राज्य सरकारों की संरचना और कार्यप्रणाली | State Government Structure & Functioning for UPSC

| जुलाई 16, 2025
लेख 9: राज्य सरकारों की संरचना और कार्यप्रणाली

लेख 9: राज्य सरकारों की संरचना और कार्यप्रणाली

1. राज्य सरकार की संरचना

त्रिस्तरीय व्यवस्था

भारत में राज्य सरकार की संरचना केंद्र सरकार के समान त्रिस्तरीय है:

तीन अंग:

  • कार्यपालिका: राज्यपाल और मंत्रिपरिषद
  • विधायिका: राज्य विधानसभा और विधान परिषद
  • न्यायपालिका: उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय

संवैधानिक स्थिति

भाग VI (अनुच्छेद 152-237):

संविधान के भाग VI में राज्य सरकारों की संरचना, शक्तियां और कार्यप्रणाली का विस्तृत वर्णन है।

2. राज्यपाल का पद

नियुक्ति प्रक्रिया

अनुच्छेद 155 के तहत नियुक्ति:

  • नियुक्तिकर्ता: राष्ट्रपति
  • परामर्श: केंद्रीय मंत्रिपरिषद
  • कार्यकाल: 5 वर्ष
  • पदमुक्ति: राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत

योग्यताएं

अनुच्छेद 157 के तहत योग्यताएं:

  • भारत का नागरिक हो
  • 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
  • संसद या राज्य विधानसभा का सदस्य न हो
  • किसी लाभ के पद पर न हो

वेतन और भत्ते

अनुच्छेद 158:

  • वेतन: ₹3.5 लाख प्रति माह
  • भत्ते: राज्य सरकार द्वारा निर्धारित
  • निवास: राजभवन की व्यवस्था
  • कार्यकाल में कमी: वेतन में कमी नहीं की जा सकती

विवादास्पद भूमिका

समसामयिक विवाद:

  • राजनीतिक नियुक्तियां: पूर्व राजनेताओं की नियुक्ति
  • केंद्र-राज्य तनाव: विपक्षी राज्यों में हस्तक्षेप
  • विधेयकों पर विलंब: राज्य विधेयकों को अनुमति में देरी
  • मंत्रिपरिषद से संबंध: निष्पक्षता का प्रश्न

3. राज्यपाल की शक्तियां

कार्यकारी शक्तियां

अनुच्छेद 154 के तहत:

  • राज्य की कार्यकारी शक्ति: राज्यपाल में निहित
  • मुख्यमंत्री की नियुक्ति: बहुमत दल के नेता को
  • मंत्रिपरिषद की नियुक्ति: मुख्यमंत्री की सलाह पर
  • महाधिवक्ता की नियुक्ति: राज्य के कानूनी सलाहकार

विधायी शक्तियां

विधानसभा के संबंध में:

  • सत्र आहूत करना: विधानसभा के सत्र बुलाना
  • सदन का सत्रावसान: सत्र की समाप्ति
  • विधानसभा विघटन: मुख्यमंत्री की सलाह पर
  • अभिभाषण: प्रत्येक वर्ष पहले सत्र में

विवेकाधीन शक्तियां

अनुच्छेद 163 के तहत:

  • मुख्यमंत्री की नियुक्ति: जब किसी दल का स्पष्ट बहुमत न हो
  • मंत्रिपरिषद की बर्खास्तगी: विधानसभा में विश्वास खो जाने पर
  • विधानसभा विघटन: मंत्रिपरिषद की सलाह पर
  • राष्ट्रपति शासन की सिफारिश: संवैधानिक संकट में

न्यायिक शक्तियां

अनुच्छेद 161:

  • क्षमादान: राज्य के विषयों में दंड की माफी
  • दंडादेश में कमी: सजा कम करना
  • दंडादेश का निलंबन: अस्थायी रूप से रोकना
  • सीमा: न्यायालय की अवमानना में क्षमादान नहीं

4. राजनीतिक संकट में राज्यपाल की भूमिका

हंग असेंबली की स्थिति

विकल्प:

  • सबसे बड़े दल को आमंत्रित करना
  • सबसे बड़े गठबंधन को मौका देना
  • पोस्ट-पोल गठबंधन की अनुमति
  • फ्लोर टेस्ट का आदेश

मंत्रिपरिषद की बर्खास्तगी

परिस्थितियां:

  • विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पास होना
  • बजट या महत्वपूर्ण विधेयक का गिरना
  • मुख्यमंत्री का इस्तीफा
  • दल-बदल के कारण बहुमत खो जाना

हाल की महत्वपूर्ण घटनाएं

2019-2024 के विवाद:

  • महाराष्ट्र (2019): राज्यपाल की विवादास्पद भूमिका
  • मध्य प्रदेश (2020): सरकार गिराने में भूमिका
  • राजस्थान (2020): विधानसभा सत्र बुलाने में देरी
  • छत्तीसगढ़ (2022): विधेयकों पर विलंब

5. मुख्यमंत्री और राज्य मंत्रिपरिषद

मुख्यमंत्री की नियुक्ति

अनुच्छेद 164:

  • नियुक्ति: राज्यपाल द्वारा
  • योग्यता: विधानसभा का सदस्य (6 महीने के भीतर)
  • शपथ: राज्यपाल द्वारा दिलाई जाती है
  • कार्यकाल: विधानसभा के विश्वास तक

मुख्यमंत्री की शक्तियां

प्रमुख अधिकार:

  • मंत्रिपरिषद का नेतृत्व
  • मंत्रियों की नियुक्ति और बर्खास्तगी की सिफारिश
  • विभागों का आवंटन
  • राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच कड़ी
  • राज्य की नीति निर्धारण

राज्य मंत्रिपरिषद

संरचना:

  • मुख्यमंत्री: अध्यक्ष
  • कैबिनेट मंत्री: महत्वपूर्ण विभाग
  • राज्य मंत्री: सहायक मंत्री
  • उप मंत्री: सबसे छोटा पद

सामूहिक जिम्मेदारी

अनुच्छेद 164(2):

मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से जिम्मेदार है। यदि मुख्यमंत्री इस्तीफा दे दे, तो पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है।

6. राज्य विधानसभा

संरचना और सदस्यता

अनुच्छेद 170:

  • सदस्य संख्या: न्यूनतम 60, अधिकतम 500
  • अपवाद: गोवा (40), सिक्किम (32), मिजोरम (40)
  • चुनाव: प्रत्यक्ष मतदान से
  • आरक्षण: SC/ST के लिए जनसंख्या के अनुपात में

कार्यकाल

अनुच्छेद 172:

  • सामान्य कार्यकाल: 5 वर्ष
  • प्रारंभ: पहली बैठक से
  • समाप्ति: विघटन या कार्यकाल पूरा होने पर
  • आपातकाल में विस्तार: अधिकतम 1 वर्ष

अध्यक्ष और उपाध्यक्ष

अनुच्छेद 178:

  • चुनाव: सदस्यों द्वारा
  • कार्यकाल: विधानसभा के कार्यकाल तक
  • इस्तीफा: 14 दिन का नोटिस
  • हटाना: सदस्यों के बहुमत से

विधानसभा की शक्तियां

मुख्य अधिकार:

  • विधायी शक्ति: राज्य और समवर्ती सूची के विषयों पर
  • वित्तीय शक्ति: बजट पर नियंत्रण
  • कार्यकारी नियंत्रण: मंत्रिपरिषद पर
  • न्यायिक शक्ति: अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को हटाना

विघटन

परिस्थितियां:

  • 5 वर्षीय कार्यकाल की समाप्ति
  • मुख्यमंत्री की सिफारिश पर
  • मंत्रिपरिषद के विश्वास खो जाने पर
  • राष्ट्रपति शासन लगने पर

7. विधान परिषद

द्विसदनीय राज्य

वर्तमान में 6 राज्यों में विधान परिषद:

  • उत्तर प्रदेश (100 सदस्य)
  • बिहार (75 सदस्य)
  • महाराष्ट्र (78 सदस्य)
  • कर्नाटक (75 सदस्य)
  • तेलंगाना (40 सदस्य)
  • आंध्र प्रदेश (58 सदस्य)

गठन और विघटन

अनुच्छेद 169:

  • गठन: संसद द्वारा कानून बनाकर
  • शर्त: राज्य विधानसभा द्वारा विशेष बहुमत से प्रस्ताव
  • विघटन: समान प्रक्रिया से
  • राज्यसभा की भूमिका: अनुमोदन आवश्यक

सदस्यता और चुनाव

अनुच्छेद 171:

  • सदस्य संख्या: विधानसभा के 1/3 से अधिक न हो
  • न्यूनतम: 40 सदस्य
  • कार्यकाल: 6 वर्ष
  • रिटायरमेंट: हर 2 वर्ष में 1/3 सदस्य

चुनाव प्रक्रिया

सदस्यों का प्रकार संख्या चुनाव/नियुक्ति
स्थानीय निकाय 1/3 पंचायत और नगरपालिका सदस्य
विधानसभा सदस्य 1/3 MLA द्वारा चुने गए
शिक्षक 1/12 माध्यमिक स्तर से ऊपर के शिक्षक
स्नातक 1/12 3 साल से राज्य में रहने वाले स्नातक
राज्यपाल द्वारा नामित 1/6 कला, साहित्य, विज्ञान, सहकारिता, समाज सेवा

विधान परिषद की शक्तियां

सीमित शक्तियां:

  • धन विधेयक: केवल सिफारिश, 14 दिन में वापस
  • सामान्य विधेयक: अधिकतम 4 महीने रोक सकती है
  • मंत्रिपरिषद: केवल विधानसभा के प्रति जिम्मेदार
  • अविश्वास प्रस्ताव: नहीं ला सकती

8. राज्य विधानमंडल की शक्तियां

विधायी शक्तियां

कानून निर्माण:

  • राज्य सूची: 61 विषयों पर पूर्ण अधिकार
  • समवर्ती सूची: 52 विषयों पर केंद्र के साथ
  • अवशिष्ट शक्तियां: केवल केंद्र के पास
  • संशोधन: पुराने कानूनों में बदलाव

वित्तीय शक्तियां

बजट पर नियंत्रण:

  • बजट की मंजूरी: वार्षिक बजट पास करना
  • कर लगाना: राज्य सूची के कर
  • व्यय नियंत्रण: सरकारी खर्च पर निगरानी
  • अनुदान मांग: विभागवार बजट पास करना

कार्यकारी नियंत्रण

मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण:

  • प्रश्नकाल: मंत्रियों से सवाल
  • बहस: नीतियों पर चर्चा
  • अविश्वास प्रस्ताव: सरकार गिराना
  • स्थगन प्रस्ताव: तत्काल मुद्दों पर

सीमाएं

संवैधानिक सीमाएं:

  • संघ सूची: 100 विषयों पर कानून नहीं बना सकते
  • राज्यपाल की स्वीकृति: सभी विधेयकों के लिए आवश्यक
  • उच्च न्यायालय: न्यायिक समीक्षा
  • केंद्रीय कानून: समवर्ती सूची में प्राथमिकता

9. राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC)

संवैधानिक स्थिति

अनुच्छेद 315-323:

  • गठन: प्रत्येक राज्य में या संयुक्त आयोग
  • स्वतंत्रता: राज्य सरकार से स्वतंत्र संस्था
  • अध्यक्ष: राज्यपाल द्वारा नियुक्त
  • सदस्य: आधे सदस्यों का 10 साल का अनुभव

नियुक्ति और कार्यकाल

अध्यक्ष और सदस्य:

  • नियुक्ति: राज्यपाल द्वारा
  • कार्यकाल: 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु
  • हटाना: केवल राष्ट्रपति द्वारा
  • वेतन: राज्य विधानसभा द्वारा निर्धारित

कार्य और शक्तियां

मुख्य कार्य:

  • परीक्षा आयोजन: राज्य सिविल सेवा परीक्षा
  • भर्ती: राज्य सरकारी नौकरियों में
  • प्रमोशन: अधिकारियों की पदोन्नति
  • सलाह: सेवा संबंधी मामलों में

वार्षिक रिपोर्ट

अनुच्छेद 323:

SPSC को राज्यपाल को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है, जो बाद में राज्य विधानसभा के समक्ष रखी जाती है।

10. राज्य मानवाधिकार आयोग

गठन

मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993:

  • अध्यक्ष: उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश
  • सदस्य: न्यायिक और गैर-न्यायिक
  • नियुक्ति: राज्यपाल द्वारा
  • कार्यकाल: 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु

कार्य और शक्तियां

मुख्य कार्य:

  • शिकायत जांच: मानवाधिकार उल्लंघन की
  • सुओ मोटो कार्रवाई: स्वयं संज्ञान लेना
  • जेल निरीक्षण: बंदियों की स्थिति देखना
  • जागरूकता: मानवाधिकार शिक्षा

शक्तियां

न्यायिक शक्तियां:

  • सिविल कोर्ट की शक्तियां
  • गवाह तलब करना
  • दस्तावेज मांगना
  • तुरंत राहत देना

11. राज्य सूचना आयोग

गठन

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005:

  • मुख्य सूचना आयुक्त: 1 व्यक्ति
  • सूचना आयुक्त: अधिकतम 10
  • नियुक्ति: राज्यपाल द्वारा
  • चयन समिति: मुख्यमंत्री, विधानसभा नेता, कैबिनेट मंत्री

योग्यता और कार्यकाल

नियुक्ति शर्तें:

  • योग्यता: जन जीवन में प्रतिष्ठा
  • अनुभव: कानून, प्रशासन, मीडिया का ज्ञान
  • कार्यकाल: 5 वर्ष या 65 वर्ष की आयु
  • पुनर्नियुक्ति: नहीं हो सकती

कार्य और शक्तियां

मुख्य कार्य:

  • अपील की सुनवाई: RTI के तहत
  • शिकायत निवारण: सूचना न मिलने पर
  • जुर्माना: अधिकारियों पर
  • जागरूकता: RTI के बारे में

12. राज्य चुनाव आयोग

संवैधानिक स्थिति

अनुच्छेद 243K और 243ZA:

  • गठन: राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति
  • नियुक्ति: राज्यपाल द्वारा
  • हटाना: उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान
  • स्वतंत्रता: राज्य सरकार से स्वतंत्र

कार्य और शक्तियां

मुख्य कार्य:

  • पंचायती राज चुनाव: ग्राम पंचायत से जिला पंचायत तक
  • नगरीय निकाय चुनाव: नगर पंचायत से नगर निगम तक
  • चुनाव सूची: मतदाता सूची तैयार करना
  • निरीक्षण: चुनाव प्रक्रिया की निगरानी

शक्तियां

चुनाव संबंधी शक्तियां:

  • चुनाव कार्यक्रम: तिथि निर्धारण
  • नामांकन: उम्मीदवार की जांच
  • आचार संहिता: मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट
  • चुनाव रद्द करना: गड़बड़ी की स्थिति में

13. राज्य वित्त आयोग

संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद 243I:

  • गठन: राज्यपाल द्वारा हर 5 वर्ष में
  • सदस्य: अध्यक्ष और आवश्यक सदस्य
  • योग्यता: वित्त और प्रशासन का अनुभव
  • कार्यकाल: राज्यपाल द्वारा निर्धारित

कार्य और सिफारिशें

मुख्य कार्य:

  • वित्तीय आवंटन: पंचायत और नगरपालिका को
  • कर वितरण: राज्य करों का बंटवारा
  • अनुदान: विशेष जरूरतों के लिए
  • वित्तीय स्वास्थ्य: स्थानीय निकायों का

सिफारिशों का महत्व

स्थानीय स्वशासन को मजबूती:

  • पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता
  • नगरीय निकायों का विकास
  • ग्रामीण विकास योजनाओं में सहयोग
  • स्थानीय संसाधनों का बेहतर उपयोग

14. विशेष क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान

पांचवी अनुसूची (Fifth Schedule)

अनुच्छेद 244(1):

  • राज्य: 9 राज्यों में जनजातीय क्षेत्र
  • प्रशासन: जनजातीय सलाहकार परिषद
  • राज्यपाल की शक्ति: विशेष अधिकार
  • संरक्षण: जनजातीय संस्कृति और भूमि

छठी अनुसूची (Sixth Schedule)

अनुच्छेद 244(2):

  • राज्य: असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम
  • स्वायत्त जिला परिषद: 10 परिषदें
  • विशेष अधिकार: कानून निर्माण की शक्ति
  • न्यायिक शक्ति: पारंपरिक न्यायपालिका

विशेष राज्य के दर्जे वाले क्षेत्र

अनुच्छेद 371 के तहत:

  • नागालैंड: धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं का संरक्षण
  • मिजोरम: पारंपरिक कानून और न्यायपालिका
  • अरुणाचल प्रदेश: राज्यपाल की विशेष जिम्मेदारी
  • सिक्किम: विशेष राज्य का दर्जा

15. समसामयिक मुद्दे

राज्यपाल की भूमिका में विवाद

हाल के विवाद:

  • महाराष्ट्र (2019): सरकार गठन में विवाद
  • तमिलनाडु (2017): मुख्यमंत्री की नियुक्ति
  • कर्नाटक (2018): विधानसभा चुनाव परिणाम
  • मध्य प्रदेश (2020): सरकार गिराने में भूमिका

विधान परिषद की प्रासंगिकता

बहस के मुद्दे:

  • उपयोगिता: द्विसदनीय व्यवस्था की आवश्यकता
  • खर्च: अतिरिक्त वित्तीय बोझ
  • राजनीतिक दुरुपयोग: विपक्षी दलों का शरण स्थल
  • विधायी देरी: कानून निर्माण में बाधा

नए मुद्दे

आने वाली चुनौतियां:

  • दल-बदल: राजनीतिक स्थिरता पर प्रभाव
  • गठबंधन राजनीति: अस्थिर सरकारें
  • केंद्र-राज्य संबंध: संघवाद पर प्रभाव
  • डिजिटल गवर्नेंस: प्रशासनिक सुधार

16. Practice Questions

प्रश्न 1: राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों का वर्णन करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • मुख्यमंत्री की नियुक्ति (हंग असेंबली में)
  • मंत्रिपरिषद की बर्खास्तगी
  • विधानसभा का विघटन
  • राष्ट्रपति शासन की सिफारिश
  • विधेयकों पर निर्णय

प्रश्न 2: विधान परिषद की संरचना और शक्तियों पर चर्चा करें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • सदस्यता और चुनाव प्रक्रिया
  • कार्यकाल और अवकाश
  • विधायी शक्तियां और सीमाएं
  • धन विधेयकों पर प्रभाव
  • मंत्रिपरिषद के साथ संबंध

प्रश्न 3: राज्य लोक सेवा आयोग की भूमिका और कार्यों का विवरण दें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • संवैधानिक स्थिति और गठन
  • सदस्यों की नियुक्ति और योग्यता
  • परीक्षा आयोजन और भर्ती
  • प्रमोशन और अनुशासनिक कार्रवाई
  • स्वतंत्रता और सुरक्षा

प्रश्न 4: राज्य वित्त आयोग की आवश्यकता और कार्यों पर प्रकाश डालें।

उत्तर की रूपरेखा:
  • संवैधानिक प्रावधान और गठन
  • पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता
  • नगरीय निकायों का विकास
  • स्थानीय स्वशासन को मजबूती
  • सिफारिशों का क्रियान्वयन

17. FAQ

Q1: क्या राज्यपाल मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर सकता है?

हां, यदि मुख्यमंत्री विधानसभा का विश्वास खो दे या इस्तीफा दे दे। राज्यपाल केवल संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार ही इस शक्ति का उपयोग कर सकता है।

Q2: विधान परिषद क्यों आवश्यक है?

विधान परिषद एक पुनर्विचार सदन है जो जल्दबाजी में बने कानूनों को रोकता है। यह विशेषज्ञों और अनुभवी लोगों को राजनीति में भाग लेने का अवसर देता है।

Q3: राज्य चुनाव आयोग की स्वतंत्रता कैसे सुनिश्चित की गई है?

राज्य चुनाव आयुक्त को केवल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान प्रक्रिया से हटाया जा सकता है। उसका वेतन और सेवा शर्तें संविधान द्वारा सुरक्षित हैं।

Q4: क्या राज्य सरकार केंद्रीय कानून को चुनौती दे सकती है?

हां, राज्य सरकार न्यायालय में केंद्रीय कानून को चुनौती दे सकती है यदि वह संवैधानिक शक्ति विभाजन का उल्लंघन करता है।

18. निष्कर्ष

राज्य सरकार की मुख्य विशेषताएं:

  • संसदीय प्रणाली: केंद्र के समान व्यवस्था
  • राज्यपाल की भूमिका: संवैधानिक प्रमुख
  • मुख्यमंत्री का नेतृत्व: वास्तविक कार्यकारी शक्ति
  • विधानसभा की सर्वोच्चता: राज्य स्तर पर

समसामयिक चुनौतियां:

  • राज्यपाल की विवादास्पद भूमिका
  • गठबंधन राजनीति की समस्याएं
  • केंद्र-राज्य संबंधों में तनाव
  • स्थानीय स्वशासन का सशक्तिकरण

मुख्य संदेश:

राज्य सरकारों की संरचना भारतीय संघवाद की आधारशिला है। राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा और विभिन्न आयोगों की भूमिका लोकतांत्रिक शासन को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण है। हालांकि कुछ विवादास्पद मुद्दे हैं, लेकिन समग्र रूप से यह व्यवस्था भारत की विविधता और एकता को संभालने में सफल है।

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