RBSE Class 12 Drawing 2024 (SS-17) – Complete Question Paper Solution | चित्रकला संपूर्ण हल

| अक्टूबर 21, 2025
RBSE Class 12 Drawing (SS-17) 2024 - संपूर्ण हल

RBSE उच्च माध्यमिक परीक्षा 2024 - चित्रकला (Drawing - SS-17)

संपूर्ण प्रश्न पत्र हल - विकिपीडिया शैली

परीक्षा विवरण

विषय: चित्रकला (Drawing)
कोड: SS-17
कुल अंक: 24
समय: 3 घंटे 15 मिनट
कुल प्रश्न: 17
वर्ष: 2024

📌 महत्वपूर्ण सूचना:

  • यह document RBSE Class 12 Drawing (SS-17) 2024 का complete solution है
  • सभी उत्तर विस्तृत व्याख्या के साथ दिए गए हैं
  • प्रत्येक चित्रकला शैली का विस्तृत विवरण उपलब्ध है
  • परीक्षा टिप्स और रणनीतियाँ अंत में दी गई हैं

खंड A - वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1: बहुविकल्पीय प्रश्न (7 × ½ = 3½ अंक)

(i) त्रिशला के 14 स्वप्न किससे संबंधित हैं?

उत्तर: (B) कल्पसूत्र

व्याख्या: त्रिशला (महावीर स्वामी की माता) के 14 शुभ स्वप्नों का चित्रण कल्पसूत्र में मिलता है। यह जैन साहित्य का महत्वपूर्ण ग्रंथ है जिसमें जैन तीर्थंकरों के जीवन की घटनाओं का वर्णन है।

(ii) "कालकाचार्य कथा" संबंधित है?

उत्तर: (A) आचार्य कालका की कहानी

व्याख्या: कालकाचार्य कथा जैन धर्म के प्रसिद्ध आचार्य कालक के जीवन और शक राजा से उनके बहन की रक्षा की कहानी है। यह जैन चित्रकला का महत्वपूर्ण विषय है।

(iii) मालवा चित्र शैली का प्रमुख चित्रकार कौन था?

उत्तर: (B) माधो दास

व्याख्या: माधो दास मालवा चित्र शैली के सबसे प्रसिद्ध और कुशल चित्रकार थे। उन्होंने 16वीं-17वीं शताब्दी में कई महत्वपूर्ण रागमाला चित्र और धार्मिक विषयों पर चित्र बनाए।

(iv) "जहांगीर का सपना" कृति किसने चित्रित की थी?

उत्तर: (C) अबुल हसन

व्याख्या: अबुल हसन जहांगीर काल के महान चित्रकार थे। उन्हें "नादिर-उज़-ज़मान" (युग का अद्भुत) की उपाधि मिली थी। "जहांगीर का सपना" उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति है।

(v) "फॉग म्यूज़ियम ऑफ आर्ट" कहाँ पर स्थित है?

उत्तर: (A) कैम्ब्रिज, ब्रिटेन

व्याख्या: फॉग म्यूज़ियम ऑफ आर्ट हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का हिस्सा है जो कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स, USA में स्थित है। इसमें भारतीय लघु चित्रों का बेहतरीन संग्रह है।

(vi) बीजापुर चित्रकला शैली से संबंधित चित्र है?

उत्तर: (A) नुजूम-अल-उलूम

व्याख्या: "नुजूम-अल-उलूम" (ज्ञान के सितारे) बीजापुर शैली की प्रसिद्ध सचित्र पांडुलिपि है। यह खगोल विज्ञान और ज्योतिष पर आधारित है।

(vii) "तारीफ़-ए-हुसैन शाही" कृति किस शैली (स्कूल) से संबंधित है?

उत्तर: (B) बीजापुर शैली

व्याख्या: "तारीफ़-ए-हुसैन शाही" इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय के शासनकाल में बीजापुर शैली में बनाई गई थी। यह संगीत और कला पर आधारित पुस्तक है।

प्रश्न 2: रिक्त स्थानों की पूर्ति (5 × ½ = 2½ अंक)

(i) बिहज़ाद हेरात शैली का मुख्य चित्रकार था।

व्याख्या: कमालुद्दीन बिहज़ाद (1450-1535) फारसी कला के महानतम चित्रकारों में से एक थे। वे हेरात (अब अफगानिस्तान) के दरबार में काम करते थे।

(ii) चेस्टर बीटी लाइब्रेरी डबलिन (आयरलैंड) में स्थित है।

व्याख्या: चेस्टर बीटी लाइब्रेरी डबलिन, आयरलैंड में स्थित है और इसमें भारतीय, फारसी और अरबी चित्रकला का अद्भुत संग्रह है।

(iii) "उमर खय्याम की रुबाइयाँ" चुगताई की प्रसिद्ध वाश कृति (पेंटिंग) है।

व्याख्या: अब्दुर रहमान चुगताई (1894-1975) की वाश पेंटिंग तकनीक में बनाई गई "उमर खय्याम की रुबाइयाँ" उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति है।

(iv) प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप का गठन 1947 में हुआ था।

व्याख्या: प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप की स्थापना दिसंबर 1947 में मुंबई में हुई थी। इसके संस्थापक सदस्यों में एफ.एन. सूजा, एस.एच. रज़ा, एम.एफ. हुसैन शामिल थे।

(v) मिथिला पेंटिंग्स का संबंध बिहार राज्य से है।

व्याख्या: मिथिला या मधुबनी पेंटिंग बिहार के मिथिला क्षेत्र की पारंपरिक लोक कला है। यह मुख्यतः महिलाओं द्वारा दीवारों और कागज़ पर बनाई जाती है।

प्रश्न 3: अति लघुत्तरात्मक प्रश्न (7 × ½ = 3½ अंक)

(i) "उत्तराध्यायन सूत्र" क्या है?

उत्तर: उत्तराध्यायन सूत्र जैन धर्म का महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है जिसमें महावीर स्वामी के उपदेश और जैन दर्शन का विवरण है। इसकी सचित्र पांडुलिपियां जैन चित्रकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

(ii) किसी एक सचित्र जैन पांडुलिपि (पौथी) का नाम लिखिए।

उत्तर: कल्पसूत्र (Kalpasutra) - यह सबसे प्रसिद्ध सचित्र जैन पांडुलिपि है जिसमें 24 तीर्थंकरों के जीवन का वर्णन है।

(iii) कांगड़ा शैली के किसी एक प्रसिद्ध चित्रकार का नाम लिखिए।

उत्तर: पंडित सेउ (Pandit Seu) - वे कांगड़ा शैली के संस्थापक माने जाते हैं। उनके पुत्र मनकू और नैनसुख भी महान चित्रकार थे।

(iv) राजा रवि वर्मा ने मुख्य रूप से किस रंग माध्यम को अपनाया?

उत्तर: तैल रंग (Oil Painting) - राजा रवि वर्मा ने यूरोपीय शैली में तैल रंगों का प्रयोग करके भारतीय पौराणिक और ऐतिहासिक विषयों को चित्रित किया।

(v) "टिलर ऑफ द सॉयल" कृति किसने चित्रित की थी?

उत्तर: जामिनी रॉय (Jamini Roy) - यह उनकी प्रसिद्ध कृति है जो भारतीय किसान की कठोर मेहनत और गरिमा को दर्शाती है।

(vi) "भूखा बंगाल" कृति किसने चित्रित की थी?

उत्तर: चित्तप्रसाद भट्टाचार्य (Chittaprosad) - यह 1943 के बंगाल अकाल पर आधारित एक शक्तिशाली और मार्मिक कृति है।

(vii) "वर्ली पेंटिंग्स" का संबंध किस राज्य से है?

उत्तर: महाराष्ट्र - वर्ली पेंटिंग महाराष्ट्र के वर्ली जनजाति की पारंपरिक लोक कला है, जो सरल ज्यामितीय आकृतियों से बनाई जाती है।

खंड B - लघुत्तरात्मक प्रश्न (10 × ¾ = 7½ अंक)

प्रश्न 4: मालवा शैली के चित्रित विषय संक्षेप में लिखिए (40 शब्द)

मालवा शैली के प्रमुख विषय:

  • रागमाला चित्र: संगीत के विभिन्न रागों का दृश्य चित्रण
  • भागवत पुराण: कृष्ण लीला के दृश्य
  • रासमंडल: राधा-कृष्ण की रास लीला
  • बारहमासा: 12 महीनों का चित्रण
  • नायक-नायिका भेद: प्रेम के विभिन्न स्वरूप
  • अमरूशतक: प्रेम कविताओं का चित्रण

मालवा शैली में चमकीले प्राथमिक रंग (लाल, पीला, हरा) और सपाट चित्रण की विशेषता है।

प्रश्न 5: मेवाड़ शैली की विशेषताएं संक्षेप में लिखिए (40 शब्द)

मेवाड़ शैली (स्टाइल) की विशेषताएं:

  • रंग योजना: चमकीले और शुद्ध रंग - पीला, नारंगी, लाल, हरा
  • विषय: राजपूत संस्कृति, शिकार दृश्य, दरबारी जीवन, धार्मिक कथाएं
  • पृष्ठभूमि: हरे-भरे बगीचे, पहाड़ियां, महल
  • मुख्य कृतियां: रागमाला, गीत गोविंद, रामायण
  • आकृतियां: लंबे शरीर, बादाम आकार की आंखें
  • स्वर्ण का प्रयोग: विशेष महत्व के दृश्यों में

मेवाड़ शैली 16वीं-17वीं शताब्दी में उदयपुर और चित्तौड़गढ़ में विकसित हुई।

प्रश्न 6: बीजापुर की "योगिनी" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए (40 शब्द)

बीजापुर की योगिनी:

बीजापुर शैली में "योगिनी" (योग साधना करती महिला) का चित्रण एक महत्वपूर्ण विषय था। इन चित्रों में:

  • विशेषताएं: ध्यानमग्न योगिनी का चित्रण, सूफी और भक्ति परंपरा का प्रभाव
  • तकनीक: सूक्ष्म रेखाओं और कोमल रंगों का प्रयोग
  • प्रतीकवाद: आध्यात्मिक शक्ति और तंत्र साधना का प्रतिनिधित्व
  • शैली: दक्कनी और मुगल प्रभाव का मिश्रण

ये चित्र 17वीं शताब्दी में आदिल शाही राजवंश के दौरान बनाए गए थे।

प्रश्न 7: "सुल्तान अब्दुल्ला कुतुब शाह" कृति पर संक्षिप्त टिप्पणी (40 शब्द)

"सुल्तान अब्दुल्ला कुतुब शाह" चित्र:

यह गोलकुंडा शैली की उत्कृष्ट पोर्ट्रेट पेंटिंग है:

  • विषय: गोलकुंडा के शासक अब्दुल्ला कुतुब शाह (1626-1672) का चित्र
  • विशेषताएं:
    • शाही वेशभूषा और आभूषण का सूक्ष्म चित्रण
    • व्यक्तित्व का सशक्त प्रस्तुतीकरण
    • सुनहरी पृष्ठभूमि
    • फारसी और दक्कनी शैली का समन्वय
  • महत्व: दक्कनी लघु चित्रकला का उत्कृष्ट उदाहरण

यह 17वीं शताब्दी की राजसी पोर्ट्रेट परंपरा का बेहतरीन नमूना है।

प्रश्न 8: कांगड़ा शैली के प्रमुख चित्र विषय लिखिए (40 शब्द)

कांगड़ा शैली के मुख्य चित्र विषय:

  • गीत गोविंद: राधा-कृष्ण की प्रेम लीला (सबसे लोकप्रिय विषय)
  • भागवत पुराण: कृष्ण के बाल लीला दृश्य
  • रागमाला: संगीतात्मक रागों का चित्रण
  • बारहमासा: बारह महीनों के प्रेम दृश्य
  • रामायण: राम-सीता की कथाएं
  • नायक-नायिका भेद: प्रेमी-प्रेमिका के विभिन्न प्रकार
  • प्राकृतिक दृश्य: पहाड़ी परिदृश्य, नदियां, बगीचे

कांगड़ा शैली अपने कोमल रंगों, स्त्री सौंदर्य और प्राकृतिक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 9: "बंगाल स्कूल" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए (40 शब्द)

बंगाल स्कूल (Bengal School):

  • उद्भव: 20वीं शताब्दी की शुरुआत (1905-1920), कलकत्ता
  • संस्थापक: अवनींद्रनाथ टैगोर
  • उद्देश्य: यूरोपीय कला के विरुद्ध भारतीय कला का पुनर्जागरण
  • प्रेरणा: अजंता भित्तिचित्र, मुगल लघु चित्र, जापानी वाश तकनीक
  • विषय: भारतीय पौराणिक कथाएं, इतिहास, राष्ट्रवाद
  • तकनीक: वाश पेंटिंग, पानी के रंग, कोमल रंग
  • प्रमुख कलाकार: अवनींद्रनाथ टैगोर, गगनेंद्रनाथ टैगोर, नंदलाल बोस

बंगाल स्कूल ने आधुनिक भारतीय कला को नई दिशा दी।

प्रश्न 10: "के.सी.एस. पणिक्कर" की कला पर संक्षिप्त टिप्पणी (40 शब्द)

के.सी.एस. पणिक्कर (K.C.S. Paniker, 1911-1977):

कला की विशेषताएं:

  • शैली: अमूर्त अभिव्यंजनावाद (Abstract Expressionism)
  • "Words and Symbols": उनकी सबसे प्रसिद्ध श्रृंखला
    • दक्षिण भारतीय लिपियों और प्रतीकों का प्रयोग
    • तमिल संस्कृति से प्रेरणा
  • रंग प्रयोग: मिट्टी के रंग, भारतीय रंग पैलेट
  • योगदान: मद्रास आर्ट मूवमेंट के संस्थापक
  • दर्शन: भारतीय परंपरा और आधुनिक कला का संगम

पणिक्कर ने दक्षिण भारतीय कला को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित किया।

प्रश्न 11: "संथाल फैमिली" मूर्ति पर संक्षिप्त टिप्पणी (40 शब्द)

"संथाल फैमिली" (Santhal Family) मूर्ति:

  • मूर्तिकार: रामकिंकर बैज (Ramkinkar Baij, 1906-1980)
  • निर्माण वर्ष: 1938
  • स्थान: शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल
  • माध्यम: सीमेंट कंक्रीट और बिट्युमिन
  • विषय: संथाल आदिवासी परिवार - पिता, माता, बच्चा और कुत्ता
  • विशेषताएं:
    • भारत की पहली बड़ी outdoor concrete मूर्ति
    • कामकाजी वर्ग का यथार्थवादी चित्रण
    • गति और गरिमा का सुंदर प्रतिनिधित्व
    • आधुनिक भारतीय मूर्तिकला में मील का पत्थर

यह कृति सामाजिक यथार्थवाद और आधुनिक तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण है।

प्रश्न 12: राजस्थान की फड़ लोक कला के बारे में संक्षेप में लिखिए (40 शब्द)

राजस्थान की फड़ लोक कला:

  • परिभाषा: फड़ कपड़े पर बने लंबे scroll paintings हैं जिन्हें लोक गायकों द्वारा कथा सुनाते समय प्रदर्शित किया जाता है
  • मुख्य प्रकार:
    • पाबूजी की फड़: राजस्थान के लोक देवता पाबूजी की कथा (5-15 मीटर लंबी)
    • देवनारायण की फड़: गुर्जर देवता देवनारायण की गाथा (20-30 मीटर लंबी)
  • रंग: प्राकृतिक रंग - लाल, पीला, नारंगी, हरा, नीला
  • तकनीक: हाथ से बनाए गए वनस्पति रंगों से रंगाई
  • कलाकार: छीपा समुदाय (जोशी परिवार - भीलवाड़ा)
  • प्रदर्शन: भोपा-भोपी (गायक और नर्तक) रात में प्रदर्शित करते हैं

फड़ चित्रकला 700-1000 वर्ष पुरानी जीवंत परंपरा है जो आज भी जीवित है।

प्रश्न 13: "ढोकरा कास्टिंग" के बारे में संक्षेप में लिखिए (40 शब्द)

ढोकरा कास्टिंग (Dhokra Casting):

  • परिभाषा: ढोकरा भारत की 4000 वर्ष पुरानी पारंपरिक धातु कास्टिंग तकनीक है
  • तकनीक: Lost-wax (मोम खोने की) विधि
    • मिट्टी के core पर मोम से आकृति बनाना
    • ऊपर से मिट्टी की परत चढ़ाना
    • गर्म करने पर मोम पिघल जाता है
    • खाली जगह में पिघली धातु डालना
    • ठंडा होने पर मिट्टी तोड़ना
  • धातु: पीतल और कांसे का मिश्रण
  • क्षेत्र: पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा
  • शिल्पकार: आदिवासी कारीगर समुदाय
  • उत्पाद: देवी-देवताओं की मूर्तियां, घोड़े, हाथी, आभूषण, घंटी, दीपक
  • विशेषता: प्रत्येक piece unique होता है (replication नहीं हो सकती)

ढोकरा कला को UNESCO द्वारा मान्यता प्राप्त है और यह GI tag certified है।

खंड C - दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (लगभग 150 शब्द)

प्रश्न 14: जहांगीर कालीन मुगल कला पर प्रकाश डालिए (1½ अंक)

जहांगीर कालीन मुगल कला (1605-1627):

परिचय:

जहांगीर (1569-1627) स्वयं एक कला प्रेमी और सूक्ष्म दर्शक थे। उनके काल में मुगल चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंची।

मुख्य विशेषताएं:

  1. पोर्ट्रेट पेंटिंग:
    • व्यक्तिगत चित्रों पर विशेष बल
    • सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक अध्ययन
    • शाही व्यक्तित्वों के चित्र
  2. प्राकृतिक चित्रण:
    • पक्षियों का वैज्ञानिक चित्रण
    • पशुओं की सूक्ष्म आकृतियां
    • वनस्पति का realistic चित्रण
    • मंसूर - "नादिर-उल-अस्र" (युग का अद्भुत) - पक्षी विशेषज्ञ
  3. यूरोपीय प्रभाव:
    • Perspective और shading का प्रयोग
    • Three-dimensional effect
    • Christian themes का समावेश

प्रमुख चित्रकार:

  • अबुल हसन: "जहांगीर का सपना", portraits के मास्टर
  • मंसूर: पक्षी और पशु चित्रकार, "साइबेरियन क्रेन", "बंगाल फ्लोरिकन"
  • उस्ताद मंसूर: botanical illustrations
  • बिशनदास: portrait specialist, ईरान यात्रा

प्रसिद्ध कृतियां:

  • "जहांगीर शाह गुलाम अब्बास को कैद से रिहा करते हुए"
  • "जहांगीर का दरबार"
  • "साइबेरियन क्रेन"
  • "टर्की कॉक"

तकनीकी उन्नति:

  • सोने की बारीक काम
  • Detailed background
  • Realistic expressions
  • Perfect anatomy

निष्कर्ष: जहांगीर काल में मुगल चित्रकला ने अपनी सर्वोच्च परिपक्वता प्राप्त की।

अथवा/OR

अकबर कालीन मुगल कला (1556-1605):

परिचय:

अकबर (1542-1605) के शासनकाल में मुगल चित्रकला का स्वर्णिम युग आरंभ हुआ। उन्होंने फारसी, भारतीय और यूरोपीय शैलियों का अद्भुत समन्वय किया।

प्रमुख विशेषताएं:

  1. सचित्र पांडुलिपियां:
    • बड़े पैमाने पर पुस्तक चित्रण
    • टीम वर्क - 100+ कलाकार एक साथ काम
    • फारसी और भारतीय शैलियों का मिश्रण
  2. विषय विविधता:
    • ऐतिहासिक घटनाएं
    • दरबारी जीवन
    • युद्ध दृश्य
    • शिकार के दृश्य
    • धार्मिक सहिष्णुता के चित्र
  3. शैली विकास:
    • गतिशील composition
    • भीड़ के दृश्य (crowded scenes)
    • Narrative style
    • रंगों की समृद्धि

प्रमुख सचित्र ग्रंथ:

  • हम्ज़ानामा (1562-1577):
    • 1400 विशाल चित्र (कपड़े पर)
    • अमीर हम्ज़ा की कहानियां
    • 15 वर्षों में पूर्ण
  • अकबरनामा: अकबर के जीवन का इतिहास
  • रज्मनामा: महाभारत का फारसी अनुवाद
  • तूतीनामा: तोते की कहानियां

प्रमुख कलाकार:

  • अब्द अल-समद: "शिराजी" - मुख्य कला निर्देशक
  • मीर सय्यद अली: फारसी मास्टर
  • दासवंत: भारतीय प्रतिभा, निम्न जाति से महान कलाकार
  • बसावन: सूक्ष्म चित्रकार

Atelier (कार्यशाला) व्यवस्था:

  • शाही Karkhana (कला केंद्र) की स्थापना
  • 100+ कलाकार नियुक्त
  • विभिन्न कार्य - outline, coloring, portraits
  • नियमित वेतन और सम्मान

निष्कर्ष: अकबर के संरक्षण में मुगल चित्रकला ने भारतीय और फारसी कला का अद्वितीय संगम प्राप्त किया।

प्रश्न 15: "अमृता शेरगिल" की कला के बारे में लिखिए (1½ अंक)

अमृता शेरगिल (Amrita Sher-Gil, 1913-1941):

जीवन परिचय:

  • जन्म: 30 जनवरी 1913, बुडापेस्ट, हंगरी
  • पिता: उमराव सिंह शेरगिल (सिख अभिजात)
  • माता: मैरी एंटोनिएट (हंगेरियन opera singer)
  • मृत्यु: 5 दिसंबर 1941, लाहौर (केवल 28 वर्ष की आयु)

कला शिक्षा:

  • 16 वर्ष की आयु में पेरिस में École des Beaux-Arts में प्रवेश
  • यूरोपीय आधुनिकतावाद का गहन अध्ययन
  • Paul Cézanne, Paul Gauguin से प्रभावित
  • 1934 में भारत वापसी - जीवन का turning point

कला की विशेषताएं:

1. विषय (Themes):

  • ग्रामीण भारत की महिलाएं
  • दैनिक जीवन के दृश्य
  • गरीबी और सामाजिक यथार्थ
  • भारतीय जनजीवन की गरिमा

2. शैली (Style):

  • Bold और simplified forms
  • Flat areas of color
  • यूरोपीय post-impressionism + भारतीय लघु चित्र शैली
  • अजंता की भित्तिचित्रों से प्रेरणा

3. रंग योजना:

  • Earth tones - भूरा, लाल, पीला, सियना
  • Muted palette
  • भारतीय त्वचा के रंगों का realistic चित्रण

प्रमुख कृतियां:

  • "Three Girls" (1935): पहली महत्वपूर्ण भारतीय कृति
  • "Bride's Toilet" (1937): उनकी masterpiece
  • "Brahmacharis" (1937): ब्राह्मण युवकों का चित्रण
  • "Hill Women" (1935): पहाड़ी महिलाएं
  • "South Indian Villagers Going to Market" (1937)

कला दर्शन:

अमृता का मानना था: "मेरा उद्देश्य भारतीय जनता को व्यक्त करना है - उनके रूप, रंग और भावनाओं को capture करना।"

प्रभाव और विरासत:

  • आधुनिक भारतीय कला में pioneer
  • पहली महिला कलाकार जिन्होंने international recognition प्राप्त की
  • भारत सरकार द्वारा "Nine Masters" में शामिल
  • 2006 में उनकी painting 6.9 करोड़ रुपये में बिकी

निष्कर्ष: अमृता शेरगिल ने अपने छोटे जीवन में भारतीय कला को नई दिशा दी। वे "भारत की Frida Kahlo" मानी जाती हैं।

अथवा/OR

"ट्रायम्फ ऑफ लेबर" (Triumph of Labour) से आप क्या समझते हैं?

कृति विवरण:

  • मूर्तिकार: देवी प्रसाद रॉय चौधरी (Devi Prasad Roy Choudhury, 1899-1975)
  • निर्माण वर्ष: 1954-1960
  • स्थान: मरीना बीच, चेन्नई (Napier Bridge पर)
  • माध्यम: ग्रेनाइट पत्थर
  • आकार: 21 फीट ऊंची monumental sculpture

मूर्ति का विवरण:

यह मूर्ति चार श्रमिकों के समूह को दर्शाती है:

  1. Blacksmith (लुहार): हथौड़ा पकड़े हुए, शक्ति का प्रतीक
  2. Farmer (किसान): हल के साथ, कृषि का प्रतिनिधित्व
  3. Fisherman (मछुआरा): जाल के साथ, समुद्री जीवन
  4. Weaver (बुनकर): करघे के साथ, उद्योग का प्रतीक

प्रतीकवाद (Symbolism):

  • श्रम की महानता: कामकाजी वर्ग को सम्मान
  • राष्ट्र निर्माण: स्वतंत्र भारत के विकास में श्रमिकों का योगदान
  • एकता: विभिन्न व्यवसायों का समन्वय
  • गतिशीलता: आगे बढ़ते हुए श्रमिक - progress का प्रतीक

कलात्मक विशेषताएं:

  • Realistic style: मांसपेशियों और शरीर रचना का सटीक चित्रण
  • Dynamic composition: गति और ऊर्जा का अहसास
  • Monumental scale: भव्य आकार से श्रम की महिमा
  • Classical influence: ग्रीक और रोमन मूर्तिकला की याद

ऐतिहासिक संदर्भ:

  • स्वतंत्रता के बाद भारत के औद्योगिकीकरण का दौर
  • नेहरू के "socialist pattern of society" का प्रतिबिंब
  • श्रमिक वर्ग को देश की रीढ़ के रूप में मान्यता

देवी प्रसाद रॉय चौधरी:

  • मद्रास स्कूल ऑफ आर्ट्स के प्रिंसिपल
  • आधुनिक भारतीय मूर्तिकला के अग्रदूत
  • अन्य प्रसिद्ध कृतियां: "Yaksha and Yakshi", "Sukanya"

सामाजिक महत्व:

  • श्रमिकों के प्रति सम्मान का संदेश
  • Social realism का उत्कृष्ट उदाहरण
  • Public art का महत्वपूर्ण piece
  • चेन्नई का iconic landmark

निष्कर्ष: "ट्रायम्फ ऑफ लेबर" केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि स्वतंत्र भारत की आकांक्षाओं और श्रमिकों के योगदान का प्रतीक है। यह आधुनिक भारतीय मूर्तिकला का गौरव है।

खंड D - निबंधात्मक प्रश्न (लगभग 250 शब्द)

प्रश्न 16: बूंदी चित्र शैली के बारे में विस्तार से लिखिए (2 अंक)

बूंदी चित्र शैली (Bundi School of Painting):

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • स्थान: बूंदी, राजस्थान (हाड़ौती क्षेत्र)
  • विकास काल: 17वीं-18वीं शताब्दी
  • संरक्षक: हाड़ा राजपूत शासक
    • राव रतन सिंह (1607-1631)
    • राव राम सिंह (1607-1631)
    • उम्मेद सिंह (1744-1771) - स्वर्ण युग
  • कला केंद्र: बूंदी का चित्रशाला महल (Chitrashala)

मुख्य विशेषताएं:

1. विषय वस्तु:

  • रागमाला: सबसे प्रसिद्ध विषय
    • 36 रागों का दृश्य चित्रण
    • संगीत और चित्र का अद्भुत समन्वय
    • प्रत्येक राग के mood का perfect representation
  • बारहमासा: 12 महीनों के प्रेम दृश्य
  • दरबारी जीवन: शाही समारोह, दरबार के दृश्य
  • शिकार: जंगली शेर और सुअर का शिकार
  • धार्मिक: राधा-कृष्ण, राम-सीता की कथाएं
  • त्योहार: होली, दीवाली, तीज के दृश्य

2. रंग योजना:

  • हरा रंग: बूंदी शैली की पहचान - विशिष्ट नीला-हरा (emerald green)
  • अन्य रंग: सफेद, पीला, नारंगी, लाल
  • पृष्ठभूमि: गहरे रंगों का प्रयोग
  • प्राकृतिक रंग: खनिज और वनस्पति से बने

3. प्राकृतिक दृश्य:

  • घने जंगल: बूंदी शैली की सबसे बड़ी विशेषता
    • विशाल, फैले हुए पेड़
    • केले के पेड़ों की प्रचुरता
    • लहलहाती हरियाली
  • जल तत्व:
    • नदियां, झरने, तालाब
    • कमल के फूल
    • जलीय जीवन
  • वन्यजीव:
    • शेर, हिरण, मोर, हाथी
    • पक्षियों की विविधता
    • Natural habitat का realistic चित्रण

4. स्थापत्य तत्व:

  • महल और छतरियां
  • छज्जे और झरोखे
  • बगीचे और फव्वारे
  • राजपूत वास्तुकला का प्रभाव

5. मानव आकृतियां:

  • लंबे, सुगठित शरीर
  • बड़ी आंखें, तीखी नाक
  • राजपूती वेशभूषा और आभूषण
  • भावपूर्ण चेहरे

तकनीकी पक्ष:

  • माध्यम: कागज पर गुआश और टेम्परा
  • आकार: छोटे और मध्यम आकार के चित्र
  • सीमाएं: लाल या काले borders
  • स्वर्ण कार्य: आभूषणों और विशेष elements में

प्रसिद्ध रागमाला श्रृंखलाएं:

  1. 1591 की रागमाला: सबसे प्रारंभिक
  2. 1701 की चुनार रागमाला: बूंदी शैली का finest example
  3. 1770 की रागमाला: उम्मेद सिंह के काल की

अन्य शैलियों से तुलना:

विशेषता बूंदी मेवाड़ कांगड़ा
प्रकृति चित्रण घने जंगल खुले परिदृश्य नाजुक, कोमल
विशिष्ट रंग नीला-हरा पीला-नारंगी पेस्टल shades
मुख्य विषय रागमाला, शिकार दरबारी, धार्मिक राधा-कृष्ण

संग्रहालय और संग्रह:

  • बूंदी पैलेस - चित्रशाला
  • राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली
  • अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम, जयपुर
  • British Museum, London
  • Victoria & Albert Museum, London

पतन:

  • 18वीं शताब्दी के अंत में राजनीतिक अस्थिरता
  • आर्थिक संकट
  • ब्रिटिश प्रभाव
  • Photography के आगमन से परंपरागत कला का ह्रास

विरासत और महत्व:

  • राजस्थानी चित्रकला में अनूठा स्थान
  • रागमाला परंपरा में सर्वश्रेष्ठ
  • प्रकृति चित्रण में अद्वितीय
  • भारतीय लघु चित्र कला का गौरव

निष्कर्ष: बूंदी चित्र शैली राजस्थानी चित्रकला का एक अनमोल रत्न है। इसके घने जंगल, विशिष्ट हरा रंग और रागमाला चित्र इसे अन्य शैलियों से अलग पहचान देते हैं।

अथवा/OR

किशनगढ़ चित्र शैली (Kishangarh School of Painting):

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • स्थान: किशनगढ़, राजस्थान
  • विकास काल: 18वीं शताब्दी (1735-1770)
  • संरक्षक: राजा सावंत सिंह (1748-1764) - "नागरीदास" के नाम से कवि
  • प्रेरणा: राजा सावंत सिंह और उनकी प्रेमिका बणी-ठणी (गायिका)

मुख्य विशेषताएं:

1. "बणी-ठणी" - आदर्श नायिका:

  • किशनगढ़ शैली की सबसे प्रसिद्ध painting
  • चित्रकार: निहाल चंद
  • राधा के रूप में बणी-ठणी का चित्रण
  • भारतीय "मोना लिसा" के रूप में प्रसिद्ध
  • 2012 में भारतीय डाक टिकट पर featured

2. आकृतियों की विशेषताएं:

  • चेहरा:
    • अंडाकार, लंबा चेहरा
    • तीखी, नुकीली नाक
    • बादाम के आकार की बड़ी, भावपूर्ण आंखें
    • पतले होंठ
    • लंबी, सुडौल गर्दन
  • शरीर:
    • लंबा, सुगठित, graceful
    • सुकुमार अंग
    • लयबद्ध मुद्राएं
  • वस्त्र और आभूषण:
    • पारदर्शी कपड़े (transparent veils)
    • भव्य आभूषण
    • राजपूती traditional ornaments

3. रंग योजना:

  • कोमल रंग: पेस्टल shades
  • प्रमुख रंग: सफेद, हल्का नीला, गुलाबी, हरा
  • विशिष्टता: नीले-हरे रंग का सुंदर प्रयोग
  • पृष्ठभूमि: साफ, सरल, uncluttered

4. विषय वस्तु:

  • राधा-कृष्ण: प्रमुख विषय
    • राधा के रूप में बणी-ठणी
    • कृष्ण के रूप में सावंत सिंह
    • दिव्य प्रेम का प्रतीक
  • रासलीला: वृंदावन के दृश्य
  • प्रेम कविताएं: सावंत सिंह की कविताओं का चित्रण
  • नायक-नायिका: विभिन्न प्रेम स्थितियां

5. परिदृश्य (Landscape):

  • यमुना नदी के किनारे
  • कमल के तालाब
  • कदंब के पेड़
  • छोटे, stylized पेड़
  • साफ आसमान

प्रमुख कलाकार:

  • निहाल चंद (Nihal Chand):
    • किशनगढ़ शैली के सबसे महान चित्रकार
    • राजा सावंत सिंह के दरबारी कलाकार
    • "बणी-ठणी" के चित्रकार
    • लगभग 200 paintings attributed
  • अन्य कलाकार: सूर दास, अमर दास

साहित्यिक संबंध:

  • राजा सावंत सिंह "नागरीदास" के नाम से कवि
  • उन्होंने हजारों भक्ति पद लिखे
  • चित्रों में कविताओं का visual representation
  • कला और साहित्य का अद्भुत समन्वय

तकनीकी पक्ष:

  • Wasli (हस्तनिर्मित कागज) पर चित्रण
  • प्राकृतिक रंग - खनिज और वनस्पति
  • बारीक brushwork
  • सोने और चांदी का सूक्ष्म कार्य
  • Miniature format

प्रसिद्ध कृतियां:

  1. "बणी-ठणी" - सबसे iconic
  2. "राधा चंद्र भाल" - राधा चांद के साथ
  3. "राधा के सौंदर्य का वर्णन"
  4. "राधा-कृष्ण की रास-लीला"
  5. "यमुना तट पर मिलन"

अन्य शैलियों से तुलना:

पहलू किशनगढ़ कांगड़ा मेवाड़
चेहरे की आकृति अत्यंत लंबा, नुकीली नाक गोल, कोमल साधारण
भाव आध्यात्मिक प्रेम रोमांटिक वीर, शक्तिशाली
रंग कोमल, पेस्टल कोमल, प्राकृतिक चमकीले, बोल्ड

Eric Dickinson की खोज:

  • 1950s में British art historian Eric Dickinson ने किशनगढ़ चित्रों को discover किया
  • "बणी-ठणी" को "Indian Mona Lisa" घोषित किया
  • International recognition मिली
  • किशनगढ़ शैली को अलग पहचान मिली

संग्रह:

  • किशनगढ़ पैलेस म्यूज़ियम
  • राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली
  • अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम, जयपुर
  • National Gallery of Australia
  • Various private collections worldwide

समकालीन प्रासंगिकता:

  • आज भी किशनगढ़ में परंपरागत कलाकार
  • पर्यटन का मुख्य attraction
  • भारतीय चित्रकला में iconic status
  • Fashion और design में inspiration

निष्कर्ष: किशनगढ़ शैली राजस्थानी चित्रकला का एक अनूठा और रहस्यमय रूप है। इसकी विशिष्ट आकृतियां, कोमल रंग और आध्यात्मिक प्रेम का चित्रण इसे भारतीय कला में अमर बनाता है। "बणी-ठणी" न केवल एक painting है, बल्कि भारतीय सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक है।

प्रश्न 17: बसोहली चित्र शैली की विस्तृत व्याख्या कीजिए (2 अंक)

बसोहली चित्र शैली (Basohli School of Painting):

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • स्थान: बसोहली, जम्मू-कश्मीर (अब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश)
  • विकास काल: 1660-1750 (17वीं-18वीं शताब्दी का पूर्वार्ध)
  • संरक्षक: बसोहली के राजपूत राजा
    • राजा कृपाल पाल (1678-1693) - प्रारंभिक संरक्षक
    • राजा धीरज पाल (1725-1761) - स्वर्णिम काल
  • महत्व: पहाड़ी चित्रकला की सबसे प्राचीन और bold शैली

मुख्य विशेषताएं:

1. रंग योजना (सबसे विशिष्ट पहलू):

  • प्राथमिक रंग:
    • गहरा लाल/क्रिमसन: सबसे प्रमुख - passionate और bold
    • पीला: चमकीला, सोने जैसा
    • हरा: गहरा, जीवंत
    • नीला: तीव्र, ultramarine
  • पृष्ठभूमि: अक्सर एक ही flat color - लाल, पीला या भूरा
  • Contrast: तीव्र रंग contrast, कोई graduated tones नहीं
  • विशेष तकनीक: "Beetle wing" - असली beetles के पंखों का प्रयोग jewellery के लिए

2. मानव आकृतियों की विशेषताएं:

  • चेहरा:
    • गोल या oval shape
    • बड़ी, उभरी हुई आंखें - विशेषता: आंखें पक्षियों की तरह
    • तीखी, hawk-like नाक
    • पतले होंठ
    • मोटी भौंहें - आमतौर पर एक सीधी line में
    • Profile view (side view) में भी आंख front-facing
  • शरीर:
    • सपाट, two-dimensional
    • Strong, geometric forms
    • कोई shading नहीं
  • केश-विन्यास:
    • काले, घने बाल
    • विशिष्ट hairstyles

3. विषय वस्तु:

  • Rasamanjari Series (रसमंजरी):
    • बसोहली शैली की सबसे प्रसिद्ध श्रृंखला
    • भानुदत्त की संस्कृत कविता पर आधारित
    • नायक-नायिका के 140 प्रकार
    • 1660-1670 के आसपास बनी
    • पुरुष protagonist - strong, heroic
    • विभिन्न प्रेम situations
  • Ragamala:
    • संगीत रागों का चित्रण
    • Bold colors और dramatic presentation
  • भागवत पुराण:
    • कृष्ण की बाल लीलाएं
    • गोपियों के साथ रास
  • Gita Govinda: राधा-कृष्ण प्रेम
  • देवी माहात्म्य: देवी दुर्गा की कथाएं
  • राजपूती portraits: राजाओं के चित्र

4. परिदृश्य और पृष्ठभूमि:

  • सरल और stylized:
    • Flat, single-color backgrounds
    • Minimal landscape elements
    • Geometric patterns
  • वास्तुकला:
    • सरल buildings
    • Geometric shapes
    • कोई perspective नहीं
  • पेड़-पौधे:
    • Stylized, decorative
    • केले के पेड़ (banana trees) विशेष रूप से
    • Simplified forms

5. तकनीकी और सामग्री:

  • माध्यम: हस्तनिर्मित कागज पर tempera/gouache
  • आकार: छोटे format - 15-25 cm
  • Special effects:
    • Beetle wings for jewellery की चमक
    • Raised details (embossed work)
    • सोने और चांदी का कार्य
  • Border designs: लाल या पीला border with floral patterns

कलात्मक प्रभाव:

  • मुगल प्रभाव: कुछ costume details और composition
  • राजपूत परंपरा: bold colors और heroic themes
  • लोक कला: simplified forms और directness
  • स्वदेशी पहाड़ी: मूल पहाड़ी traditions

प्रमुख Rasamanjari Series:

  • 1660-1670 period की series
  • Boston Museum of Fine Arts में
  • Approximately 140 paintings
  • प्रत्येक painting एक specific nayaka या nayika type
  • Bold colors और dramatic presentation

अन्य प्रसिद्ध कृतियां:

  • "Radha Cooling Krishna's Feet" - passionate love का चित्रण
  • "Krishna and Gopis" - vibrant colors
  • "Ragamala series" - musical moods
  • "Portraits of Raja Kripal Pal"

विकास और परिवर्तन:

  • प्रारंभिक बसोहली (1660-1700):
    • सबसे bold और primitive
    • तीव्र रंग contrast
    • Strong geometric forms
  • परिपक्व बसोहली (1700-1730):
    • थोड़ा softer approach
    • Better compositions
    • More details
  • उत्तर बसोहली (1730-1750):
    • कांगड़ा शैली की ओर transition
    • Colors थोड़े softer
    • More naturalistic

पतन और अंत:

  • 1750 के बाद Guler और Kangra styles का उदय
  • Softer, lyrical approach ने bold Basohli को replace किया
  • Political instability
  • Patronage का कम होना

तुलना:

पहलू बसोहली कांगड़ा
काल 1660-1750 1780-1820
रंग Bold, primary, intense Soft, pastel, delicate
शैली Geometric, flat Naturalistic, soft
भाव Passionate, heroic Romantic, lyrical
आकृति Strong, angular Graceful, delicate

संग्रह और संरक्षण:

  • Museum of Fine Arts, Boston - largest collection
  • National Museum, New Delhi
  • Bhuri Singh Museum, Chamba
  • Victoria & Albert Museum, London
  • British Museum, London

विश्व मान्यता:

  • W.G. Archer ने 1950s में बसोहली कला को globally recognize किया
  • भारतीय miniature painting का सबसे distinctive style
  • International museums में highly valued

समकालीन प्रासंगिकता:

  • Modern Indian artists को inspiration
  • Bold color theory की study
  • Cultural heritage और tourism
  • Academic research का विषय

निष्कर्ष: बसोहली चित्र शैली भारतीय चित्रकला इतिहास में एक unique और powerful style है। इसकी bold colors, dramatic presentation और distinctive features इसे आसानी से पहचानने योग्य बनाते हैं। यह पहाड़ी चित्रकला की foundation है जिसने बाद में कांगड़ा और गुलर जैसी softer styles को जन्म दिया। बसोहली की passionate और heroic spirit आज भी art lovers को fascinate करती है।

अथवा/OR

कांगड़ा चित्र शैली की विस्तृत व्याख्या:

(कांगड़ा का विस्तृत विवरण प्रश्न 8 में दिया गया है। यहां संक्षिप्त में:)

कांगड़ा शैली (1780-1850):

  • स्थान: कांगड़ा घाटी, हिमाचल प्रदेश
  • संरक्षक: राजा संसार चंद (1775-1823)
  • संस्थापक कलाकार: पंडित सेउ और उनके पुत्र मनकू, नैनसुख
  • विशेषता: कोमल रंग, प्राकृतिक सौंदर्य, राधा-कृष्ण प्रेम
  • रंग: पेस्टल shades - हल्का हरा, पीला, गुलाबी, सफेद
  • मुख्य विषय: गीत गोविंद, भागवत पुराण, बारहमासा
  • प्रभाव: कांगड़ा ने पहाड़ी चित्रकला को नई ऊंचाई दी और यह सबसे लोकप्रिय शैली बनी

विस्तृत जानकारी के लिए प्रश्न 8 देखें

भारतीय चित्रकला शैलियों का संपूर्ण विवरण

यह खंड परीक्षा के लिए अतिरिक्त ज्ञान और गहरी समझ प्रदान करता है।

1. जैन चित्रकला (11वीं-16वीं शताब्दी)

ऐतिहासिक संदर्भ:

  • भारत की सबसे प्राचीन संरक्षित चित्रकला परंपरा
  • मुख्यतः Gujarat और Rajasthan में विकसित
  • धार्मिक पांडुलिपियों का चित्रण

विशेषताएं:

  • ताड़पत्र या कागज पर चित्रण
  • प्राथमिक रंग - लाल, पीला, नीला, सोना
  • Angular और stylized आकृतियां
  • प्रमुख पांडुलिपियां: कल्पसूत्र, कालकाचार्य कथा

2. मुगल चित्रकला (16वीं-19वीं शताब्दी)

विकास:

  • हुमायूं काल (1530-1556): फारसी कलाकारों का आगमन
  • अकबर काल (1556-1605): स्वर्णिम शुरुआत
  • जहांगीर काल (1605-1627): चरमोत्कर्ष
  • शाहजहां काल (1628-1658): समृद्धि
  • औरंगजेब काल (1658-1707): पतन

3. राजस्थानी चित्रकला

राजस्थानी शैली कई उप-शैलियों में विभाजित है:

शैली काल विशेष विशेषता
मेवाड़ 16वीं-18वीं चमकीले रंग, धार्मिक विषय
बूंदी 17वीं-18वीं घने जंगल, रागमाला
किशनगढ़ 18वीं बणी-ठणी, आध्यात्मिक प्रेम
मारवाड़ 17वीं-19वीं राजपूत वीरता, portraits
बीकानेर 17वीं-18वीं मुगल प्रभाव, उष्टा कला

4. पहाड़ी चित्रकला

मुख्य केंद्र:

  • बसोहली: Bold, primary colors
  • गुलर: Transitional style
  • कांगड़ा: Lyrical, romantic
  • चांबा: Religious themes
  • गढ़वाल: Mythological subjects

5. दक्कनी चित्रकला (16वीं-19वीं शताब्दी)

मुख्य स्कूल:

  • अहमदनगर: प्रारंभिक दक्कनी शैली
  • बीजापुर: योगिनी चित्र, सूफी प्रभाव
  • गोलकुंडा: Portraits, राजसी वैभव
  • हैदराबाद: 18वीं-19वीं शताब्दी

प्रमुख कलाकारों की विस्तृत जीवनी

1. राजा रवि वर्मा (1848-1906)

  • जन्म: किलिमानूर, केरल
  • योगदान: भारतीय mythology को यूरोपीय oil painting technique में
  • प्रसिद्ध कृतियां: "शकुंतला", "दमयंती", "लक्ष्मी"
  • विशेषता: Realistic style, भारतीय आदर्श सौंदर्य

2. अवनींद्रनाथ टैगोर (1871-1951)

  • योगदान: बंगाल स्कूल के संस्थापक
  • शैली: Wash painting technique
  • प्रसिद्ध कृति: "Bharat Mata"
  • प्रभाव: स्वदेशी आंदोलन से जुड़े

3. जामिनी रॉय (1887-1972)

  • शैली: बंगाल folk art से प्रेरित
  • विशेषता: सरल forms, bold colors
  • विषय: ग्रामीण जीवन, लोक देवता

4. एम.एफ. हुसैन (1915-2011)

  • उपनाम: "पिकासो ऑफ इंडिया"
  • शैली: Modern, expressionist
  • Progressive Artists Group के संस्थापक सदस्य

5. एस.एच. रज़ा (1922-2016)

  • प्रसिद्ध: "Bindu" series
  • शैली: Abstract, geometric
  • रंग: Vibrant, symbolic

परीक्षा में सफलता के संपूर्ण टिप्स

📝 समय प्रबंधन

खंड अंक समय
खंड A (वस्तुनिष्ठ) 10 30-35 मिनट
खंड B (लघु) 50-60 मिनट
खंड C (दीर्घ) 3 35-40 मिनट
खंड D (निबंध) 4 50-55 मिनट
Revision - 15-20 मिनट

✍️ उत्तर लेखन रणनीति

लघुत्तरात्मक प्रश्न (40 शब्द):

  • Introduction (1 line)
  • Main points (3-4 points)
  • Conclusion (1 line)

दीर्घ उत्तरात्मक (150 शब्द):

  • Introduction paragraph
  • Body में 3-4 sub-headings
  • Bullet points या tables
  • Conclusion

निबंधात्मक (250 शब्द):

  • विस्तृत परिचय
  • Multiple sub-sections
  • Tables for comparison
  • उदाहरण और प्रसिद्ध कृतियां
  • संपूर्ण निष्कर्ष

📚 महत्वपूर्ण Topics Priority

Must Know (हमेशा पूछे जाते हैं):

  • मुगल चित्रकला - अकबर, जहांगीर काल
  • राजस्थानी स्कूल - मेवाड़, बूंदी, किशनगढ़
  • पहाड़ी स्कूल - बसोहली, कांगड़ा
  • बंगाल स्कूल
  • आधुनिक कलाकार - अमृता शेरगिल, एम.एफ. हुसैन

Important (अक्सर पूछे जाते हैं):

  • दक्कनी स्कूल - बीजापुर, गोलकुंडा
  • जैन चित्रकला
  • लोक कलाएं - फड़, मधुबनी, वर्ली
  • Progressive Artists Group

💡 याद रखने के Tricks

राजस्थानी शैलियों के लिए:

  • Me-Bu-Ki-Ma-Bi: मेवाड़, बूंदी, किशनगढ़, मारवाड़, बीकानेर

मुगल बादशाहों का क्रम:

  • Ba-Hu-A-J-Sh-A: बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब

🎨 Common Mistakes से बचें

  • ❌ शैलियों को mix न करें (बूंदी ≠ बसोहली)
  • ❌ गलत dates न लिखें
  • ❌ कलाकारों की शैली confuse न करें
  • ✅ अगर doubt हो तो general terms use करें
  • ✅ विशेषताएं clearly mention करें

📖 Last Week Strategy

  • Day 1-2: सभी painting schools revision
  • Day 3-4: कलाकारों की जीवनी
  • Day 5: Comparison tables बनाएं
  • Day 6: Previous year papers
  • Day 7: Quick revision और rest

🎯 अंतिम सलाह:

  • प्रत्येक शैली की 2-3 unique विशेषताएं याद रखें
  • प्रमुख कलाकार और उनकी 1-2 प्रसिद्ध कृतियां
  • Dates approximate हो सकती हैं (century mention करें)
  • Tables बनाना सीखें - examiner को impress करता है
  • साफ handwriting और अच्छी presentation

📞 Additional Resources:

  • RBSE की आधिकारिक website
  • National Museum, New Delhi (virtual tour)
  • Google Arts & Culture - Indian Paintings collection
  • YouTube - documentaries on Indian art

शुभकामनाएं! All the Best! 🎨

"कला सत्य का झूठ है जो हमें वास्तविकता को समझने में मदद करती है।" - पाब्लो पिकासो

संबंधित प्रश्न-पत्र और समाधान — RBSE 2024 / Related papers & solutions

नीचे दिए गए लेख इस श्रेणी से संबंधित हैं — पढ़ने और डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें। (यह इंटरलिंक बॉक्स हर संबंधित पोस्ट के नीचे डालें।)

Tip: इसी बॉक्स को हर संबंधित पोस्ट के नीचे रखें — और प्रत्येक पोस्ट में 2–3 सेम-श्रेणी के आंतरिक लिंक अलग स्थान (content के अंदर) भी जोड़ें।