संघवाद और केंद्र-राज्य संबंध | Indian Federalism & Centre-State Relations for UPSC

| जुलाई 16, 2025
लेख 8: संघवाद और केंद्र-राज्य संबंध

लेख 8: संघवाद और केंद्र-राज्य संबंधों की गतिशीलता

1. भारतीय संघवाद की विशेषताएं

अर्ध-संघीय संरचना

भारत की राजनीतिक व्यवस्था को "अर्ध-संघीय" कहा जाता है। यह संघीय और एकात्मक दोनों विशेषताओं का मिश्रण है।

संघीय विशेषताएं:

  • लिखित संविधान
  • शक्तियों का विभाजन
  • द्विसदनीय विधायिका
  • स्वतंत्र न्यायपालिका
  • संविधान की सर्वोच्चता

एकात्मक विशेषताएं:

  • एकल संविधान
  • एकल नागरिकता
  • एकीकृत न्यायपालिका
  • राज्यपाल की केंद्रीय नियुक्ति
  • अखिल भारतीय सेवाएं
  • आपातकालीन प्रावधान

मुख्य तथ्य:

भारत को "Union of States" कहा गया है, न कि "Federation of States"। यह शब्द चुनाव जानबूझकर किया गया है।

2. शक्तियों का विभाजन

सातवीं अनुसूची - तीन सूचियां

भारतीय संविधान में शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों में किया गया है:

सूची विषयों की संख्या मुख्य विषय
संघ सूची 100 रक्षा, विदेश नीति, रेलवे, मुद्रा
राज्य सूची 61 पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि
समवर्ती सूची 52 शिक्षा, वन, श्रम, न्यायिक

संघ सूची के प्रमुख विषय:

  • रक्षा (सेना, नौसेना, वायु सेना)
  • विदेश नीति और राजनयिक संबंध
  • रेलवे और हवाई परिवहन
  • मुद्रा, सिक्का और बैंकिंग
  • डाक-तार और टेलीफोन
  • आयात-निर्यात और सीमा शुल्क
  • प्रमुख बंदरगाह और हवाई अड्डे

राज्य सूची के प्रमुख विषय:

  • पुलिस और कानून व्यवस्था
  • स्वास्थ्य और सफाई
  • प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा
  • कृषि और भूमि सुधार
  • स्थानीय शासन (पंचायत, नगरपालिका)
  • सिंचाई और जल संसाधन
  • न्यायपालिका (सुप्रीम कोर्ट को छोड़कर)

समवर्ती सूची के प्रमुख विषय:

  • उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा
  • वन और वन्यजीव संरक्षण
  • श्रम और ट्रेड यूनियन
  • दंड प्रक्रिया संहिता
  • मूल्य नियंत्रण
  • न्यायालय की अवमानना
  • सामाजिक सुरक्षा

Memory Trick:

"संराज समझ" = संघ सूची (100), राज्य सूची (61), समवर्ती सूची (52)

अवशिष्ट शक्तियां

अनुच्छेद 248:

जो विषय तीनों सूचियों में शामिल नहीं हैं, वे केंद्र सरकार के पास हैं।

उदाहरण: साइबर अपराध, अंतरिक्ष कानून, परमाणु ऊर्जा

समवर्ती सूची में विरोध

अनुच्छेद 254:

यदि समवर्ती सूची के विषय पर केंद्र और राज्य के कानून में विरोध हो, तो केंद्रीय कानून प्रभावी होगा।

3. आपातकालीन प्रावधान

तीन प्रकार के आपातकाल

प्रकार अनुच्छेद आधार
राष्ट्रीय आपातकाल 352 युद्ध, बाहरी आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह
राज्य आपातकाल 356 संवैधानिक तंत्र की विफलता
वित्तीय आपातकाल 360 वित्तीय स्थिरता को खतरा

अनुच्छेद 356 - राष्ट्रपति शासन

एस.आर. बोम्मई मामला (1994) - महत्वपूर्ण निर्णय:

  • राष्ट्रपति शासन की न्यायिक समीक्षा संभव
  • राज्य सरकार को सबूत का अवसर देना जरूरी
  • राज्य विधानसभा का विघटन अनिवार्य नहीं
  • दुरुपयोग पर न्यायिक नियंत्रण

दुरुपयोग के आंकड़े:

1950-2022 तक: 125 बार राष्ट्रपति शासन लगा

सबसे अधिक: 1980-1989 के दौरान (26 बार)

4. राज्यसभा की विशेष शक्तियां

अनुच्छेद 249 - राष्ट्रीय हित में राज्य सूची पर कानून

प्रक्रिया:

  • राज्यसभा के 2/3 बहुमत से प्रस्ताव
  • विषय राष्ट्रीय हित में है की घोषणा
  • अधिकतम 1 वर्ष की अवधि
  • हर साल नवीनीकरण जरूरी

अनुच्छेद 252 - दो या अधिक राज्यों के लिए कानून

यदि दो या अधिक राज्य चाहें, तो संसद उनके लिए राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।

उदाहरण: जल विवाद अधिनियम, वन संरक्षण अधिनियम

5. अंतर-राज्यीय सहयोग संस्थाएं

अंतर-राज्यीय परिषद

अनुच्छेद 263 के तहत गठन:

  • अध्यक्ष: प्रधानमंत्री
  • सदस्य: सभी राज्यों के मुख्यमंत्री
  • कार्य: केंद्र-राज्य विवादों की जांच
  • प्रकृति: सलाहकार संस्था

क्षेत्रीय परिषदें

5 क्षेत्रीय परिषदें (1956 में स्थापित):

  • उत्तरी: दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान
  • मध्य: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड
  • पूर्वी: बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम
  • पश्चिमी: गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, दमन-दीव, दादरा-नगर हवेली
  • दक्षिणी: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना

नीति आयोग

योजना आयोग से नीति आयोग (2015):

  • अध्यक्ष: प्रधानमंत्री
  • उपाध्यक्ष: प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त
  • सदस्य: सभी राज्यों के मुख्यमंत्री
  • लक्ष्य: सहकारी संघवाद को बढ़ावा

6. वित्तीय संघवाद

वित्त आयोग

अनुच्छेद 280 के तहत गठन:

  • कार्यकाल: 5 वर्ष
  • सदस्य: 1 अध्यक्ष + 4 सदस्य
  • मुख्य कार्य: केंद्र-राज्य कर विभाजन
  • वर्तमान: 15वां वित्त आयोग (2020-2025)

15वें वित्त आयोग की सिफारिशें

  • राज्यों को केंद्रीय करों से 41% हिस्सा
  • स्थानीय निकायों को ₹4.36 लाख करोड़
  • आपदा प्रबंधन के लिए अलग फंड
  • प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन

कर विभाजन

कर का प्रकार संग्रह वितरण
केंद्रीय कर केंद्र केंद्र को मिलता है
राज्य कर राज्य राज्य को मिलता है
विभाज्य कर केंद्र केंद्र + राज्य

7. GST परिषद और सहकारी संघवाद

GST परिषद का गठन

101वां संविधान संशोधन (2016) - अनुच्छेद 279A:

  • अध्यक्ष: केंद्रीय वित्त मंत्री
  • सदस्य: सभी राज्यों के वित्त मंत्री
  • वोटिंग: केंद्र 1/3, राज्य 2/3
  • कार्य: GST दरों का निर्धारण

GST का प्रभाव

सहकारी संघवाद का उदाहरण:

  • "One Nation, One Tax" का सिद्धांत
  • केंद्र और राज्यों का सहयोग
  • एकीकृत कर व्यवस्था
  • निर्णय लेने की साझा प्रक्रिया

8. जल विवाद न्यायाधिकरण

अनुच्छेद 262

जल विवाद न्यायाधिकरण की विशेषताएं:

  • संसद की शक्ति से गठन
  • अंतिम और बाध्यकारी निर्णय
  • न्यायालय का क्षेत्राधिकार सीमित
  • केवल अंतर-राज्यीय जल विवाद

प्रमुख जल विवाद

  • कावेरी: कर्नाटक vs तमिलनाडु
  • कृष्णा: महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश
  • नर्मदा: गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र
  • रावी-व्यास: पंजाब, हरियाणा, राजस्थान

9. भाषायी राज्यों का गठन

राज्य पुनर्गठन की टाइमलाइन

  • 1953: आंध्र प्रदेश (भाषा के आधार पर पहला राज्य)
  • 1956: राज्य पुनर्गठन अधिनियम
  • 1960: गुजरात और महाराष्ट्र अलग
  • 1966: पंजाब और हरियाणा अलग
  • 2000: छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड
  • 2014: तेलंगाना (29वां राज्य)

नए राज्यों की मांग

  • गोरखालैंड (पश्चिम बंगाल से)
  • बोडोलैंड (असम से)
  • विदर्भ (महाराष्ट्र से)
  • हरित प्रदेश (उत्तर प्रदेश से)
  • कोसल (ओडिशा से)

10. विशेष राज्य का दर्जा - अनुच्छेद 371

राज्य अनुच्छेद विशेष प्रावधान
महाराष्ट्र 371 विदर्भ और मराठवाड़ा का विकास
गुजरात 371 सौराष्ट्र और कच्छ का विकास
नागालैंड 371A धर्म, सामाजिक प्रथाएं, भूमि अधिकार
असम 371B जनजातीय क्षेत्रों का संरक्षण
मणिपुर 371C पहाड़ी क्षेत्रों का संरक्षण
आंध्र प्रदेश 371D तेलंगाना अलग होने के बाद
सिक्किम 371F विशेष राज्य का दर्जा
मिजोरम 371G धार्मिक और सामाजिक प्रथाएं
अरुणाचल प्रदेश 371H राज्यपाल की विशेष जिम्मेदारी
गोवा 371I विधानसभा का आकार
कर्नाटक 371J हैदराबाद-कर्नाटक का विकास

Memory Trick:

"महागुनाअमासिमिअगोकर" - महाराष्ट्र, गुजरात, नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, कर्नाटक

11. महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय

केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973):

संघवाद संविधान के आधारभूत ढांचे का हिस्सा है। संघीय संरचना को बदला नहीं जा सकता।

एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994):

अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग पर रोक। राज्य स्वायत्तता को मजबूती मिली।

State of West Bengal v. Union of India (1963):

भारत एक "Union of States" है, न कि Federation। भारतीय संघ अविनाशी है।

12. समसामयिक घटनाएं

2019-2024 की प्रमुख घटनाएं

  • जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (2019): राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजन
  • CAA विरोध (2019-20): केंद्र-राज्य संबंधों पर प्रभाव
  • कृषि कानून विवाद (2020-21): समवर्ती सूची के विषय पर संघर्ष
  • COVID-19 प्रबंधन (2020-22): केंद्र-राज्य सहयोग
  • GST मुआवजा विवाद (2020-22): राज्यों के राजस्व संकट

अनुच्छेद 370 का निरसन

संवैधानिक प्रभाव:

  • विशेष दर्जे की संवैधानिक वैधता पर सवाल
  • राज्यों की स्वायत्तता पर चर्चा
  • संघीय संरचना पर प्रभाव
  • सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक समीक्षा

13. Practice Questions

प्रश्न 1: भारत में संघवाद की प्रकृति पर GST परिषद के प्रभाव की चर्चा करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • GST परिषद का गठन और संरचना
  • सहकारी संघवाद का उदाहरण
  • "One Nation, One Tax" का सिद्धांत
  • केंद्र-राज्य सहयोग में वृद्धि

प्रश्न 2: "भारत एक संघ है लेकिन संघीय नहीं।" व्याख्या करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • संविधान में "Union of States" का प्रयोग
  • अर्ध-संघीय संरचना
  • एकात्मक और संघीय विशेषताओं का मिश्रण
  • मजबूत केंद्र की अवधारणा

प्रश्न 3: अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग को रोकने में S.R. Bommai मामले की भूमिका।

उत्तर की रूपरेखा:
  • राष्ट्रपति शासन की न्यायिक समीक्षा
  • राज्य सरकार को सबूत का अवसर
  • विधानसभा विघटन संबंधी दिशानिर्देश
  • राज्य स्वायत्तता की सुरक्षा

14. FAQ

Q1: भारत को अर्ध-संघीय क्यों कहा जाता है?

भारत में संघीय और एकात्मक दोनों विशेषताएं हैं। संघीय: शक्ति विभाजन, द्विसदनीय व्यवस्था। एकात्मक: एकल संविधान, मजबूत केंद्र, आपातकालीन प्रावधान।

Q2: समवर्ती सूची में विरोध की स्थिति में क्या होता है?

अनुच्छेद 254 के तहत केंद्रीय कानून प्रभावी होगा। राष्ट्रपति की सहमति से राज्य का कानून भी चल सकता है।

Q3: अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास क्यों हैं?

राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए। नई तकनीकों और चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र को शक्ति दी गई है।

Q4: GST परिषद में राज्यों का वेटेज क्यों अधिक है?

GST राज्यों की कर स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। इसलिए निर्णय लेने में राज्यों को 2/3 वेटेज दिया गया है।

15. निष्कर्ष

भारतीय संघवाद की मुख्य विशेषताएं:

  • लचीली संरचना: परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलन
  • सहकारी भावना: केंद्र-राज्य सहयोग
  • विविधता में एकता: स्थानीय स्वायत्तता के साथ राष्ट्रीय एकता
  • न्यायिक संरक्षण: संवैधानिक विवादों का समाधान

भविष्य की चुनौतियां:

  • वित्तीय संघवाद में संतुलन
  • डिजिटल युग की नई चुनौतियां
  • पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन
  • सामाजिक न्याय और समानता

मुख्य संदेश:

भारतीय संघवाद एक जीवंत और विकसित हो रही व्यवस्था है। यह विविधता को संभालती है और एकता बनाए रखती है। GST परिषद, नीति आयोग जैसी संस्थाएं सहकारी संघवाद के उदाहरण हैं। भविष्य में इसकी सफलता केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग पर निर्भर करेगी।

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