संवैधानिक संस्थाएं और समकालीन चुनौतियां | Constitutional Bodies & Modern Challenges – UPSC Polity

| जुलाई 16, 2025
लेख 12: संवैधानिक संस्थाएं और समकालीन चुनौतियां

लेख 12: संवैधानिक संस्थाएं और समकालीन चुनौतियां

1. संवैधानिक संस्थाओं का परिचय

संवैधानिक संस्थाओं का महत्व

संवैधानिक संस्थाएं लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक हैं। ये संस्थाएं चेक्स एंड बैलेंसेस की व्यवस्था सुनिश्चित करती हैं और सरकार की जवाबदेही तय करती हैं।

संवैधानिक संस्थाओं की विशेषताएं:

  • संवैधानिक आधार: संविधान में स्पष्ट प्रावधान
  • स्वतंत्रता: सरकार से स्वतंत्र कार्यप्रणाली
  • जवाबदेही: संसद के प्रति उत्तरदायी
  • निष्पक्षता: गैर-राजनीतिक संचालन

संस्थाओं का वर्गीकरण

मुख्य श्रेणियां:

  • वित्तीय संस्थाएं: CAG, वित्त आयोग
  • सेवा संस्थाएं: UPSC, राज्य PSC
  • न्यायिक संस्थाएं: न्यायपालिका
  • निगरानी संस्थाएं: CVC, CIC, NHRC
  • नीति संस्थाएं: नीति आयोग

2. नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG)

संवैधानिक स्थिति

अनुच्छेद 148-151:

  • नियुक्ति: राष्ट्रपति द्वारा
  • कार्यकाल: 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु
  • हटाना: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समान
  • वेतन: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समान

CAG के कार्य

मुख्य कार्य:

  • ऑडिट: केंद्र और राज्य सरकारों का
  • रिपोर्ट: राष्ट्रपति और राज्यपाल को
  • सरकारी कंपनियों का ऑडिट: PSU और सरकारी उपक्रम
  • अनुदान पर नियंत्रण: केंद्र से राज्य को

ऑडिट के प्रकार

तीन प्रकार का ऑडिट:

  • वित्तीय ऑडिट: खातों की जांच
  • अनुपालन ऑडिट: नियमों का पालन
  • प्रदर्शन ऑडिट: योजनाओं की प्रभावशीलता

CAG की स्वतंत्रता

स्वतंत्रता की गारंटी:

  • कार्यकाल सुरक्षा: निश्चित अवधि
  • वेतन सुरक्षा: कार्यकाल में कमी नहीं
  • स्वतंत्र बजट: संसद द्वारा अनुमोदित
  • सीधी पहुंच: राष्ट्रपति से

3. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)

संवैधानिक आधार

अनुच्छेद 315-323:

  • गठन: एक अध्यक्ष और सदस्य
  • नियुक्ति: राष्ट्रपति द्वारा
  • कार्यकाल: 6 वर्ष या 65 वर्ष
  • हटाना: राष्ट्रपति द्वारा

UPSC के कार्य

मुख्य कार्य:

  • परीक्षा आयोजन: सिविल सेवा परीक्षा
  • साक्षात्कार: उम्मीदवारों का चयन
  • पदोन्नति: सिविल सेवकों की
  • अनुशासनात्मक कार्रवाई: सिविल सेवकों पर

सिविल सेवा परीक्षा

परीक्षा की संरचना:

  • प्रारंभिक परीक्षा: वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • मुख्य परीक्षा: वर्णनात्मक प्रश्न
  • व्यक्तित्व परीक्षण: साक्षात्कार
  • सेवा आवंटन: योग्यता के आधार पर

UPSC की स्वतंत्रता

स्वायत्तता के उपाय:

  • कार्यकाल की सुरक्षा
  • वेतन और भत्ते संसद द्वारा निर्धारित
  • सिविल सेवा नियमों में भागीदारी
  • वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना

4. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)

स्थापना और आधार

मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993:

  • स्थापना: 12 अक्टूबर 1993
  • अध्यक्ष: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश
  • सदस्य: 4 पूर्णकालिक सदस्य
  • कार्यकाल: 3 वर्ष या 70 वर्ष

NHRC के कार्य

मुख्य कार्य:

  • शिकायत जांच: मानवाधिकार उल्लंघन की
  • स्वतः संज्ञान: समाचार के आधार पर
  • जेल दौरा: जेलों की स्थिति देखना
  • अध्ययन और अनुसंधान: मानवाधिकार पर

NHRC की शक्तियां

न्यायालय की शक्तियां:

  • सम्मन जारी करना
  • गवाहों की जांच
  • दस्तावेज मांगना
  • अंतरिम राहत देना

NHRC की सीमाएं

मुख्य सीमाएं:

  • सिफारिश मात्र: बाध्यकारी शक्ति नहीं
  • सेना पर अधिकार क्षेत्र नहीं
  • 1 वर्ष की सीमा: पुराने मामले नहीं
  • राज्य सरकारों पर निर्भरता

5. केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) और RTI अधिनियम

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

RTI अधिनियम की मुख्य विशेषताएं:

  • लागू: 12 अक्टूबर 2005
  • उद्देश्य: सूचना की पहुंच
  • शुल्क: न्यूनतम
  • समय सीमा: 30 दिन

केंद्रीय सूचना आयोग (CIC)

CIC की संरचना:

  • मुख्य सूचना आयुक्त: 1 व्यक्ति
  • सूचना आयुक्त: अधिकतम 10
  • नियुक्ति: राष्ट्रपति द्वारा
  • कार्यकाल: 5 वर्ष या 65 वर्ष

CIC के कार्य

मुख्य कार्य:

  • अपील की सुनवाई
  • शिकायत निवारण
  • जुर्माना लगाना
  • जागरूकता कार्यक्रम

RTI की सीमाएं

छूट प्राप्त विषय:

  • राष्ट्रीय सुरक्षा
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध
  • व्यक्तिगत जानकारी
  • व्यापारिक रहस्य

6. केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC)

स्थापना और आधार

CVC की स्थापना:

  • स्थापना: 1964 (संतानम समिति की सिफारिश)
  • वैधानिक दर्जा: 2003 में
  • मुख्य सतर्कता आयुक्त: 1 व्यक्ति
  • सतर्कता आयुक्त: अधिकतम 2

CVC के कार्य

मुख्य कार्य:

  • भ्रष्टाचार निरोधी: केंद्र सरकार में
  • CBI पर निरीक्षण: भ्रष्टाचार के मामलों में
  • सतर्कता अधिकारी: नियुक्ति में भूमिका
  • नीति निर्माण: भ्रष्टाचार रोकने के लिए

CVC की शक्तियां

अधिकार क्षेत्र:

  • केंद्र सरकार के कर्मचारी
  • केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम
  • बैंक और वित्तीय संस्थान
  • सहकारी संस्थाएं

CVC की सीमाएं

मुख्य सीमाएं:

  • सलाहकार शक्ति: बाध्यकारी नहीं
  • राज्य सरकार: अधिकार क्षेत्र में नहीं
  • न्यायपालिका: अधिकार क्षेत्र में नहीं
  • प्रधानमंत्री कार्यालय: सीमित अधिकार

7. लोकपाल और लोकायुक्त संस्थान

लोकपाल अधिनियम, 2013

लोकपाल की स्थापना:

  • पारित: 2013 में
  • पहला लोकपाल: न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष (2019)
  • वर्तमान: न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती
  • कार्यकाल: 5 वर्ष या 70 वर्ष

लोकपाल की संरचना

संरचना:

  • अध्यक्ष: 1 व्यक्ति
  • न्यायिक सदस्य: अधिकतम 4
  • गैर-न्यायिक सदस्य: अधिकतम 4
  • कुल सदस्य: अधिकतम 8

लोकपाल के कार्य

मुख्य कार्य:

  • भ्रष्टाचार की जांच: लोक सेवकों के विरुद्ध
  • प्रधानमंत्री: कुछ विषयों को छोड़कर
  • मंत्री और सांसद: सभी पर अधिकार
  • न्यायिक शक्तियां: सुनवाई और निर्णय

लोकायुक्त संस्थान

राज्य स्तर पर:

  • राज्य लोकायुक्त: राज्य के लिए
  • मुख्यमंत्री: अधिकार क्षेत्र में
  • राज्य मंत्री: सभी पर अधिकार
  • स्थानीय निकाय: भी शामिल

8. राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) विवाद

NJAC अधिनियम, 2014

NJAC की संरचना:

  • मुख्य न्यायाधीश: पदेन अध्यक्ष
  • वरिष्ठ न्यायाधीश: 2 व्यक्ति
  • कानून मंत्री: 1 व्यक्ति
  • प्रतिष्ठित व्यक्ति: 2 व्यक्ति

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (2015)

असंवैधानिक घोषणा के कारण:

  • न्यायिक स्वतंत्रता: का हनन
  • न्यायपालिका की प्रधानता: आवश्यक
  • कार्यपालिका का हस्तक्षेप: अनुचित
  • कॉलेजियम प्रणाली: की बहाली

वर्तमान स्थिति

कॉलेजियम प्रणाली:

  • सुप्रीम कोर्ट: 5 वरिष्ठ न्यायाधीश
  • हाई कोर्ट: मुख्य न्यायाधीश + 2 वरिष्ठ
  • पारदर्शिता: में सुधार
  • MOP: मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर

9. वित्त आयोग: 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें

15वां वित्त आयोग (2020-2025)

आयोग की संरचना:

  • अध्यक्ष: एन.के. सिंह
  • कार्यकाल: 2020-2025
  • सदस्य: 4 सदस्य
  • विषय: केंद्र-राज्य वित्तीय संबंध

मुख्य सिफारिशें

कर विभाजन:

  • राज्यों का हिस्सा: 41% (14वें में 42%)
  • कारण: जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा
  • प्रदर्शन प्रोत्साहन: 12.5% भाग
  • जनसंख्या: 1971 और 2011 दोनों का आधार

स्थानीय निकायों के लिए अनुदान

स्थानीय निकाय अनुदान:

  • कुल राशि: ₹4.36 लाख करोड़
  • ग्रामीण निकाय: ₹2.36 लाख करोड़
  • शहरी निकाय: ₹1.20 लाख करोड़
  • स्वास्थ्य अनुदान: ₹70,051 करोड़

विशेष सिफारिशें

नई व्यवस्थाएं:

  • आपदा प्रबंधन: अलग फंड
  • रक्षा आधुनिकीकरण: विशेष फंड
  • डिजिटल इंडिया: के लिए प्रोत्साहन
  • नवाचार: अनुसंधान को बढ़ावा

10. नीति आयोग: योजना आयोग से परिवर्तन

योजना आयोग से नीति आयोग

परिवर्तन के कारण:

  • केंद्रीकृत योजना: की असफलता
  • राज्यों की भूमिका: सीमित
  • नई आर्थिक नीति: की आवश्यकता
  • सहकारी संघवाद: को बढ़ावा

नीति आयोग की संरचना

संरचना:

  • अध्यक्ष: प्रधानमंत्री
  • उपाध्यक्ष: प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त
  • पूर्णकालिक सदस्य: विशेषज्ञ
  • पदेन सदस्य: सभी राज्यों के मुख्यमंत्री

नीति आयोग के कार्य

मुख्य कार्य:

  • नीति निर्माण: दीर्घकालिक दृष्टिकोण
  • सहकारी संघवाद: को बढ़ावा
  • ज्ञान केंद्र: research और नवाचार
  • निगरानी: योजनाओं की

योजना आयोग vs नीति आयोग

विशेषता योजना आयोग नीति आयोग
स्थापना 1950 2015
प्रकृति केंद्रीकृत सहकारी
राज्यों की भूमिका सीमित महत्वपूर्ण
बजट आवंटन था नहीं
फोकस पंचवर्षीय योजना दीर्घकालिक रणनीति

11. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005

NDMA की स्थापना:

  • अध्यक्ष: प्रधानमंत्री
  • उपाध्यक्ष: प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त
  • सदस्य: अधिकतम 9
  • कार्यकाल: 5 वर्ष

NDMA के कार्य

मुख्य कार्य:

  • नीति निर्माण: आपदा प्रबंधन
  • दिशा-निर्देश: राज्य और जिला स्तर पर
  • समन्वय: केंद्रीय मंत्रालयों के साथ
  • अनुसंधान: आपदा से बचाव

आपदा प्रबंधन चक्र

चार चरण:

  • शमन (Mitigation): जोखिम कम करना
  • तैयारी (Preparedness): आपदा के लिए तैयारी
  • प्रतिक्रिया (Response): आपदा के दौरान
  • पुनर्प्राप्ति (Recovery): आपदा के बाद

COVID-19 में NDMA की भूमिका

महामारी प्रबंधन:

  • लॉकडाउन: की घोषणा
  • दिशा-निर्देश: स्वास्थ्य के लिए
  • राज्य समन्वय: केंद्र-राज्य सहयोग
  • आर्थिक पैकेज: में सहायता

12. समसामयिक मुद्दे: डिजिटल इंडिया, आधार, साइबर कानून

डिजिटल इंडिया मिशन

डिजिटल इंडिया के स्तंभ:

  • डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: ब्रॉडबैंड हाईवे
  • गवर्नेंस और सेवाएं: ऑनलाइन
  • डिजिटल साक्षरता: नागरिक सशक्तिकरण

आधार व्यवस्था

आधार की विशेषताएं:

  • 12 अंकों की संख्या: यूनिक आइडेंटिफिकेशन
  • बायोमेट्रिक डेटा: फिंगरप्रिंट और आईरिस
  • डेमोग्राफिक डेटा: नाम, पता, जन्मतिथि
  • UIDAI: यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी

आधार और निजता

न्यायिक निर्णय (2018):

  • सशर्त वैधता: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
  • कल्याणकारी योजना: के लिए अनिवार्य
  • बैंक खाता: के लिए अनिवार्य नहीं
  • स्कूल एडमिशन: के लिए अनिवार्य नहीं

साइबर कानून

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम:

  • IT अधिनियम 2000: मूल कानून
  • संशोधन 2008: साइबर अपराध
  • डेटा संरक्षण: व्यक्तिगत डेटा
  • साइबर सुरक्षा: राष्ट्रीय नीति

13. संविधान के हाल के संशोधन

हाल के संशोधन (2019-2024)

प्रमुख संशोधन:

  • 103वां संशोधन (2019): आर्थिक आरक्षण
  • 104वां संशोधन (2020): आंग्ल-भारतीय आरक्षण समाप्ति
  • 105वां संशोधन (2021): OBC आयोग को संवैधानिक दर्जा

103वां संशोधन: आर्थिक आरक्षण

मुख्य प्रावधान:

  • 10% आरक्षण: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग
  • आय सीमा: ₹8 लाख सालाना
  • संपत्ति सीमा: विभिन्न श्रेणियों में
  • SC/ST/OBC: को छोड़कर

105वां संशोधन: OBC आयोग

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग:

  • संवैधानिक दर्जा: अनुच्छेद 338B
  • अध्यक्ष और सदस्य: राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त
  • कार्यकाल: 3 वर्ष
  • अधिकार: SC/ST आयोग के समान

14. भविष्य की चुनौतियां

संस्थागत चुनौतियां

मुख्य चुनौतियां:

  • न्यायिक बैकलॉग: मामलों का लंबित होना
  • भ्रष्टाचार: सरकारी तंत्र में
  • नौकरशाही: की धीमी गति
  • राजनीतिक हस्तक्षेप: संस्थाओं में

तकनीकी चुनौतियां

डिजिटल युग की समस्याएं:

  • साइबर सुरक्षा: डेटा की सुरक्षा
  • डिजिटल डिवाइड: तकनीकी असमानता
  • फेक न्यूज: गलत जानकारी
  • प्राइवेसी: व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा

सामाजिक चुनौतियां

समसामयिक मुद्दे:

  • असमानता: आर्थिक और सामाजिक
  • पर्यावरण: जलवायु परिवर्तन
  • जनसांख्यिकी: युवा बेरोजगारी
  • शहरीकरण: अनियोजित विकास

15. Practice Questions

प्रश्न 1: CAG की संवैधानिक स्थिति, कार्यों और स्वतंत्रता का मूल्यांकन करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • अनुच्छेद 148-151 के तहत संवैधानिक आधार
  • नियुक्ति प्रक्रिया और कार्यकाल
  • ऑडिट के तीन प्रकार
  • स्वतंत्रता की गारंटी
  • पारदर्शिता और जवाबदेही में भूमिका

प्रश्न 2: RTI अधिनियम और CIC की भूमिका का विश्लेषण करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • RTI अधिनियम 2005 के मुख्य प्रावधान
  • CIC की संरचना और कार्य
  • अपील और शिकायत निवारण
  • सूचना की पहुंच में सुधार
  • सीमाएं और चुनौतियां

प्रश्न 3: लोकपाल संस्थान की प्रभावशीलता पर चर्चा करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • लोकपाल अधिनियम 2013 के प्रावधान
  • संरचना और शक्तियां
  • भ्रष्टाचार निवारण में भूमिका
  • व्यावहारिक समस्याएं
  • सुधार के सुझाव

प्रश्न 4: नीति आयोग और योजना आयोग के बीच अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • योजना आयोग की सीमाएं
  • नीति आयोग की स्थापना के कारण
  • संरचना और कार्यप्रणाली में अंतर
  • सहकारी संघवाद को बढ़ावा
  • नई आर्थिक नीति में भूमिका

16. FAQ

Q1: CAG की स्वतंत्रता कैसे सुनिश्चित की गई है?

CAG की स्वतंत्रता निम्न उपायों से सुनिश्चित की गई है: निश्चित कार्यकाल (6 वर्ष), सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समान हटाने की प्रक्रिया, वेतन में कार्यकाल के दौरान कमी नहीं, और सीधे राष्ट्रपति को रिपोर्ट।

Q2: RTI अधिनियम में कौन से विषय छूट प्राप्त हैं?

RTI में राष्ट्रीय सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, व्यक्तिगत जानकारी, व्यापारिक रहस्य, कैबिनेट की बैठक, और न्यायिक प्रक्रिया से संबंधित विषय छूट प्राप्त हैं।

Q3: NJAC क्यों असंवैधानिक घोषित किया गया?

सुप्रीम कोर्ट ने NJAC को असंवैधानिक घोषित किया क्योंकि यह न्यायिक स्वतंत्रता का हनन करता है। न्यायिक नियुक्तियों में न्यायपालिका की प्रधानता आवश्यक है, और कार्यपालिका का अधिक हस्तक्षेप अनुचित है।

Q4: 15वें वित्त आयोग की मुख्य सिफारिशें क्या हैं?

15वें वित्त आयोग ने राज्यों को 41% कर हिस्सा, स्थानीय निकायों को ₹4.36 लाख करोड़, आपदा प्रबंधन के लिए अलग फंड, और प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन की सिफारिश की है।

Q5: नीति आयोग योजना आयोग से कैसे अलग है?

नीति आयोग में राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है, यह बजट आवंटन नहीं करता, दीर्घकालिक रणनीति पर फोकस करता है, और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है। योजना आयोग केंद्रीकृत था और पंचवर्षीय योजना पर फोकस करता था।

Q6: NDMA की भूमिका क्या है?

NDMA आपदा प्रबंधन नीति बनाता है, राज्य और जिला स्तर पर दिशा-निर्देश देता है, केंद्रीय मंत्रालयों के साथ समन्वय करता है, और आपदा से बचाव के लिए अनुसंधान करता है।

Q7: 103वें संशोधन में क्या प्रावधान है?

103वें संशोधन में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण का प्रावधान है। यह ₹8 लाख सालाना आय सीमा के साथ SC/ST/OBC को छोड़कर सभी के लिए लागू है।

Q8: आधार की संवैधानिक स्थिति क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में आधार को सशर्त वैधता दी है। यह कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य है, लेकिन बैंक खाता खोलने और स्कूल एडमिशन के लिए अनिवार्य नहीं है।

17. निष्कर्ष

संवैधानिक संस्थाओं की उपलब्धियां:

  • पारदर्शिता में वृद्धि: RTI और CAG के माध्यम से
  • भ्रष्टाचार नियंत्रण: CVC और लोकपाल
  • मानवाधिकार संरक्षण: NHRC की भूमिका
  • वित्तीय अनुशासन: वित्त आयोग की सिफारिशें
  • नीति निर्माण: नीति आयोग का योगदान

वर्तमान चुनौतियां:

  • संस्थागत स्वतंत्रता: राजनीतिक हस्तक्षेप
  • संसाधन की कमी: अपर्याप्त बजट और स्टाफ
  • तकनीकी चुनौतियां: डिजिटल युग की समस्याएं
  • कार्यान्वयन की समस्या: सिफारिशों का पालन
  • जनजागरूकता: नागरिकों की जानकारी की कमी

भविष्य की दिशा:

  • डिजिटल गवर्नेंस: प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग
  • पारदर्शिता में सुधार: ऑनलाइन सेवाएं
  • संस्थागत सुधार: नई चुनौतियों के लिए तैयारी
  • नागरिक भागीदारी: जनसहभागिता में वृद्धि
  • वैश्विक मानक: अंतर्राष्ट्रीय best practices

मुख्य संदेश:

संवैधानिक संस्थाएं भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ हैं। CAG, UPSC, NHRC, CIC, CVC, और लोकपाल जैसी संस्थाएं सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करती हैं। हालांकि चुनौतियां हैं, लेकिन निरंतर सुधार से इन संस्थाओं की प्रभावशीलता बढ़ाई जा सकती है।

डिजिटल इंडिया, आधार व्यवस्था, और साइबर कानून जैसे समसामयिक मुद्दे नई चुनौतियां लाते हैं। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें और नीति आयोग का गठन सकारात्मक कदम हैं।

भविष्य में इन संस्थाओं को तकनीकी विकास, बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, और नागरिकों की बढ़ती अपेक्षाओं के अनुकूल बनना होगा। मजबूत संस्थाएं ही स्वस्थ लोकतंत्र की गारंटी हैं।

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