चुनावी व्यवस्था और राजनीतिक दलों का विनियमन | चुनाव आयोग की भूमिका – UPSC विशेष

| जुलाई 16, 2025
लेख 11: चुनावी व्यवस्था और राजनीतिक दलों का विनियमन

लेख 11: चुनावी व्यवस्था और राजनीतिक दलों का विनियमन

1. चुनावी व्यवस्था का परिचय

लोकतंत्र में चुनाव का महत्व

चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है। यह जनता को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देता है। भारत में वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनाव होते हैं।

चुनाव के मुख्य सिद्धांत:

  • गुप्त मतदान: मतदाता की गोपनीयता
  • समान मतदान: एक व्यक्ति, एक वोट
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव: बिना किसी दबाव के
  • नियमित चुनाव: निर्धारित समय पर

भारतीय चुनाव प्रणाली

चुनाव के प्रकार:

  • लोकसभा चुनाव: प्रत्यक्ष, पहले चरण में बहुमत से जीत (FPTP)
  • राज्यसभा चुनाव: अप्रत्यक्ष, एकल संक्रमणीय मत (STV)
  • विधानसभा चुनाव: प्रत्यक्ष, FPTP प्रणाली
  • राष्ट्रपति चुनाव: अप्रत्यक्ष, आनुपातिक प्रतिनिधित्व

2. चुनाव आयोग: संरचना और स्वतंत्रता

संवैधानिक आधार

अनुच्छेद 324:

  • चुनाव आयोग का गठन: राष्ट्रपति द्वारा
  • चुनाव का अधीक्षण: संसद, राज्य विधानसभाओं के चुनाव
  • शक्तियां: चुनाव संचालन की व्यापक शक्तियां
  • स्वतंत्रता: सरकार से स्वतंत्र संस्था

चुनाव आयोग की संरचना

वर्तमान संरचना:

  • मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC): 1 व्यक्ति
  • चुनाव आयुक्त (EC): 2 व्यक्ति
  • कुल सदस्य: 3 सदस्य
  • गठन: 1950 में एक सदस्यीय, 1993 से तीन सदस्यीय

नियुक्ति और योग्यता

नियुक्ति प्रक्रिया:

  • नियुक्तिकर्ता: राष्ट्रपति
  • सलाह: प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद
  • योग्यता: संविधान में निर्दिष्ट नहीं
  • परंपरा: आमतौर पर IAS अधिकारी या न्यायाधीश

कार्यकाल और सुरक्षा

सेवा शर्तें:

  • कार्यकाल: 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो)
  • वेतन: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समान
  • हटाना: CEC को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समान प्रक्रिया से
  • EC को हटाना: CEC की सिफारिश पर

3. मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की भूमिका

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC)

विशेष अधिकार:

  • प्रथम पंक्ति: चुनाव आयोग का अध्यक्ष
  • मतदान: तीनों सदस्यों में से प्रत्येक का एक मत
  • प्रशासनिक नियंत्रण: आयोग के कार्यों का संचालन
  • अंतिम निर्णय: विवाद की स्थिति में बहुमत से निर्णय

चुनाव आयुक्त (EC)

समान अधिकार:

  • निर्णय में भागीदारी: सभी मामलों में समान मत
  • क्षेत्रीय जिम्मेदारी: राज्यों का विभाजन
  • विशेष कार्य: EVM, VVPAT, प्रशिक्षण आदि
  • समान सुरक्षा: CEC के समान वेतन और सुरक्षा

चुनाव आयोग की शक्तियां

मुख्य शक्तियां:

  • चुनाव कार्यक्रम: तिथि निर्धारण और घोषणा
  • आचार संहिता: मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट
  • उम्मीदवार की जांच: नामांकन पत्र की जांच
  • चुनाव रद्द करना: गड़बड़ी की स्थिति में
  • मान्यता: राजनीतिक दलों की मान्यता

4. निर्वाचन की प्रक्रिया

चुनाव की घोषणा

चुनाव कार्यक्रम:

  • चुनाव की घोषणा: प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से
  • नामांकन की तिथि: फॉर्म भरने की अंतिम तारीख
  • जांच की तिथि: नामांकन पत्र की जांच
  • वापसी की तिथि: उम्मीदवारी वापस लेने की तारीख
  • मतदान की तिथि: वोटिंग का दिन
  • मतगणना: परिणाम घोषणा

नामांकन प्रक्रिया

नामांकन की आवश्यकताएं:

  • नामांकन पत्र: निर्धारित फॉर्म में
  • प्रस्तावक: संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के 10 मतदाता
  • जमानत राशि: लोकसभा ₹25,000, विधानसभा ₹10,000
  • आवश्यक दस्तावेज: आधार कार्ड, PAN कार्ड, हलफनामा

मतदान प्रक्रिया

मतदान के चरण:

  • मतदाता की पहचान: EPIC कार्ड या अन्य दस्तावेज
  • अंगुली पर निशान: अमिट स्याही
  • बैलेट यूनिट: EVM पर मतदान
  • VVPAT रसीद: मतदान की पुष्टि
  • मतदान का समय: सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक

मतगणना और परिणाम

मतगणना प्रक्रिया:

  • EVM की सील खोलना: उम्मीदवारों या एजेंटों की उपस्थिति में
  • मतगणना: EVM से सीधे परिणाम
  • VVPAT की जांच: 5 EVM में से 1 की जांच
  • परिणाम घोषणा: रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा

5. EVM और VVPAT: तकनीकी सुधार

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM)

EVM की विशेषताएं:

  • दो भाग: बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट
  • बैटरी संचालित: बिजली की आवश्यकता नहीं
  • मतदान की गति: 5 मत प्रति मिनट
  • सुरक्षा: हैकिंग से पूर्णतः सुरक्षित

VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail)

VVPAT की विशेषताएं:

  • मतदान की पुष्टि: मतदाता अपना मत देख सकता है
  • कागजी रसीद: 7 सेकंड तक दिखाई देती है
  • सुरक्षित बॉक्स: रसीद सुरक्षित बॉक्स में गिरती है
  • ऑडिट: परिणाम की जांच के लिए

EVM के फायदे

मुख्य लाभ:

  • तेज परिणाम: मतगणना में कम समय
  • कम लागत: बैलेट पेपर की बचत
  • पर्यावरण अनुकूल: कागज की बचत
  • सटीकता: गणना में त्रुटि की संभावना कम

EVM संबंधी विवाद

मुख्य आपत्तियां:

  • हैकिंग की आशंका: तकनीकी सुरक्षा पर सवाल
  • पारदर्शिता: मतदाता की पुष्टि की मांग
  • विदेशी हस्तक्षेप: साइबर अटैक की संभावना
  • राजनीतिक विरोध: हार के बाद EVM पर आरोप

6. NOTA (None of the Above)

NOTA का परिचय

NOTA की शुरुआत:

  • वर्ष: 2013 में शुरुआत
  • सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: मतदाता के अधिकार के लिए
  • स्थान: बैलेट पेपर/EVM में अंतिम विकल्प
  • प्रतीक: बैलेट पेपर का निशान

NOTA का महत्व

मुख्य लाभ:

  • नकारात्मक मतदान: किसी भी उम्मीदवार से असंतुष्टि
  • मतदान की गुणवत्ता: बेहतर उम्मीदवार की मांग
  • लोकतांत्रिक अधिकार: मतदाता की पसंद
  • राजनीतिक संदेश: दलों के लिए चेतावनी

NOTA की सीमाएं

व्यावहारिक समस्याएं:

  • कोई कानूनी प्रभाव नहीं: चुनाव परिणाम पर प्रभाव नहीं
  • विजेता वही: सबसे अधिक मत पाने वाला उम्मीदवार
  • री-इलेक्शन नहीं: दोबारा चुनाव की व्यवस्था नहीं
  • सीमित प्रभाव: केवल मतदाता की भावना दिखाता है

7. चुनावी सुधार

चुनावी लागत की समस्या

बढ़ती लागत के कारण:

  • प्रचार की लागत: मीडिया, रैलियां, पोस्टर
  • परिवहन व्यय: कार्यकर्ताओं की आवाजाही
  • काला धन: अवैध धन का उपयोग
  • उपहार वितरण: मतदाताओं को प्रलोभन

चुनावी अपराधीकरण

मुख्य समस्याएं:

  • आपराधिक पृष्ठभूमि: अपराधी उम्मीदवार
  • धन और बाहुबल: गलत तरीकों से जीत
  • मतदाता डराना: धमकी और हिंसा
  • न्यायिक प्रक्रिया: मामलों में देरी

सुझाए गए सुधार

प्रमुख सुधार:

  • राज्य के खर्च पर चुनाव: उम्मीदवारों की लागत कम करना
  • आनुपातिक प्रतिनिधित्व: दलों को मतों के अनुपात में सीटें
  • चुनावी ट्रिब्यूनल: तेज न्यायिक प्रक्रिया
  • पारदर्शिता: चुनावी खर्च की पूर्ण जानकारी

8. राजनीतिक दलों का पंजीकरण

पंजीकरण की प्रक्रिया

आवश्यक शर्तें:

  • 50 सदस्य: न्यूनतम सदस्यता
  • गठन का प्रमाण: संविधान और नियम
  • मुख्यालय: स्थायी पता
  • प्रतीक: चुनावी प्रतीक की मांग

पंजीकृत दल के लाभ

मुख्य सुविधाएं:

  • चुनावी प्रतीक: आरक्षित या मुक्त प्रतीक
  • कानूनी मान्यता: न्यायालय में मान्यता
  • चुनावी सुविधाएं: मतदान एजेंट की नियुक्ति
  • वित्तीय लाभ: चंदे में कर छूट

राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल

दल का प्रकार शर्तें लाभ
राष्ट्रीय दल 4 राज्यों में 6% मत या 2% लोकसभा सीट सभी राज्यों में आरक्षित प्रतीक
राज्य दल विधानसभा में 6% मत या 2 सीट राज्य में आरक्षित प्रतीक
पंजीकृत दल केवल पंजीकरण शर्तें मुक्त प्रतीक

9. चुनावी बांड विवाद

चुनावी बांड योजना

मुख्य विशेषताएं:

  • शुरुआत: 2018 में लॉन्च
  • खरीद: केवल SBI से
  • डिनॉमिनेशन: ₹1,000 से ₹1 करोड़ तक
  • वैधता: 15 दिन

चुनावी बांड के फायदे

सरकार के तर्क:

  • डिजिटल लेन-देन: काले धन पर नियंत्रण
  • दाता की सुरक्षा: पहचान की गुमनामी
  • पारदर्शिता: बैंकिंग चैनल के माध्यम से
  • KYC आवश्यकता: खरीदार की पहचान

चुनावी बांड पर आपत्तियां

मुख्य आरोप:

  • गुमनामी: दाता की पहचान छुपाना
  • भ्रष्टाचार: कॉर्पोरेट डोनेशन में वृद्धि
  • RTI से छूट: सूचना का अधिकार नहीं
  • चुनावी समानता: सत्तारूढ़ दल को फायदा

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (2024)

न्यायालय के आदेश:

  • असंवैधानिक घोषणा: चुनावी बांड योजना समाप्त
  • सूचना का अधिकार: दाता की जानकारी सार्वजनिक
  • चुनाव आयोग को निर्देश: पूरी जानकारी वेबसाइट पर
  • राजनीतिक दल: बांड से मिली राशि वापस करने का आदेश

10. दल-बदल निरोधक कानून

दसवीं अनुसूची (1985)

मुख्य प्रावधान:

  • स्वैच्छिक त्याग: दल छोड़ने पर अयोग्यता
  • मतदान में विरोध: पार्टी व्हिप के विरुद्ध
  • निष्कासन: दल द्वारा निकाले जाने पर
  • निर्णय अधिकारी: स्पीकर/चेयरमैन

दल-बदल की परिभाषा

अयोग्यता के आधार:

  • स्वैच्छिक त्याग: अपने दल की सदस्यता छोड़ना
  • व्हिप उल्लंघन: दल के निर्देश के विरुद्ध वोट
  • निष्कासन: दल द्वारा निकाला जाना
  • निर्दलीय सदस्य: बाद में किसी दल में शामिल होना

अपवाद (छूट)

दल-बदल की छूट:

  • 1/3 सदस्य: यदि दल का 1/3 सदस्य दल-बदल करे
  • विलय: दो दलों का विलय
  • अध्यक्ष/उपाध्यक्ष: पद स्वीकार करने पर
  • दल विभाजन: दल का विभाजन (अब समाप्त)

न्यायिक व्याख्या

महत्वपूर्ण निर्णय:

  • किहोतो होलोहन मामला (1992): दसवीं अनुसूची की संवैधानिक वैधता
  • राजेंद्र सिंह राणा मामला (2007): त्वरित निर्णय की आवश्यकता
  • केसरी बालाजी मामला (2021): स्पीकर की भूमिका
  • शिवसेना विभाजन मामला (2023): व्हिप का महत्व

11. मतदाता सूची और EPIC कार्ड

मतदाता सूची तैयार करना

पंजीकरण प्रक्रिया:

  • न्यूनतम आयु: 18 वर्ष (1 जनवरी को)
  • निवास प्रमाण: संबंधित क्षेत्र में निवास
  • दस्तावेज: आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि
  • फॉर्म 6: नए मतदाता के लिए

EPIC कार्ड की विशेषताएं

मुख्य विशेषताएं:

  • पूरा नाम: Electors Photo Identity Card
  • यूनिक ID: प्रत्येक मतदाता का अलग नंबर
  • फोटो: मतदाता की तस्वीर
  • होलोग्राम: सुरक्षा के लिए

मतदाता सूची का संशोधन

वार्षिक संशोधन:

  • समय: प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी
  • नाम जोड़ना: नए मतदाता
  • नाम हटाना: मृत व्यक्ति, स्थानांतरण
  • सुधार: नाम, पता में बदलाव

12. चुनावी अपराध और दंड

चुनावी अपराध के प्रकार

मुख्य अपराध:

  • भ्रष्ट आचरण: रिश्वत, धमकी, झूठे वादे
  • अनुचित प्रभाव: धर्म, जाति का दुरुपयोग
  • व्यय की सीमा: निर्धारित सीमा से अधिक खर्च
  • झूठी जानकारी: गलत तथ्य फैलाना

दंड के प्रावधान

सजा:

  • जुर्माना: ₹500 से ₹10,000 तक
  • कारावास: 3 महीने से 2 साल तक
  • चुनाव लड़ने पर रोक: 6 साल तक
  • मतदान रद्द: गंभीर मामलों में

व्यय की सीमा

चुनाव व्यय सीमा उल्लंघन पर दंड
लोकसभा ₹95 लाख (बड़े राज्य), ₹75 लाख (छोटे राज्य) 3 साल कारावास
विधानसभा ₹40 लाख (बड़े राज्य), ₹28 लाख (छोटे राज्य) 3 साल कारावास
राज्यसभा ₹30 लाख 3 साल कारावास

13. चुनाव पेटिशन और न्यायिक समीक्षा

चुनाव पेटिशन

पेटिशन की प्रक्रिया:

  • न्यायालय: उच्च न्यायालय में दाखिल
  • समय सीमा: चुनाव परिणाम के 45 दिन के भीतर
  • पेटिशनकर्ता: उम्मीदवार या मतदाता
  • आधार: चुनावी कानून का उल्लंघन

न्यायिक निर्णय

न्यायालय की शक्तियां:

  • चुनाव रद्द: गंभीर उल्लंघन की स्थिति में
  • उम्मीदवार की अयोग्यता: भ्रष्ट आचरण के लिए
  • नया चुनाव: पूर्ण या आंशिक
  • सही विजेता: वास्तविक विजेता की घोषणा

प्रमुख चुनाव पेटिशन

महत्वपूर्ण मामले:

  • इंदिरा गांधी मामला (1975): इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय
  • राज नारायण मामला: चुनावी कानून की व्याख्या
  • सुब्रमण्यम स्वामी मामला: अपराधी उम्मीदवारों पर
  • हर्षवर्धन मामला: EVM की सुरक्षा

14. डिजिटल चुनाव प्रचार

सोशल मीडिया का प्रभाव

डिजिटल प्रचार के फायदे:

  • व्यापक पहुंच: अधिक लोगों तक संदेश
  • कम लागत: पारंपरिक मीडिया से सस्ता
  • तुरंत प्रभाव: रियल टाइम में संदेश
  • युवा वोटर: नई पीढ़ी तक पहुंच

डिजिटल प्रचार की चुनौतियां

मुख्य समस्याएं:

  • फेक न्यूज: झूठी जानकारी का फैलाव
  • हेट स्पीच: घृणास्पद भाषा का उपयोग
  • मिक्रो टार्गेटिंग: विशिष्ट समुदाय को निशाना
  • विदेशी हस्तक्षेप: बाहरी प्रभाव

चुनाव आयोग के नियम

डिजिटल मीडिया के लिए नियम:

  • पूर्व अनुमति: व्यावसायिक विज्ञापन के लिए
  • व्यय की गणना: डिजिटल प्रचार खर्च की गणना
  • नियमित निगरानी: सामग्री की जांच
  • उल्लंघन पर कार्रवाई: गलत प्रचार पर रोक

15. समसामयिक चुनावी सुधार

चुनाव आयोग की नई पहल

हाल की पहलें:

  • ई-EPIC: डिजिटल मतदाता पहचान पत्र
  • सी-विजिल एप: चुनावी उल्लंघन की रिपोर्ट
  • वोटर हेल्पलाइन: 1950 नंबर पर सेवा
  • सुगम्य मतदान: दिव्यांग मतदाताओं के लिए

COVID-19 का प्रभाव

महामारी के दौरान चुनाव:

  • सुरक्षा प्रोटोकॉल: मास्क, सैनिटाइजर, दूरी
  • मतदान समय: अतिरिक्त घंटे
  • पोस्टल बैलेट: 65+ आयु और कोविड मरीजों के लिए
  • डिजिटल प्रचार: भौतिक रैलियों पर रोक

भविष्य की चुनौतियां

आने वाली समस्याएं:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता: AI का दुरुपयोग
  • डीपफेक: नकली वीडियो और ऑडियो
  • साइबर सुरक्षा: हैकिंग और डेटा चोरी
  • जनसांख्यिकी परिवर्तन: युवा मतदाताओं की अपेक्षाएं

16. Practice Questions

प्रश्न 1: चुनाव आयोग की संरचना और स्वतंत्रता पर चर्चा करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • अनुच्छेद 324 के तहत गठन
  • मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त
  • नियुक्ति प्रक्रिया और कार्यकाल
  • सुरक्षा के उपाय
  • शक्तियां और कार्य

प्रश्न 2: EVM और VVPAT की तकनीकी विशेषताओं और विवादों का विश्लेषण करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • EVM की संरचना और कार्यप्रणाली
  • VVPAT की आवश्यकता और विशेषताएं
  • सुरक्षा के उपाय
  • विवाद और आपत्तियां
  • न्यायिक निर्णय

प्रश्न 3: चुनावी बांड योजना और इसके विवादों पर प्रकाश डालें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • चुनावी बांड की शुरुआत और उद्देश्य
  • खरीद और उपयोग की प्रक्रिया
  • सरकार के तर्क
  • विपक्ष की आपत्तियां
  • सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 2024

प्रश्न 4: दल-बदल निरोधक कानून के प्रावधान और न्यायिक व्याख्या का मूल्यांकन करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • दसवीं अनुसूची के मुख्य प्रावधान
  • दल-बदल की परिभाषा और अपवाद
  • स्पीकर/चेयरमैन की भूमिका
  • महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय
  • व्यावहारिक समस्याएं और सुधार

17. FAQ

Q1: मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त में क्या अंतर है?

मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग का अध्यक्ष होता है, लेकिन निर्णय लेने में तीनों सदस्यों का मत बराबर होता है। CEC को केवल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की तरह हटाया जा सकता है, जबकि EC को CEC की सिफारिश पर हटाया जा सकता है।

Q2: NOTA का क्या महत्व है और इसकी सीमाएं क्या हैं?

NOTA मतदाता को किसी भी उम्मीदवार को नकारने का अधिकार देता है। यह मतदाता की असंतुष्टि दिखाता है, लेकिन इसका कोई कानूनी प्रभाव नहीं है। NOTA को सबसे अधिक मत मिलने पर भी दोबारा चुनाव नहीं होता।

Q3: चुनावी बांड योजना क्यों असंवैधानिक घोषित की गई?

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित किया क्योंकि यह पारदर्शिता के सिद्धांत का उल्लंघन करती है। दाता की गुमनामी से भ्रष्टाचार बढ़ सकता है और मतदाता के सूचना के अधिकार का हनन होता है।

Q4: EVM की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?

EVM में कोई नेटवर्क कनेक्शन नहीं है, यह बैटरी से चलती है। इसमें tamper-proof seal, encrypted software, और multi-layer security है। मतदान के बाद EVM strong room में सुरक्षित रखी जाती है।

Q5: दल-बदल निरोधक कानून में क्या छूट है?

यदि दल का 1/3 सदस्य एक साथ दल-बदल करे, दो दलों का विलय हो, या कोई सदस्य अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का पद स्वीकार करे तो उसे दल-बदल नहीं माना जाता। 2003 के संशोधन के बाद दल विभाजन की छूट समाप्त हो गई।

Q6: डिजिटल चुनाव प्रचार के क्या नियम हैं?

डिजिटल प्रचार के लिए चुनाव आयोग की पूर्व अनुमति आवश्यक है। सभी डिजिटल खर्च की गणना चुनावी व्यय में होती है। फेक न्यूज, हेट स्पीच और गलत जानकारी फैलाना प्रतिबंधित है।

Q7: चुनाव पेटिशन कैसे दाखिल करते हैं?

चुनाव पेटिशन चुनाव परिणाम के 45 दिन के भीतर संबंधित उच्च न्यायालय में दाखिल करना होता है। केवल उम्मीदवार या मतदाता ही पेटिशन दाखिल कर सकते हैं। पेटिशन में चुनावी कानून के उल्लंघन के स्पष्ट आधार होने चाहिए।

Q8: मतदाता सूची में नाम कैसे जोड़ें?

18 वर्ष की आयु पूरी होने पर फॉर्म 6 भरकर मतदाता सूची में नाम जोड़ सकते हैं। आवश्यक दस्तावेज: आधार कार्ड, निवास प्रमाण, आयु प्रमाण। ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से आवेदन दे सकते हैं।

18. निष्कर्ष

चुनावी व्यवस्था की उपलब्धियां:

  • स्वतंत्र चुनाव आयोग: निष्पक्ष चुनाव संचालन
  • तकनीकी सुधार: EVM और VVPAT से बेहतर व्यवस्था
  • मतदाता सशक्तिकरण: NOTA और बेहतर सुविधाएं
  • डिजिटल नवाचार: ई-EPIC, सी-विजिल एप
  • पारदर्शिता: चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

वर्तमान चुनौतियां:

  • बढ़ती लागत: चुनावी खर्च में वृद्धि
  • अपराधीकरण: आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवार
  • डिजिटल चुनौतियां: फेक न्यूज, साइबर सुरक्षा
  • राजनीतिक ध्रुवीकरण: जातिवाद, सांप्रदायिकता
  • मतदान प्रतिशत: कम मतदान दर

भविष्य की दिशा: