंट | गहने, कालीन, वस्त्र |
जोधपुर | बंधेज, मोजड़ी, लकड़ी फर्नीचर | साफा, जूते, हस्तशिल्प |
उदयपुर | मिनिएचर पेंटिंग, कठपुतली | चित्र, लकड़ी के खिलौने |
बीकानेर | कालीन, ऊंट चमड़े का सामान | ऊनी कालीन, चमड़े की वस्तुएं |
जैसलमेर | पत्थर नक्काशी, बंधेज | पीले पत्थर की कलाकृतियां |
बाड़मेर | अजरक प्रिंट, कालीन | ऊनी दरी, प्रिंटेड वस्त्र |
प्रतापगढ़ | थेवा कला | कांच पर सोने का काम |
कोटा-बूंदी | कोटा डोरिया, स्लेट स्टोन | साड़ी, पत्थर के उत्पाद |
शिल्पकार समुदाय
• सुनार: आभूषण निर्माण
• कुम्हार: मिट्टी के बर्तन
• लुहार: लोहे का काम
• दर्जी: वस्त्र निर्माण
• चिपी: फड़ चित्रकला
• भाट: कठपुतली कला
• ठाकुर: पत्थर नक्काशी
ऐतिहासिक महत्व
मुगलकालीन प्रभाव
राजस्थान की कई हस्तकलाओं पर मुगल शासकों का गहरा प्रभाव पड़ा। कुंदन कारीगरी, मीनाकारी, और कालीन बुनाई मुगल काल में चरमोत्कर्ष पर पहुंची।
राजपूत काल
राजपूत शासकों ने कलाकारों को संरक्षण प्रदान किया। मेवाड़, मारवाड़, और आमेर के शासकों द्वारा हस्तकलाओं को विशेष प्रोत्साहन मिला।
ब्रिटिश काल
ब्रिटिश शासन में औद्योगीकरण के कारण पारंपरिक हस्तकलाओं को चुनौती मिली। परंतु महाराजाओं के संरक्षण से ये कलाएं जीवित रहीं।
• महाराणा प्रताप: मेवाड़ कला को प्रोत्साहन
• सवाई राम सिंह (जयपुर): ब्लू पॉटरी का विकास
• महाराजा सूरज मल: कोटा चित्रकला
• राजा सावंत सिंह: थेवा कला के संस्थापक
सरकारी योजनाएं
केंद्र सरकार की योजनाएं
• राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम
• हस्तशिल्प संवर्धन योजना
• कच्चे माल की आपूर्ति योजना
• डिजाइन विकास योजना
राज्य सरकार की योजनाएं
• राजस्थान हस्तशिल्प निगम
• राजस्थली योजना
• शिल्पकार प्रशिक्षण योजना
• हस्तकला हाट का आयोजन
प्रमुख संस्थान
• राजस्थान हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम
• राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं हथकरघा संग्रहालय (नई दिल्ली)
• जवाहरकला केंद्र (जयपुर)
• भारतीय लोक कला मंडल (उदयपुर)
भौगोलिक संकेतक (GI टैग)
• ब्लू पॉटरी ऑफ जयपुर
• बगरू हैंड ब्लॉक प्रिंट
• सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंट
• कोटा डोरिया
• जयपुर कंडी मीनाकारी क्राफ्ट
• बीकानेर कश्मेरी मीना कारपेट
RPSC पूर्व परीक्षा प्रश्नोत्तरी
वर्ष-सहित RPSC प्रश्न
प्रश्न 1: ब्लू पॉटरी का मुख्य केंद्र है: (RPSC 2021)
(a) जोधपुर
(b) जयपुर
(c) उदयपुर
(d) बीकानेर
व्याख्या: ब्लू पॉटरी जयपुर की विशिष्ट हस्तकला है जिसमें कोबाल्ट ब्लू रंग का प्रयोग होता है। इसमें मिट्टी का प्रयोग नहीं होता।
प्रश्न 2: थेवा कला का केंद्र है: (RPSC 2020)
(a) जयपुर
(b) उदयपुर
(c) प्रतापगढ़
(d) बांसवाड़ा
व्याख्या: थेवा कला विश्व में केवल प्रतापगढ़ में होती है। इसमें रंगीन कांच पर सोने का बारीक काम किया जाता है।
प्रश्न 3: "बनी ठनी" चित्र किस चित्रकला शैली से संबंधित है? (RPSC 2019)
(a) मेवाड़ शैली
(b) मारवाड़ शैली
(c) किशनगढ़ शैली
(d) बीकानेर शैली
व्याख्या: "बनी ठनी" किशनगढ़ शैली की प्रसिद्ध चित्रकला है जो राधा के रूप में एक महिला का चित्रण करती है।
प्रश्न 4: फड़ चित्रकला मुख्यतः किस जिले में की जाती है? (RPSC 2018)
(a) जयपुर
(b) भीलवाड़ा
(c) चित्तौड़गढ़
(d) उदयपुर
व्याख्या: फड़ चित्रकला मुख्यतः शाहपुरा (भीलवाड़ा) में चिपी जाति द्वारा की जाती है।
प्रश्न 5: कुंदन जेवरात के लिए प्रसिद्ध नगर है: (RPSC 2017)
(a) जोधपुर
(b) जयपुर
(c) उदयपुर
(d) जैसलमेर
व्याख्या: जयपुर कुंदन जेवरात के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यहाँ शुद्ध सोने की पत्ती का प्रयोग करके आभूषण बनाए जाते हैं।
प्रश्न 6: अजरक प्रिंट का मुख्य केंद्र है: (RPSC 2016)
(a) सांगानेर
(b) बगरू
(c) बाड़मेर
(d) पाली
व्याख्या: अजरक प्रिंट बाड़मेर की विशेष हस्तकला है जिसमें नील और मैडर रंग का प्रयोग होता है।
प्रश्न 7: कोटा डोरिया साड़ी का उत्पादन मुख्यतः कहाँ होता है? (RPSC 2015)
(a) कोटा
(b) बूंदी
(c) झालावाड़
(d) टोंक
व्याख्या: कोटा डोरिया कोटा की प्रसिद्ध साड़ी है जिसे चेकरड डिजाइन के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 8: मीनाकारी कला में मुख्यतः कौन से रंगों का प्रयोग होता है? (RPSC 2022)
(a) लाल, हरा, नीला
(b) पीला, काला, सफेद
(c) लाल, हरा, नीला, सफेद, पीला
(d) केवल नीला और सफेद
व्याख्या: मीनाकारी में पांच मुख्य रंगों का प्रयोग होता है - लाल, हरा, नीला, सफेद और पीला।
अभ्यास प्रश्नोत्तरी
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1: ब्लू पॉटरी में किस मुख्य सामग्री का प्रयोग होता है?
(a) मिट्टी
(b) क्वार्ट्ज
(c) चीनी मिट्टी
(d) बालू
ब्लू पॉटरी में क्वार्ट्ज, फुलर्स अर्थ और ग्लास का प्रयोग होता है, मिट्टी का नहीं।
प्रश्न 2: बगरू प्रिंट की मुख्य विशेषता है:
(a) कृत्रिम रंगों का प्रयोग
(b) प्राकृतिक रंगों का प्रयोग
(c) केवल नीले रंग का प्रयोग
(d) सोने का प्रयोग
बगरू प्रिंट में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है और मुख्य रंग मैरून, काला और सरसों पीला है।
प्रश्न 3: कठपुतली कला मुख्यतः किस समुदाय से जुड़ी है?
(a) भाट
(b) चिपी
(c) कुम्हार
(d) सुनार
कठपुतली कला मुख्यतः भाट जाति के लोगों द्वारा की जाती है।
प्रश्न 4: लहरिया किस कला से संबंधित है?
(a) मीनाकारी
(b) बंधेज
(c) कुंदन
(d) थेवा
लहरिया बंधेज कला का एक प्रकार है जिसमें लहर जैसे डिजाइन बनाए जाते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 5: राजस्थान की तीन प्रमुख चित्रकला शैलियों के नाम और उनकी विशेषताएं लिखिए।
1. मेवाड़ शैली (उदयपुर):
• चमकीले रंगों का प्रयोग
• धार्मिक और प्राकृतिक विषय
• रसिकप्रिया और रागमाला प्रसिद्ध
2. मारवाड़ शैली (जोधपुर):
• वीरता और शौर्य के चित्र
• लाल, पीले और सुनहरे रंग प्रमुख
• राजपूत संस्कृति का चित्रण
3. किशनगढ़ शैली (किशनगढ़):
• राधा-कृष्ण की प्रेम लीला
• "बनी ठनी" प्रसिद्ध चित्र
• सुंदर नारी चित्रण की विशेषता
प्रश्न 6: ब्लू पॉटरी और ब्लैक पॉटरी के बीच अंतर स्पष्ट करिए।
ब्लू पॉटरी:
• केंद्र: जयपुर
• सामग्री: क्वार्ट्ज, ग्लास (मिट्टी नहीं)
• रंग: कोबाल्ट ब्लू मुख्य
• तकनीक: दोहरी पकाई
• मूल: मध्य एशिया से आई
ब्लैक पॉटरी:
• केंद्र: कोटा, बूंदी
• सामग्री: स्थानीय मिट्टी
• रंग: काला
• तकनीक: धुएं में पकाना
• उत्पाद: पारंपरिक बर्तन
प्रश्न 7: कुंदन और मीनाकारी के बीच अंतर बताइए।
कुंदन:
• शुद्ध सोने की पत्ती का प्रयोग
• कीमती पत्थरों की जड़ाई
• मुगलकालीन तकनीक
• राजशाही आभूषण
मीनाकारी:
• धातु पर रंगीन इनैमल
• पांच मुख्य रंगों का प्रयोग
• ईरान से आई तकनीक
• आभूषण और बर्तनों दोनों पर
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 8: राजस्थान की हस्तकलाओं का आर्थिक महत्व स्पष्ट करते हुए इनके संरक्षण के उपाय सुझाइए।
आर्थिक महत्व:
1. रोजगार सृजन:
• लाखों शिल्पकारों को प्रत्यक्ष रोजगार
• ग्रामीण क्षेत्रों में आय का साधन
• महिलाओं के लिए घर-आधारित रोजगार
2. निर्यात आय:
• विदेशी मुद्रा की प्राप्ति
• अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग
• पर्यटकों द्वारा खरीदारी
3. सांस्कृतिक पर्यटन:
• पर्यटन उद्योग को बढ़ावा
• हस्तकला मेलों का आयोजन
• सांस्कृतिक केंद्रों का विकास
संरक्षण के उपाय:
1. सरकारी पहल:
• शिल्पकारों को प्रशिक्षण देना
• आधुनिक तकनीक का प्रयोग
• वित्तीय सहायता प्रदान करना
• बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित करना
2. तकनीकी सुधार:
• ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग
• ई-कॉमर्स के माध्यम से विक्रय
• डिजाइन में नवाचार
3. शिक्षा और जागरूकता:
• पारंपरिक तकनीकों का दस्तावेजीकरण
• युवाओं को प्रशिक्षण देना
• सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण
4. गुणवत्ता नियंत्रण:
• प्रमाणीकरण की व्यवस्था
• GI टैग का प्रयोग
• ब्रांडिंग और मार्केटिंग
प्रश्न 9: राजस्थान की वस्त्र कलाओं का विस्तृत वर्णन करते हुए उनकी क्षेत्रीय विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
राजस्थान की वस्त्र कलाएं अपनी विविधता और समृद्धता के लिए विश्वप्रसिद्ध हैं:
1. बंधेज (टाई एंड डाई):
• मुख्य केंद्र: जोधपुर, जैसलमेर, उदयपुर
• तकनीक: कपड़े को धागे से बांधकर रंगना
• प्रकार:
- इकहरिया: एक रंग का प्रयोग
- त्रिकुंतला: तीन रंगों का मिश्रण
- लहरिया: लहर जैसे डिजाइन
- चांदबूंद: चांद और सितारों के डिजाइन
2. ब्लॉक प्रिंटिंग:
सांगानेरी प्रिंट:
• केंद्र: सांगानेर (जयपुर)
• विशेषता: महीन फूल-पत्तियों के डिजाइन
• रंग: गुलाबी, लाल, हरा प्रमुख
• उत्पाद: कोटा डोरिया, मलमल
बगरू प्रिंट:
• केंद्र: बगरू (जयपुर)
• विशेषता: प्राकृतिक रंगों का प्रयोग
• रंग: मैरून, काला, सरसों पीला
• डिजाइन: ज्यामितीय पैटर्न
अजरक प्रिंट:
• केंद्र: बाड़मेर
• विशेषता: 16-चरणीय प्रक्रिया
• रंग: नील और मैडर मुख्य
• मूल: सिंधी कारीगरों का योगदान
3. कालीन और दरी:
• केंद्र: जयपुर, बीकानेर, टोंक, बाड़मेर
• सामग्री: ऊन, रेशम, कपास
• डिजाइन: मुगल, फारसी, राजस्थानी
• विशेषता: हस्तनिर्मित, टिकाऊ
4. कोटा डोरिया:
• केंद्र: कोटा
• विशेषता: चेकरड डिजाइन
• सामग्री: कपास और रेशम
• GI टैग प्राप्त
क्षेत्रीय विशेषताएं:
पूर्वी राजस्थान: ब्लॉक प्रिंटिंग की प्रधानता
पश्चिमी राजस्थान: बंधेज और अजरक प्रिंट
दक्षिणी राजस्थान: आदिवासी कलाओं का प्रभाव
उत्तरी राजस्थान: कालीन बुनाई की परंपरा
आधुनिक चुनौतियां और समाधान:
• मशीनी उत्पादन की चुनौती
• प्राकृतिक रंगों की कमी
• युवाओं की रुचि में कमी
• डिजाइन में आधुनिकीकरण की आवश्यकता
© Sarkari Service Prep ™
यह सामग्री UPSC/RPSC प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए तैयार की गई है। सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों का भी सहारा लें।
-
प्रश्न: ‘ब्लॉक प्रिंटिंग’ (Bagru/ Sanganeri prints) राजस्थान के किस क्षेत्र से प्रसिद्ध है?
उत्तर: बगरू और सांगरिया (जयपुर क्षेत्र)।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2016
-
प्रश्न: ‘ब्लू पॉटरी’ (नीली मिट्टी की कला) मुख्यतः कहाँ की प्रसिद्ध शिल्पकला है?
उत्तर: जयपुर।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2018
-
प्रश्न: ‘मेवाड़ की फड़ चित्रकला’ किसके लिए जानी जाती है?
उत्तर: चलित/वर्णनात्मक स्क्रॉल पेंटिंग—विशेषतः पाबूजी व देव नारायण की कथाएँ।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2021
-
प्रश्न: ‘थोथेजी/कांथल की टेराकोटा घोड़े’ किस जिले की कारीगरी है?
उत्तर: नागौर–जोधपुर क्षेत्र (परंपरागत टेराकोटा शिल्प)।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2016
-
प्रश्न: ‘उस्ताद‐शिल्प (Usta Art) गिल्ट और नक़्क़ाशी’ किस शहर से संबद्ध है?
उत्तर: बीकानेर।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2018
-
प्रश्न: ‘दरी/किलिम बुनाई’ के लिए राजस्थान का कौन‑सा क्षेत्र प्रसिद्ध है?
उत्तर: बाड़मेर–जैसलमेर–बीकानेर बेल्ट।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2021
-
प्रश्न: ‘कोटा डोरिया’ वस्त्र किस विशेषता के लिए जाना जाता है?
उत्तर: हल्का, पारदर्शी, चौकोर चेक पैटर्न (कॉटन/सिल्क मिश्रण)।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2018
-
प्रश्न: ‘थीवा कला’ (स्वर्ण पत्र जड़ाई) कहाँ की परंपरागत आभूषण/कला है?
उत्तर: प्रतापगढ़ (राजसमन्द–चित्तौड़ क्षेत्र)।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2016
-
प्रश्न: ‘लाख/लाखा चूड़ी निर्माण’ के लिए राजस्थान का कौन‑सा शहर प्रसिद्ध है?
उत्तर: जयपुर (मनिहारों की परंपरा) तथा जालोर–पाली क्षेत्र।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2021
-
प्रश्न: ‘मीनाकारी’ कला का प्रमुख केंद्र कौन‑सा है?
उत्तर: जयपुर (आभूषणों पर रंगीन इनेमल कार्य)।
पूछा गया: RAS/RTS Prelims 2018
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