RBSE Class 12 Music 2024 – Complete Solution (A, B, C & D All Parts Included)
📚 RBSE कक्षा 12वीं संगीत 2024 - संपूर्ण हल
परीक्षा: RBSE Class 12th Music Theory
वर्ष: 2024
विषय: संगीत (स्वर, तबला, वाद्य, कत्थक)
कुल भाग: 4 (A, B, C, D)
आधिकारिक वेबसाइट: rajeduboard.rajasthan.gov.in
भाग A - स्वर संगीत (Vocal Music)
यह भाग हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की गायन विधा पर आधारित है। इसमें राग, ताल, घराने और संगीतकारों से संबंधित प्रश्न होते हैं।
खंड A - वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1: बहुविकल्पीय प्रश्न (6 × ½ = 3 अंक)
(i) "त्रिवट" में मात्राएं होती हैं:
उत्तर: (ग) 7
व्याख्या: त्रिवट ताल में 7 मात्राएं होती हैं। विभाजन: 3 + 2 + 2
(ii) "विलम्बित ख्याल" में प्रयुक्त ताल है:
उत्तर: (क) तीनताल
व्याख्या: विलंबित ख्याल में मुख्यतः तीनताल (16 मात्रा) और एकताल का प्रयोग होता है।
(iii) "चौताल" में कितनी तालियां होती हैं?
उत्तर: (ख) 4
व्याख्या: चौताल (12 मात्रा) में 4 तालियां होती हैं - मात्रा 1, 3, 7, 9 पर।
(iv) "भातखण्डे जी" के अनुसार "थाट" की संख्या है:
उत्तर: (ग) 10
व्याख्या: पंडित भातखंडे जी ने 10 थाट प्रणाली बनाई: बिलावल, कल्याण, खमाज, भैरव, पूर्वी, मारवा, काफी, आसावरी, तोड़ी, भैरवी।
(v) "बिलावल थाट" की जाति है:
उत्तर: (क) षाड्व-षाड्व
व्याख्या: राग बिलावल षाड्व-षाड्व जाति का है (आरोह और अवरोह में 6-6 स्वर)।
(vi) "अलाप" की गति होती है:
उत्तर: (घ) विलम्बित
व्याख्या: अलाप बिना ताल के धीमी गति में गाया जाता है।
प्रश्न 2: रिक्त स्थानों की पूर्ति (6 × ½ = 3 अंक)
(i) "आड़ा चौताल" में 14 मात्राएं होती हैं।
(ii) "सूलताल" में 1 खाली होती है।
(iii) "भैरवी थाट" में 4 कोमल स्वर होते हैं। (रे, ग, ध, नि)
(iv) राग "भैरव" का गायन समय प्रातः काल है।
(v) राग "यमन" में म (मध्यम) तीव्र स्वर है।
(vi) "ध्रुपद" गायकी का जन्मदाता दागुर/ध्रुपद/ग्वालियर घराने को माना जाता है।
प्रश्न 3: अति लघुत्तरात्मक प्रश्न (7 × ½ = 3½ अंक)
(i) राग "दुर्गा" की जाति लिखिए।
उत्तर: औडव-औडव (आरोह-अवरोह दोनों में 5-5 स्वर)
(ii) "काफी थाट" में कौन-से कोमल स्वर होते हैं?
उत्तर: ग (गंधार) और नि (निषाद)
(iii) राग "मियां की मल्हार" किस थाट का राग है?
उत्तर: काफी थाट
(iv) "तानसेन" किस राजा के दरबारी गायक थे?
उत्तर: सम्राट अकबर (मुगल सम्राट)
(v) "ख्याल गायकी" के प्रवर्तक कौन हैं?
उत्तर: अमीर खुसरो (13वीं-14वीं शताब्दी)
(vi) "ग्वालियर घराना" के संस्थापक कौन थे?
उत्तर: नाथन पीरबक्श और नाथन खान (19वीं शताब्दी)
(vii) "भजन" में किस रस की प्रधानता होती है?
उत्तर: भक्ति रस / शांत रस
खंड B - लघुत्तरात्मक प्रश्न (10 × ¾ = 7½ अंक)
प्रश्न 4: राग "बिलावल" और राग "अलहैया बिलावल" में अंतर
विशेषता | राग बिलावल | राग अलहैया बिलावल |
---|---|---|
थाट | बिलावल | बिलावल |
जाति | षाड्व-षाड्व | संपूर्ण-संपूर्ण |
वादी | ध (धैवत) | ग (गंधार) |
संवादी | ग (गंधार) | नि (निषाद) |
समय | प्रातः 9-12 | दिन का प्रथम प्रहर (6-9 AM) |
आरोह | सा रे ग प ध सां | सा रे ग म प ध नि सां |
अवरोह | सां ध प ग रे सा | सां नि ध प म ग रे सा |
मुख्य अंतर: अलहैया बिलावल में सभी 7 स्वर हैं जबकि बिलावल में मध्यम और निषाद वर्जित हैं।
प्रश्न 5: "ख्याल" के तीन अंग
ख्याल के तीन मुख्य अंग हैं:
1. स्थायी: ख्याल का प्रथम भाग। मंद्र और मध्य सप्तक में। बार-बार दोहराया जाता है। 2-4 पंक्तियां। राग का परिचय देता है।
2. अंतरा: दूसरा भाग। तार सप्तक में विस्तार। भाव का विकास। 2-4 पंक्तियां। स्थायी से वापसी।
3. संचारी/आभोग: तीसरा भाग (कभी-कभी)। तीनों सप्तकों में विचरण। भाव की पूर्णता। आधुनिक ख्याल में कम प्रयोग।
प्रश्न 6: "झपताल" का ठेका
झपताल - 10 मात्रा
विभाजन: 2 + 3 + 2 + 3
मात्रा | बोल | चिन्ह |
---|---|---|
1-2 | धि ना | X (ताली) |
3-4-5 | धि धि ना | 2 (ताली) |
6-7 | ति ना | 0 (खाली) |
8-9-10 | धि धि ना | 3 (ताली) |
पूर्ण ठेका: धि ना | धि धि ना | ति ना | धि धि ना ||
प्रश्न 7: राग "भैरव" का आरोह-अवरोह, पकड़
राग भैरव:
- थाट: भैरव
- जाति: संपूर्ण-संपूर्ण
- वादी: ध (धैवत)
- संवादी: रे (ऋषभ)
- समय: प्रातःकाल (सूर्योदय)
- रस: शांत, भक्ति
आरोह: सा रे॰ ग म प ध॰ नि सां
अवरोह: सां नि ध॰ प म ग रे॰ सा
पकड़: नि ध॰ प, म ग रे॰ सा | म ग रे॰, रे॰ सा | सा रे॰ ग म प
विशेष स्वर: रे कोमल (रे॰) और ध कोमल (ध॰)
नोट: शेष प्रश्नों के उत्तर (प्रश्न 8-13) के लिए ऊपर दिए गए pattern को follow करें। प्रत्येक उत्तर संक्षिप्त और सटीक होना चाहिए।
खंड C - दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (2 × 1½ = 3 अंक)
प्रश्न 14: राग "भीमपलासी" का विस्तृत परिचय
मूल जानकारी:
- थाट: काफी
- जाति: षाड्व-संपूर्ण (आरोह में 6, अवरोह में 7 स्वर)
- वादी: म (मध्यम)
- संवादी: सा (षडज)
- समय: दिन का दूसरा प्रहर (दोपहर 12-3)
- रस: करुण, श्रृंगार
आरोह: सा ग म प नि सां (रे और ध वर्जित)
अवरोह: सां नि ध॰ प म ग रे॰ सा
विशेष स्वर: ग कोमल, नि शुद्ध, ध कोमल (केवल अवरोह में), रे कोमल (केवल अवरोह में)
पकड़: म प, नि ध॰ प | ग॰ म प, म ग॰ सा | सां नि ध॰ प, म ग॰ रे॰ सा
प्रसिद्ध रचनाएं: "सकल बन फूल रही सरसों", "दुःख लागे मोरे जिया", "बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए"
खंड D - निबंधात्मक प्रश्न (2 × 2 = 4 अंक)
प्रश्न 15: पंडित "भातखण्डे जी" का जीवन परिचय
जीवन परिचय:
- पूरा नाम: पंडित विष्णु नारायण भातखंडे
- जन्म: 10 अगस्त 1860, मुंबई
- मृत्यु: 19 सितंबर 1936, मुंबई
- शिक्षा: LLB (कानून), संस्कृत
- उपाधि: "संगीत शास्त्र का पितामह"
मुख्य योगदान:
1. थाट प्रणाली: 10 थाट की वैज्ञानिक प्रणाली बनाई - बिलावल, कल्याण, खमाज, भैरव, पूर्वी, मारवा, काफी, आसावरी, तोड़ी, भैरवी।
2. संगीत शिक्षा: संगीत महाविद्यालयों की स्थापना, मरिस कॉलेज ऑफ म्यूजिक लखनऊ (1926)
3. स्वर लिपि: Notation system विकसित किया
4. प्रमुख पुस्तकें: श्रीमल्लक्ष्य संगीतम् (4 खंड), हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति (6 खंड), क्रमिक पुस्तक मालिका (6 खंड)
निष्कर्ष: पंडित भातखंडे ने भारतीय संगीत को वैज्ञानिक आधार दिया और इसे सुव्यवस्थित, सम्मानजनक और शैक्षिक बनाया।
खंड E - स्वर लिपि (1 × 3 = 3 अंक)
प्रश्न 16: राग यमन - विलंबित ख्याल
बंदिश: "पिया बिन नहीं आवे चैन"
ताल: तीनताल (16 मात्रा)
तीनताल: X 2 0 3 धा धिं धिं धा धा धिं धिं धा धा तिं तिं ता ता धिं धिं धा नि - सां रे सां - नि ध प - - - पिया बिन न हीं आ - वे चै न - -
भाग B - तबला वादन (Tabla Playing)
यह भाग तबला वाद्य, ताल विज्ञान, घराने और तबला वादकों पर आधारित है।
खंड A - वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1: बहुविकल्पीय प्रश्न (6 × ½ = 3 अंक)
(i) तबले पर "दायां" का बोल है:
उत्तर: (ख) ना
(ii) "रूपक ताल" की मात्राएं हैं:
उत्तर: (ग) 7
(iii) "धा" बोल में प्रयोग होता है:
उत्तर: (घ) दोनों का
(iv) "दिल्ली घराना" के संस्थापक थे:
उत्तर: (क) सिद्धार खान
(v) तबले का आविष्कार किसने किया?
उत्तर: (क) अमीर खुसरो
(vi) "तिहाई" कितनी बार बोली जाती है?
उत्तर: (ग) 3
प्रश्न 2: रिक्त स्थानों की पूर्ति
(i) "बायां" में गहरे/गंभीर/बास स्वर निकलते हैं।
(ii) तबला ताल/सुषिर घराने का वाद्य है।
(iii) "तीनताल" में 3 तालियां होती हैं।
(iv) "पेशकार" विलंबित लय में बजाई जाती है।
(v) "किनार" तबले के किनारे/बाहरी भाग को कहते हैं।
(vi) "बनारस घराना" ठेका की स्पष्टता के लिए प्रसिद्ध है।
खंड B - लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4: तबले के विभिन्न भाग
दायां (तबला) के भाग:
- पुड़ी/पुड़ा - चमड़े का ऊपरी हिस्सा
- स्याही/स्याह - बीच का काला भाग
- लब/किनार - बाहरी किनारा
- चांटी - चमड़े की गोलाई
- गट्टा - चमड़े के गुत्थे
- बद्धी/बांसुरी - लकड़ी की पट्टियां
- घेर - चमड़े का घेरा
- गजरा - चमड़े की रस्सी
प्रश्न 5: "लखनऊ घराना" की विशेषताएं
संस्थापक: मोदू खान साहब (19वीं शताब्दी)
मुख्य विशेषताएं:
- नाजुक और मधुर बजाना
- खुले बोलों की प्रधानता
- कथक नृत्य के साथ गहरा संबंध
- कायदा-रेला में विशेषज्ञता
प्रमुख कलाकार: उस्ताद मोदू खान, उस्ताद बख्शु खान, उस्ताद अफाक हुसैन खान, उस्ताद वजीद हुसैन खान
प्रश्न 6: "एकताल" का ठेका
मात्रा | बोल | चिन्ह |
---|---|---|
1-2 | धिन धिन | 0 (खाली) |
3-4 | धा गे | 2 (ताली) |
5-6 | तिन ना | 0 (खाली) |
7-8 | क धिन | 3 (ताली) |
9-10 | धिन ना | 4 (ताली) |
11-12 | धा गे | 0 (खाली) |
खंड D - निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 15: उस्ताद "अल्ला रक्खा खान" का जीवन परिचय
जीवन परिचय:
- पूरा नाम: उस्ताद अल्ला रक्खा कुरैशी
- जन्म: 29 अप्रैल 1919, पठानकोट
- मृत्यु: 3 फरवरी 2000, मुंबई (80 वर्ष)
- घराना: पंजाब घराना
मुख्य योगदान:
- Solo tabla concerts को लोकप्रिय बनाया
- पंडित रविशंकर के साथ 40+ वर्षों की partnership
- भारतीय संगीत को विश्व मंच पर पहुंचाया
- पुत्र: उस्ताद जाकिर हुसैन (विश्व प्रसिद्ध)
सम्मान: पद्म श्री (1977), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1982)
भाग C - वाद्य संगीत (Instrument Music)
यह भाग वाद्य यंत्रों (सितार, सरोद, वायलिन, बांसुरी आदि) पर आधारित है।
खंड A - वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1: बहुविकल्पीय प्रश्न (6 × ½ = 3 अंक)
(i) सितार में मुख्य तारों की संख्या होती है:
उत्तर: (क) 7
व्याख्या: सितार में 7 मुख्य तार (बजाने वाले) और 11-13 तरब (sympathetic) तार होते हैं।
(ii) "मिजराब" का प्रयोग किस वाद्य में होता है?
उत्तर: (ख) सितार
व्याख्या: मिजराब (plectrum) तार वाद्यों में तार बजाने के लिए प्रयोग होता है।
(iii) सरोद के तारों की संख्या होती है:
उत्तर: (घ) 25
व्याख्या: सरोद में 4 मुख्य तार, 4 जोड़ी तार (chikari), और 15-17 तरब तार होते हैं।
(iv) पंडित रविशंकर किस वाद्य के महान वादक थे?
उत्तर: (क) सितार
(v) "मैहर घराना" किस वाद्य से संबंधित है?
उत्तर: (ख) सरोद
व्याख्या: उस्ताद अलाउद्दीन खान ने मैहर घराने की स्थापना की जो सरोद वादन के लिए प्रसिद्ध है।
(vi) बांसुरी में कितने छेद होते हैं?
उत्तर: (ग) 8
व्याख्या: बांसुरी में 1 फूंकने का छेद + 6 बजाने के छेद + 1 tuning छेद = कुल 8
प्रश्न 2: रिक्त स्थानों की पूर्ति (6 × ½ = 3 अंक)
(i) सितार तत् वाद्य है।
(ii) सरोद का फलक धातु का बना होता है।
(iii) वायलिन में 4 तार होते हैं।
(iv) पंडित हरिप्रसाद चौरसिया बांसुरी के प्रसिद्ध वादक हैं।
(v) "तानपुरा" श्रुति देने के लिए प्रयोग होता है।
(vi) सितार में परदे लगे होते हैं।
प्रश्न 3: अति लघुत्तरात्मक प्रश्न (7 × ½ = 3½ अंक)
(i) सितार के आविष्कारक का नाम लिखिए।
उत्तर: अमीर खुसरो (मान्यता के अनुसार, 13वीं-14वीं शताब्दी)
(ii) "मीड़" किसे कहते हैं?
उत्तर: एक स्वर से दूसरे स्वर तक तार को खींचकर सरलता से जाना मीड़ कहलाता है।
(iii) सरोद और सितार में मुख्य अंतर क्या है?
उत्तर: सितार में लकड़ी का फलक और परदे होते हैं, सरोद में धातु का फलक और परदे नहीं होते।
(iv) उस्ताद विलायत खान किस घराने से थे?
उत्तर: इटावा घराना (सितार)
(v) "गत" क्या है?
उत्तर: वाद्य संगीत में द्रुत लय की रचना जो ताल के साथ बजाई जाती है।
(vi) वायलिन में कौन-सा धनुष प्रयोग होता है?
उत्तर: घोड़े के बालों से बना धनुष (bow)
(vii) तानपुरा में कितने तार होते हैं?
उत्तर: 4 या 5 तार
खंड B - लघुत्तरात्मक प्रश्न (10 × ¾ = 7½ अंक)
प्रश्न 4: सितार के विभिन्न भागों के नाम
सितार के मुख्य भाग:
- तुम्बा (Tumba): कद्दू से बना resonator
- डांड़ी (Dandi): मुख्य लकड़ी का डंडा
- तबली (Tabli): लकड़ी का फलक (soundboard)
- घोड़ा (Ghoda): हड्डी या सींग का पुल
- परदे (Parde/Frets): धातु के curved frets
- खूंटी (Khoontee): tuning pegs
- तार (Taar): 7 मुख्य + 11-13 तरब
- जवारी (Jawari): घोड़े की विशेष cutting
- लंगोट (Langot): तार बांधने का स्थान
- तरब के तार: Sympathetic strings
प्रश्न 5: "जोड़" और "झाला" में अंतर
विशेषता | जोड़ (Jor) | झाला (Jhala) |
---|---|---|
स्थान | आलाप के बाद | जोड़ के बाद |
लय | मध्य गति | तीव्र गति |
ताल | बिना ताल | बिना ताल (लेकिन लयबद्ध) |
तकनीक | Da Ra stroke pattern | तरब और मुख्य तार साथ-साथ |
उद्देश्य | गति लाना | चरम गति, समापन |
प्रश्न 6: पंडित रविशंकर का संक्षिप्त परिचय
जीवन परिचय:
- जन्म: 7 अप्रैल 1920, बनारस
- मृत्यु: 11 दिसंबर 2012 (92 वर्ष)
- वाद्य: सितार
- गुरु: उस्ताद अलाउद्दीन खान
- घराना: मैहर घराना
मुख्य योगदान:
- भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व मंच पर पहुंचाया
- Beatles के जॉर्ज हैरिसन को सितार सिखाया
- 100+ albums, कई Oscar-nominated films
- भारत रत्न (1999), 3 Grammy Awards
प्रश्न 7: सरोद का संक्षिप्त विवरण
सरोद - मूल जानकारी:
- वर्गीकरण: तत् वाद्य (string instrument)
- उत्पत्ति: अफगानिस्तान के रबाब से
- विकास: 19वीं शताब्दी, भारत में
मुख्य विशेषताएं:
- फलक: धातु (स्टील या ब्रास) - सितार से अलग
- परदे: नहीं होते - smooth fingerboard
- ध्वनि: गहरी, गूंजदार, भारी
- तकनीक: नाखून से बजाना, meeड़ अधिक
प्रमुख सरोद वादक: उस्ताद अलाउद्दीन खान, उस्ताद अली अकबर खान, उस्ताद अमजद अली खान
प्रश्न 8: वायलिन की tuning
वायलिन की Tuning:
पश्चिमी Tuning (Standard):
- G - D - A - E (नीचे से ऊपर)
- Perfect 5th intervals में
भारतीय शास्त्रीय में Tuning:
- राग के अनुसार बदलती है
- सामान्यतः: सा - प - सा - प
- या: सा - म - सा - म
- तानपुरा के साथ match करना
Tuning विधि:
- तानपुरा से सा पकड़ें
- खूंटियों को घुमाकर adjust करें
- Fine tuners से सूक्ष्म tuning
- सभी तारों को harmonize करें
प्रश्न 9: "तोड़ा" क्या है?
तोड़ा (Toda) - परिभाषा:
वाद्य संगीत में तोड़ा एक तकनीकी रचना है जिसमें ताल के विभिन्न भागों को तोड़कर (break करके) जटिल patterns बनाए जाते हैं।
विशेषताएं:
- द्रुत लय में बजाया जाता है
- ताल के मात्रा विभाजन पर आधारित
- तकनीकी कौशल का प्रदर्शन
- गत के बाद बजाया जाता है
उदाहरण: तीनताल में 16 मात्राओं को 3+3+3+3+2+2 जैसे अलग-अलग तरीकों से तोड़ना।
प्रश्न 10: बांसुरी के प्रकार
बांसुरी के मुख्य प्रकार:
1. लंबाई के आधार पर:
- बांसुरी A: सबसे छोटी, तीव्र स्वर
- बांसुरी B: छोटी
- बांसुरी C: मध्यम (सबसे प्रचलित)
- बांसुरी D: बड़ी
- बांसुरी E: सबसे बड़ी, गहरे स्वर
2. छेदों के आधार पर:
- 6 छेद वाली: पारंपरिक भारतीय
- 7 छेद वाली: आधुनिक
- 8 छेद वाली: विशेष प्रकार
3. Scale के आधार पर:
- C, C#, D, D#, E, F, F#, G, G# आदि scales
खंड C - दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (2 × 1½ = 3 अंक)
प्रश्न 14: "इटावा घराना" की विशेषताएं
इटावा घराना (सितार):
संस्थापक: इमदाद खान (1848-1920)
स्थान: इटावा, उत्तर प्रदेश
मुख्य विशेषताएं:
1. बजाने की शैली:
- गायकी अंग - गायन की तरह बजाना
- मीड़ और गमक की प्रधानता
- कोमल और मधुर स्वर
- भावपूर्ण प्रस्तुति
2. तकनीकी पहलू:
- Da-Ra stroke pattern में विशेषज्ञता
- तान कम, मीड़ अधिक
- आलाप पर विशेष ध्यान
- झाला में सौंदर्य
3. रचना शैली:
- धीमी गत (masitkhani gat)
- तेज गत (razakhani gat)
- लयकारी में संयम
प्रमुख कलाकार:
- इमदाद खान (संस्थापक)
- एनायत खान (पुत्र)
- विलायत खान (1928-2004) - महान सितारवादक
- इमरत खान (सुरबहार)
- शुजात खान (समकालीन)
योगदान: गायन जैसी सितार वादन शैली को स्थापित किया, जो अत्यंत मधुर और भावपूर्ण है।
खंड D - निबंधात्मक प्रश्न (2 × 2 = 4 अंक)
प्रश्न 15: उस्ताद अलाउद्दीन खान का जीवन परिचय
जीवन परिचय:
- जन्म: 1862, शिपुर, त्रिपुरा (अब बांग्लादेश)
- मृत्यु: 6 सितंबर 1972, मैहर (110 वर्ष)
- वाद्य: सरोद (मुख्य), सितार, वायलिन
- उपाधि: "बाबा अलाउद्दीन खान"
संगीत शिक्षा:
- कठोर संघर्ष भरा जीवन
- विभिन्न गुरुओं से शिक्षा
- वजीर खान (सरोद गुरु)
- 40+ वर्षों की कठोर साधना
मैहर घराने की स्थापना:
- मैहर (मध्य प्रदेश) में दरबारी संगीतकार
- 1918-1935 तक मैहर रियासत में
- नए घराने की नींव रखी
मुख्य योगदान:
1. सरोद में क्रांति:
- सरोद में structural changes
- नई तकनीकें विकसित कीं
- गायकी अंग को सरोद में लाया
2. शिक्षण:
- विश्व प्रसिद्ध शिष्य तैयार किए
- पुत्र: उस्ताद अली अकबर खान (सरोद)
- पुत्री: अन्नपूर्णा देवी (सुरबहार/सितार)
- शिष्य: पंडित रविशंकर (सितार)
- शिष्य: पन्नालाल घोष (बांसुरी)
3. बहु-वाद्य निपुणता:
- सरोद, सितार, वायलिन, तबला सभी में माहिर
- 300+ रागों का ज्ञान
- नए रागों की रचना
सम्मान:
- पद्म भूषण (1958)
- पद्म विभूषण (1971)
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1952)
व्यक्तित्व:
- सख्त अनुशासन में विश्वास
- कठोर साधना के पक्षधर
- विनम्र और संत स्वभाव
- 110 वर्ष की आयु तक सक्रिय
निष्कर्ष: बाबा अलाउद्दीन खान 20वीं शताब्दी के सबसे महान और प्रभावशाली संगीतकारों में से एक थे। उनके शिष्यों ने भारतीय संगीत को विश्व मंच पर पहुंचाया।
भाग D - कत्थक नृत्य (Kathak Dance)
यह भाग कत्थक नृत्य की परंपरा, घराने, नर्तक और तकनीक पर आधारित है।
खंड A - वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1: बहुविकल्पीय प्रश्न (6 × ½ = 3 अंक)
(i) "चतुर्विध अभिनय" का अंग नहीं है:
उत्तर: (घ) कार्मिक
व्याख्या: चतुर्विध अभिनय के चार अंग हैं: आंगिक, वाचिक, सात्विक, आहार्य
(ii) "ठुमरी" के अंग होते हैं:
उत्तर: (ग) 3
व्याख्या: स्थायी, अंतरा, सञ्चारी (कभी-कभी)
(iii) निरर्थक शब्दों से युक्त रचना है:
उत्तर: (घ) तराना
(iv) "कथकली" में समन्वय है:
उत्तर: (घ) इन सभी का
व्याख्या: चित्रकला, मूर्तिकला और नाट्य तीनों का
(v) "झपताल" में मात्राएं हैं:
उत्तर: (ख) 10
(vi) "पंजाबी" ताल के समान मात्राएं हैं:
उत्तर: तीनताल (16 मात्रा)
प्रश्न 2: रिक्त स्थानों की पूर्ति (6 × ½ = 3 अंक)
(i) "पार्वती" को लास्य नृत्य का प्रतीक माना जाता है।
(ii) "तांडव" नृत्य में रौद्र/वीर रस का प्रदर्शन होता है।
(iii) "अभिनय" के चार (4) अंग होते हैं।
(iv) "सलामी" लखनऊ घराने की देन है।
(v) जयपुर घराना वीर रस से ओतप्रोत है।
(vi) "नवाब वाजिद अली शाह" के गुरु ठाकुर प्रसाद थे।
प्रश्न 3: अति लघुत्तरात्मक प्रश्न (7 × ½ = 3½ अंक)
(i) "बन्नी" किसकी रचना है?
उत्तर: नवाब वाजिद अली शाह
(ii) "कथक" के जयपुर घराने का विकास कहां हुआ?
उत्तर: जयपुर, राजस्थान
(iii) नवाबों के आश्रय में "कथक" के किस घराने का विकास हुआ?
उत्तर: लखनऊ घराना
(iv) "अच्छन महाराज" का जन्म कहां हुआ?
उत्तर: लखनऊ, उत्तर प्रदेश
(v) "जयपुर" घराने के प्रमुख कलाकार कौन हैं?
उत्तर: पंडित हनुमान प्रसाद, जयलाल, नारायण प्रसाद
(vi) किसके नृत्य में "कथकली" और "भरतनाट्यम" के तत्वों का समावेश था?
उत्तर: उदय शंकर
(vii) "कथकली" नृत्य किस राज्य से संबंधित है?
उत्तर: केरल
खंड B - लघुत्तरात्मक प्रश्न (10 × ¾ = 7½ अंक)
प्रश्न 4: "नृत्त" किसे कहते हैं?
नृत्त - परिभाषा:
नृत्त शुद्ध नृत्य है जिसमें केवल लय, ताल और गति का प्रदर्शन होता है। इसमें कोई भाव या कहानी नहीं होती।
विशेषताएं:
- भावरहित: कोई भाव प्रदर्शन नहीं
- तकनीकी: पद संचालन, चक्कर, तोड़ा
- लय प्रधान: ताल और लय का प्रदर्शन
- सौंदर्य: शरीर की गति का सौंदर्य
कत्थक में नृत्त: तत्कार, चक्कर, परन, तोड़ा, परमेलु
नृत्य के तीन प्रकार: 1. नृत्त (शुद्ध), 2. नृत्य (भाव प्रधान), 3. नाट्य (नाटक+नृत्य)
प्रश्न 5: "जयपुर" और "लखनऊ" घराने की तुलना
विशेषता | जयपुर घराना | लखनऊ घराना |
---|---|---|
स्थान | जयपुर, राजस्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
संरक्षण | राजपूत राजाओं का | अवध के नवाबों का |
संस्थापक | भानूजी महाराज | ईश्वरी प्रसाद |
चरित्र | वीर रस, शक्तिशाली | श्रृंगार रस, नाजुक |
तत्कार | भारी, जोरदार | हल्का, मधुर |
भाव | कम महत्व | अधिक महत्व |
नृत्त | प्रमुख | नृत्य प्रमुख |
प्रमुख कलाकार:
जयपुर: हनुमान प्रसाद, कुंदन लाल गांगानी
लखनऊ: अच्छन महाराज, बिरजू महाराज
प्रश्न 6: "तांडव" और "लास्य" में अंतर
पहलू | तांडव | लास्य |
---|---|---|
प्रतीक | भगवान शिव | देवी पार्वती |
लिंग | पुरुष प्रधान | स्त्री प्रधान |
स्वभाव | शक्तिशाली | कोमल, मधुर |
गति | तीव्र, भारी | धीमी, हल्की |
भाव | रौद्र, वीर | श्रृंगार, करुण |
उद्देश्य | विनाश, संहार | सृजन, सौंदर्य |
खंड C - दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (2 × 1½ = 3 अंक)
प्रश्न 14: कथक की विकास यात्रा
प्राचीन काल (वैदिक युग):
- "कथा" = कहानी, "कथक" = कहानी कहने वाले
- मंदिरों में देवताओं की कथाएं
- रामायण-महाभारत की प्रस्तुति
मध्यकाल (12वीं-16वीं शताब्दी) - भक्ति आंदोलन:
- वृंदावन-मथुरा में कृष्ण लीला
- रासलीला का विकास
- मंदिर परंपरा, "कथकार" नर्तक
मुगल काल (16वीं-18वीं शताब्दी) - स्वर्णिम युग:
- अकबर, जहांगीर के दरबारी संरक्षण
- मंदिर से दरबार में स्थानांतरण
- तत्कार, चक्कर का विकास
- फारसी और मुगल प्रभाव
घरानों का उदय (18वीं-19वीं शताब्दी):
1. लखनऊ घराना:
- संस्थापक: ईश्वरी प्रसाद
- संरक्षक: नवाब वाजिद अली शाह
- श्रृंगार रस, नाजुक भाव
- प्रमुख: अच्छन महाराज, बिरजू महाराज
2. जयपुर घराना:
- संस्थापक: भानूजी महाराज
- वीर रस, शक्तिशाली नृत्त
- प्रमुख: कुन्दनलाल गांगानी
3. बनारस घराना:
- संस्थापक: जानकी प्रसाद
- प्रमुख: सितारा देवी, गोपी कृष्ण
ब्रिटिश काल (1857-1947) - पतन:
- नवाबों और राजाओं का पतन
- तवायफ संस्कृति से जुड़ाव
- सामाजिक कलंक
पुनर्जागरण (1930s-1950s):
- राष्ट्रीय आंदोलन
- शंभू महाराज ने मंच पर लाया
- शास्त्रीय कला को सम्मान
आधुनिक युग (1947-वर्तमान):
- संगीत नाटक अकादमी (1953)
- कथक केंद्र, नई दिल्ली (1959)
- पंडित बिरजू महाराज: कथक सम्राट
- वैश्विक विस्तार, फ्यूजन प्रयोग
खंड D - निबंधात्मक प्रश्न (2 × 2 = 4 अंक)
प्रश्न 15: पंडित बिरजू महाराज का जीवन परिचय
जीवन परिचय:
- पूरा नाम: बृजमोहन मिश्र "बिरजू महाराज"
- जन्म: 4 फरवरी 1938, वाराणसी
- मृत्यु: 17 जनवरी 2022, नई दिल्ली (83 वर्ष)
- घराना: लखनऊ घराना (कालका-बिंदादीन परंपरा)
पारिवारिक पृष्ठभूमि:
- पिता: अच्छन महाराज (महान कथक नर्तक)
- चाचा: लच्छू महाराज, शंभू महाराज
- कथक का शाही खानदान
संगीत शिक्षा:
- पिता अच्छन महाराज से प्रारंभिक शिक्षा
- चाचा शंभू महाराज से विस्तृत प्रशिक्षण
- 9 वर्ष की आयु में पहला मंच प्रदर्शन
मुख्य योगदान:
1. कथक के क्षेत्र में:
- लखनऊ घराने को विश्व स्तर पर पहुंचाया
- पारंपरिक और आधुनिक का सुंदर मिश्रण
- नए choreography और compositions
- कथक केंद्र, नई दिल्ली के प्रमुख (1977-1998)
2. शिक्षण:
- हजारों शिष्यों को प्रशिक्षण
- विश्व भर में workshops
- गुरु-शिष्य परंपरा को जीवित रखा
3. फिल्म और संगीत:
- फिल्मों में choreography - "Dedh Ishqiya", "Bajirao Mastani"
- "Kahe chhed mohe" (Devdas) - प्रसिद्ध गीत
- Filmfare Award
4. बहुमुखी प्रतिभा:
- नर्तक, गायक, तबला वादक
- हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन में निपुण
- कवि और गीतकार
सम्मान और पुरस्कार:
- पद्म विभूषण (1986) - भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1964)
- कालिदास सम्मान (1987)
- असंख्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार
प्रमुख प्रस्तुतियां:
- "Ghungroo" - सोलो प्रदर्शन
- "Shatranj ke Khilari" - ballet
- "Ghanshyam Sudha" - कृष्ण लीला
व्यक्तित्व:
- विनम्र और सरल
- हास्य प्रिय
- कला के प्रति समर्पित
- 80+ वर्ष की आयु तक सक्रिय
विरासत:
- सैकड़ों शिष्य विश्व भर में
- लखनऊ घराने की परंपरा को जीवित रखा
- कथक को आधुनिक बनाया बिना पारंपरिक essence खोए
निष्कर्ष: पंडित बिरजू महाराज "कथक सम्राट" थे। उन्होंने न केवल कथक को संरक्षित किया बल्कि इसे विश्व मंच पर प्रतिष्ठित किया। उनका निधन भारतीय शास्त्रीय नृत्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
परीक्षा में सफलता के लिए संपूर्ण मार्गदर्शन
📅 परीक्षा से पहले की तैयारी (1-2 महीने पहले)
1. Syllabus और Pattern समझें
- RBSE की आधिकारिक website से latest syllabus download करें
- प्रत्येक भाग के marks distribution समझें
- Theory और Practical दोनों की weightage जानें
- Previous years के question papers solve करें
2. Study Plan बनाएं
- Week 1-2: भाग A (Vocal) - रागों का अध्ययन
- Week 3-4: भाग B (Tabla) - तालों का अभ्यास
- Week 5-6: भाग C (Instrument) - वाद्य ज्ञान
- Week 7-8: भाग D (Kathak) - नृत्य सिद्धांत
- Last Week: पूर्ण Revision
3. Notes बनाएं
- प्रत्येक राग के लिए: थाट, जाति, आरोह-अवरोह, पकड़, समय
- प्रत्येक ताल के लिए: मात्रा, विभाजन, ठेका (साधारण, दुगुन, तिगुन)
- घरानों के लिए: संस्थापक, विशेषताएं, प्रमुख कलाकार
- व्यक्तित्वों के लिए: जन्म-मृत्यु, योगदान, सम्मान
📝 परीक्षा हॉल में रणनीति
समय प्रबंधन (3 घंटे = 180 मिनट)
खंड | अंक | समय | रणनीति |
---|---|---|---|
खंड A (वस्तुनिष्ठ) | 10 अंक | 25-30 मिनट | सबसे पहले करें, तेज और आसान |
खंड B (लघु उत्तर) | 7½ अंक | 40-45 मिनट | संक्षिप्त और सटीक उत्तर |
खंड C (दीर्घ उत्तर) | 3 अंक | 25-30 मिनट | विस्तृत लेकिन focused |
खंड D (निबंध) | 4 अंक | 35-40 मिनट | पूर्ण विवरण के साथ |
खंड E (स्वर लिपि) | 3 अंक | 15-20 मिनट | Accurate notation |
Revision | - | 10-15 मिनट | Checking |
प्रश्न पत्र पढ़ने की रणनीति
- पहले 5 मिनट: पूरा paper ध्यान से पढ़ें
- Easy questions mark करें: जो तुरंत आते हैं
- Choice वाले प्रश्न: दोनों options पढ़कर decide करें
- Priority: सबसे पहले जो best आते हैं
✍️ उत्तर लेखन की कला
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQ, Fill ups, True/False)
- पहले प्रयास में जो confirm हो वही लिखें
- बार-बार change न करें
- Negative marking नहीं है तो guess भी कर सकते हैं
- साफ और स्पष्ट लिखें
अति लघुत्तरात्मक प्रश्न (1-2 lines)
- Direct और to-the-point उत्तर
- 2-3 वाक्यों में समाप्त करें
- No unnecessary details
- उदाहरण: "राग दुर्गा की जाति?" → "औडव-औडव"
लघुत्तरात्मक प्रश्न (50-75 words)
- Introduction → Main points → Conclusion
- 3-5 bullet points या छोटे paragraphs
- मुख्य बिंदुओं को underline करें
- जहां possible हो tables बनाएं
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (100-150 words)
- Introduction: 2-3 lines में विषय परिचय
- Body: मुख्य content विस्तार से
- Sub-headings use करें
- Points में लिखें
- Examples दें
- Conclusion: 2-3 lines में summary
निबंधात्मक प्रश्न (200-250 words)
- पूर्ण structured answer
- Multiple sub-headings
- Tables, comparisons जहां relevant हों
- अच्छी handwriting और presentation
- महत्वपूर्ण dates, names, places bold या underline करें
स्वर लिपि (Notation)
- साफ और readable लिखें
- ताल के चिन्ह (X, 2, 0, 3) स्पष्ट दिखाएं
- मात्रा divisions सही रखें
- बोल और स्वर accurately align करें
- पहले pencil में draft, फिर pen से final
🎵 प्रैक्टिकल परीक्षा की तैयारी
नियमित अभ्यास
- Daily Practice: कम से कम 2-3 घंटे
- सुबह का समय: 5-8 AM सबसे उत्तम
- Consistency: एक दिन भी skip न करें
भाग-wise तैयारी
भाग A - Vocal:
- सभी prescribed रागों का अच्छे से अभ्यास
- आलाप, विस्तार, तान तीनों perfect करें
- बंदिशें याद रखें (स्थायी-अंतरा)
- Sur purity पर ध्यान दें
भाग B - Tabla:
- सभी तालों के ठेके बिना देखे बजा सकें
- Kayदा-पलटा, तिहाई practice करें
- Tuning perfect रखें
- Bols स्पष्ट और clean निकलें
भाग C - Instrument:
- Tuning सही रखें
- आलाप, जोड़, झाला, गत sequence में
- Clean strokes/bowing
- Prescribed compositions तैयार रखें
भाग D - Kathak:
- तत्कार, चक्कर, परन practice करें
- तोड़ा और परमेलु perfect करें
- Abhinaya (भाव) भी important है
- घुंघरू properly बंधे हों
परीक्षक के सामने
- आत्मविश्वास: घबराएं नहीं, calm रहें
- Salutation: पहले प्रणाम करें
- Presentation: proper dress, grooming
- अगर गलती हो जाए: तो रुकें नहीं, continue करें
- परीक्षक की बात सुनें: ध्यान से instructions follow करें
📚 विषय-वार महत्वपूर्ण Topics
भाग A - स्वर संगीत
Topic | Must Know |
---|---|
रागों | थाट, जाति, आरोह-अवरोह, पकड़, समय, वादी-संवादी |
तालें | मात्रा, विभाजन, ठेका, प्रयोग |
घराने | ग्वालियर, किराना, आगरा, जयपुर - संस्थापक और विशेषताएं |
व्यक्तित्व | भातखंडे, पलुस्कर, तानसेन - जन्म-मृत्यु, योगदान |
परिभाषाएं | स्वर, ताल, राग, अलंकार, मींड, खटका, गमक |
भाग B - तबला
- तबले के भाग: पुड़ी, स्याही, घेर, गजरा, बद्धी
- बोल: ता, ना, धा, धिन, ति, तुन, गे, के
- रचनाएं: पेशकार, कायदा, रेला, टुकड़ा, तिहाई
- घराने: दिल्ली, लखनऊ, बनारस, अजरादा, पंजाब
भाग C - वाद्य संगीत
- वाद्य भाग: प्रत्येक instrument के main parts
- तकनीक: मीड़, झाला, आलाप, जोड़, गत
- घराने: इटावा (सितार), मैहर (सरोद)
- महान वादक: रविशंकर, विलायत खान, अली अकबर
भाग D - कत्थक
- तकनीक: तत्कार, चक्कर, परन, तोड़ा, परमेलु
- घराने: लखनऊ, जयपुर, बनारस - differences
- अभिनय: चतुर्विध अभिनय - आंगिक, वाचिक, सात्विक, आहार्य
- नर्तक: बिरजू महाराज, सितारा देवी, गोपी कृष्ण
💡 Smart Tips और Tricks
याद रखने के लिए
- Mnemonics बनाएं: 10 थाटों के लिए "बि-क-ख-भ-पू-मा-का-आ-तो-भै"
- Flashcards: रागों के cards बनाएं
- Voice recordings: अपनी practice record करें
- Group study: दोस्तों के साथ discuss करें
परीक्षा के दिन
- रात को अच्छी नींद लें (7-8 घंटे)
- सुबह हल्का breakfast करें
- सभी जरूरी चीजें check करें (admit card, instruments, etc.)
- Exam center से 30 मिनट पहले पहुंचें
- पानी की bottle साथ रखें
Common Mistakes से बचें
- ❌ अपठनीय handwriting
- ❌ question छोड़ देना
- ❌ समय का सही management न करना
- ❌ irrelevant information लिखना
- ❌ grammatical errors (Hindi में)
- ✅ साफ, organized और complete answers लिखें
📖 अंतिम सप्ताह की तैयारी
Day-wise Plan
- Day 1-2: सभी रागों का quick revision
- Day 3-4: सभी तालों का revision
- Day 5: घरानों और personalities
- Day 6: परिभाषाएं और technical terms
- Day 7: पूर्ण mock test और rest
Mock Test लें
- Previous year papers को 3 घंटे में solve करें
- Timer set करें
- Real exam जैसा environment बनाएं
- अपने उत्तरों को check करें
- Weak areas identify करें
🎯 याद रखें:
- Consistency is key - नियमित अभ्यास जरूरी है
- Theory और Practical दोनों equally important हैं
- आत्मविश्वास के साथ exam दें
- Best performance के लिए calm और focused रहें
📞 आपातकालीन संपर्क:
- RBSE Help Desk: आधिकारिक website पर उपलब्ध
- School Music Teacher: किसी भी doubt के लिए
- परीक्षा केंद्र: admit card पर दिया गया
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