राजस्थान बोर्ड उच्च माध्यमिक परीक्षा 2024 – संस्कृत साहित्य (Sanskrit Literature) प्रश्न पत्र उत्तर सहित व अध्यापक टिप्स

| अक्टूबर 20, 2025
राजस्थान बोर्ड संस्कृत साहित्य 2024 - SS-12 | Complete Study Guide

राजस्थान बोर्ड उच्च माध्यमिक परीक्षा, 2024
संस्कृत साहित्य - SS-12

Complete Question Paper with Detailed Answers & Teacher's Expert Tips

परीक्षा विवरण
पेपर कोड: SS-12
विषय: संस्कृत साहित्य
समय: 3 घंटे 15 मिनट
पूर्णांक: 80 अंक
कुल प्रश्न: 20
वर्ष: 2024

संस्कृत साहित्य (Sanskrit Sahitya) प्राचीन भारतीय ज्ञान, संस्कृति और साहित्य का भंडार है। यह लेख 2024 के प्रश्न पत्र के सभी प्रश्नों को पहले लिखता है, फिर उनके विस्तृत उत्तर प्रदान करता है।

पेपर की संरचना

खंड प्रश्न प्रकार प्रश्न संख्या अंक
A वस्तुनिष्ठ (MCQ) 1 (i-ix) 9
A रिक्त स्थान 2 (i-vii) 7
A अति लघुउत्तरीय 3 (i-x) 10
A संधि/छंद/अलंकार 4-10 16
B गद्यांश आधारित 11-14 10
C पद्यांश/नाट्यांश 15-17 15
D व्याकरण और निबंध 18-20 14

खंड-A: वस्तुनिष्ठ प्रश्न (प्रश्न 1)

प्रश्न 1(i)

"अनेजत्" इति पदं कस्य कृते प्रयुक्तम्?
A) आत्मनः कृते
B) शरीरस्य कृते
C) संसारस्य कृते
D) विद्यायाः कृते
उत्तर: (A) आत्मनः कृते
"अनेजत्" = जो चलता नहीं है (न + एजत्)
यह शब्द आत्मा के लिए प्रयुक्त है। ईशोपनिषद् में कहा गया है:
अनेजदेकं मनसो जवीयो नैनद्देवा आप्नुवन् पूर्वमर्षत्।
(आत्मा अचल है, एक है, मन से भी तेज है)

प्रश्न 1(ii)

गुरुदक्षिणार्थी कः आसीत्?
A) वरतन्तुः
B) कौत्सः
C) रघुः
D) रामः
उत्तर: (B) कौत्सः
कालिदास के "रघुवंश" महाकाव्य में कौत्स ब्राह्मण गुरुदक्षिणा के लिए राजा रघु के पास जाता है। गुरु वररुचि को 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राएं देनी थीं।

प्रश्न 1(iii)

"कर्मगौरवम्" इति पाठः कुतः संकलितः?
A) रामायणतः
B) ऋग्वेदतः
C) महाभाष्यतः
D) श्रीमद्भगवद्गीतातः
उत्तर: (D) श्रीमद्भगवद्गीतातः
"कर्मगौरवम्" पाठ भगवद्गीता से लिया गया है। गीता में कर्म की महिमा का वर्णन है।

प्रश्न 1(iv)

मनसि वचसि कायेpuण्यपीयूषपूर्णाः के भवन्ति?
A) मनुष्याः
B) पशवः
C) सन्तः
D) असन्तः
उत्तर: (C) सन्तः
संत जन मन, वचन और कर्म से पुण्यरूपी अमृत से परिपूर्ण होते हैं।
मनसि वचसि कायेपुण्यपीयूषपूर्णाः।

प्रश्न 1(v)

योगाङ्गानि कति भवन्ति?
A) अष्टौ
B) चत्वारि
C) षट्
D) पञ्च
उत्तर: (A) अष्टौ
अष्टाङ्ग योग (पतञ्जलि योगसूत्र):
  1. यम (Yama) - नैतिक नियम
  2. नियम (Niyama) - व्यक्तिगत अनुशासन
  3. आसन (Asana) - शारीरिक मुद्राएं
  4. प्राणायाम (Pranayama) - श्वास नियंत्रण
  5. प्रत्याहार (Pratyahara) - इंद्रिय नियंत्रण
  6. धारणा (Dharana) - एकाग्रता
  7. ध्यान (Dhyana) - मेडिटेशन
  8. समाधि (Samadhi) - परम चेतना

प्रश्न 1(vi)

"पावका" इति पदे कः गणः?
A) यगणः
B) रगणः
C) मगणः
D) जगणः
उत्तर: (B) रगणः
"पावका" = पा-व-का
पा (दीर्घ) = ।
व (ह्रस्व) = ऽ
का (दीर्घ) = ।
। ऽ । = रगणः (र)
गण सूत्र: यमाताराजभानसलगाः

प्रश्न 1(vii)

उपमानोपमेययोः अभेदः कुत्र भवति?
A) अनुप्रासे
B) यमके
C) उपमायाम्
D) रूपके
उत्तर: (D) रूपके
रूपक अलंकार में उपमेय और उपमान में अभेद (एकत्व) दिखाया जाता है।
उदाहरण:
मुखचन्द्रः = मुख ही चन्द्र है (अभेद)
Note: उपमा में "सदृश" (समानता) होती है, रूपक में "अभेद" (एकत्व)

प्रश्न 1(viii)

"आ+दा+अल्यप्" इत्यत्र किं पदं भवति?
A) आदातुम्
B) आदाल्यम्
C) आदाय
D) आदाया
उत्तर: (C) आदाय
आ + दा + अल्यप् (क्त्वा प्रत्यय)
आ + दा + य = आदाय (लेकर, ग्रहण करके)
यह क्त्वाप्रत्यय (अव्यय) है।

प्रश्न 1(ix)

"वाग्भूषणम्" इत्यत्र कः सन्धिः? किं च सूत्रम्?
A) चर्त्वम् (खरि च)
B) जश्त्वम् (झलां जशोऽन्ते)
C) श्चुत्वम् (स्तोः श्चुना श्चुः)
D) अनुनासिकः (यरोऽनुनासिकेऽनुनासिको वा)
उत्तर: (B) जश्त्वम् (झलां जशोऽन्ते)
वाक् + भूषणम् = वाग्भूषणम्
जश्त्व सन्धि:
क् (खर्) + भ् (झल्) = ग् (जश्)
सूत्र: झलां जशोऽन्ते
(शब्द के अंत में झल् वर्ण जश् में बदल जाता है)

प्रश्न 2: रिक्त स्थान पूर्ति

प्रश्न 2 - उचित उपपद विभक्ति लिखें

i) ................ प्रति कः क्षत्रियः। (महाराज)
उत्तर: महाराजं
"प्रति" के साथ द्वितीया विभक्ति (accusative) आती है।
ii) ............... तुल्यम् औदार्यम् अस्ति। (विक्रम)
उत्तर: विक्रमस्य
"तुल्य" के साथ षष्ठी विभक्ति (genitive) आती है।
iii) सीता ................ सह वनम् अगच्छत्। (राम)
उत्तर: रामेण
"सह" (साथ) के साथ तृतीया विभक्ति (instrumental) आती है।
iv) ................ परितः गोपालकाः सन्ति। (कृष्ण)
उत्तर: कृष्णं
"परितः" (चारों ओर) के साथ द्वितीया विभक्ति आती है।

प्रश्न 2 - प्रकृति प्रत्यय योजना

v) राजा सिंहासने ............... गच्छति। (सम्+उप+विश्+तुमुन्)
उत्तर: समुपवेष्टुम्
सम् + उप + विश् + तुमुन् = समुपवेष्टुम् (बैठने के लिए)
vi) सः वारिवाहानाम् अभ्यन्तरं ............ । (प्र+विश्+क्त)
उत्तर: प्रविष्टः
प्र + विश् + क्त = प्रविष्टः (प्रवेश किया हुआ)
vii) ............... शिवालयं गच्छति। (गौर+ङीष्)
उत्तर: गौरी
गौर + ङीष् (स्त्री प्रत्यय) = गौरी (पार्वती)

प्रश्न 3: अति लघूत्तरात्मक प्रश्न (1 अंक प्रत्येक)

i) "कुर्वन्नेवेह कर्माणि" इति मन्त्रांशः कस्याः उपनिषदः?
उत्तर: ईशोपनिषदः
यह मंत्र ईशावास्योपनिषद् से है।
ii) उपमा-अलमारस्य प्रयोगे कः कविः प्रसिद्धः?
उत्तर: कालिदासः
कालिदास को "उपमा कालिदासस्य" कहा जाता है - उपमा अलंकार के प्रयोग में वे अद्वितीय हैं।
iii) "उत्तररामचरितम्" इति नाटकस्य कथावस्तु कुतः गृहीतम्?
उत्तर: रामायणात्
भवभूति का "उत्तररामचरितम्" नाटक वाल्मीकि रामायण से लिया गया है।
iv) कादम्बरी केन लिखिता?
उत्तर: बाणभट्टः
"कादम्बरी" प्रसिद्ध गद्य काव्य बाणभट्ट द्वारा रचित है।
v) महाकवेः भर्तृहरेः कति शतकानि?
उत्तर: त्रीणि (तीन)
  1. नीतिशतकम्
  2. शृंगारशतकम्
  3. वैराग्यशतकम्
vi) "शिवराजविजयः" इति कीदृशः उपन्यासः अस्ति?
उत्तर: ऐतिहासिकः
यह शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित ऐतिहासिक उपन्यास है।
vii) यात्राविलासः-महाकाव्यं केन रचितम्?
उत्तर: जगन्नाथराय
"यात्राविलासः" महाकाव्य आधुनिक संस्कृत कवि जगन्नाथराय द्वारा रचित है।
viii) मानवंशमहाकाव्यं केन लिखितम्?
उत्तर: चक्रवर्ती राजगोपालाचार्यः
यह आधुनिक संस्कृत महाकाव्य है।
ix) "वैदिककोषः" इति ग्रन्थं कः रचितवान्?
उत्तर: तारानाथ तर्कवाचस्पतिः
यह वैदिक शब्दकोश है।
x) "आदर्शरमणी" इति उपन्यासः केन रचितः?
उत्तर: पण्डित गोविन्ददेवशास्त्री
यह आधुनिक संस्कृत उपन्यास है।
🎓 Teacher's Tip: वस्तुनिष्ठ और अति लघु प्रश्नों के लिए
  • साहित्यिक कृतियाँ और लेखक: रामायण-वाल्मीकि, महाभारत-व्यास, रघुवंश-कालिदास
  • योगांग: 8 (यमनियमासनप्राणायाम प्रत्याहारधारणा ध्यानसमाधयोऽष्टावङ्गानि)
  • गण सूत्र याद रखें: यमाताराजभानसलगाः
  • संधि नियम: स्वर, व्यंजन, विसर्ग - तीनों के नियम
  • विभक्ति प्रयोग: सह (तृतीया), प्रति (द्वितीया), तुल्य (षष्ठी)

प्रश्न 4-10: व्याकरण (छंद, अलंकार, संधि)

प्रश्न 4

अधोलिखितयोः छन्दसोः एकस्य लक्षणम् उदाहरणं च लिखत।
क) इन्द्रवज्रा
ख) वंशस्थवृत्तम्
उत्तर:

क) इन्द्रवज्रा छन्द:
लक्षणम्:
प्रति पाद में 11 अक्षर
गण क्रम: त त ज ग ग (त-त-ज-ग-ग)
(त = ।ऽऽ, ज = ऽ।ऽ, ग = ।।।)
उदाहरणम्:
उपर्युपरि विस्तीर्णं शस्त्रास्त्रं बहुलं महत्।
त ऽऽ।त ऽऽ।ज ऽ।ग ।।ग ।
(प्रत्येक पाद में त-त-ज-ग-ग)
ख) वंशस्थवृत्तम्:
लक्षणम्:
प्रति पाद में 12 अक्षर
गण क्रम: ज भ ज ज ग ग (ज-भ-ज-ज-ग-ग)
(भ = ।।।)
उदाहरणम्:
इयं वसुन्धरा काचिदमृतं वा विषं महत्।
ज ऽ।भ ।।ज ऽ।ज ऽ।ग ।।ग ।

प्रश्न 5

अधोलिखित-श्लोकांशस्य गणचिह्नं प्रदर्शयन् छन्दसः नामोल्लेखं कुरुत।
"त्वमेव माता च पिता त्वमेव"
उत्तर:
त्व मे व मा ता च पि ता त्व मे व
ऽ । ऽ । ऽ । ऽ । ऽ । ऽ ऽ

गण विभाजन (3-3 अक्षर):
त्व-मे-व = ऽ।ऽ =
मा-ता-च = ।।। =
पि-ता-त्व = ऽ।ऽ =
मे-व (अंत में 2 अक्षर) = ।ऽ

छन्दः नाम: वसन्ततिलका
(14 अक्षर प्रति पाद: त भ ज ज ग ग)

प्रश्न 6

अधोलिखितयोः अलंकारयोः कस्यचिद् एकस्य लक्षणम् उदाहरणं च लिखत।
क) यमकम्
ख) अतिशयोक्तिः
उत्तर:

क) यमक अलंकार:
लक्षणम्:
एक ही शब्द की आवृत्ति किन्तु भिन्न अर्थ में।
उदाहरणम्:
कनक-कनक ते सौगुना मादकता अधिकाई।
या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय॥

यहाँ "कनक" शब्द दो बार:
पहला "कनक" = सोना (धातु)
दूसरा "कनक" = धतूरा (पौधा)
ख) अतिशयोक्ति अलंकार:
लक्षणम्:
वस्तु का अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन (अतिशयोक्ति = अति + उक्ति)।
उदाहरणम्:
हनुमानजी के बारे में:
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

(हनुमान के हृदय में राम, लक्ष्मण, सीता का निवास - अतिशयोक्ति)

प्रश्न 7

अधोलिखित-श्लोकस्य अलंकारस्य लक्षणं लिखत।
"तावत् कोकिल विरसान् यापय दिवसान् वनान्तरे निवसन्।
यावन्मिलदलिमालः कोऽपि रसालः समुल्लसति॥"
उत्तर:
अलंकारः: यावत्-तावत् अलंकार (हेतूत्प्रेक्षा)

लक्षणम्:
जब "तावत्" और "यावत्" का प्रयोग साथ हो और एक घटना दूसरी की प्रतीक्षा में हो।

अर्थः:
"हे कोयल! जब तक (यावत्) आम के पेड़ों में बौर नहीं आते, तब तक (तावत्) तुम इन नीरस दिनों को जंगल में ही बिताओ।"

व्याख्या: यहाँ कोयल को आम के बौर आने तक प्रतीक्षा करने को कहा गया है - यह cause-effect relationship है।

प्रश्न 8

अधोलिखित श्लोकस्य अन्वयं लिखत।
विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा सदसि वाक्पटुता युधि विक्रमः।
यशसि चाभिरुचिर्व्यसनं श्रुतौ प्रकृतिसिद्धमिदं हि महात्मनाम्॥
उत्तर: अन्वयः
विपदि धैर्यम्, अथ अभ्युदये क्षमा, सदसि वाक्पटुता, युधि विक्रमः,
यशसि च अभिरुचिः, व्यसनं श्रुतौ, इदं हि महात्मनां प्रकृतिसिद्धम्।
हिन्दी अर्थ:
विपत्ति में धैर्य, समृद्धि में क्षमा, सभा में वाक्चातुर्य, युद्ध में वीरता, यश में रुचि, और शास्त्र में आसक्ति - यह सब महात्माओं का स्वभावसिद्ध (प्राकृतिक) गुण है।

प्रश्न 9

अधोलिखित शब्दानाम् अर्थं लिखत।
क) जवीयः
ख) कोषजातम्
ग) असक्तः
घ) मूर्धजाः
उत्तर:
शब्दः अर्थः व्याख्या
जवीयः अधिक तेज जव (वेग) से बना, मन से भी तेज
कोषजातम् खजाने से उत्पन्न कोष (खजाना) + जात (उत्पन्न)
असक्तः आसक्ति रहित अ (न) + सक्त (लिप्त), निर्लिप्त
मूर्धजाः बाल मूर्ध (सिर) + ज (उत्पन्न), सिर से उत्पन्न

प्रश्न 10

हिन्दीभाषायां सप्रसङ्गभावार्थं लिखत।
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"
उत्तर:
सन्दर्भः:
यह श्लोक भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय (कर्मयोग) से है। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित करते हुए कर्म का महत्व समझा रहे हैं।

प्रसंगः:
अर्जुन युद्ध से विमुख होकर कर्म के फल की चिंता में पड़ गया था। तब श्रीकृष्ण ने यह उपदेश दिया।

भावार्थः:
तेरा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में कभी नहीं। न तू कर्मफल का हेतु बन और न ही तेरी अकर्म में आसक्ति हो। कर्म करना तेरा कर्तव्य है, फल की चिंता छोड़ दे। फल देना ईश्वर के हाथ में है। निष्काम कर्म करते हुए सदा अपने धर्म का पालन करो।

विशेष: यह गीता का सबसे प्रसिद्ध श्लोक है जो निष्काम कर्म योग का उपदेश देता है।
🎓 Teacher's Tip: व्याकरण प्रश्नों के लिए
  • गण सूत्र: यमाताराजभानसलगाः - हमेशा याद रखें
  • छंद पहचान: अक्षर गिनें, फिर गण विभाजन करें
  • अलंकार: उपमा (सदृश), रूपक (अभेद), यमक (शब्द दोहराव)
  • अन्वय: Subject + Object + Verb क्रम में लिखें
  • भावार्थ: संदर्भ + प्रसंग + अर्थ + विशेष

खंड-B: गद्यांश (प्रश्न 11-14)

प्रश्न 11-14: स्वामी विवेकानन्द के बारे में गद्यांश

अधोलिखितम् अपठित गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखत।
को न जानाति अद्य स्वामिविवेकानन्दम्। अस्य महापुरुषस्य जन्म 1863 तमे ख्रिस्ताब्दे जनवरीमासस्य द्वादशदिनांके मकरसङ्क्रान्तिपर्वणः अवसरे गङ्गातटे कोलकातानगरे एकस्मिन् सम्पन्ने परिवारे अभवत्। तस्य माता भुवनेश्वरी देवी पिता च विश्वनाथदत्तः आसीत्। तस्य पिता वाक्कीलः आसीत्। आध्यात्मिकता तु अस्य बालकस्य रक्ते एव आसीत्। तस्य पितामहः दुर्गाचरणः आसीत्। धर्मपरायणा माता बालकं शिवस्य प्रसादं मत्वा तस्य नाम "वीरेश्वरः" इति कृतवती किन्तु परिवारे व्यवहारे च बालकोऽयं नरेन्द्रनाथ दत्तः एव आसीत्। सः चञ्चलः आसीत्।

प्रश्न 11

एकपदेन उत्तरत - (4×½=2)
क) स्वामिविवेकानन्दस्य पिता कः आसीत्?
ख) विवेकानन्दस्य रक्ते का आसीत्?
ग) माता बालकं कस्य प्रसादं मत्वा तस्य नाम "वीरेश्वरः" इति कृतवती?
घ) परिवारे व्यवहारे च अस्य किं नाम आसीत्?
उत्तर:
प्रश्नः उत्तरम् (एकपदेन)
क) पिता कः आसीत्? विश्वनाथदत्तः
ख) रक्ते का आसीत्? आध्यात्मिकता
ग) कस्य प्रसादं मत्वा? शिवस्य
घ) व्यवहारे किं नाम? नरेन्द्रनाथदत्तः

प्रश्न 12

पूर्णवाक्येन उत्तरत - (1+1+1=3)
क) विवेकानन्दस्य जन्म कदा अभवत्?
ख) स्वामिविवेकानन्दस्य मातुर्नाम किम् आसीत्?
ग) दुर्गाचरणः कः आसीत्?
उत्तर:
क) विवेकानन्दस्य जन्म 1863 तमे ख्रिस्ताब्दे जनवरीमासस्य द्वादशदिनांके मकरसङ्क्रान्तिपर्वणः अवसरे अभवत्।

ख) स्वामिविवेकानन्दस्य मातुः नाम भुवनेश्वरी देवी आसीत्।

ग) दुर्गाचरणः तस्य पितामहः (दादाजी) आसीत्।

प्रश्न 13

भाषा-सम्बद्धकार्यम् - (4×½=2)
क) "पिता वाक्कीलः आसीत्" इत्यत्र कर्तृपदं लिखत।
ख) "धर्मपरायणा माता बालकं शिवस्य प्रसादं मनुते" इत्यत्र विशेषणपदं लिखत।
ग) "तस्य" इति सर्वनामपदस्य सञ्ज्ञापदं लिखत।
घ) "स्थिरः" इत्यस्य विलोमपदं लिखत।
उत्तर:
प्रश्नः उत्तरम्
क) कर्तृपदम् पिता
ख) विशेषणपदम् धर्मपरायणा
ग) "तस्य" का सञ्ज्ञापदम् विवेकानन्दस्य / बालकस्य
घ) "स्थिरः" विलोमम् चञ्चलः / अस्थिरः

प्रश्न 14

अस्य गद्यांशस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (1 अंक)
उत्तर: समुचितं शीर्षकम्:
"स्वामिविवेकानन्दस्य बाल्यजीवनम्"
या
"विवेकानन्दः - प्रारम्भिकजीवनम्"

खंड-C: पद्यांश/नाट्यांश (प्रश्न 15-17)

प्रश्न 15: पद्यांश (विकल्प 1)

अधोलिखितं पद्यं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखत।
मासोऽयमाषाढः, अस्ति च सायं समयः, अस्तं जिगमिषुर्भगवान् भास्करः,
सिन्दूर द्रवस्नातानामिव वरुणदिग् वलम्बिना मरुणदावरिवाहानामभ्यन्तरं प्रविष्टः।
कलविमाश्चाटुकैररूतैः परिपूर्णेषु नीडेषु प्रतिनिवर्तन्ते।
वनानि प्रतिक्षणमधिकाधिकां श्यामतां कलयन्ति।

प्रश्न 15(i)

यथानिर्देशम् उत्तरं लिखत - (1+1+1=3)
क) कः अस्तं जिगमिषुः? (एकपदेन उत्तरत)
ख) नीडेषु के प्रतिनिवर्तन्ते? (एकपदेन उत्तरत)
ग) कानि श्यामतां कलयन्ति? (पूर्ण वाक्येन उत्तरत)
उत्तर:
क) भगवान् भास्करः (सूर्य)

ख) कलविमाश्चाटुकैः (पक्षी)

ग) वनानि प्रतिक्षणमधिकाधिकां श्यामतां कलयन्ति।
(जंगल प्रतिक्षण अधिकाधिक श्याम/काला रंग धारण करते हैं)

प्रश्न 15(ii)

भाषिककार्यम् (प्रदत्तविकल्पेभ्यः उत्तरं चिनुत) - (1+1=2)
क) "अस्ति च सायं समयः" इत्यत्र क्रियापदं किम्?
A) च B) अस्ति C) सायं D) समयः

ख) "अस्तं जिगमिषुर्भगवान् भास्करः" इत्यत्र विशेष्यं किम्?
A) अस्तं B) जिगमिषुः C) भगवान् D) भास्करः
उत्तर:
प्रश्नः उत्तरम्
क) क्रियापदम् (B) अस्ति
ख) विशेष्यम् (D) भास्करः (यह मुख्य शब्द है, बाकी विशेषण)

प्रश्न 16: पद्यांश (विकल्प 1)

अधोलिखितं पद्यं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखत।
सर्वत्र नो वार्तमवेहि राजन्,
नाथे कुतस्त्वय्यशुभं प्रजानाम्।
सूर्ये तपत्यावरणाय दृष्टेः,
कल्पेत लोकस्य कथं तमिस्रा॥

प्रश्न 16(i)

यथानिर्देशम् उत्तरं लिखत - (1+1+1=3)
क) नः किम् अवेहि? (एकपदेन उत्तरत)
ख) त्वयि नाथे केषाम् अशुभं न भवति? (एकपदेन उत्तरत)
ग) सूर्ये तपति लोकस्य दृष्टेः आवरणाय का न कल्पेत? (पूर्ण वाक्येन उत्तरत)
उत्तर:
क) वार्तम् (समाचार)

ख) प्रजानाम् (प्रजा का)

ग) सूर्ये तपति लोकस्य दृष्टेः आवरणाय तमिस्रा (अन्धकार) न कल्पेत।
(जब सूर्य तप रहा हो, तो लोगों की दृष्टि को ढकने के लिए अंधकार कैसे हो सकता है?)
भावः: जब राजा जैसा नाथ हो, तो प्रजा को अशुभ कैसे हो सकता है? ठीक वैसे जैसे सूर्य के रहते अंधकार नहीं हो सकता।

प्रश्न 17: नाट्यांश

अधोलिखितं नाट्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखत।
स्वप्निलः - आचार्य! योगाङ्गानां नामानि तु अस्माभिः सुश्रु जातानि अवबुद्धानि चाऽपि।
साम्प्रतं योगाङ्गानां फलमपि ज्ञातुं महती उत्कण्ठा वर्तते।

योगाचार्यः - आम् आम् तदपि बोधयामि। शृण्वन्तु, लिखन्तु अवबुध्यन्तु च तावत्।

यमः -
अहिंसा - अहिंसाप्रतिष्ठायां तत्सन्निधौ वैरत्यागः।
सत्यम् - सत्यप्रतिष्ठायां क्रियाफलाश्रयत्वम्।
अस्तेयम् - अस्तेयप्रतिष्ठायां सर्वरत्नोपस्थानम्।
ब्रह्मचर्यम् - ब्रह्मचर्यप्रतिष्ठायां वीर्यलाभः।
अपरिग्रहः - अपरिग्रहस्थैर्ये जन्मकथन्ता सम्बोधः।

प्रश्न 17(i)

यथानिर्देशम् उत्तरं लिखत - (1+1+1=3)
क) स्वप्निलस्य केषां फलं ज्ञातुं महती उत्कण्ठा वर्तते? (एकपदेन उत्तरत)
ख) यमाः कति? (एकपदेन उत्तरत)
ग) वीर्यलाभः कुत्र भवति? (पूर्ण वाक्येन उत्तरत)
उत्तर:
क) योगाङ्गानाम् (योगांगों के)

ख) पञ्च (पाँच यम)

ग) ब्रह्मचर्यप्रतिष्ठायां वीर्यलाभः भवति।
(ब्रह्मचर्य की प्रतिष्ठा होने पर वीर्य की प्राप्ति होती है)

प्रश्न 17(ii)

भाषिककार्यम् (प्रदत्तविकल्पेभ्यः उत्तरं चिनुत) - (1+1=2)
क) "योगाङ्गानां फलमपि ज्ञातुं महती उत्कण्ठा वर्तते" इत्यत्र विशेषणपदं किम्?
A) योगाङ्गानाम् B) फलमपि C) उत्कण्ठा D) महती

ख) "योगाङ्गानां नामानि अस्माभिः ज्ञातानि" इत्यत्र क्रियापदं किम्?
A) योगाङ्गानाम् B) अस्माभिः C) ज्ञातानि D) नामानि
उत्तर:
प्रश्नः उत्तरम्
क) विशेषणपदम् (D) महती (उत्कण्ठा की विशेषता)
ख) क्रियापदम् (C) ज्ञातानि (जाना गया)
🎓 Teacher's Tip: गद्यांश और पद्यांश प्रश्नों के लिए
  • Context समझें: पूरा passage 2-3 बार पढ़ें
  • एकपदेन उत्तर: Subject या key word ही लिखें
  • पूर्ण वाक्येन: Complete sentence with subject + verb
  • भाषिक कार्य: कर्ता, क्रिया, विशेषण, विशेष्य पहचानना
  • शीर्षक: Main idea को 3-5 शब्दों में capture करें

खंड-D: व्याकरण और निबंध (प्रश्न 18-20)

प्रश्न 18: रेखांकित पदों में प्रश्न निर्माण (4×1=4)

रेखांकित पदेषु प्रश्ननिर्माणं कुरुत। (केषांचित् चतुर्णाम्)
क) "उत्तररामचरितम्" इति नाटकस्य रचयिता भवभूतिः
ख) लवः रामभद्रम् अनुसरति।
ग) स चपलः दृश्यते।
घ) अकर्मणः कर्म ज्यायः।
ङ) श्रीनारायणस्य राज्येन सह कश्चित् सम्पर्कः नास्ति।
च) शब्दानां प्रतिपत्तौ प्रतिपदपाठः कर्तव्यः।
उत्तर: प्रश्न निर्माणम्:

वाक्यम् प्रश्नः
क) रचयिता भवभूतिः "उत्तररामचरितम्" इति नाटकस्य रचयिता कः?
ख) लवः रामभद्रम् अनुसरति लवः कम् अनुसरति?
ग) स चपलः दृश्यते सः कीदृशः दृश्यते?
घ) अकर्मणः कर्म ज्यायः कस्य कर्म ज्यायः?

प्रश्न 19: संस्कृत में अनुवाद (5×1=5)

अधोलिखित वाक्यानां संस्कृतभाषायाम् अनुवादः करणीयः। (केषांचित् पञ्चानाम्)
क) विद्या से अमरता प्राप्त होती है।
ख) हिमांगी शिव की अर्चना करती है।
ग) शिशु दूध पीवे।
घ) कुमुद पानी से मुँह धोता है।
ङ) गीता को रामायण पढ़ना अच्छा लगता है।
च) धन से ज्ञान अच्छा है।
छ) कवियों में कालिदास श्रेष्ठ है।
ज) तिलों में तेल है।
उत्तर: संस्कृत अनुवादः:

हिन्दी संस्कृतम्
क) विद्या से अमरता प्राप्त होती है विद्यया अमृतम् अश्नुते।
ख) हिमांगी शिव की अर्चना करती है हिमाङ्गी शिवस्य आराधनां करोति।
ग) शिशु दूध पीवे शिशुः दुग्धं पिबतु।
घ) कुमुद पानी से मुँह धोता है कुमुदः जलेन मुखं प्रक्षालयति।
ङ) गीता को रामायण पढ़ना अच्छा लगता है गीतायै रामायणं पठितुम् इष्टं भवति। / गीता रामायणं पठितुम् इच्छति।
च) धन से ज्ञान अच्छा है धनात् ज्ञानं श्रेयः।
छ) कवियों में कालिदास श्रेष्ठ है कविषु कालिदासः श्रेष्ठः।
ज) तिलों में तेल है तिलेषु तैलम् अस्ति।

प्रश्न 20: निबंध (5 अंक)

निम्नलिखितेषु कमपि विषयं स्वीकृत्य 50-60 शब्देषु संस्कृत भाषायां निबन्धं लिखत।
क) सतां सङ्गतिः (सत्सङ्गतिः)
ख) भारत देशः
ग) संस्कृतं संस्कृताश्रिता

निबंध क) सतां सङ्गतिः (सत्सङ्गतिः)

सतां सङ्गतिः (सत्संगति का महत्व)

सतां सङ्गतिः मनुष्याणां जीवने महत्वपूर्णा अस्ति। सज्जनानां सङ्गतेन मानवस्य चरित्रं निर्मीयते। यथा कहितम् - "सङ्गतिः संजायते कामः"। सत्सङ्गतेः प्रभावेण मनुष्यः सद्गुणान् धारयति। सन्तः सदा धर्मस्य मार्गं दर्शयन्ति। तेषां वचनानि अमृततुल्यानि भवन्ति।

कुसङ्गतिः तु महती हानिः। असत्सङ्गतेः कारणेन मनुष्यः दुर्गुणान् स्वीकरोति। अतः सर्वदा सज्जनसङ्गतिम् एव कुर्यात्। संस्कृते कथितम् - "तुलसी साथ बिछुड़े, भला न कोई आय। पथ का पाथर बनि रहे, सदग्रन्थ कहे राय॥"

सत्सङ्गतिः एव जीवनस्य सफलतायाः आधारः।

निबंध ख) भारत देशः

भारत देशः (भारत देश)

भारतवर्षः विश्वस्य महान् देशः अस्ति। अयं देशः संस्कृतेः, धर्मस्य, ज्ञानस्य च केन्द्रः। भारतस्य उत्तरे हिमालयः, दक्षिणे हिन्दमहासागरः वर्तते। अस्य देशस्य सभ्यता अतिप्राचीना अस्ति।

भारते बहवः धर्माः, भाषाः, संस्कृतयः च सन्ति। तथापि सर्वत्र एकता दृश्यते। "विविधता में एकता" अस्य देशस्य विशेषता। अत्र वेदाः, उपनिषदः, रामायणम्, महाभारतम् इत्यादीनि महान्ति ग्रन्थानि रचितानि।

भारतीयाः शान्तिप्रियाः, अतिथिसत्कारिणः च सन्ति। अयं देशः ज्ञानस्य, योगस्य, आयुर्वेदस्य च जन्मभूमिः। वयं सर्वे स्वदेशस्य उन्नत्यै प्रयत्नशीलाः भवेम।

निबंध ग) संस्कृतं संस्कृताश्रिता

संस्कृतं संस्कृताश्रिता (संस्कृत और संस्कृति)

संस्कृतम् विश्वस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति। इयं देववाणी इति कथ्यते। संस्कृतभाषा सर्वासां भारतीयभाषाणां जननी। अस्याः वैज्ञानिकी संरचना अद्वितीया।

संस्कृतेन एव भारतीयसंस्कृतेः रक्षणं भवति। वेदाः, उपनिषदः, पुराणानि, काव्यानि च सर्वाणि संस्कृते एव रचितानि। कालिदासः, भवभूतिः, बाणभट्टः इत्यादयः महाकवयः संस्कृतेन एव काव्यानि अरचयन्।

संस्कृतज्ञानेन मनसः शुद्धिः भवति। अधुना संगणकविज्ञाने अपि संस्कृतस्य महत्वं वर्धते। अतः संस्कृतस्य संरक्षणं आवश्यकम्। "संस्कृतं नाम दैवी वाक्" इति सत्यम्।
🎓 Teacher's Tip: निबंध लेखन के लिए
  • Structure: परिचय (Introduction) + मुख्य भाग (Body) + उपसंहार (Conclusion)
  • 50-60 शब्द: 4-5 वाक्य पर्याप्त
  • Sanskrit quotes: एक-दो सुभाषित जरूर डालें
  • Simple Sanskrit: जटिल शब्दों से बचें
  • Topic से related: Off-topic न जाएं

🎯 परीक्षा में सफलता के लिए Teacher के Master Tips

📚 संस्कृत साहित्य - विषयवार तैयारी

1. व्याकरण (Grammar):

  • संधि: स्वर, व्यंजन, विसर्ग - सभी नियम
  • समास: तत्पुरुष, कर्मधारय, द्वन्द्व, बहुव्रीहि
  • प्रत्यय: कृत् (क्त, क्त्वा, तुमुन्) और तद्धित
  • विभक्ति: कारक और उपपद विभक्ति

2. छंद (Prosody):

  • गण सूत्र: यमाताराजभानसलगाः (रटें!)
  • प्रमुख छंद: अनुष्टुप्, इन्द्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, वसन्ततिलका
  • अक्षर गणना: Practice करें

3. अलंकार (Figures of Speech):

  • शब्दालंकार: अनुप्रास, यमक, श्लेष
  • अर्थालंकार: उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति
  • उदाहरण: हर अलंकार का एक उदाहरण याद

4. साहित्य (Literature):

  • कवि-कृति: कालिदास-रघुवंश, भवभूति-उत्तररामचरित, बाण-कादम्बरी
  • महाकाव्य: रामायण, महाभारत, रघुवंश
  • नाटक: शाकुन्तलम्, स्वप्नवासवदत्तम्
⏰ Time Management
Section समय रणनीति
MCQs (1) 10-12 min तुरंत answer करें
रिक्त स्थान (2) 8-10 min विभक्ति rules याद रखें
अति लघु (3) 10-12 min एक शब्द/वाक्य में
व्याकरण (4-10) 40-45 min Diagrams बनाएं
गद्यांश (11-14) 25-30 min 2 बार पढ़ें passage
पद्यांश (15-17) 30-35 min भाव समझें
निबंध (18-20) 35-40 min Draft बनाएं पहले
Revision 10-15 min Answer check
✍️ Answer Writing Strategy

एकपदेन उत्तर:

  • केवल एक शब्द (noun/pronoun)
  • संदर्भ अनुसार gender, case, number

पूर्ण वाक्येन उत्तर:

  • Subject + Verb + Object
  • Original वाक्य से ही शब्द लें
  • Complete sentence बनाएं

भाषिक कार्य:

  • कर्तृपदम्: कौन? (Nominative)
  • क्रियापदम्: क्या करता है?
  • विशेषणम्: कैसा? (Adjective)
  • विशेष्यम्: Main noun

निबंध:

  • पहले draft बनाएं (rough)
  • 3-4 paragraphs
  • एक सुभाषित जरूर
  • Simple Sanskrit use करें
🔥 Last 7 Days Strategy

Day-wise Plan:

  • Day 1: सभी संधि नियम revision + 50 उदाहरण practice
  • Day 2: छंद पहचान + गण विभाजन practice
  • Day 3: सभी अलंकार + उदाहरण याद
  • Day 4: विभक्ति प्रयोग + उपपद विभक्ति
  • Day 5: साहित्य (कवि-कृति) + गद्यांश practice
  • Day 6: 3 निबंध तैयार (सत्संगति, भारत, संस्कृत)
  • Day 7: Full revision + important quotes
📝 महत्वपूर्ण सूत्र और नियम

गण सूत्र (अवश्य याद!):

य मा ता रा ज भा न स ल गा
य = ।ऽऽ, मा = ।।।, ता = ऽऽ।, रा = ।ऽ।
ज = ऽ।ऽ, भ = ।।।, न = ऽऽऽ, स = ऽऽ।, ल = ऽ।।, ग = ।।ऽ

विभक्ति उपपद:

उपपद विभक्ति उदाहरण
सह तृतीया रामेण सह
प्रति द्वितीया राजं प्रति
तुल्य षष्ठी पितुः तुल्यः
परितः द्वितीया गृहं परितः
⚠️ Common Mistakes (बचें इनसे!)
  • संधि में confusion: स्वर, व्यंजन, विसर्ग - अलग-अलग नियम
  • गण गणना गलत: 3-3 अक्षर में divide करें
  • विभक्ति errors: सह = तृतीया, प्रति = द्वितीया
  • अलंकार confusion: उपमा में "सदृश", रूपक में "अभेद"
  • गद्यांश से बाहर: passage में जो है वही लिखें
  • निबंध में mixing: एक topic पर stick रहें
  • समय प्रबंधन: हर section को time allocate करें

🌟 अंतिम संदेश:

संस्कृत एक वैज्ञानिक और सुव्यवस्थित भाषा है। नियमित अभ्यास से यह आसान हो जाती है। व्याकरण के नियमों को समझें, रटें नहीं। छंद और अलंकार की पहचान के लिए बहुत practice चाहिए। गद्यांश और पद्यांश को ध्यान से पढ़ें - उत्तर उसी में छुपे होते हैं।

याद रखें: "संस्कृतं नाम दैवी वाक्" - यह देववाणी है, इसका सम्मान करें और मेहनत से पढ़ें!

शुभकामनाः! सफलता अवश्यं प्राप्स्यसि! 🎯📚

श्रेणी: राजस्थान बोर्ड | संस्कृत साहित्य | 2024 | Complete Question Paper
प्रत्येक प्रश्न पहले + विस्तृत उत्तर | Teacher Tips | व्याकरण नियम

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